अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ एक यादगार और मादक रात
07-03-2017, 01:14 PM,
#4
RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ एक यादगार और मादक रात
एक यादगार और मादक रात--2

गंगा उतरे. उन का आठ इंच लंबा गीला लंड देख माधवी शरमाई. उस ने मुस्कुराते हुए मुँह फेर लिया. परेश का लंड पकड़ कर मेने पूछा : परेश, चोदना है ना ?
बिन बोले वो मेरी जाँघो के बीच आ गया. लंड पकड़ कर धक्के मार ने लगा.
वो इतना जल्दी में था कि लंड भोस पर इधर उधर टकराया लेकिन उसे चूत का मुँह ना मिला. बाहर ही भोस पर झाड़ जाय उस से पहले मेने लंड पकड़ कर चूत पर धर दिया. एक ही धक्के से पूरा लंड चूत में उतर गया. आगे सिखाने की ज़रूरत ना रही/ धना धन, घचा घच्छ धक्के से वो मुझे चोदने लगा.
उधर गंगा माधवी लो गोद में लिए बैठे थे. माधवी ने अपना मुँह उस के सीने में छुपा दिया था. गंगा का एक हाथ स्तन सहला रहा था और दूसरा निक्केर में घुसा हुआ था. बार बार माधवी छटपटा जाती थी और गंगा का निक्केर वाला हाथ पकड़ लेती. मेरे ख़याल से गंगा उस की क्लाइटॉरिस छेड़ रहे थे. इतने में गंगा ने माधवी का हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया. पहले तो झटके से माधवी ने हाथ हटा लिया लेकिन जब गंगा ने फिर पकड़ाया तब मात्र उंगलियों से च्छुआ, पकड़ा नहीं. गंगा बोले : माधो, मुट्ठी में पकड़, मीठा लगेगा.
कुच्छ आनाकानी के बाद माधवी ने मुट्ठी मे लंड पकड़ लिया. गंगा के दिखाने मुताबिक वो होले होले मूठ मार ने लगी.
माधवी का चाहेरा उठा कर गंगा ने मुँह पर चुंबन किया. में देख सकती थी कि गंगा ने अपनी जीभ से माधवी के होठ चाते औट खोले. मेने परेश को ये नज़ारा दिखाया. अपनी बहन के स्तन पर गंगा का हाथ और बहन के हाथ में गंगा का लंड देख परेश की उत्तेजना बढ़ गयी. घच घच्छ, घचक घच्छ तेज धक्के से चोदने लगा. अचानक में झाड़ गयी.
गंगाधर का कम मुश्किल था लेकिन वो सब्र से काम लेते थे. माधवी अब शरमाये बिना लंड पकड़े मूठ मार रही थी. उस के मुँह से सिसकारियाँ निकल पड़ती थी और नितंब डोलने लगे थे.
इधर तेज रफ़्तार से धक्के दे कर परेश झाड़ा. थोड़ी देर तक वो मुझ पर पड़ा रहा और बाद में उतरा. उस का लंड अभी भी टाइट था. में माधवी के पास गयी. गंगा को हटा कर मेने माधवी को गोद में लिया. में पलंग की धार पर बैठी और मेने माधवी की जांघें चौड़ी पकड़ रखी. उस की गीली गीली भोस खुली हुई.
माधवी सोलह साल की थी लेकिन उस की भोस मेरी भोस जैसी बड़ी थी. उँची मोन्स पर और बड़े होठ के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झाँत थे. बड़े होठ मोटे थे, बड़े संतरे की फाड़ जैसे और एक दूजे से सटे हुए. बीच की दरार चार इंच लंबी होगी. क्लाइटॉरिस एक इंच लंबी और मोटी थी. उस वक्त वो कड़ी हुई थी और बड़े होठ के अगले कोने में से बाहर निकल आई थी. गंगा फर्श पर बैठ गये. दोनो हाथ के अंगूठे से उस ने भोस के बड़े होठ चौड़े किए और भोस खोली. अंदर का कोमल गुलाबी हिस्सा नज़र अंदाज हुआ. छोटे होठ पतले थे लेकिन सूजे हुए थे. चूत का मुँह सिकुदा हुआ था और काम रस से गीला था. गंगा की उंगली जब क्लाइटॉरिस पर लगी तब माधवी कूद पड़ी. मेने पिछे से उस के स्तन थाम लिए और निपल्स मसल डाली. गंगा अब भोस चाटने लगे. भोस के होठ चौड़े पकड़े हुए उसने क्लाइटॉरिस को जीभ से रगड़ा. साथ साथ जा सके इतनी एक उंगली चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगे. माधवी को ऑर्गॅज़म होने में देर ना लगी. उस का सारा बदन अकड़ गया, रोएँ खड़े हो गये, आँखें मिच गई और मुँहसे और चूत से पानी निकल पड़ा. हलकी सी कंपन बदन में फैल गयी. ऑर्गॅज़म बीस सेकेंड चला. माधवी बेहोश सी हो गयी.
मेने उसे पलंग पर सुलाया. थोड़ी देर बाद वो होश में आई . वो बोली : भाभी, क्या हो गया मुझे ?
गंगाधर : बिटिया, जो हुआ इसे अँग्रेज़ी में ऑर्गॅज़म कहते हैं. मज़ा आया कि नहीं ?
माधवी : बहुत मज़ा आया, अभी भी आ रहा है. नीचे पिंकी में फट फट हो रहा है. क्या तुमने मुझे चोदा ?
गंगाधर : ना, चोदा नहीं है, तुम अभी कंवारी ही हो. अब में कुच्छ नहीं सुनना चाहता. तुम दोनो चुप चाप सो जाओ और आराम करो.
परेश : आप क्या करेंगे ?
में : हमारी बाकी रही चुदाई पूरी करेंगे.
परेश : में देखूँगा.ये मुझे सोने नहीं देगा.
परेश ने अपना लंड दिखाया जो वाकई पूरा तन गया था. माधवी लेटिरही और करवट बदल कर हमें देख ने लगी.
में फर्श पर चित लेट गयी. गंगा ने मेरी जंघें इतनी उठाई कि मेरे घुटने मेरे कानों से लग गये. घच्छ सा एक धक्के से उस ने पूरा लंड चूत में घुसेड दिया. हम दोनो काफ़ी उत्तेजित हो गये थे. घचा घच्छ, घचा घच्छ धक्के से वो चोदने लगे. चूत सिकोड कर में लंड को भींचती रही. बीस पचीस भकको के बाद गंगा उतरे और ज़्झट पट मुझे चारो हाथ पाँव के बल कर दिया, घोड़ी की तरह. वो पिछे से चढ़े. जैसे ही उस ने लंड चूत में डाला कि मुझे ऑर्गॅज़म हो गया. वो लेकिन रुके नहीं, धक्के मारते रहे. दस बारह धक्के के बाद मेरी कमर पकड़ कर उस ने लंड को चूत की गहराई में घुसेड दिया और पक्फ, पक्फ पिचकारियाँ लगा कर झाडे. मुझे दूसरा ऑर्गॅज़म हुआ. मेरी योनि उन के वीर्य से छलक गयी. में फर्श पर चपत हो गयी. थोड़ी देर तक हम पड़े रहे, बाद में जा कर सफाई कर आए.
माधवी बैठ गई थी वो बोली : भाभी, परेश ने मेरी पिंकी देख ली पर अपना लंड देखने नहीं देता.
गंगाधर : कोई बात नहीं,बेटा, मेरा देख ले. कैलाश, तू ही दिखा.
Reply


Messages In This Thread
RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ एक यादगार और मादक रात - by sexstories - 07-03-2017, 01:14 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,546,707 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,569 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,251,770 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 946,328 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,680,626 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,103,070 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,989,173 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,181,814 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,078,656 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,313 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)