RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ एक यादगार और मादक रात
इतनी बात होते होते हम तीनो उत्तेजित होते चले थे. माधवी बार बार अपनी निकर ठीक करने के बहाने अपनी भोस खुजला लेती थी. परेश के टॅटर लंड ने पाजामा का तंबू बना दिया था.
मेने आगे कहा : जब चोदने का दिल होता है तब आदमी का लॉडा तन कर लंबा, मोटा और कड़ा हो जाता है. लड़की की भोस गीली हो जाती है. आदमी अपना कड़ा लॉडा जिसे लंड भी कहते हेँ उसे लड़की की चूत में डाल कर अंदर बाहर करता है. इसे चोदना कहते हेँ.
माधवी : ऐसा क्यूँ करते हेँ ?
में : ऐसा करने में बहुत मज़ा आता है और आदमी का वीर्य लड़की की चूत में गिरता है.वीर्य में पुरुष बीज होता है जो लड़की के स्त्री-बीज साथ मिल जाता है और नया बच्चा बन जाता है.
माधवी : भाभी देखो, भैया का ....वो खड़ा हो गया है.
परेश : तुझे क्या ? भाभी, एक बात बताउ ? मेरा तो रोज रात को खड़ा हो जाता है. उस में कुच्छ बुरा तो नहीं ना ?
में : कुच्छ बुरा नहीं. खड़ा भी होता होगा और स्वप्न देख कर वीर्य भी निकलता होगा.
परेश : भाभी, मधु के आगे क्यूँ....?
में : अब उन की बारी है. मधु, तुझे महावरिशुरू हो गयी होगी. नीचे भोस पर बाल उगे हेँ ?
माधवी ने सर हिला कर हा कही.
में : तू उंगली से खेलती हो ना ?
फिर सर हिला कर हा.
में :तूने लंड देखा है कभी ?
शरमा कर नीचे देख कर उस ने ना कही
मेना : परेश, तूने कब्भी चुचियाँ देखी हैं ?
उस ने ना कही.
में : ऐसा करते हेँ, माधवी तू तेरे स्तन दिखा और परेश तू लंड दिखा.
परेश : तू क्या दिखाएगी, भाभी ?
में : में भोस दिखाउन्गि. परेश, पहले तुम.
परेश ने पाजामा खोल कर नीचे सरकाया. लंड के पानी से उस की निक्केर गीली हो गई थी. वो ज़रा खिचकाया तो माधवी ने हाथ लंबा किया. परेश तुरंत हट गया और निक्केर उतार दी.
क्या लंड था उस का ? सात इंच लंबा और दो इंच मोटा होगा. दांडी एक दम सीधी थी. मत्था बड़ा था और टोपी से ढका हुआ था. चिकाने पानी से लंड गीला था. माधवी आश्चर्य से देखती रही. परेश को मेने धकेल कर लेटा दिया और उस के हाथ हटा कर लंड पकड़ लिया. मेरे छूते ही लंड ने ठुमका लगाया. वेल्वेट में लिपटा लोहे का डंडा जैसा उस का लंड था, बड़ा प्यारा हा.
में : माधु, ये लंड की टोपी चढ़ सकती है और मट्ठा खुला किया जा सकता है. देख.
मेने टोपी चड़ाई तो लंड से समेग्मा की बदबू आई. मेने कहा : परेश, नहाते समय उस को सॉफ करते नहीं हो ? ऐसा गंदा लंड से कौन चुड़वाएगी ? जा, सॉफ कर आ. परेश बाथरूम में गया.
में : माधवी, पसंद आया परेश का लंड ? अच्च्छा है ना ?
माधवी : में उसे च्छू सकती हूँ ?
में : क्यूँ नहीं ? लेकिन चुदवा नही सकोगी..
माधवी : क्यूँ नहीं ? मेरे पास भोस जो है ?
में : सही,लेकिन भाई बहन आपस में चुदाई नहीं करते.
इतने में परेश आ गया. ठंडा पानी से धोने से लंड ज़रा नर्म पड़ा था. मेने परेश को फिर लेटा दिया. लंड पकड़ कर टोपी चढ़ा दी. बड़ा मशरूम जैसा चिकना मत्था खुल गया. मेने हलके हाथ से मूठ मारी तो लंड फिर से तन गया. मेने पुचछा : मज़ा आता है ना ?
परेश : खूब मज़ा आता है भाभी, रुकना मत.
में होले होले मूठ मारती रही और बोली : माधवी, कुरती खोल और स्तन दिखा. माधवी खूब शरमाई, पलट कर खड़ी हो गयी. उस ने कुरती के हुक खोल दिए लेकिन खुले कपड़े से स्तन ढके रख सामने हुई. लंड छ्चोड़ मेने माधवी के हाथ हटाए और कुरती उतार दी. उस ने ब्रा पहनी नहीं थी, जवांन स्तन खुले हुए.
उमर के हिसाब से माधवी के स्तन काफ़ी बड़े थे, संपूर्ण गोल और कड़े. पतली नाज़ुक चमड़ी के नीचे खून की नीली नसें दिखाई दे रही थी. एक इंच की अरेवला ज़रा सी उपज आई थी. बीच में किस्मीस के दाने जैसी छोटी सी निपल थी. एग्ज़ाइट्मेंट से उस वक्त निपल कड़ी हो गई थी जिस से स्तन नॉकदार लगता था. स्तन देख कर परेश का लंड ने ठुमका लिया और कुच्छ ज़्यादा तन गया. वो बोला : में च्छू सकता हूँ ?
में : ना, बहन के स्तन भाई नहीं छुता.
परेश : भाभी, तू तो मेरी बहन नहीं हो. तेरे स्तन दिखा और च्छू ने दे.
में भी चाहती थी कि कोई मेरी चुचियाँ दबाए और मसले. मेने चोली उतार दी. वो दोनो देखते ही रह गये. मेरे स्तन भी सुंदर हेँ, लेकिन शादी के बाद ज़रा झुक गये हेँ. मेरी अरेवला बड़ी है पर निपल्स अभी छ्होटी है. मेरी निपल्स बहुत सेन्सिटिव है. गंगाधर उसे छूते है कि मेरी भोस पानी बहाना शुरू कर देती है. चोदते हुए वो जब मुँह में लिए चुसते हेँ तब मुझे झड़ने में देर नहीं लगती.
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