Kamukta xxx Story रद्दी वाला
07-03-2017, 01:09 PM,
#9
RE: Kamukta xxx Story रद्दी वाला
तभी सुदर्शानजी ने उस'से प्यार से कहा"क्यों रंजना बेटा तबीयत तो ठीक है ना. मैं ऐसे ही इधर आया तो तुम्हें बिस्तर पर छ्ट'पटाते हुए देखा. और यह क्या तुम्हारे मूँ'ह से कैसी गंध आ रही है. रंजना कुच्छ नहीं बोल सकी और उस'ने गर्दन नीचे कर ली. सुदर्शानजी कई देर बेटी के सर पर प्यार से हाथ फेर'ते रहे और फिर बोले,"मे समझ'ता हूँ कि तुम्हे मम्मी की याद आ रही है.अब तो हमारी बेटी पूरी जवान हो गई है.तुम अकेली बोर हो रही हो. चलो मेरे कम'रे में. रंजना मन्त्र मुग्ध सी पापा के साथ पापा के कमरे मे चल पड़ी. कमरे में टेबल पर शराब की बॉटल पड़ी थी, आइस बॉक्स था और एक तस्त्री में कुछ काजू पड़े थे. पापा सोफे पर बैठे और रंजना भी पापा के साथ सोफे पर बैठ गई.सुदर्शानजी ने एक पेग बनाया और शराब की चुस्कियाँ लेने लगे.इस बीच दोनो के बीच कोई बात नहीं हुई. तभी सुदर्शन ने मौन भंग किया. "लो रंजना थोड़ी पी लो तो तुम्हें ठीक लगेगा तुम तो लेती ही हो.अब धीरे धीरे रंजना को स्थिति का आभास हुआ तो वह बोली, "पापा आप यह क्या कह रहे है? तभी सुदर्शन ने रंजना के भरे सुर्ख कपोलों पर हाथ फेर'ना शुरू किया और बोले, "लो बेटी थोड़ी लो शरमाओ मत. मुझे तो पता ही नहीं चला कि हमारी बेटी इतनी जवान हो गई है. अब तो तुम्हारी परीक्षा भी ख़तम हो गई है और मम्मी भी 15 दिन बाद आएगी. अब जब तक मैं घर में रहूँगा तुम्हें अकेले बोर होने नहीं दूँगा. यह कह'ते हुए सुदर्शन ने अप'ना ग्लास रंजना के होंठों के पास किया.रंजना नशे में थी और उसी हालत में उस'ने एक घूँट शराब का भर लिया. सुदर्शन ने एक के बाद एक तीन पेग बनाए और रंजना ने भी 2-3 घूँट लिए. रंजना एक तो पह'ले ही नशे में थी और इन 2-3 और शराब की घूँटों की वजह से वह कल्पना के आकाश मैं उड़ने लगी थी. अब सुदर्शानजी उसे बाँहों में ले हल्के हल्के भींच रहे थे. सुदर्शन को प्रतिभा जैसी जवान चूत का चस्का तो पहले ही लगा हुआ था, पर 16 साल की इस मस्त आनच्छुई कली के साम'ने प्रतिभा भी कुछ नहीं थी. इन दिनों रंजना के बारे में उन'के मन में बूरे ख़याल पनप'ने लगे थे पर इसे कोरी काम कल्प'ना समझ वे मन से झटक देते थे.पर आज उन्हें अपनी यह कल्प'ना साकार होते लगी और इस अनायास मिले अवसर को वे हाथ से गँवाना नहीं चाह'ते थे. रंजना शराब के नशे में और पिच्छले दिनों मृदुल के साथ चुदाई की कल्प'नाओं से पूरी मस्त हो उठी और उसने भी अपनी बाँहें उठा कर पापा की गर्दन मे डाल दी और पापा के आगोश में समा अप'नी कुँवारी चूचिया उनकी चौड़ी छाती पर रगड़नी शुरू कर डाली.रंजना का इतना करना था कि सुदर्शन खुल कर उसके शरीर के जाय'का लूटने पर उतर आया. अब दोनो ही काम की ज्वाला मैं फूँके हुए जोश मे भर कर अपनी पूरी ताक़त से एक दूसरे को दबाने और भींचने लगे. तभी सुदर्शन ने सहारा देकर रंजना को आप'नी गोद में बिठा लिया. रंजना एक बार तो कसमसाई और पापा की आँखों की तरफ देखी.तब सुदर्शन ने कहा,"आहा! इस प्यारी बेटी को बचपन में इतना गोद में खिलाया है. पर इन दिनों में मैने तुम्हारी और ध्यान ही नहीं दिया. सॉरी, और तुम देख'ते देख'ते इट'नी जवान हो गई हो. आज प्यारी बेटी को गोद में बिठा खूब प्यार करेंगे और सारी कसर निकाल देंगे.सुदर्शन ने बहुत ही काम लोलुप नज़रों से रंजना की छातियो की तरफ देख'ते हुए कहा. परंतु मस्ती और नशे मैं होते हुए भी रंजना इस ओर से लापरवाह नहीं रह सकी कि कमरा का दरवाजा खुला था. वह एकाकेक पापा की गोद से उठी और फटाफट उसने कमरे का दरवाजा बंद किया. दरवाजा बंद कर'के जैसे ही लौटी तो सुदर्शन संभाल कर खड़ा हो चुका था और वासना की भूख उसकी आँखों में झलक'ने लगी.वो समझ गया कि बेटी चुद'ने के लिए खूब ब खुद तैयार है तो अब देर किस बात की.पापा ने खड़े खड़े ही रंजना को पकड़ लिया और बुरी तरह बाँहो मैं भींच कर वो पागलो की तरह ज़ोर ज़ोर से उस'के गालों पर कस कर चूमि काटने लगे. गालों को उन्होने चूस चूस कर एक मिनिट मे ही कश्मीरी सेब की तरह सुरंग बना कर रख दिया था.मस्ती से रंजना की भी यही हालत थी,मगर फिर भी उसने गाल चुस्वते चुस्वाते सिसक कर कहा, "हाई छ्चोड़ो ना पापा आप यह कैसा प्यार कर रहे हैं.अब मैं जाती हूँ अप'ने कम'रे में सोने के लिए.पर काम लोलुप सुदर्शन ने उसकी एक ना सुनी और पहले से भी ज़्यादा जोश मे आ कर उसने गाल मुँह मैं भर भर कर उन्हे पीना उउउँ हूँ. अब नहीं जाने दूँगा. मेरे से मेरी जवान बेटी की तड़प और नही देखी जा सक'ती. मैने तुम्हें अप'ने कम'रे में तड़प'ते मचलते देखा.जानती हो यह तुम्हारी जवानी की तड़प है. तुम्हें प्यार चाहिए और वह प्यार अब मैं तुझे दूँगा.मजबूरन वो ढीली पड़ गयी.बस उसका ढीला पड़ना था कि हद ही करके रख दी सुदर्शन ने. वहीं ज़मीन पर उसने रंजना को गिरा कर चित्त लिटा लिया और झपट कर उस'के ऊपर चढ़ बैठा. इसी खींचातानी मैं रंजना की स्कर्ट जाँघो तक खिसक गयी और उसकी गोरी गोरी तंदुरुस्त जांघें सॉफ दिखाई देने लगी. बेटी की इतनी लंड मार आकर्षक जांघों को देखते ही सुदर्शन बदहवास और ख़ूँख़ार पागल हो उठा था.सारे धैर्या की मा चोद कर उसने रख दी,एक मिनिट भी चूत के दर्शन किए बगैर रहना उसे मुश्किल हो गया था. अगले पल ही झटके से उसने रंजना की स्कर्ट खींच कर फ़ौरन ही ऊपर सरका दी.उसका विचार था कि स्कर्ट के ऊपर खींचे जाते ही रंजना की कुँवारी चूत के दर्शन उसे हो जाएँगे और वो जल्दी ही उसमे डुबकी लगा कर जीभर कर उसमें स्नान करने का आनंद लूट सकेगा, मगर उसकी ये मनोकामना पूरी ना हो सकी,क्योंकि रंजना स्कर्ट के नीचे कतई नंगी नही थी बल्कि उस'के नीचे पॅंटी वो पहने हुए थी.चूत को पॅंटी से ढके देख कर पापा को बड़ी निराशा हुई.रंजना को भी यदि यह पता होता कि पापा उस'के साथ आज ऐसा करेंगे तो शायद वह पॅंटी ही नहीं पहन'ती. रंजना सकपकाती हुई पापा की तरफ देख रही थी कि सुदर्शन शीघ्रता से एकदम उसे छ्चोड़ कर सीधा बैठ गया. एक निगाह रंजना की जांघों पर डाल कर वो खड़ा हो गया और रंजना के देखते देखते उसने जल्दी से अपनी पॅंट और कमीज़ उतार दी. इस'के बाद उसने बनियान और अंडरवेर भी उतार डाला और एकदम मदरजात नंगा हो कर खऱ लंड रंजना को दिखाने लगा.अनुभवी सुदर्शन को इस बात का अच्छी तरह से पता था कि चुद'ने के लिए तैयार लड़'की मस्त खड़े लंड को अपनी नज़रों के साम'ने देख सारे हथियार डाल देगी. इस हालत मे पापा को देख कर बेचारी रंजना उन'से निगाहे मिलाने और सीधी निगाहों से लंड के दर्शन करने का साहस तक ना कर पा रही थी बल्कि शरम के मारे उसकी हालत अजीब किस्म की हो चली थी.मगर ना जाने नग्न लंड मैं कशिश ही ऐसी थी कि अधमुंदी पलकों से वो बराबर लंड की ओर ही देखती जा रही थी.उसके सगे बाप का लंड एक दम सीधा तना हुआ बड़ा ही सख़्त होता जा रहा था.रंजना ने वैसे तो बिरजू के लंड से इस लंड को ना तो लंबा ही अनुभव किया और ना मोटा ही मगर अपनी चूत के छेद की चौड़ाई को देखते हुए उसे लगा कि पापा का लंड भी कुच्छ कम नहीं रह पाएगा और उसकी चूत को फाड़ के रख देगा. नंगे बदन और जांघों के बीच टनटनाते सुर्ख लंड को देख कर रंजना की चुदाई की इच्च्छा और भी भयंकर रूप धारण करती जा रही थी.जिस लंड की कल्पना में उस'ने पिच्छ'ले कई महीने गुज़ारे थे वह साक्षात उस'की आँखों के साम'ने था चाहे अपने पापा का ही क्यों ना हो.तभी सुदर्शन ज़मीन पर चित लेटी बेटी के बगल मे बैठ गया. वह बेटी की चिकनी जांघों पर हाथ फेर'ने लगा. उस'ने बेटी को खड़ा लंड तो नंगा होके दिखा ही दिया अब वह उस'से कामुक बातें यह सोच कर कर'ने लगा क़ी इससे छोकरी की झिझक दूर होगी. फिर एक शरमाती नई कली से इस तरह के वास'ना भरे खेल खेल'ने का वह पूरा मज़ा लेना चाहता था.वा रंजना! इन वर्षों में क्या मस्त माल हो गई हो.रोज मेरी नज़रों के सामने रहती थी पर देखो इस और मेरा ध्यान ही नहीं गया. वाह क्या मस्त चिक'नी चिकनी जंघे है.हाय इन पर हाथ फेरने मे क्या मज़ा है.भाई तुम तो पूरी जवान हो गई हो और तुम्हे प्यार करके तो बड़ा मज़ा आएगा.हम तो आज तुम्हे जी भर के प्यार करेंगे और पूरा देखेंगे कि बेटी कित'नी जवान हो गई है. क्रमशः........................
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