RE: Kamukta xxx Story रद्दी वाला
अपनी चूत पर किसी मर्द से तेल मालिश करवाने के लिए रंजना भी मचल उठी थी. उसने खुद ही एक हाथ से अपनी चूत को ज़ोर से दबा कर एक ठंडी सांस सी खींची और अंदर की चुदाई देखने मैं उसने सारा ध्यान केंद्रित कर दिया.ज्वाला देवी की चूत तेल से तर करने के पश्चात बिरजू का ध्यानआपने खड़े हुए लंड पर गया.और जैसे ही उसने अपने लंबे और मोटे लन्ड़ को पकड़ कर हिलाया कि बाहर खड़ी रंजना की नज़र पहली बार लंड पर पड़ी. इतनी देर बाद इस शानदार डंडे के दर्शन उसे नसीब हुए थे, लंड को देखते ही रंजना का कलेजा मूँ'ह को आ गया था. उसे अपनी साँस गले मैं फँसती हुई जान पड़ी. वाकई बिरजू का लंड बेहद मोटा, सख़्त और ज़रूरत से ज़्यादा ही लंबा था.देखने मे लकड़ी के खूँटे की तरह वो उस समय दिखाई पड़ रहा था. शायद इतने शानदार लंड की वजह ही थी कि ज्वाला देवी जैसी इज़्ज़तदार औरत भी उस'के इशारो पर नाच रही थी. रंजना को अपनी सहेली की राज शर्मा की कही हुई शायरी याद आ गयी थी, "औरत को नहीं चाहिए ताज़ो तख्त, उसको चाहिए लंड लंबा, मोटा और सख़्त."हाँ तो बिरजू ने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से तेल की शीशी उल्टी करके लंड के ऊपर तेल की धार उसने डाल दी. फ़ौरन शीशी मेज़ पर रख कर उसने उस हाथ से लंड पर मालिश करनी शुरू कर दी. मालिश के कारण लंड का तनाव, कडपन और भी ज़्यादा बढ़ गया. चूत मैं घुसने के लिए वो ज़हरीले साँप की तरह फुफ्कारने लगा था.ज्वाला देवी लंड की तरफ कुछ इस अंदाज़ मैं देख रही थी मानो लंड को निगल जाना चाह'ती हो या फिर आँखों के रास्ते पी जाना चाह'ती हो. सारे काम निबटा कर बिरजू खिसक कर ज्वाला देवी की टाँगों के बीच मैं आ गया.उसने टाँगो को जारोरत के मुताबिक मोड़ा और फिर घुटनो के बल उसके ऊपर झुकते हुए अपने खूँटे जैसे सख़्त लंड को ठीक चूत के फड़फदते छेद पर टीका दिया. इसके बाद बिरजू पंजो के बल तोड़ा ऊपर उठा. एक हाथ से तो वो तन्तनाते लंड को पकड़े रहा और दूसरे हाथ से ज्वाला देवी की कमर को उसने धर दबोचा.इतनी तैयारी करते ही ज्वाला देवी की तरफ आँख मारते हुए उसने चुदाई का इशारा किया. परिणाम स्वरूप, ज्वाला देवी ने अपने दोनो हाथों की उंगलियों से चूत का मूँ'ह चौड़ा किया. अब चूत के अंदर का लाल लाल हिस्सा सॉफ दिखाई दे रहा था. बिरजू ने चूत के लाल हिस्से पर अपने लंड का सुपाड़ा टीका कर पहले खूब ज़ोर ज़ोर से उसे चूत पर रगड़ा. इस तरह चूत पर गरम सुपादे की रगड़ाई से ज्वाला देवी लंड सटकने को बैचैन हो उठी, "देखो ! देर ना करो डालो .. ऊपर ऊपर मत रहने दो.. आहह. पूरा अंदर कर दो उऊफ़ ससीई स."ज्वाला देवी के मचलते अरमानो को महसूस कर बिरजू के सब्र का बाँध भी टूट गया और उसने जान लगा कर इतने जोश से चूत पर लंड को दबाया कि आराम के साथ पूरा लंड सरकता चूत मे उतर गया.ऐसा लग रहा था जैसे लंड के चूत मैं घुसते ही ज्वाला देवी की भड़कट्ी हुई चूत की आग मैं किसी ने घी टपका दिया हो, यानी वो और भी ज़्यादा बेचैन सी हो उठी.और जबरदस्त धक्कों द्वारा चुदने की इक्च्छा मैं वो मच्लि जा रही थी. बिरजू की कमर को दोनो हाथों से कस कर पकड़ वो उसे अपनी ओर खींच खींच कर पागलो की तरह पेश आ रही थी. बड़ी बेचैनी से वो अपनी गर्दन इधर उधर पटकते हुए अपनी दोनो टाँगों को भी उच्छाल उच्छल कर पलंग पर मारे जा रही थी.लंड के स्पर्श ने उसके अंदर एक जबरदस्त तूफान सा भर कर रख दिया था. अजीब अजीब तरह की आसपस्ट आवाज़े उस'के मूँ'ह से निकल रही थी, "ओह्ह मेरे राजा मार, जान लगा दे.इसे फाड़ कर रख दे .. रद्दी वाले आज रुक मत अरी मार ना मुझे चीर कर रख दे. दो कर दे मेरी चूत फाड़ कर आह.. स." बिरजू के चूत मैं लंड रोक'ने से ज्वाला देवी को इतना गुस्सा आ रहा था कि वो इस स्तिथि को सहन ना करके ज़ोरो से बिरजू के मुँह पर चाँटा मारने को तैयार हो उठी थी.मगर तभी बिरजू ने लंड को अंदर किया ओर थोडा दबा कर चूत से सटा दिया और दोनो हाथों से कमर को पकड़ कर वो कुच्छ ऊपर उठा और अपनी कमर तथा गांद को ऊपर उठा कर ऐसा उच्छला की ज़ोरो का धक्का ज्वाला देवी की चूत पर जा कर पड़ा.इस धक्के मे मोटा,लंबा और सख़्त लंड चूत मैं तेज़ी से घुसता चला गया था और इस बार सूपदे की चोट चूत की तलहटी पर जा कर पड़ी थी. इतनी ज़ोर से मम्मी की चूत पर हमला होता देख कर रंजना बुरी तरह काँप उठी मगर अगले ही पल उस'के असचर्या का ठिकाना ही नही रहा क्योंकि ज्वाला देवी ने कोई दिक्कत इस भारी धक्के के चूत पर पड़ने से नहीं ज़ाहिर की थी, बल्कि उसने बिरजू को बड़े ही ज़ोरों से मस्ती मैं आ कर बाँहों मे भींच लिया था.इस अजीब वारदात को देख कर रंजना को अपनी चूत के अंदर एक ना दिखाई देने वाली आग जलती हुई महसूस हुई. उस'के अंदर सोई हुई चुदाई की इच्च्छा भी प्रज्वलित हो उठी थी. उसे लगा कि चूत की आग पल पल शोलो मैं बदलती जा रही है. चूत की आग मैं झुलस कर वो घबरा सी गयी और उसे चक्कर आने शुरू हो गये. इतना सब कुच्छ होते हुए भी चुदाई का दृश्या देखने मैं बड़ा अजीब सा मज़ा उसे प्राप्त हो रहा था, वहाँ से हट'ने के बारे मैं वो सोच भी नही सकती थी. उसकी निगाहे अंदर से हट'ने का नाम ही नहीं ले रही थी. जबकि शरीर धीरे धीरे जवाब देता जा रहा था. अब उसने देखा कि बिरजू का लंड चूत के अंदर घुसते ही मम्मी बड़े अजीब से मज़े से मतवाली हो कर बुरी तरह उस'से लिपट गयी थी और अपने बदन तथा चूचियों और गालों को उससे रगड़ते हुए धीरे धीरे मज़े की सिसकारियाँ छ्चोड़ रही थी,"पेलो. वाह..रे. मारो. एशह एसेच. म. हद. हो गयी वाहह और्र मज़ा दो और दो सी आह उफ़".लंड को चूत मैं अच्छी तरह घुसा कर बिरजू ने मोर्चा संभाला.उसने एक हाथ से तो ज्वाला देवी की मुलायम कमर को मजबूती से पकड़ा और दूसरा हाथ उसकी भारी उभरी हुई गांद के नीचे लगा कर बड़े ज़ोर से हाथ का पंजा, गांद के गोश्त मे गढ़ाया. ज़ोर ज़ोर से गांद का गूदा वो मसले जा रहा था. ज्वाला देवी ने भी जवाब मैं बिरजू की मर्दानी गांद को पकड़ा और ज़ोर से उसे खेंचते हुए चूत पर दबाव देती हुई वो बोली, "अब इसकी धज्जियाँ उड़ा दो सैय्या. आह ऐसे काम चलने वाला नहीं है.. पेलो आह." उस'के इतना कह'ते ही बिरजू ने संभाल कर ज़ोरदार धक्का मारा और कहा, "ले. अब नहीं छ्चोड़ूँगा. फाड़ डालूँगा तेरी.." इस धक्के के बाद जो धक्के चालू हुए तो गजब ही हो गया. चूत पर लंड आफ़त बन कर टूट पड़ा था.ज्वाला देवी उसकी गांद को पकड़ कर धक्के लगवाने और चूत का सत्यानाश करवाने मैं उसकी सहायता किए जा रही थी. बिरजू बड़े ही ज़ोरदार और तरकीब वाले धक्के मार मार कर उसे चोदे जा रहा था. बीच बीच मैं दोनो हाथों से उसकी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए वो बुरी तरह उस'के होंठो और गालों को काट'ने मे भी कोई कसर नही छ्चोड़ रहा था.चूत मे लंड से ज़ोरदार घस्से छ्चोड़ता हुआ वो चुदाई मैं चार चाँद लगाने मे जुटा हुआ था.चूत पर घस्से मारते हुए वो बराबर चूचियो को मूँ'ह मैं दबाते हुए घुंडीयों को खूब चूज़ जा रहा था. ज्वाला देवी इस समय मज़े मैं इस तरह मतवाली दिखाई दे रही थी कि अगर इस सुख के बदले उन पॅलो मैं उसे अपनी जान भी देनी पड़े तो वो बड़ी खुशी ख़ुसी से अपनी जान भी दे देगी,मगर इस सुख को नही छोड़ेगी. अचानक बिरजू ने लंड चूत मैं रोक कर अपनी झांते वा आँड चूत पर रगड़ने शुरू कर दिए.झांतो वा आंदो के गुदगूदे घससो को खा खा कर ज्वाला देवी बेचैनी से अपनिगांद को हिलाते हुए छूट पर धक्कों का हमला करवाने के लिए बड़बड़ा उठी, "हाई उई झाँते मत रगाडो.. वाहह तुमहरे आनन्द गुदगुदी कर रहे हैं सनम, उई मान भी जाओ आयी चोदो पेलो आह रुक क्यो गये ज़ालिम आहह मत तरसाओ आहह.. अब तो असली वक़्त आया है धक्के मारने का. मारो खूब मारो जल्दी करो.. आज चूत के टुकड़े टुकड़े .. फाड़ डालो इसे हाय बड़ा मोटा है.. आइईए." बिरजू के जोश ज्वाला देवी के यूँ मचलने सिसकने से कुच्छ इतने ज़्यादा बढ़ उठे अपने ऊपर वो काबू ना कर सका और सीधा बैठ कर जबरदस्त धक्के चूत पर लगाने उसने शुरू कर दिए. अब दोनो बराबर अपनी कमर वा गांद को चलाते हुए ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाए जा रहे थे.पलंग बुरी तरह से चरमरा रहा था और धक्के लगने से फ़चक-फ़चक की आवाज़ के साथ कमरे का वातावरण गूँज उठा था. ज्वाला देवी मारे मज़े के ज़ोर ज़ोर से किल्कारियाँ मारने लगी थी, और बिरजू को ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने के लिए उत्साहित कर रही थी,"राजा.और तेज़.. और तेज़.. बहुत तेज़.. रुकना मत. जितना चाहो ज़ोर से मारो धक्का.. आह. हाँ. ऐसे ही. और तेज़. ज़ोर से मारो आहह." बिरजू ने आव देखा ना ताव और अपनी सारी ताक़त के साथ बड़े ही ख़ूँख़ार चूत फाड़ धक्के उसने लगाने प्रारंभ कर दिए. इस समय वो अपने पूरे जोश और उफान पर था. उस'के हर धक्के मैं बिजली जैसी चमक और तेज़ कड़कड़ाहट महसूस हो रही थी.दोनो की गांद बड़ी ज़ोरो से उछले जा रही थी. ओलों की टॅप-टॅप की तरह से वो पलंग को तोड़े डाल रहे थे.ऐसा लग रहा था जैसे वो दोनो एक दूसरे के अंदर घुस कर ही दम लेंगे, या फिर एक दूसरे के अंग और नस नस को तोड़ मरोड़ कर रख देंगे.उन दोनो पर ही इस समय क़ातिलाना भूत पूरी तरह सवार था. सह'सा ही बिरजू के धक्कों की रफ़्तार असाधारण रूप से बढ़ उठी और वो ज्वाला देवी के शरीर को तोड़ने मरोड़ने लगा. ज्वाला देवी मज़े मैं मस्तानी हो कर दुगने जोश के साथ चीखने चिल्लाने लगी,"वाह मेरे प्यारे.. मार.. और मार हां बड़ा मज़ा आ रहा है.वा तोड़ दे फाड़ डाल, खा जा छ्चोड़ना मत अफ स मार जमा के धक्का और दे पूरा चोद इसे हाय."और इसी के साथ ज्वाला देवी के धक्कों और उच्छलने की रफ़्तार कम होती चली गयी. बिरजू भी ज़ोर ज़ोर से उछलने के बाद लंड से वीर्या फैंकने लगा था. दोनो ही शांत और निढाल हो कर गिर पड़े थे. ज्वाला देवी झाड़ कर अपने शरीर और हाथ पाँव ढीला छ्चोड़ चुकी थी तथा बिरजू उसे ताक़त से चिपताए बेहोश सा हो कर आँखे मून्दे उस'के ऊपर गिर पड़ा था और ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगा था. इतना सब देख कर रंजना का मन इतना खराब हुआ कि आगे एक दृश्या भी देखना उसे मुश्किल जान पड़ने लगा था. उसने गर्दन इधर उधर घुमा कर अपने सुन्न पड़े शरीर को हरकत दी,इसके बाद आहिस्ता से वो भारी मन, काँपते शरीर और लरखड़ाते हुए कदमो से अपने कमरे मे वापस लौट आई. अपने कमरे मैं पहुँच कर वो पलंग पर गिर पड़ी, चुदाई की ज्वाला मे उसका तन मन दोनो ही बुरी तरह छटपटा रहे थे,उसका अंग अंग मीठे दर्द और बेचैनी से भर उठा था,उसे लग रहा था कि कोई ज्वालामुखी शरीर मैं फट कर चूत के रास्ते से निकल जाना चाहता था.अपनी इस हालत से च्छुतकारा पाने के लिए रंजना इस समय कुच्छ भी करने को तैयार हो उठी थी,मगर कुच्छ कर पाना शायद उस'के बस मैं ही नहीं था. सिवाय पागलो जैसी स्तिथि मैं आने के. इच्च्छा तो उसकी ये थी कि कोई जवान मर्द अपनी ताक़तवर बाँहों मैं ज़ोरो से उसे भींच ले और इतनी ज़ोर से दबाए की सारे शरीर का कचूमर ही निकल जाए.मगर ये सोचना एकदम बेकार सा उसे लगा था.अपनी बेबसी पर उसका मन अंदर ही अंदर फूँका जा रहा था. एक मर्द से चुदाई करवाना उसके लिए इस समय जान से ज़्यादा अनमोल था, मगर ना तो चुदाई करने वाला कोई मर्द इस समय उसको मिलने जा रहा था और ना ही मिल सकने की कोई उम्मीद या असर आस पास उसे नज़र आ रहे थे. उसने अपने सिरहाने से सिर के नीचे दबाए हुए तकिये को निकाल कर अपने सीने से भींच कर लगा लिया और उसे अपनी कुँवारी आनच्छुई चूचियो से लिपटा कर ज़ोरो से दबाते हुए वो बिस्तर पर औंधी लेट गयी.सारी रात उसने मम्मी और बिरजू के बीच हुई चुदाई के बारे मैं सोच सोच कर ही गुज़ार दी. क्रमशः........................
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