RE: Kamukta xxx Story रद्दी वाला
मुक़ाबला ज़ोरो पर ज़ारी था. बुरी तरह बिरजू से चिपेटी हुई ज्वाला देवी बराबर बड़बदाए जा रही थी, "आहह ये मार्रा मार डाला. वाह और जमके उफ़ हद्द कर दी ऑफ मार डाल्लो मुज्ज़े.."और जबरदस्त ख़ूँख़ार धक्के मारता हुआ बिरजू भी उसके गालों को पीते पीते सिसीकिया भर रहा था,"वाहह मेररी औरत आहह हे मक्खन चूत है तेरी तो..ले..चोद दूँगा..ले.आहह."और इसी ताबड़तोड़ चुदाई के बीच दोनो एक दूसरे को जाकड़ कर झाड़'ने लगे थे,ज्वाला देवी लंड का पानी चूत मैं गिरवा कर बेहद त्रिप'ती मह'सूस कर रही थी.बिरजू भी अंतिम बूँद लंड की निकाल कर उसके ऊपर पड़ा हुआ कुत्ते की तरह हाँफ रहा था. लंड वा चूत पोंच्छ कर दोनो ने जब एक दूसरे की तरफ देखा तो फिर उनकी चुदाई की इक्च्छा भड़क उठी थी,मगर ज्वाला देवी चूत पर काबू करते हुए पेटिकोट पहनते हुए बोली,"जी तो करता है कि तुमसे दिन रात चुदवाति रहू,मगर मोहल्ले क़ा मामला है,हम दोनो की इसी मे भलाई है कि अब कपड़े पहन अपने काम संभाले." "म..मगर. मेम साहब.. मेरा तो फिर खड़ा होता जा रहा है.एक बार और दे दो ना हाय." एक टीस सी उठी थी बिरजू के दिल मैं,ज्वाला देवी का कपड़े पहनना उसके लंड के अरमानो पर कहर ढा रहा था.एकाएक ज्वाला देवी तैश मैं आते हुए बोल पड़ी,"अपनी औकात मे आटु अब,चुपचाप कपड़े पहन और खिसक लेयहा सेवरना वो मज़ा चखाउन्गी कि मोहल्ले तक को भूल जाएगा,चल उठ जल्दी."ज्वाला देवी के इस बदलते हुए रूप को देख बिरजू सहम उठा और फटाफट फुर्ती से उठ कर वो कपड़े पहन'ने लगा. एक डर सा उसकी आँखों मे सॉफ दिखाई दे रहा था.कपड़े पहन कर वो आहिस्ता से बोला, "कभी कभी तो दे दिया करोगी मेमसाहब,मैं अब ऐसे ही तड़प्ता रहूँगा?" बिरजू पर कुछ तरस सा आ गया था इस बार ज्वाला देवी को,उसके लंड के मचलते हुए अरमानो और अपनी चूत की ज्वाला को मद्देनज़र रखते हुए वो मुस्कुरा कर बोली,"घबरा मत हफ्ते दो हफ्ते मे मौका देख कर मैं तुझे बुला लिया करूँगी जी भर कर चोद लिया करना, अब तो खुश? वाकई खुशी के मारे बिरजू का दिल बल्लियों उच्छल पड़ा और चुपचाप बाहर निकल कर अपनी साइकल की तरफ बढ़ गया. थोड़ी देर बाद वो वाहा से चल पड़ा था,वो यहा से जातो रहा था मगर ज्वाला देवी की मखमली चूत का ख़याल उस'के ज़हन से जाने का नाम ही नहीं ले रहा था. 'वाह री चुदाई, कोई ना समझा तेरी खुदाई.' सुदर्शन जी सरकारी काम से 1 हफ्ते के लिए मेरठ जा रहे थे, ये बात जब ज्वाला देवी को पता चली तो उसकी खुशी का ठिकाना ही ना रहा.सबसे ज़्यादा खुशी तो उसे इस की थी की पति की ग़ैरहाज़री मैं बिरजू का लंबा वा जानदार लंड उसे मिलने जा रहा था.जैसे ही सुदर्शन जी जाने के लिए निकले, ज्वाला ने बिरजू को बुलवा भेजा और नहा धो कर बिरजू के आने का इंतेज़ार करने लगी. बिरजू के आते ही वो उससे लिपट गयी.उसके कान मैं धीरे से बोली,"राजा आज रात को मेरे यही रूको और मेरी चूत का बाजा जीभर कर बजाना." ज्वाला देवी बिरजू को ले कर अपने बेडरूम मैं घुस गयी और दरवाजा बंद कर'के उस'के लॉड को सह'लाने लगी. लेकिन उस रात ग़ज़ब हो गया, वो हो गया जो नही होना चाहिए था,यानी उन्दोनो के मध्या हुई सारी चुदाई लीला को रंजना ने जी भर कर देखा और उसी समय उसने निश्चय किया कि वो भी अब जल्द ही किसी जवान लंड से अपनी चूत का उद्घाटन ज़रूर करा कर ही रहेगी.हुआ यू था कि उस दिन भी रंजना हमेशा की तरह रात को अपने कमरे मैं पढ़ रही थी, रात 10 बजे तक तो वो पढ़ती रही और फिर थकान और उऊब से तंग आ कर कुच्छ देर हवा खाने और दिमाग़ हल्का करने के इरादे से अपने कमरे से बाहर आ गयी और बरामदे मे चहल कदमी करती हुई टहलने लगी, मगर सर्दी ज़्यादा थी इसलिए वो बरामदे मे ज़्यादा देर तक खड़ी नहीं रह सकी और कुच्छ देर के बाद अपने कमरे की ओर लौटने लगी कि मम्मी के कमरे से सोडे की बॉटल खुलने की आवाज़ उस'के कानो मैं पड़ी. बॉटल खुलने की आवाज़ सुन कर वो ठिठकि और सोचने लगी, "इतनी सर्दी मैं मम्मी सोडे की बॉटल का आख़िर कर क्या रही है?"अजीब सी उत्सुकता उस्केमन मे पैदा हो उठी और उसने बॉट्ल के बारे में जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से ज्वाला देवी के कमरे की तरफ कदम बढ़ा दिए.इस समय ज्वाला देवी के कमरे का दरवाज़ा बंद था इसलिए रंजना कुच्छ सोचती हुई इधर उधर देखने लगी और तभी एक तरकीब उसके दिमाग़ मैं आ ही गयी. तरकीब थी पिच्छ'ला दरवाजा, जी हां पिच्छ'ला दरवाजा. रंजना जानती थी कि मम्मी के कम'रे मैं झाँकने के लिए पिच्छ'ले दरवाजे का की होल.वाहा से वो सुदर्शन जी और ज्वाला देवी के बीच चुदाई लीला भी एक दो बार देख चुकी थी. रंजना पिच्छले दरवाजे पर आई और ज्यो ही उसने के होल से अंदर झाँका कि वो बुरी तरह चौंक पड़ी.जो कुछ उसने देखा उस पर कतई विश्वास उसे नही हो रहा था.उसने सिर को झटका दे कर फिर अन्द्रुनि द्रिश्य देखने शुरू कर दिए.इस बार तो उसके शरीर के कुंवारे रोंगटे झंझणा कर खड़े हो गये,जो कुछ उसने अंदर देखा, उसे देख कर उसकी हालत इतनी खराब हो गयी कि काफ़ी देर तक उसके सोचने समझने की शक्ति गायब सी हो गयी. बड़ी मुश्किल से अपने ऊपर काबू करके वो सही स्तिथि मैं आ सकी. रंजना को लाल बल्ब की हल्की रौशनी मैं कमरे का सारा नज़ारा सॉफ सॉफ दिखाई दे रहा था. उसने देखा कि अंदर उंसकी मम्मी ज्वाला देवी और वो रद्दी वाला बिरजू दोनो शराब पी रहे थे. ज़िंदगी मैं पहली बार अपनी मम्मी को रंजना ने शराब की चुस्कियाँ लेते हुए और गैर मर्द से रंगरेलियाँ मनाते हुए देखा था.बिरजू इस समय ज्वाला देवी को अपनी गोद मैं बिठाए हुए था, दोनो एक दूसरे से लिपट चिपते जा रहे थे. क्रमशः..............
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