RE: Kamukta xxx Story रद्दी वाला
ज्वाला देवी भी उठ कर उन'के पीछे पीछे ही चल दी थी.थोड़ी देर बाद दोनो आ कर बिस्तर पर लेट गये तो सुदर्शन जी बोले, "अब! मुझे नींद आ रही है डिस्टर्ब मत करना." "तो क्या आप दोबारा नहीं करेंगे? भूखी हो कर ज्वाला देवी ने पूचछा." "अब! बहुत हो गया इतना ही काफ़ी है, तुम भी सो जाओ." उन्होने लेटते हुए कहा.वास्तव मैं वे अब दोबारा इसलिए चुदाई नही करना चाहते थे क्योंकि प्रतिभा केलिए भी थोड़ा बहुत मसाला उन्हे लंड मे रखना ज़रूरी था.उनकी बात सुन कर ज्वाला देवी लेट तो गयी परंतु मन ही मन ताव मैं आ कर अपने आप से ही बोली, "मा चोद साले, कल तेरी ये अमानत रद्दी वाले को ना सौंप दूँ तो ज्वाला देवी नाम नहीं मेरा. कल सारी कसर उसी से पूरी कर लूँगी साले." सुदर्शन जी तो जल्दी ही सो गये थे, मगर ज्वाला देवी काफ़ी देर तक चूत की ज्वाला मैं सुलगती रही और बड़ी मुश्किल से बहुत देर बाद उसकी आँखे झपकने पर आई. वह भी नींद के आगोश मैं डूबती जा रही थी. अगले दिन ठीक 11 बजे बिरजू की आवाज़ ज्वाला देवी के कानो मैं पड़ी तो खुशी से उसका चेहरा खिल उठा, भागी भागी वो बाहर के दरवाजे पर आई. तब तक बिरजू भी ठीक उसके सामने आ कर बोला,"में साहब ! वो बॉटल ले आओ, ले लूँगा." "भाई साइकल इधर साइड मैं खड़ी कर अंदर आ जाओ और खुद ही उठा लो." वो बोली. "जी आया अभी" बिरजू साइकल बरामदे के बराबर मे खड़ी कर ज्वाला देवी के पीछे पीछे आ गया था.इस समय वह सोच रहा था कि शायद बिविजी की चूत के आज भी दर्शन हो जाय. मगर दिल पर काबू किए हुए था. ज्वाला देवी आज बहुत लंड मार दिखाई दे रही थी. पति वा बेटी के जाते ही चुदाई की सारी तैयारी वह कर चुकी थी. किसी का डर अब उसे ना रहा था.गुलाबी सारी और हल्के ब्लाउस मे उसका बदन और ज़्यादा खिल उठा था. ब्लाउस के गले मे से उसकी चूचियों का काफ़ी भाग झँकता हुआ बिरजू सॉफ दिख रहा था. चूचियाँ भींचने को उसका दिल मचलता जा रहा था. तभी ज्वाला देवी उसे अंदर ला कर दरवाजा बंद करते हुए बोली,"अब दूसरे कमरे मैं चलो, बॉटल वहीं रखकी हैं." "जी, जी, मगर आपने दरवाजा,क्यों बंद कर दिया." बिरजू बेचारा हकला सा गया था. घर की सजावट और ज्वाला देवी के इस अंदाज़ से वह हड़बड़ा सा गया था.वह डरता हुआ सा वहीं रुक गया और बोला, "देखिए मेम साहब ! बॉटल यहीं ले आइए, मेरी साइकल बाहर खड़ी है." "अरे आओ ना, तुझे साइकल मैं और दिलवा दूँगी."बिरजू की बाँह पकड़ कर उसे ज़बरदस्ती अपने बेडरूम पर खींच ही लिया था ज्वाला देवी ने.इस बार सारी बातें एक एक पल मे समझता चला गया, मगर फिर भी वो काँपते हुए बोला,"देखिए,मैं ग़रीब आदमी हूँ जी, मुझे यहा से जाने दो,मेरे बाबा मुझे घर से निकाल देंगे." "अर्रे घबराता क्यों है, मैं तुझे अपने पास रख लूँगी, आजा तुझे बॉटल दिखाउ, आजा ना." ज्वाला देवी बिस्तर पर लेट कर अपनी बाँहें उसकी तरफ बढ़ा कर बड़े ही कामुक अंदाज़ मैं बोली."मैं. मगर.. बॉटल कहा है जी.." बिरजू बुरी तरह हड़बड़ा उठा था."अर्रे!लो ये रही बॉटल, अब देखो इसे जीभर कर मेरे जवान आजा." अपनी सारी व पेटिकोट ऊपर उठा कर सफाचट चूत दिखाती हुई ज्वाला देवी बड़ी बेहयाई से बोली. वो मुस्कुराते हुए बिरजू की मासूमियत पर झूम झूम जा रही थी.चूत के दिखाते ही बिरजू का लंड हाफ पॅंट मैं ही खड़ा हो उठा मगर हाथ से उसे दबाने का प्रयत्न करता हुआ वो बोला, "मेम साहब ! बॉटल कहाँ है . मैं जाता हूँ, कहीं आप मुझे चक्कर मैं मत फँसा देना." "ना.. मेरे .. राजा.. यूँ दिल तोड़ कर मत जाना तुझे मेरी कसम! आजा पत्थे इसे बॉटल ही समझ ले और जल्दी से अपनी डॉट लगा कर इसे ले ले." चुदने को मचले जा रही थी ज्वाला देवी इस समय. "तू नहा कर आया है ना." वो फिर बोली. "जी .. जी. हां. मगर नहाने से आपका मतलब."चौंक कर बिरजू बोला, "बिना नहाए धोए मज़ा नहीं आता राजा इसलिए पूच्छ रही थी." ज्वाला देवी बैठ कर उस'से बोली."तो आप मुझसे गंदा काम करवाने के लिए इस अकेले कमरे मैं लाए हो." तेवर बदलते हुए बिरजू ने कहा, "हाई मेरे शेर तू इसे गंदा काम कह'ता है! इस काम का मज़ा आता ही अकेले मे है, क्या कभी किसी की तूने ली नहीं है?" होंठो पर जीभ फिरा कर ज्वाला देवी ने उस'से कहा और उस'का हाथ पकड़ उसे आप'ने पास खींच लिया. फिर हाफ पॅंट पर से ही उस'का लंड मुट्ठी में भींच लिया.बिरजू भी अब ताव में आ गया और उसकी कोली भर कर चूचियों को भींचता हुए गुलाबी गाल पीत पीता वो बोला, "चोद दूँगा बिविजी, कम मत समझ'ना. हाई रे कल से ही मैं तो तुम्हारी चूत के लिए मरा जा रहा था." शिकार को यूँ ताव मे आते देख ज्वाला देवी की खुशी का ठिकाना ही ना रहा, वो तबीयत से गाल बिरजू को पीला रही थि.दोस्तो अब इस पार्ट को यही ख़तम करते है बिरजू से ज्वाला की चुदाई अगले मे लेकर मिलेंगे
क्रमशः.....................
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