RE: Kamukta xxx Story रद्दी वाला
रद्दी वाला पार्ट--2
गतान्क से आगे...................
मैं ऐसा ही करूँगी पर मेरी प्यास जी भर कर बुझाते रहिएगा आप भी. ज्वाला देवी उनसे लिपट गई, उसे ज़ोर से पकड़ अपने लंड को उसकी गांद से दबा कर वो बोले,"प्यास तो तुम्हारी मैं आज भी जी भर कर बुझाउन्गा मेरी जान .. पुच. पुच.. पुच.." लगातार उसके गाल पर काई चूमि काट कर रख दी उन्होने. इन चुंबनो से ज्वाला इतनी गरम हो उठी कि गांद पर टकराते लंड को उसने हाथ मैं पकड़ कर कहा, "इसे जल्दी से मेरी गुफा मैं डालो जी." "हां. हां. डालता .. हूँ.. पहले तुम्हे नंगी कर'के चुदाई के काबिल तो बना लूँ जान मेरी." एक चूची ज़ोर से मसल डाली थी सुदर्शन जी ने,सिसक ही पड़ी थी बेचारी ज्वाला.सुदर्शन जी ने ज्वाला की कमर कस कर पकड़ी और आहिस्ता से उंगलिया पेटिकोट के नडे पर ला कर जो उसे खींचा कि कुल्हों से फिसल कर गांद नंगी करता हुआ पेटिकोट नीचे को फिसलता चला गया."वाह. भाई.. वाह.. आज तो बड़ी ही लपलापा रही है तुम्हारी! पुच!" मूँ'ह नीचे कर'के चूत पर हौले से चुंबी काट कर बोले. "आई.. नही.. उफ़फ्फ़.. ये.. क्या .. कर . दिया.. आ. एक.. बारर.. और .. चूमओ.. राजा.. आहह एम्म स" चूत पर चूमि कटवाना ज्वाला देवी को इतना मज़ेदार लगा कि दोबारा चूत पर चूमि कटवाने के लिए वो मचल उठी थी. "जल्दी नहीं रानी! खूब चुसूंगा आज मैं तुम्हारी चूत, खूब चट चट कर पियुंगा इसे मगर पहले अपना ब्लाउस और पेटिकोट एकदम अपने बदन से अलग कर दो.""आए रे ..मैं तो आधी से ज़्यादा नंगी हो गयी सय्या.." तुम इस साली लूँगी को क्यों लपेटे पड़े हुए हो?" एक ज़ोरदार झटके से ज्वाला देवी पति की लूँगी उतारते हुए बोली.लूँगी के उतरते ही सुदर्शन जी का डंडे जैसा लंबा व मोटा लंड फन्फना उठा था. उसके यूँ फुंफ़कार सी छ्चोड़ने को देख कर ज्वाला देवी के तन-बदन मैं चुदाई और ज़्यादा प्रज्वलित हो उठी. वो सीधी बैठ गयी और सिसक-सिसक कर पहले उसने अपना ब्लाउस उतारा और फिर पेटिकोट को उतारते हुए वो लंड की तरफ देखते हुए मचल कर बोली, "हाई. अगर.. मुझे.. पता. होता.. तो मैं . पहले . ही .. नंगी.. आ कर लेट जाती आप के पास. आहह. लो.. आ.. जाओ.. अब.. देर क्या है.. मेरी.. हर.. चीज़... नंगी हो चुकी है सय्याँ..." पेटिकोट पलंग से नीचे फैंक कर दोनो बाँहे पति की तरफ उठाते हुए वो बोली.सुदर्शन जी अपनी बनियान उतार कर बोले, "मेरा ख़याल है पहले तुम्हारी चूत को मुँह मैं लेकर खूब चूसू" "हाँ. हां.. मैं भी यही चाह'ती हूं जी.. जल्दी से .. लगा लो इस पर अपना मूँ'ह. दोनो हाथो से चूत की फाँक को चौड़ा कर वो सिसकरते हुए बोली, "मेरा लंड भी तुम्हे चूसना पड़ेगा ज्वाला डार्लिंग. अपनी आँखों की भावें ऊपर चढ़ाते हुए बोले,"छुसुन्गि. मैं.. चूसुन्गि.. ये तो मेरी ज़िंदगी है ... आहा.. इसे मैं नही चूसुन्गि तो कौन चूसेगा,मगर पहले .. आहह. आऊओ.. ना.." अपने होंठो को अपने आप ही चूस्ते हुए ज्वाला देवी उनके फन्फनते हुए लंड को देख कर बोली. उसका जी कर रहा था कि अभी खरा लंड वो मूँ'ह मैं भर ले और खूब चूसे मगर पहले वो अपनी चूत चुस्वा चुस्वा कर मज़े लेने के चक्कर मे थी.लंड चुसवाने का वादा ले सुदर्शन जी घुटने पलंग पर टेक दोनो हाथों से ज्वाला की जंघे कस कर पकड़ झुकते चले गये.और अगले पल उनके होंठ छूट की फाँक पर जा टीके थे. लेटी हुई ज्वाला देवी ने अपने दोनो हाथ अपनी दोनो चूचियो पर जमा कर सिग्नल देते हुए कहा,"अब ज़ोर से .. चूसो..जी.. यू.. कब.. तक. होंठ रगड़ते रहोगे.. आह.. पी. जाओ. इसे."पत्नी की इस मस्ती को देख कर सुदर्शन जी ने जोश मैं आ कर जो चूत की फांको पर काट काट कर उन्हे चूसना शुरू किया तो वो वहशी बन उठी. खुश्बुदार,बिना झांतो की दरार मैं बीच-बीच मैं अब वो जीभ फँसा देते तो मस्ती मैं बुरी तरह बैचैन सी हो उठती थी ज्वाला देवी.चूत को उच्छाल उच्छल कर वो पति के मूँ'ह पर दबाते हुए चूत चुसवाने पर उतर आई थी. "ए..आइए.. नहीं.. ई. मैं.. नहीं.. आए.ए.. ये. क्या.. आइईइ.. मर... जाउन्न्ग्गीइ राअज्जजा. आहह. दान्नाअ मत चोस्सो जी.. उउफ़फ्फ़... आहह नहीं.."सुदर्शन जी ने सोचा कि अगर वे चंद मिनिट और चूत चूस्ते रहे तो कही चूत पानी ही ना छ्चोड़ दे.काई बार ज्वाला का पानी वे जीभ से चूत को चाट चाट कर निकाल चुके थे.इसलिए चूत से मुँह हटाना ही अब उन्होने ज़्यादा फ़ायदेमंद समझा.जैसे ही चूत से मुँह हटा कर वो उठे तो ज्वाला देवी गीली चूत पर हाथ मलतःुए बोली, "ओह.. चूसनी क्यों बंद कर दी जी." "मैने रात भर तुम्हारी चूत ही पीने का ठेका तो ले नहीं लिया, टाइम कम है, तुम्हे मेरा लंड भी चूसना है, मुझे तुम्हारी चूत भी मारनी है और बहुत से काम करने है,अब तुम अपनी ना सोचो और मेरी सोचो यानी मेरा लंड चूसो आई बात समझ मैं." सुदर्शन जी अपना लंड पकड़ कर उसे हिलाते हुए बोले,उनके लंड का सूपड़ा इस समय फूल कर सुर्ख हुआ जा रहा था."मैं.. पीछे हटने वाली नहीं हूँ.. लाओ दो इसे मेरे मुँह मे."तुरंत अपना मुँह खोलते हुए ज्वाला देवी ने कहा.उसकी बात सुन कर सुदर्शन जी उसके मुँह के पास आ कर बैठ गये और एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर उस'के खुले मुँह मे सूपड़ा डाल कर वो बोले, "ले.. चूस.. चूस इसे साली लंड खोर हरामन." "अयै..उई.. आ..उउंम." आधा लंड मूँ'ह मैं भर कर उऊँ.. उ उहं करती हुए वो उसे पीने लगी थी.लंड के चारो तरफ झांतो का झुर्मुट उस'के मूँ'ह पर घस्से से छ्चोड़ रहा था. जिस'से एक मज़ेदार गुदगुदी से उठती हुए वो माह'सूस कर रही थी, चिकना व ताक़तवर लंड चूस'ने मैं उसे बड़ा ही जाएकेदार लग रहा था. जैसे जैसे वो लंड चूस्ति जा रही थी, सुपाड़ा मूँ'ह के अंदर और ज़्यादा उच्छल उच्छल कर टकरा रहा था. जब लंड की फुंफ़कारें ज़्यादा ही बुलंद हो उठी तो सुदर्शन जी ने स्वैम ही अपना लंड उस'के मुँह से निकाल कर कहा,"मैं अब एक पल भी अपने लंड को काबू मैं नहीं रख सकता ज्वाला.. जल्दी से इसे अपनी चूत मैं घुस जाने दो." "वाह.. मेरे . सैय्या. मैने भी तो यही चाह रही हूँ. आओ.. मेरी जांघों के पास बैठो जी..." इस बार अपनी दोनो टांगे ज्वाला देवी ऊपर उठा कर चुदने को पूर्ण तैयार हो उठी थी. सुदर्शन जी दोनो जांघों के बीच मे बैठे और उन्होने लपलपाति गीली चूत के फड़फदते छेद पर सुपाड़ा रख कर दबाना शुरू किया. आच्छी तरह लंड जमा कर एक टाँग उन्होने ज्वाला देवी से अपने कंधे पर रखने को कहा, वो तो थी ही तैयार फ़ौरन उसने एक टाँग फुर्ती से पति के कंधे पर रख ली. चूत पर लगा लंड उसे मस्त किए जा रहा था. ज्वाला देवी दूसरी टाँग पहले की तरह ही मोड हुए थी. सुदर्शन जी ने थोड़ा सा झुक कर अपने हाथ दोनो चूचियों पर रख कर दबाते हुए ज़ोर लगा कर लंड जो अंदर पेलना शुरू किया कि फॅक की आवाज़ के साथ एक साँस मैं ही पूरा लंड उसकी चूत साटक गयी. मज़े मैं सुदर्शन जी ने उसकी चूचियाँ छ्चोड़ ज़ोर से उसकी कोली भर कर ढ़ाचा ढ़च लंड चूत मैं पेलते हुए अटॅक चालू कर दिए. ज्वाला देवी पति के लंड से चुद्ते हुए मस्त हुई जा रही थी. मोटा लंड चूत मैं घुसा बड़ा ही आराम दे रहा था. वो भी पति के दोनो कंधे पकड़ उच्छल उच्छल कर चुद रही थी तथा मज़े मैं आ कर सिसकती हुई बक बक कर रही थी, "आहह. श. शब्बास.. सनम.. रोज़.. चोदा करो . वाहह.तुम..वाकाय.. सच्चे... पती.. हो .. चोडो और चोदो.... ज़ोर... से चोदो... उम्म्म... आ.. मज़ाअ.. आ.. रहा आ.. है जी.. और तेज़्ज़.... आहह.." सुदर्शन जी मस्तानी चूत को घोटने के लिए जी जान एक किए जा रहे थे. वैसे तो उनका लंड काफ़ी फँस-फँस कर ज्वाला देवी की चूत मैं घुस रहा था मगर जो मज़ा शादी के पहले साल उन्हे आया था वो इस समय नही आ पा रहा था.खैर चूत भी तो अपनी ही चोदने के अलावा कोई चारा ही नही था.उन चेहरे को देख कर लग रहा था कि वो चूत नहीं मार रहे हैं बल्कि अपना फ़र्ज़ पूरा कर रहे है,ना जाने उनका मज़ा क्यों गायब होता जा रहा था. वास्टिविक्ता ये थी की प्रतिभा की नयी नयी जवान चूत जिसमें उनका लंड अत्यंत टाइट जाया करता था उसकी याद उन्हे आ गयी थी. उनकी स्पीड और चोदने के ढंग मैं फ़र्क मह'सूस करती हुई ज्वाला देवी चुद्ते चुद्ते ही बोली,"ओह.. ये. ढीले..से.. क्योन्न.. पड़ड़.. रहे हैं.. आप.. अफ.. मैं .. कहती हूँ.... ज़ोर.. से .करो... आ. क्यो.. मज़ा.खराब..किए जा रहे हो जीई... उउफ्फ.." "मेरे बच्चों की मा .. आहह.. ले. तुझे. खुश.. कर'के ही हटूँगा.. मेरी.. अच्छी.. रानी.. ले.. और ले. तेरीई.. चूत का.. मैं अपने.. लंड.. से ... भोसड़ा... बना. चुका हूँ.. रंडी..और.ले.. बड़ी अcछी चूत हे.. आह. ले.. चोद. कर रख दूँगा..तुझे.." सुदर्शन जी बड़े ही करारे धक्के मार मार कर आंट शॅंट बकते जा रहे थे, अचानक ज्वाला देवी बहुत ज़ोर से उनसे लिपट लिपट कर गांद को उच्छलते हुए चुदने लगी.सुदर्शन जी भी उसका गाल पीते पीते तेज़ रफ़्तार से उसे चोदने लगे थे.तभी ज्वाला देवी की चूत ने रज की धारा छ्चोड़नी शुरू कर दी. "ओह.. पत्टीी..देव... मेरे. सैयाँ.. ओह. देखो.. देखो.. हो.. गया..ए.. मई..गई..."और झड़ती हुई चूत पर मुश्किल से 8-10 धक्के और पड़े होंगे कि सुदर्शन जी का लंड भी ज़ोरदार धार फेंक उठा. उन'के लंड से वीर्य निकल निकल कर ज्वाला देवी की चूत मैं गिर रहा था,मज़े मैं आ कर दोनो ने एक दूसरे को जाकड़ डाला था. जब दोनो झाड़ गये तो उनकी जकड़न खुद ढीली पड़ती चली गयी.कुछ देर आराम मैं लिपटे हुए दोनो पड़े रहे और ज़ोर ज़ोर से हानफते रहे. करीब 5 मिनिट बाद सुदर्शन जी, ज्वाला देवी की चूत से लंड निकाल कर उठे और मूतने के लिए बेडरूम से बाहर चले गये.
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