RE: Antarvasnasex मुंबई से भूसावल तक
"ओह अच्च्छा, सुरभि, अभी जब तुझे चोद रहा था तब तू बोली की तेरी मा को भी
चोदू, क्या सच्च मैं तू चाहती है कि मैं तेरी मा को चोदू?तू यह भी बोली
की तेरी मा मस्त सेक्सी औरत है, सुरभि मुझे तेरी मा जैसी औरतो को चोदने
मैं बड़ा मज़ा आता है. वह एक्सपीरियेन्स्ड औरत है इसलिए और ही मस्ती से
चुड़वति होगी. " सुरभि अब शर्मा गयी. चुदाई के जोश मे वह कुच्छ भी बोली
होगी पर अब वह चुप थी. परेश ने 2-3 बार उसके जिस्म को मसल्ते यह बात पुछि
तो वह बोली,
"चाचा वह मैं गर्मी मे कुच्छ भी बोल गयी पर मेरा वैसा कुच्छ मतलब नहीं
था. अब वह अगर आपसे मिलके कुच्छ करना चाहे तो मैं कुच्छ बोल नहीं सकती.
यह बात सच्च है कि वह अच्छि दिखती है और हमेशा अच्छे कपड़े पहनती है पर
वह यह सब करेगी यह मुझे नहीं पता. " परेश सोचने लगा कि अगर वह सुरभि की
मा को चोदना चाहता है तो सुरभि को ही पटाना पड़ेगा. सुरभि को इतना गर्म
करना होगा कि वह उसे पूरी मदद करे अपनी मा को परेश के नीचे सुलाने में.
परेश ने नंगी सुरभि को अपनी जाँघ पे बैठाते अपना लंड उसके हाथ मे देते
कहा,
"सुरभि बेटी अब यह जो मेरा लंड तू सह'ला रही है वैसे लंड के लिए कोई भी
औरत अपनी टाँग फैलाती है. तेरी यह अच्छि किस्मत है कि तेरी पह'ली चुदाई
ऐसे तगड़े लॉड से हुई. मुझे यकीन है कि भले तेरी मा तेरे बाप से आज तक
चुदी है लेकिन मेरा यह लॉडा देखके उसका मन ज़रूर होगा मेरे लंड से
चुद'वाने में. बेटी, क्या तू नहीं चाहती कि जिस लॉड ने तुझे इतना मज़ा
दिया वह तेरी मा चूसे और उसे अपनी चूत में ले?क्या तू नहीं चाहती कि मैं
इस लंड से तेरी मा को भी चोद्के उसे भी खूब मस्ती दूँ?क्या तुझे नहीं
लगता कि मेरा लंड देखके तेरी मा की चूत भी गीली नहीं होगी. क्या तू नहीं
चाहती कि तेरी मस्त मा को नंगी करके, उसके जिस्म से खेलते, उसके स्तन
मसल्ते, चूमते और चूस्के मैं तेरी मा से मेरा लंड चूस्वाके पह'ले उसकी
चूत और फिर गान्ड मारु?" इस बात का सुरभि के कमसिन दिल पे बहुत असर हुआ.
वह सोचने लगी की इस लंड से अगर उसकी मा चुद'वाने लगी तो उसे कितना मज़ा
मिलेगा.
वैसे उसे यह सोचके शर्म भी आ रही थी कि परेश चाचा उसकी मा के बारे मैं
इतना गंदा ओपन्ली उसे बोल रहे थे. लेकिन पह'ली बार लंड लेने के बाद सुरभि
अच्छे-बुरे के बारे मैं सोचना जैसे भूल गयी थी. अभी भी चाचा का लंड
सह'लाते सह'लाते उसकी चूत गर्म होने लगी. परेश सुरभि के मन मैं चल रही
खलबली को समझा और उसे और बेकरार करने के लिए अब उसकी चूत और मम्मो से
मस्ती करने लगा. धीरे-धीरे सुरभि का जिस्म फिर गर्म होने लगा. वह परेश के
लंड को सह'लाते बोली,
"चाचा मुझे कुच्छ समझ मैं नहीं आता कि क्या करू. मैं तो अब चाहती हूँ कि
आप मा के साथ यह सब करो पर डरती हूँ की कहीं मा ने बखेरा खड़ा कर दिया या
कोई गड़बड़ होगी तो क्या होगा. मैं तो चाहती हूँ कि आपने जो कहा वह आप
करो मा के साथ पर मैं इसमे आपकी क्या मदद करू?" बात बनती देख परेश सुरभि
के निपल्स चूस्ते बोला,
"तुझे मेरी मदद कैसे करनी है वह मैं बताउन्गा तुझे रानी, तू यह बता तेरी
मा का हर्दिन मूड कैसा होता है. "
"जब डॅडी टूर पे जाते हैं तो मा गुम्सूम रहती है और जब डॅडी आ जाते हैं
तो बड़ी खुश होती है. वह वैसे तो सुबह जल्दी उठ जाती है लेकिन डॅडी के
टूर से आने के बाद के 2-3 दिन आराम से उठ'ती है. "
"ओह मतलब, तेरा बाप टूर से आने के बाद 2-3 रात तेरी मा को खूब चोद्ता
होगा. इस बात से यह तो समझा कि तेरी मा अभी भी चुदवाती है तेरे बाप से.
यह बता सुरभि बेटी, तेरा बाप अब कहाँ है? घर पे है या टूर पे गया है?"
"चाचा डॅडी तो 3 दिन पह'ले टूर पे गये हैं, अगर वह होते तो मुझे लेने
आनेवाले थे पर उनको जाना पड़ा इसलिए मैं अकेली आ रही थी. डॅडी अब 4 दिन
के बाद आएँगे. " इस बात पे खुश होते परेश ने जी भरके सुरभि के स्तन
मसल्ते एक निपल चूस्ते कहा,
"वाह यह तो बहुत अच्छि बात है. बेटी अब तू कल घर जाएगी तो तेरी मा से
मेरी बहुत तारीफ कर, मेरी एक'दम अच्छि इमेज बना उनके साम'ने. मा को यह भी
कह'ना कि तेरे पिछे कुच्छ आवारा लड़'के पड़ गये थे और परेश चाचा ने ही
तुझे उन आवारा लड़'कों से बचाया था. मैं कल शाम को तेरे घर आउन्गा, तू
तेरी मा को बोल की तूने मुझे चाय पे बुलाया है. हम दोनों को एक दूसरे से
मिलाने के बाद तू कोई बहाना करके घर से निकल जाना तो फिर मैं तेरी मा को
पटाउंगा. तू साम'ने रहेगी तो तेरी मा को पटा नहीं सकूँगा. तू जब जाएगी तो
1-2 घंटे वापस मत आना जिससे उसे मैं आराम से पटा सकु. इतनी मदद को करेगी
ना मेरी बेटी? बेटी तू इतनी मदद तो करेगी ना तेरे परेश चाचा की जिससे वह
तेरी मा को भी इस लॉड से चोद सके?" सुरभि अब फिर गर्म हो रही थी. परेश ने
फिर से इस कमसिन लड़'की को बहकाया था. वह परेश को चूमते हुए बोली,
"हां चाचा मैं ज़रूर आपकी मदद करूँगी. मैं भी अब चाहती हूँ कि आप मा को
इस लंड से वैसे ही मज़ा दो जो आपने मुझे दिया है. आपने जैसा बोला मैं
वैसा करके आप'को पूरी मदद दूँगी जिससे आप मा को पटा सके. " सुरभि की
रज़ामंदी से खुश होके परेश ने सुरभि को उठाके कमोड पे बैठाया. फिर उसकी
टांगे खोलके उस'की नंगी चूत सह'लाते 2-3 बार चूमा. फिर उंगलियो से सुरभि
की चूत खोलके परेश ने उसकी चूत चाट्के जीभ उसकी चूत मैं डाल दी. सुरभि की
ज़िंदगी मैं पह'ली बार कोई उसकी चूत चाट रहा था. सुरभि ने परेश का सिर
पकड़के कहा,
"चाचा यह क्या कर रहे हैं आप? मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी चाटने से. "
चूत मैं जीभ घुसाके अच्छे से उसे चाट्के परेश बोला,
"बेटी तूने मेरा लंड चूसा था, अब मैं तेरी यह चूत चाटूंगा. तेरी इस कमसिन
चूत को मैं जीभ से चोद्के तेरा पानी पीना चाहता हूँ मेरी बेटी. " सुरभि
की कमर को पकड़के अपने मुँह पे दबाते परेश चूत चाटने लगा. सुरभि ने भी
उसका सिर अपनी चुतपे दबाते, उसके बालो में हाथ घुमाना शुरू किया. वह
सिसकारिया भरते अपनी छूट चाट्वाने लगी. वह एक हाथ से अपने स्तन मसल रही
थी और दूसरे हाथ से परेश का सिर चूत पे दबा रही थी. परेश आज ही उसे चुदाई
मैं माहिर बना देना चाहता था. 10-15 मिनिट चूत चाटने के बाद जब सुरभि
झऱ्ने लगी तो उसने परेश का सिर अपनी टाँगो मैं दबाते अपने स्तन मसल्ते
पानी छोड़ा. इस कमसिन चूत का पानी परेश बड़ी खुशी-खुशी चाटने लगा. पूरा
पानी चाटने के बाद भी वह सुरभि की चूत चाट ही रहा था. फिर परेश ने सुरभि
को नीचे सुलाके एक बार उसकी चूत को फिर चोदा. पह'ली बार सुरभि कुतिया
बनके चुदी थी और दूसरी बात एक औरत बनके.
पूरी रात भर परेश ने सुरभि को सोने नहीं दिया. सुरभि के जिस्म से खेलते
अपना लंड उस'से सहल'वाके और चूस्वाके वह सुरभि का मज़ा ले रहा था. सुरभि
भी बेशरम होके परेश की हर बात मान रही थी. सुबह तक परेश ने 3 बार सुरभि
को चोदा. जब स्टेशन आने का समय हुआ तो परेश सुरभि को कपड़े पहननेको बोला.
टाय्लेट की ज़मीन पे पड़ी सलवार कमीज़ की हालत तो एक'दम खराब हो गई थी.
यह देखके सुरभि ने सूटकेस से दूसरी सलवार कमीज़ निकालके पहनी और अपना
हुलिया ठीक किया. जैसे स्टेशन आया परेश ने टाय्लेट का डोर खोला और जल्दी
से सुरभि को लेके ट्रेन से उतर गया. कल के प्रोग्राम की अच्छी तरह से
सेटिंग करने के बाद, सुरभि से उसके घर का अड्रेस लेके परेश ने उसे एक
रिक्कशे मैं बैठाया और खुद अपने रास्ते निकल गया. परेश ने सुरभि की मा को
कैसे चोदा ये कहानी फिर कभी आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
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