XXX Kahani मुम्बई के सफ़र की यादगार रात
07-01-2017, 11:31 AM,
#7
RE: XXX Kahani मुम्बई के सफ़र की यादगार रात
मुम्बई के सफ़र की यादगार रात-6

लेखक : सन्दीप शर्मा 

मैंने उससे पूछा- मैं कितनी देर तक सोता रहा? तो वो बोली करीब एक घण्टा ! 

मैं कुछ कहता उसके पहले ही उसने इशारे से मुझे चुप करा दिया, उसने मुझे पानी दिया और मेरे सामने घुटने के बल बैठ कर मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। जब मेरा लण्ड भी पूरी तरह से जाग गया और मैं भी, तो उसने एक कंडोम मेरे लण्ड पर लगाया, फिर आकर चूत को मेरे लण्ड पर टिकाकर एक झटके में मेरा पूरा लण्ड उसने अपनी चूत में घुसा लिया, मेरे लण्ड पर बैठ कर झूमने लगी और अपनी चूत के अंदर-बाहर करने लगी। 

वो खुद ही ब्रा भी उतार चुकी थी तो उसके बड़े बड़े स्तन हिल रहे थे जिन्हें पकड़ कर एक स्तन को मैंने मुँह में भर लिया और चूसने लगा तथा दूसरे स्तन को दबाने लगा। जब एक स्तन चूस कर मन भर जाता तो दूसरे स्तन को चूसना शुरू कर देता। 

उस वक्त वो आह जानू ! बहुत अच्छा लगा जानू ! जैसे शब्द बार बार कह रही थी। 

वो काफी देर तक इसी तरह से मेरे ऊपर आकर खुद को चुदवाती रही और मैं नीचे से उसके दूध पीता रहा। अचानक उसने अपनी गति तेज कर दी तो मुझे लगा कि अब यह झड़ने वाली है और उसने मेरा मुँह उसके स्तनों से अलग हटा कर उसके होंठों से लगा लिया और मुझे जोर जोर से चूमने लगी। मैं भी उसके चुम्बनों का जवाब दे रहा था और उसके धक्कों में उसका साथ दे रहा था कि अचानक वो पूरी तेजी से झड़ गई। 

झड़ने के बाद वो थक कर मेरे ऊपर लेट गई और मैं उसकी नंगी पीठ को सहलाने लगा। उसने कुछ मिनटों में ही मुझे फिर से चूमना शुरू कर दिया, जिसका मतलब था कि वो फिर से तैयार है। 

मैं तो एक नींद ले ही चुका था तो मेरी ताकत तो वापस आ ही गई थी पूरी तरह से, पर इस बार मेरा मन उसकी गाण्ड मारने का था तो मैंने उसे कहा- साक्षी, अब आगे वाली रानी की तो काफी सेवा कर चुका, थोड़ी पीछे की महरानी की भी सेवा करने का मन है। 

तो वो बिना कुछ बोले पलट कर घोड़ी बन गई और मैं उसके पीछे आ गया। पीछे आने के बाद मैंने उसकी गाण्ड को हाथों से थोड़ा सा खोला और कंडोम समेत पूरा लण्ड धीरे धीरे उसकी गाण्ड में डाल दिया। 

पूरे लण्ड के अंदर जाने के बाद भी उसके मुँह से सिर्फ एक हल्की सी आह ही निकली, वो बोली- सॉरी जानू, यह भी काफ़ी खुल चुकी है... 

मैंने कहा- कोई बात नहीं जान ! मुझे ऐसी ही चाहिए जिससे पूरा मजा मिल सके और तुम्हें भी तकलीफ ना हो। 

उसकी गाण्ड में लण्ड डाल कर मैंने साक्षी की गाण्ड मारना शुरू कर दिया, मैं उसे धक्के मार रहा था और वो भी मेरे हर धक्के का जवाब धक्के से ही दे रही थी, साथ ही उसने अपनी गाण्ड को भी सिकोड़ लिया था जिससे मुझे और मजा आ रहा था। 

गाण्ड मारते हुए मैंने एक हाथ से उसकी चूत को दबा रखा था एक हाथ से उसके स्तन को मसल रहा था और उसके मुँह से सिर्फ आह आह जैसे शब्द निकल रहे थे। 

मैं इसी तरह से कुछ मिनट तक उसकी गाण्ड मारता रहा और वो झड़ने की कगार पर आ गई, वो बोली- संदीप, मेरा होने वाला है। 

मैं बोला- हो जाने दो जानू ! 

और उसको और जोर जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए मैंने। 

मैंने 10-12 धक्के और मारे होंगे कि वो झड़ गई और इस बार उसकी चूत से एक पिचकारी सी छूट गई जो बिस्तर को गीला कर गई। 

मेरा भी बस होने ही वाला था तो मैंने उसकी गाण्ड को दोनों हाथों से पकड़ा और जोर जोर से धक्के मारना शुरू कर दिया और मैंने भी कुछ धक्के मारे होंगे कि मैं भी उसकी गाण्ड में ही जोर से चीखता हुआ झड़ गया। 

मेरे झड़ने के बाद वो भी लेट गई और मैं उसके ऊपर ही लेट गया, एक दो मिनट के बाद जब मैं थोड़ा सा ठीक हुआ तो मैंने उसकी गाण्ड में से लण्ड निकाला, कंडोम निकाल कर पलंग के नीचे फैंका पास में पड़ी हुई तौलिया उठा कर लण्ड पौंछा और साक्षी को पास में खींच कर अपने से चिपका कर लेट गया। 

साक्षी ने भी मुझे कस कर बाँहों में भर लिया। 

हम दोनों को नींद कब आई पता ही नहीं चला। सुबह साढ़े छः पर मेरे मोबाइल के अलार्म से नींद खुली। 

जागने के बाद भी हम दोनों ने ही न उठने की कोई कोशिश की और ना ही एक दूसरे से अलग होने की। हम दोनों एक दूसरे और चिपक गये और तब तक चिपके रहे जब तक मेरे मोबाइल ने दस मिनट बाद का दूसरा अलार्म नहीं बजा दिया। 

अलार्म बंद करने के बाद मैंने मोबाइल बगल में रखा, कंडोम का पैकेट उठाया और साक्षी की तरफ देखते हुए इशारों में उससे पूछा तो उसने मुस्कुरा कर सर हिला कर हाँ में जवाब दिया। 

बस इस जवाब की देर थी कि मैंने कंडोम चढ़ाया और साक्षी को नीचे लिटाया, मैं उसके ऊपर चढ़ गया। 

सुबह की खुमारी थी, हम दोनों ही एक दूसरे के साथ के मजे ले रहे थे, मैंने उसके होंठ चूमने की कोशिश की तो वो बोली- ब्रश नहीं किया है, बदबू आएगी। 

मैंने बिना कुछ कहे उसके गालों को चूसना शुरू कर दिया और उसने भी पलट कर मेरे गालों को चूसना शुरू कर दिया। उसने मेरी कमर को अपनी टांगों में लपेट लिया और मैंने भी तेज तेज धक्के मारने शुरू कर दिये, जब मैं उसे चोद रहा था तो वो मेरी पीठ पर बड़े प्यार से हाथ चला रही थी और मेरे गालों और कंधों को चूस रही थी, हल्के-हल्के काट रही थी जिससे मेरा जोश और बढ़ रहा था और मुझे और ज्यादा मजा आ रहा था। 

मैंने थोड़ी देर धक्के मारे होंगे कि मैं झड़ने की कगार पर आ गया और मैंने रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ धक्को के बाद मैं झड़ गया। मेरे झड़ने पर उसने मुझे अपने सीने पर सुला लिया और बड़े प्यार से मेरी पीठ सहलाने लगी। 

मैं उसकी बगल में लेट गया और उसके होंठों को चूमने लगा और उससे प्यार भरी बातें करने लगा। 

फिर मैंने फोन उठा कर चाय ब्रेड जैम और उपमा का ऑर्डर दिया और फ़िर साक्षी से बातें करने लगा, बातों बातों में उसने विस्तार में बताया कि वो कैसे कॉल गर्ल बनी और उसकी मजबूरियाँ क्या थी। 

यह कहानी शायद कभी नहीं लिखूँगा तो कृपया कोई उम्मीद ना करें। 

तब तक नाश्ता आ गया हम दोनों ने नाश्ता किया, मुझे नाश्ता भी साक्षी ने अपने हाथों से ही कराया। उसके बाद हम दोनों साथ में ही चिपककर नहाए। नहाते हुए साक्षी ने मुझे भी प्यार से नहलाया, मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया था तो साक्षी ने मेरे खड़े लण्ड को चूस चूस के फिर से मुझे शांत किया। 

तैयार होते होते हमें नौ बज चुके थे, मुझे दफ्तर जाना था तो हम लोग साढ़े नौ बजे बाहर निकलने लगे, मैंने उससे कहा- मुझे अपना फोन नंबर दे दो। 

तो वो बोली- प्लीज संदीप, मुझ से तुम नम्बर मत मांगो, शाम को तुम्हें मैं जरूर मिलूँगी। 

मैंने उसकी बात मान ली और मैं दफ्तर आ गया। मैं तब इतना खुश था कि मैंने दो दिन का काम एक ही दिन में पूरा कर लिया। 

मैंने सोचा कि अब तो कल दफ्तर भी नहीं आना है तो मजे ही मजे ! 

शाम को मैं सवा पाँच दफ्तर से निकला और सीधे होटल आया तो रिशेप्सन पर मेरे लिए एक गिफ्ट पैक रखा हुआ था। 

मैं जानता था कि इसे साक्षी ने ही भेजा होगा, मैंने कमरे में जाकर उस गिफ्टपैक को खोल कर देखा तो उसमें पीटर इंगलैंड की दो शर्ट, एक टाइटन की घड़ी, एक लिफाफा और एक चिट्ठी रखी हुई थी। 

चिट्ठी में सिर्फ इतना ही लिखा था- संदीप, तुमने मुझे बहुत प्यार दिया पर मुझे माफ कर देना मैं तुमसे अब कभी नहीं मिल पाऊँगी। 

मैंने लिफाफा खोला तो उसमें 8500 रूपये रखे हुए थे। मेरी मानसिक स्थिति मैं शब्दों में तो नहीं बता सकता लेकिन फिर मेरा मन मुंबई में रुकने का नहीं हुआ, मैंने अपना बैग पैक किया, इंदौर के लिए एक टैक्सी बुक की और उसी रात आठ बजे इंदौर के लिए निकल आया। 

उसके बाद से कई सालों तक मैं साक्षी के फोन का इन्तजार करता रहा पर उसका फोन मुझे नहीं आया। 

इन्तजार आज भी है... साक्षी अगर तुम यह कहानी पढ़ती हो तो प्लीज एक बार मुझसे बात कर लो। 

आपको हम दोनों की छोटी सी प्रेम कहानी कैसी लगी, बताइयेगा जरूर !
Reply


Messages In This Thread
RE: XXX Kahani मुम्बई के सफ़र की यादगार रात - by sexstories - 07-01-2017, 11:31 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,462,981 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,070 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,216,597 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 920,141 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,631,099 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,062,651 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,920,234 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,955,730 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,992,516 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,249 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)