Sex Hindi Kahani फूफी फ़रहीन
06-30-2017, 11:27 AM,
#6
RE: Sex Hindi Kahani फूफी फ़रहीन
फूफी फ़रहीन -6

मैंने उनकी चूत के बीच में अपनी ज़बान ज़ोर ज़ोर से फेरता रहा. उनका पेट मेरे सीने के नीचे हरकत करता महसूस हो रहा था.

"फूफी फ़रहीन में आप की फुद्दी चाट रहा हूँ आप बस थोड़ी देर मेरा लंड चूस लें तो मेरे लिये काफ़ी है. मै आप के मम्मों पर खलास हो जा’आऊँ गा." में उसी तरह लेते लेते अंदाज़े से अपना लंड उनके होठों के बिल्कुल क़रीब करते हुए बोला. चार-ओ-नचार उन्होने मेरा लंड हाथ में पकड़ के अपने मुँह में डाला और उससे बे-दिली से चूसने लगीं.
"तुम मेरी चूत ना छातो में तुम्हारा लौड़ा चूस कर तुम्हे डिसचार्ज कर देती हूँ लेकिन मुझे उठने दो में ऐसे लूआर्रा मुँह में नही ले सकती." उन्होने कहा.

में उनके ऊपर से उतार गया और उन्हे गले से लगा कर खूब चूमा.
"फूफी फ़रहीन आप का बदन ही ऐसा है के में आप को चोदे बगैर नही रह सकता. आप जानती हैं के हमारे पास टाइम भी थोड़ा है. लेकिन आप के जिसम दर्द आयी और फुद्दी भी दुख रही है. मै आप को तक़लीफ़ में भी नही देख सकता." मैंने बात शुरू की. उन्होने अपनी क़मीज़ का दामन अपनी फुद्दी के सामने किया और मेरी बात सुन ने लगीं.
"में ये भी जानता हूँ के आज की चुदाई से आप को तक़लीफ़ हुई है और इस वक़्त आप दोबारा मुझे फुद्दी नही दे सकतीं. मगर प्लीज़ आप भी मेरा कुछ ख़याल करें मेरा लंड खड़ा है और में डिसचार्ज ना हुआ तो रात गुज़ारनी मुश्किल हो जाए गी." मैंने अपनी मजबूरी बयान की.

"अमजद में आज तो कम-आज़-कम तुम्हे चूत नही दे सकती सारी सूजी हुई है." उन्होने ज़रा हंदर्दाना लहजे में अपनी चूत की तरफ देख कर जवाब दिया.
"फूफी फ़रहीन में भी किया करूँ. आप के मम्मे, आप की चूत और आप की गांड़ ने मुझे पागल कर रखा है. मै आप को चाहे जितना मर्ज़ी चोद लूं मेरा दिल नही भरता." मैंने उनके गोरे और गुन्दाज़ बाज़ू पर हाथ फेरते हुए जज़्बात से भरी हुई आवाज़ में कहा. जब उन्होने ये सुना तो उनके चेहरे पर खुशी की हल्की सी लहर दौड़ गई.
“तो कल सुबह तक सबर कर लो ना.” उन्होने अपनी बात दुहरई.
“मगर इस वक़्त किया करें?” मैंने फिर सवाल किया.
"अच्छा आओ में तुम्हारा लौड़ा चूस कर तुम्हे डिसचार्ज कर देती हूँ. अगले हफ्ते तुम लाहोर आ जाना वहीं पर जो करना हो कर लाना." उन्होने दरमियानी रास्ता निकालने की कोशिश की.
"फूफी फ़रहीन चॅपलेन में आज आप की फुद्दी नही मारता मगर इस के बदले में आप को कुछ और करना पड़े गा." मैंने उनकी आँखों में देखा.
"वो किया?" उन्होने पूछा.
"अगर आप को कोई ऐतराज़ ना हो तो में आज आपकी गांड़ मार लूं और यों मेरा काम भी हो जाए गा और आप को भी तक़लीफ़ नही हो गी." में मतलब की बात ज़बान पर ले आया.
वो हैरात्ज़ादा रह गईं और तेज़ी से नफी में सर हिलाने लगीं.

"नही नही अमजद गांड़ देना बहुत बड़ा गुनाह है और मैंने कभी भी गांड़ में लौड़ा नही लिया. तुम्हारा तो लौड़ा भी बहुत मोटा है मेरी तो गांड़ फॅट जाए गी. वो सुराख इस काम के लिये तो नही बना. वैसे भी ये वक़्त गांड़ देने का नही है."
“फूफी फ़रहीन आप प्लीज़ बस एक दफ़ा मुझे अपनी गांड़ लेने दें. प्लीज़ किया आप मेरी अच्छी फूफी नही हैं.” मैंने इल्तिज़ा-आमीज़ लहजे में उनके गालों को हाथ लग्गाते हुए कहा.
“में बिल्कुल तुम्हारी फूफी हूँ लेकिन जो तुम चाहते हो वो मुझ से कभी नही हो सकेगा. फिर इस की आख़िर ज़रूरत भी किया है. चूत तो दे रही हूँ ना तुम्हे.” उन्होने कहा.
“लेकिन मुझे आप की गांड़ मारने का बहुत शोक़् है फूफी फ़रहीन.” मैंने इसरार किया.
“ये किस क़िसम का शोक़् है जिस में औरत की जान ही निकल जाए. चूत देते हुए अच्छी ख़ासी तकलीफ़ होती है तो गांड़ देते हुए किया हाल होगा.” वो सर हिला कर बोलीं.
“में आप को यक़ीन दिलाता हूँ के आप को तकलीफ़ बिल्कुल नही हो गी.” मैंने बड़ी संजीदगी से कहा.
“कैसे नही हो गी. मेरी गांड़ में आख़िर तुम्हारा इतना मोटा लौड़ा जाए गा कैसे.” उन्होने हाथ से इशारा कर के बताया.
“टेल लगा कर में अपना लंड आसानी से आप की गांड़ में ले जा सकता हूँ. आप राज़ी तो हूँ. बिल्कुल थोड़ी तकलीफ़ हो गी.” मैंने उन्हे का’आइल करने की कोशिश जारी रखी.
“देखो में तुम्हे गांड़ कैसे दे दूँ. मुझे सलीम के अलावा और किसी ने हाथ नही लगाया. तुम दूसरे मर्द हो जिस ने मेरी चूत ली है. सलीम ने तो पिछले 21 साल में कभी मेरी गांड़ को उंगली तक नही लगाई. मुझे गांड़ देने का कुछ पता ही नही है. मै ये नही कर सकती.” उन्होने कहा.

मैंने मज़ीद बहस नही की और उनके नंगे चूतड़ों के नीचे हाथ घुसा कर उनकी गांड़ के सुराख तक पुहँछने की कोशिश की लेकिन उन्होने अपनी गांड़ पर सारे जिसम का वज़न डाल दिया और और मेरे हाथ को अपने चूतड़ों के नीचे अपने छेद तक जाने का मोक़ा नही दिया. मेरा हाथ उनके भारी और मोटे चूतड़ों के नीचे दब गया.
"में गांड़ में तुम्हारा लूआर्रा बर्दाश्त नही कर सकती अमजद में सच कह रही हूँ." उन्होने मेरे लंड को हाथ में ले कर जैसे टटोलते हुए कहा.

"में गांड़ में तुम्हारा लूआर्रा बर्दाश्त नही कर सकती अमजद में सच कह रही हूँ." उन्होने मेरे लंड को हाथ में ले कर जैसे टटोलते हुए कहा.
"बस ठीक है फूफी फ़रहीन में अपने कमरे में जाता हूँ किया फायदा आप की मिनाताईं करने का." मैंने खफ्गी का इज़हार किया और उनके हाथ से अपना लंड छुड़ा लिया. फूफी फ़रहीन ने जल्दी से मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा:
"किया सिर्फ़ यही एक तरीक़ा है तुम्हे डिसचार्ज करने का?"
"हन बस यही एक तरीक़ा है." मैंने उसी खफा लहजे में जवाब दिया.

में उनकी मजबूरी समझ रहा था. वो मुझे गांड़ देने की तक़लीफ़ के बदले अपनी चूत मरवाने के मज़े को नही गँवाना चाहती थीं और इसी लिये अब गांड़ देने पर राज़ी हो रही थीं . वो कुछ सोचने लगीं.
"अच्छा चलो तुम मेरी गांड़ ले लो मगर पहले ये वादा करो के तुम मेरी गांड़ बहुत आराम से मारो गे और मुझे दुखाओ गे नही." उन्होने दोबारा मेरा लंड हाथ में लेते हुए मुझ से गॅरेंटी चाही.
"बिल्कुल वादा है मैरा. अगर आप को ज़ियादा तक़लीफ़ हुई तो में आप की गांड़ नही मारूं गा." मैंने कहा और उनकी क़मीज़ और ब्रा उतार कर साइड टेबल पर पडा हुआ लॅंप जला दिया ताके में उनकी गांड़ मारते हुए उनके दूधिया बदन को साफ़ तौर पर देख सकूँ.

वो बेड पर फिर लेट गईं. मैंने उन्हे करवट दिला कर लिटाया और अपना चेहरा उनके पैरों की तरफ कर के उनके बिल्कुल साथ जुड़ कर लेट गया. मैंने उनकी एक टाँग उठा कर उनकी रानों के दरमियाँ मोजूद चूत में अपना मुँह घुसा दिया और उससे चाटने लगा. मैंने उनके चूतरर्रों पर हाथ रखा हुआ था. मुझे महसूस हुआ के उनके चूतरर्रों और रानों के मसल अकड़ने लगे थे. उन्होने बिल्कुल दबी आवाज़ में अया….ऊऊओह शुरू कर दी थी. मेरा लंड उनके मुँह के साथ लगा हुआ था.

जब मैंने उनकी चूत चाटते हुए अपने लंड को उनके मुँह में घुसा या तो वो मेरा मतलब समझ गईं. उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं. वो बड़े एहतेमां से लंड चूस रही थीं . इस तरह लेट कर भी मुझे उनके दाँत अपने लंड पर एक दफ़ा भी महसूस नही हुए. वो मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर रखते हुए उस के टोपे पर बहुत तेज़ी से ज़बान फेरतीं और मेरी हालत खराब हो जाती. मैंने दिल ही दिल में एक दफ़ा फिर फूफी फ़रहीन के लंड चूसने की महारत की दाद दी.

थोड़ी देर और उनकी फुद्दी चाटने और अपना लंड उन से चटवाने के बाद मैंने फूफी फ़रहीन से कहा के वो अपनी कुहनियों पर वज़न डाल कर सर नीचे करें और अपने चूतड़र ऊपर उठा कर मेरी तरफ कर दें. उन्होने इसी तरह किया और अपने वज़नी चूतरर्रों का रुख़ मेरी तरफ कर दिया. उनके चूतड़ ऊपर उठे तो उनके बाल फिसल कर उनकी गर्दन के पास एक बड़े से गुकचे की शकल में जमा हो गए. ये सब करते हुए वो हल्का सा मुस्कुराईं. शायद अभी जो उनके स्ाआत होने वाला था वो उस के बारे में सोच रही थीं . अब उनकी गांड़ मेरे सामने थी. मैंने उके गोरे चूतरर्रों को फैला दिया और उनकी गांड़ के टाइट सुराख पर उंगली फेरी जो बहुत छोटा था.

"फूफी फ़रहीन आप के छेद में तो दर्द नही है ना." मैंने उन्हे छेड़ा.
"टोबा टोबा कितना फज़ूल लफ्ज़ है ये गांड का सुराख. तुम अनस क्यों नही कहते और अब जब तुम मेरी गांड़ मारो गे तो यहाँ भी दर्द हो ही जाए गा." वो अब अच्छे मूड में थीं .
"जो मज़ा छेद में है वो अनस या अशोल में कहाँ फूफी फ़रहीन और फिर गांड़ का इतना शानदार सुराख अनस नही हो सकता सिर्फ़ गांड का सुराख ही हो सकता है." में उनकी गांड़ के सुराख को चूमते हुए बोला.

"उउउफफफफ्फ़……..." फूफी फ़रहीन ने अपने गरम छेद से मेरे होंठ लगते ही झुरजुरी सी ली और उनके चौड़े चूतड़ हिल कर रह गए.
"गुदगुदी होती है." उन्होने दबी दबी आवाज़ में हंसते हुए कहा. मै उनका गांड का सुराख चाटने में मसरूफ़ रहा जिस से अब वो भी मज़ा लेने लगी थीं .
मैंने अपनी ज़बान रुक रुक कर उनके छेद के ऊपर फैरनी शुरू की और उस के तनाओ का मज़ा लेने लगा. चूतड़ों के बेपनाह गोश्त के अंदर उनके छेद को चाटना मुझे पागल कर देने वाली लज़्ज़त दे रहा था. मेरा थूक फूफी फ़रहीन के सारे छेद पर लग चुका था और अब नीचे उनकी चूत की तरफ बहने लगा था. उन्हे भी अपना गांड का सुराख चटवाने में मज़ा आ रहा था. औरत की गांड़ के सुराख में लाखों की तादाद में नर्व एंडिंग्स होती हैं जिन को अगर उंगली लगाई जाए या चाटा जाए तो उससे बे-पहाः मज़ा आता है. यही कुछ फूफी फ़रहीन के साथ भी हो रहा था.

मैंने उनके चूतड़ों को मज़ीद खोला और उनका गांड का सुराख चाटने की स्पीड बढ़ा दी.
“आअहहूऊंणन्न् आनंहूऊंन्न." उनके मुँह से तसालसूल के साथ आवाजें बरामद हो रही थीं .
“अच्छा लग रहा है ना फूफी फ़रहीन.” मैंने अपना सर उनके गांड़ के सुराख पर से उठाया और उन से पूछा.
"उउउफफफफफ्फ़ बहुत अच्छा लग रहा है ये किया कर रहे हो तुम मेरे साथ. मै तो डर रही हूँ के कहीं मेरे मुँह से तेज़ आवाज़ ना निकल जाए और तुम्हारा बाप जाग ना जाए." उन्होने कपकापाती हुई आवाज़ में कहा.
“आप डैड की फिकर ना करें वो रात को एक दो ग्लास शराब पी कर सोते हैं. आप बे-शक ढोल भी बजा कर देख लें लेकिन वो सुबह से पहले नही उठाईं गे.” मैंने जवाब दिया और दोबारा उनकी गांड़ का सुराख पर ऊपर नीचे ज़बान फेरने लगा. वो मज़े लेते हुए अपने चूतड़ों को आहिस्ता आहिस्ता हरकत देने लगीं. मैंने एक हाथ आगे कर के उनकी चूत के बालों के अंदर उनकी छोटी सी क्लिटोरिस को मसल दिया.
उन्हाय जैसे बिजली का करेंट लगा और उन्होने अपना मुँह बिस्टार में घुसा कर अपनी आवाज़ दबाने की कोशिश की. ऐसा करते हुए उनके मोटे चूतड़र ज़ोर से लरज़े. वो नही चाहती थीं के रात के इस पहर में उनके मुँह से कोई तेज़ आवाज़ निकले. मै अपनी ज़बान से उनका गांड का सुराख चाट ता रहा और एक हाथ से उनकी क्लिटोरिस को मसलता रहा.

औरत के लिये क्लिटोरिस बड़ी खौफनाक चीज़ होती है. ये इंसानी जिसम का वाहिद हिस्सा है जिस का काम सिरफ़ और और सिरफ़ मज़ा देना है. औरत और मर्द दोनो में इस क़िसम का कोई जिस्मानी उज़व नही जो कुदरत ने सिरफ़ मज़े के लिये बनाया हो. लंड औरत की फुद्दी चोद कर उस के अंदर मनी डालता है और मर्द को बहुत मज़ा देता है. लेकिन इसी में से पैशाब की नाली भी गुज़रती है. लहाज़ा ये दो दो काम करने के लिये बना है. फुद्दी सेक्स के दोरान मर्द का लंड अपने अंदर लेटी है और उस से निकालने वाली मनी को आगे पुहँचाने का काम करती है. इस के अलावा फुद्दी बच्चा पैदा करने के अमल में अहम किरदार अदा करती है क्योंके बच्चा इसी रास्ते से माँ के पेट से बाहर आता है. मेंसस के वक़्त भी खून और और दीगर फासिद मादा फुद्दी के रासती ही औरत के बदन से बाहर निकलता है. लेकिन क्लिटोरिस का बस यही काम है के वो औरत को सेक्स के दोरान लुत्फ़ दे.

क्लिटोरिस फुद्दी के बिल्कुल ऊपर मुत्तर के दाने के साइज़ की होती है और औरत के बदन का सब से ज़ियादा हस्सास हिस्सा है. अगर फुद्दी के होठों पर अंगूठा रख कर उससे ऊपर की जानिब फेरें तो एक छोटा सा दाना महसूस होगा. यही क्लिटोरिस है. सेक्स करते हुए या वैसे भी अगर क्लिटोरिस को मसला या चाटा जाए तो औरत खलास होने में देर नही लगाती. वो अपनी फुद्दी में लंड ले कर भी इतना मज़ा नही लेटी जितना क्लिटोरिस को मसलने या चाटने से लेटी है. इसी लिये क्लिटोरिस को हाथ लगाते ही वो बे-क़ाबू होने लगती है.

जब मैंने फूफी फ़रहीन की क्लिटोरिस को मसला तो उनके साथ भी यही हुआ था. कुछ देर में ही उनका पूरा बदन ऐंठ गया और वो मुँह से दबी दबी आवाज़ में ऊऊओहूऊऊन्न्णोणन् न्न्न्ना हाहाऊ अहह ऊऊऊवन्न्न्नह करने लगीं. मै उनका गांड का सुराख ज़ोर ज़ोर से चाट तार आहा और उनकी क्लिटोरिस को मसलता रहा. कुछ देर बाद ही वो बेड पर उछल कूद करती हुई खलास हो गईं. मै इसी तरह उनकी चूत पर हाथ फेरता रहा जो अब काफ़ी ज़ियादा भीग चुकी थी.

मैंने उनको खलास होने के बाद संभालने का मोक़ा नही दिया. यही उनकी गांड़ मारने का बेहतरीन वक़्त था. उनके कमरे में आते वक़्त में अपने साथ सरसों के टेल की बॉटल ले आया था. मैंने उनकी सफ़ेद कमर पर ऊपर से नीचे हाथ फेरा और उन्हे वैसी ही पोज़िशन में रहने को कहा. खलास होते वक़्त उन्होने अपने चूतड़ कुछ नीचे कर लिये थे मगर मेरी बात सुन कर फिर उन्हे ऊपर उठा दिया. मैंने बॉटल में से टेल निकाल कर उनके छेद को अच्छी तरह भिगो दिया. फिर मैंने फूफी फ़रहीन से कहा के वो अपने दोनो चूतड़ों को हाथों से पकड़ कर खुला रक्खें ताके में अपना लंड उनकी गांड़ के सुराख के अंदर डाल सकूँ.
"आहिस्ता अंदर डालना." उन्होने उखरर उखरर आवाज़ में मुझे याद दहानी कराई.

उन्होने दोनो हाथों से अपने चूतड़ों को मेरे लिये खोल दया. उनका गांड का सुराख अब पूरी तरह मेरे सामने आ गया. मै भी उनके मोटे और ताक़तवर चूतड़ों को पकड़ कर बेड पर खड़ा हो गया और अपना लंड उनके छेद के मुँह तक ले आया. उनका गांड का सुराख टेल से मुकमल तौर पर भीगा हुआ था. मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ फेरा और अपना लंड उनकी गांड़ के सुराख पर रखा जो अब टेल की वजह से चमक रहा था. फिर मैंने उनकी गांड़ में अपना लंड बड़ी आहिस्तगी से डालना शुरू किया. दो तीन दफ़ा फूफी फ़रहीन के छेद पर से इधर उधर स्लिप होने के बाद आख़िर मैंने अपने लंड को उनकी गांड़ में डालना शुरू कर दिया. ऐसा लगता था जैसे मेरे लंड को किसी मज़बूत रुकावट का सामना हो क्योंके वो फूफी फ़रहीन की गांड़ के सुराख के अंदर नही जा पा रहा था. मैंने उनके चूतरर्रों को कस कर पकड़ा ताके वो एक ही जगह पर रहें और अपने लंड को उनके छेद में मज़ीद अंदर करने की कोशिश करता रहा.

पहले मेरे लंड का टोपा बड़ी ही मुश्किल से फँसता फनसाता फूफी फ़रहीन के टाइट छेद के अंदर गायब हुआ और फिर आहिस्ता आहिस्ता आधा लंड उनकी गांड़ में चला गया. अब मेरा आधा लंड उनकी गांड़ के अंदर था और आधा बाहर नज़र आ रहा था. उनके छेद ने मेरे लंड को इतनी बुरी तरह दबा रखा था के लंड के उस हिस्से पर जो उनकी गांड़ से बाहर था खून की रगैन बहुत ज़ियादा फूलई हुई नज़र आ रही थीं . जब मेरा लंड उनकी गांड़ में गया और मेरे टोपे ने उनके छेद को चियर कर फैला दिया तो फूफी फ़रहीन का सारा बदन जैसे काँपने लगा. उन्होने अपना एक हाथ अपने मुँह पर रखा और बेडशीट को दूसरे हाथ में सख्ती से पकड़ लिया. लगता था के अपनी गांड़ में मेरा लंड उन से बर्दाश्त नही हो रहा. ज़ाहिर है इतने छोटे से छेद में लंड जाए तो तक़लीफ़ तो हो गी.

मैंने अब फूफी फ़रहीन की गांड़ के सुराख में बिल्कुल आहिस्ता आहिस्ता और रुक रुक कर घस्से मारने शुरू किये और उनकी गांड़ लेने लगा. काफ़ी टेल के बा-वजूद मेरे लंड को उनकी गांड़ चोदते हुए बड़ी मुश्किल पेश आ रही थी. मै खुल कर घस्से नही लगा सकता था क्योंके उनका गांड का सुराख बहुत ही तंग था और उस के अंदर इतना फैलाओ ही नही पैदा हो रहा था जिस में मेरा लंड समा सकता और में उससे आगे पीछे कर के घस्से मार सकता. मैंने बड़ी एहतियात से आहिस्ता आहिस्ता उनकी गांड़ लेना जारी रखा. इसी तरह करते करते आख़िर फूफी फ़रहीन के छेद में मेरा पूरा लंड चला गया और उनका दर्द भी किसी हद तक क़ाबिल-ए-बर्दाश्त हो गया. उनकी हालत भी बेहतर होने लगी और वो अपने चूतड़ों को लंड लसिंसी क्सी लिसी बेहतर पोज़िशन में लाने की कोशिश करने लगीं.

रफ़्ता रफ़्ता मेरे घस्सों में थोड़ी सी तेज़ी आ गई और फूफी फ़रहीन के मुँह से नित नई आवाजें निकलनाय लगीं. मेरा लंड उनके छेद को चीरता हुआ उन्हे चोदता रहा. कभी वो भारी आवाज़ में कराहतीं, कभी उनकी आवाज़ पतली हो जाती जैसे वो हलाक से निकालने वाली चीख को दबाने की कोशिश कर रही हूँ और कभी उनकी तेज़ तेज़ चलती हुई साँस की आवाज़ अचानक बंद हो जाती और बिल्कुल खामोशी छा जाती. उस वक़्त सिरफ़ मेरे लंड की उनकी गांड़ में जाने की ‘शॅप शॅप’ सुनाई देने लगती. लेकिन कुछ देर बाद वो दोबारा कराहने लगतीं. मै उनकी गांड़ में जचे तुले घस्से मारता रहा. जब मेरा लंड फूफी फ़रहीन के छेद में जाता तो ना-क़ाबिल-ए-बयान मज़े का तूफान लंड से होता हुआ मेरे पूरे जिसम में फैल जाता. औरत की गांड़ मारना मुश्किल है लेकिन शायद इस से ज़ियादा पूर-लुत्फ़ चीज़ और कोई नही.

अब मेरा लंड ज़रा मुश्किल से मगर पूरा का पूरा उनकी गांड़ के सुराख में घुस जाता लेकिन फिर बा-अससनी बाहर आ जाता. उनके मोटे और भारी चूतड़ों के गोश्त में पड़े हुआ छोटे छोटे गर्रहे मेरे हर घस्से के दोरान कुछ और गहरे हो जाते. इतने बड़े चूतड़ों को तो संभालना भी मुश्किल था और में तो उनकी गांड़ में घस्से भी मार रहा था. मैंने उनके चूतड़ों को दोनो हाथों से पकड़ा हुआ था और उनकी गांड़ मार रहा था.
“फूफी फ़रहीन किया गांड़ देते हुए आप को मज़ा आ रहा है?” मैंने उनके भारी चूतड़ों पर चुटकी काटते हुए पूछा.
“नही मुझे तो कोई मज़ा नही आ रहा. गांड़ देने में किया मज़ा हो सकता है.” उन्होने बड़ी मुश्किल से जवाब दिया.

मुझे मालूम नही के इस जवाब में कितनी सचाई थी क्योंके बहुत कम औरतें इस बात का ाईतेराफ़ करती हैं के उन्हे गांड़ मरवाने में मज़ा आता है. बहरहाल में फूफी फ़रहीन की गांड़ लेता रहा और उनका बदन मेरे घस्सों के ज़ोर से बेड पर आगे पीछे होता रहा. मेरा लंड उनकी गांड़ के सुराख के अंदर बाहर होता रहा और टेल लगा होने की वजह से अजीब सी ‘शॅप शॅप’ और 'ष्हवप' ष्हवप' की आवाजें बराबर सुनाई देती रहीं. टेबल लॅंप की रोशनी में बेड पर हमारे जिस्मों के सा’ईए नज़र आ रहे थे.

में अब फूफी फ़रहीन को चोदते चोदते लुत्फ़ की आखरी मंज़िल पर था और इस में उनका भी बड़ा हाथ था. वो मेरे लंड को अपनी गांड़ में लेतीं तो अपने छेद को टाइट कर लेतीं और जब मैं अपना लंड उनकी गांड़ से बाहर निकालता तो वो उनकी गांड़ से ज़ियादा रगड़ खा कर बाहर आता जिस से मुझे अपने आप को कंट्रोल करना मुश्किल होने लगा. मैंने उनके सफ़ेद चूतड़ों में उंगलियाँ खूबो कर थोड़े तेज़ घस्से मारे तो उनकी गांड़ के अंदर ही मेरे लंड ने मनी चॉर्र्णी शुरू कर दी. गांड़ में खलास होना चूत में खलास होने से बहुत मुख्तलीफ़ होता है. यके बाद डीगरे च्छे सात छोटी छोटी पिचकारियाँ फूफी फ़रहीन की गांड़ में निकालने के बाद मेरा लंड सकूँ से हुआ और मैंने उससे उनकी गांड़ से बाहर निकाल लिया.

फूफी फ़रहीन तक हार कर बेड पर उल्टी ही लेट गईं और में उनके चूतरर्रों पर अपना लंड दबाते हुए उनके ऊपर लेट गया. अपने और उनके जिस्मों के बीच में मुझे टेल और अपनी मनी का गीलापन महसूस हो रहा था.--------- xxx ----------
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