RE: XXX Kahani नंबर वन माल
नंबर वन माल--4
कुछ देर उस का लंड चूसने के बाद अम्मी ने फिर कहा के राशिद देर ना करो. राशिद फॉरन बेड से उतरा और अम्मी को भी खड़ा कर दिया. फिर उस ने हाथ बढ़ा कर अम्मी की शलवार का नाड़ा खोल दिया. अम्मी की शलवार उनके पैरों में गिर गई. वो फुर्ती से अम्मी के पीछे आया और उनके चूतड़ों के ऊपर से क़मीज़ उठा कर उनकी कमर तक ऊँची कर दी. अम्मी के मोटे और चौड़े चूतड़ नज़र आने लगे. राशिद ने अपना लंड अम्मी की चूत के अंदर करने की कोशिश की मगर कामयाब नही हुआ. उस ने अपने लंड पर ऊपर नीचे दो तीन दफ़ा हाथ फेरा और उस का टोपा अम्मी के चूतड़ों के अंदर ले गया. फिर अपने लंड को अम्मी की गांड़ के बीचों बीच रख कर हल्का सा घस्सा मारा.
कोशिश के बावजूद राशिद के लंड को इस दफ़ा भी अम्मी की चूत का सुराख ना मिल सका. अम्मी ने कहा के अपना लंड गीला करो ऐसे अंदर नही जाए गा. उन्होने अपने पैरों में पड़ी शलवार से टांगें बाहर निकलीं और एक पैर की त्तोकर से उससे थोड़ा डोर खिसका दिया. फिर वो सामने बेड पर हाथ रख कर थोड़ा सा और नीचे झुक गईं ताके राशिद का लंड उनकी चूत के अंदर जा सके. राशिद ने अपने हाथ पर ज़ोर से थूका और अम्मी की टांगें खोल कर पीछे से उनकी चूत पर अपना थूक लगा दिया. राशिद का हाथ उनकी चूत से लगा तो अम्मी के मुँह से ऊ.. ऊ.. की आवाज़ निकली और उनके चूतड़ थरथरा कर रह गए.
राशिद ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और उनकी चूत के अंदर डाल दिया. अम्मी ने थोड़ा सा आगे हो कर उस का लंड अपनी चूत में ले लिया. थोड़ी और कोशिश के बाद राशिद अपना लंड पूरी तरह अम्मी की चूत के अंदर ले जाने में कामयाब हो गया. अम्मी ने आँखें बंद कर लीं. अब राशिद ने उनकी चूत में घस्से मारने शुरू किये.
चुदवाते हुए अम्मी का मुँह हल्का सा खुला हुआ था और राशिद के घस्सों की वजह से उनका पूरा बदन हिल रहा था. मुझे अम्मी के भारी चूतड़ आगे पीछे होते नज़र आ रहे थे. हर घस्से के साथ राशिद की रानों का ऊपरी हिसा अम्मी के चूतड़ों से टकराता और उनके खूबसूरत बदन को एक झटका लगता. क़मीज़ के ऊपर से भी उनके मोटे मम्मे ज़ोर ज़ोर से हिलते हुए नज़र आ रहे थे. राशिद ने आगे से क़मीज़ के अंदर हाथ डाल कर अम्मी के बे-क़ाबू मम्मे पकड़ लिये और अपना लंड उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगा.
मुझे ना जाने क्यों उस वक़्त नज़ीर का ख़याल आया. मैंने अपना मोबाइल जेब से निकाला और अम्मी और राशिद की चुदाई करते हुए कई तस्वीरें ले लीं. राशिद सेक्स के मामले में नज़ीर की तरह तजरबे-कार नही था. वो चंद मिनिट के घस्सों के बाद ही बे-क़ाबू होने लगा. उस ने अम्मी की कमर को पकड़ लिया और उनकी चूत के अंदर ही खलास होने लगा. अम्मी ने अपने चूतड़ों को आहिस्ता आहिस्ता तीन चार दफ़ा गोलाई में हरकत दी और राशिद की सारी मनी अपनी चूत में ले ली.
जब राशिद पूरी तरह छूट गया और उस का लंड अम्मी की चूत से बाहर निकल आया तो उन्होने फ़रश से अपनी शलवार उठाई और बेड की चादर हटा कर फोम पर बैठ गईं. वो राशिद की मनी और अपनी चूत से निकालने वाले पानी का दाग बेडशीट पर नही लगाना चाहती थीं . राशिद ने अपनी पतलून अठाई और बाथरूम में घुस गया. मै खामोशी से उठा और ड्रॉयिंग रूम के रास्ते घर से बाहर निकल गया.
वहाँ से निकल कर में सड़कों पर आवारगार्दी करता रहा. एक बार फिर में शदीद जेहनी उलझन का शिकार था. इस दफ़ा तो मामला खाला अम्बरीन वाले वाकये से भी ज़ियादा संगीन था. अम्मी और राशिद के ता’अलुक़ात का ईलम होने के बाद मेरी समझ में नही आ रहा था के मुझे किया करना चाहिये. किया अबू से अम्मी की इस हरकत के बारे में बात करूँ? किया अम्मी को बता दूँ के मैंने उन्हे राशिद से चुदवाते हुए देख लिया है? किया खाला अम्बरीन के ईलम में लाऊं के उनका बेटा अपनी खाला यानी उनकी सग़ी बहन को चोद रहा है? किया राशिद का गिरेबां पकडूं के वो क्यों मेरी माँ को चोद रहा था? मेरे पास फिलहाल किसी सवाल का जवाब नही था.
मुझे अम्मी को राशिद के साथ देख कर दुख हुआ था बल्के सख़्त गुस्सा भी आया हुआ था. लेकिन इस से भी ज़ियादा में हसद की भड़कती हुई आग में जल रहा था. आख़िर राशिद में ऐसी किया बात थी के मेरी अम्मी जैसी हसीन और शानदार औरत ने जो उस की सग़ी खाला भी थी उससे अपनी चूत देने का फ़ैसला किया था? वो एक आम सा लड़का था जिस में कोई ख़ास बात नही थी. लेकिन इस के बावजूद वो किस अंदाज़ में अम्मी से गुफ्तगू कर रहा था? लग रहा था जैसे अम्मी पूरी तरह उस के कंट्रोल में हूँ. मै उनका बेटा होते हुए भी उन से बहुत ज़ियादा फ्री नही था. हम तीनो बहन भाई अब्बू से ज़ियादा अम्मी के गुस्से से घबराते थे. मगर राशिद का तो उनके साथ कोई और ही रिश्ता बन गया था और यही बात मेरी बर्दाश्त से बाहर थी.
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मेरी कोई बहुत क़ीमती चीज़ किसी ने छीन ली हो. आख़िर ये सब कुछ कैसे हुआ? अम्मी को राशिद में किया नज़र आया था? अम्मी और अबू के ता’अलुक़ात भी बहुत अच्छे थे. उनका आपस में कोई लड़ाई झगड़ा भी नही था और वो एक खुश-ओ-खुर्रम ज़िंदगी गुज़ार रहे थे. फिर अम्मी ने अपने भानजे के साथ जिस्मानी ता’अलुक़ात क्यों कायम किये? ये सब बातें सोच कर मेरा दिमाग फटने लगा. मै घर वापस आया लेकिन अम्मी पर ये ज़ाहिर नही होने दिया के में उनका राज़ जान चुका हूँ. मगर फिर चंद घंटों के अंदर ही मेरे ज़हन पर छा जाने वाली धुंध छंटने लगी और मैंने फ़ैसला कर लिया के मुझे इन हालात में किया करना है.
मैंने फ़ैसला किया था के मुझे खुद ही इन सारे मामलात को सुलझाना होगा. किसी को ये बताना के राशिद अम्मी की चूत मार रहा था पूरे खानदान के लिये तबाही का मंज़र बनता. अगर में राशिद से इंतिक़ाम लेता भी तो अम्मी ज़रूर उस की ज़द में आतीं और मुझे अपने तमाम तर गुस्से के बावजूद ये मंज़ूर नही था. मुझे अम्मी से बहुत पियार था और उनकी बद-किरदारी के बावजूद मेरे दिल में उनके लिये नफ़रत पैदा नही हो सकी थी. हाँ ये ज़रूर था के रद-ए-अमल के तौर पर अब में अम्मी की चूत मारना बिल्कुल जायज़ समझता था.
हैरत की बात ये थी के मुझे ऐसा सोचते हुए कोई एहसास-ए-गुनाह नही था. मैंने पहले भी ज़िक्र किया है के बाज़ हौलनाक वाकेयात इंसान को बहुत कम वक़्त में बहुत कुछ सीखा देते हैं. मेरे साथ तो 2 ऐसे वाकेयात हुए थे जिन्हो ने मुझे एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ इंसान बना दिया था. खाला अम्बरीन का नज़ीर के हाथों चुद जाना और और फिर राशिद का अम्मी की चूत लेना दोनो ने ही मेरी ज़िंदगी को बदल कर रख दिया था. इसी लिये शायद मुझे अब अम्मी की फुद्दी मारने में कोई बुराई नज़र नही आ रही थी. मेरी कमीनगी अपनी जगह लेकिन अम्मी को चोदने की इस खाहिश में हालात का सितम भी शामिल था. मामलात को संभालने के लिये ये बहुत ज़रूरी था के में कुछ ऐसा करूँ के राशिद और अम्मी का ता’अलूक़ हमेशा के लिये ख़तम हो जाए. इस का बेहतरीन तरीक़ा यही था के में अम्मी की ज़िंदगी में राशिद की जगह ले लूं. मुझे यक़ीन था के में ऐसा करने में कामयाब हो जाऊं गा.
ये बात तो साफ़ थी के राशिद अम्मी को चोद कर यक़ीनन उनकी कोई जिस्मानी ज़रूरत पूरी कर रहा और ये ज़रूरत ऐसी थी के अम्मी अपने शौहर के होते हुए अपने बेटे की उमर के भानजे से अपनी चूत मरवा रही थीं . उनकी ये ज़रूरत अब में पूरी करना चाहता था. मै फिर कहूँ गा के बिला-शुबा इस फ़ैसले में मेरे अपने ज़हन की कमीनगी भी शामिल थी क्योंके में बहरहाल अम्मी को चोदना चाहता था मगर ये भी तो सही था के उन्होने राशिद से चुदवा कर मेरे दिल से गुनाह के एहसास को मिटा दिया था. अगर वो राशिद से चूत मरवा सकती थीं तो मुझ से चुदवाते हुए उन्हे किया मसला हो सकता था? इस तरह राशिद भी उनकी ज़िंदगी से निकल जाता और में उन्हे चोद भी लेता.
मैंने ये भी सोच लिया था के अब मेरे लिये खाला अम्बरीन की चूत लेना भी ज़रूरी था. आख़िर राशिद हरामी ने भी तो मेरी अम्मी को चोदा था. फिर में उस की माँ को क्यों ना चोदता. खाला अम्बरीन को इस सारे मामले में लाये बगैर वैसे भी हालात ठीक नही हो सकते थे. वो ना-सिरफ़ राशिद को रोक सकती थीं बल्के इस बात को भी यक़ीनी बना सकती थीं के ये राज़ हमेशा राज़ ही रहे. लेकिन अम्मी को चोदना बाहर-सूरत एक मुश्किल काम था. मेरे मोबाइल में उनकी और राशिद की तस्वीरें मोजूद थीं मगर में उन्हे ब्लॅकमेल कर के उनकी चूत नही मारना चाहता था बल्के मेरी कोशिश थी के वो अपनी मर्ज़ी और खुशी से मुझे अपनी चूत लेने दें. इस के लिये ज़रूरी था के में उनके और ज़ियादा क़रीब होने की कोशिश करूँ.
मैंने उस दिन से अम्मी को बहलाना फुसलाना शुरू कर दिया. उनका बेटा होने की वजह से में उनके क़रीब तो पहले ही था मगर अब में उनके साथ और ज़ियादा वक़्त गुज़ारने लगा और घरैलू काम काज में उनकी भरपूर मदद करने लगा. मै उनके कहने पर फॉरन सोडा सुलफा ले आता और पहले की तरह मुँह नही बनाता था. मै हर रोज़ किसी ना किसी वजह से उनकी तारीफ करता जिससे सुन कर वो बहुत खुश होती थीं . पता नही उन्होने मेरे बदले हुए रवय्ये को महसूस किया या नही मगर चन्द हफ्तों के अंदर ही में उनके बे-हद क़रीब आ गया और वो हर बात मुझ से शेयर करने लगीं. फिर सालाना इम्तिहानात की वजह से स्कूल की छुट्टियाँ हो गईं और में ज़ियादा वक़्त घर में गुज़ारने लगा. शायद इसी लिये राशिद का हमारे घर आना जाना बिल्कुल ख़तम हो गया. मुझे बड़ी खुशी थी के कम-आज़-कम इन छुट्टियों में वो अम्मी को चोद नही सकता था.
एक दिन मेरे दोनो बहन भाई नाना जान के घर गए हुए थे और घर में सिरफ़ अम्मी और में ही थे. उस दिन हफ़्ता था और हर हफ्ते को हमारे घर कपड़े ढोने वाली मासी आती थी और अम्मी उस के साथ कपड़े धुलवाया करती थीं . दोपहर साढ़े तीन बजे के क़रीब अम्मी ने घर का सारा काम ख़तम किया और नहाने ढोने के लिये बेडरूम में चली गईं. मासी पहले ही जा चुकी थी. मै भी कुछ देर बाद उनके पीछे बेडरूम में आ गया. वो नहाने के बाद बड़ी निखरी निखरी लग रही थीं लेकिन उनके चेहरे पर थकान के आसार अब भी मोजूद थे. मैंने उन्हे कहा के वो बहुत ज़ियादा काम करती हैं और आराम बिल्कुल नही करतीं. मैंने उनकी तारीफ भी की के घर को संभालने में उनका कोई सांई नही. वो अपनी तारीफ सुन कर मुस्कुराईं और बोलीं के घर के काम काज में थकान तो हो ही जाती है लेकिन किया किया जाए घर तो संभालना तो पड़ता ही है.
उनके लंबे बाल अब भी हल्के गीले थे और उनका गोरा सेहतमंद बदन बड़ा शानदार लग रहा था. वो बिस्तर पर बैठ गईं. मैंने कहा के आज तो वो बहुत थकी होई लग रही हैं में उन्हे दबा देता हूँ. वो फॉरन मान गईं और कहा के उनकी कमर में बहुत दर्द है. इस में कोई नई बात नही थी क्योंके में बचपन से ही अम्मी को दबाया करता था. उन्होने अपना दुपट्टा उतारा और बेड पर उल्टी हो कर लेट गईं. लेट कर उन्होने अपने भारी चूतड़ों के ऊपर अपनी क़मीज़ को ठीक किया. क़मीज़ अपने तंदूरस्त बदन के नीचे से निकालने के लिये उन्होने अपने मोटे चूतड़ों को ऊपर उठाया और फिर हाथ पीछे ले जा कर उन्हे क़मीज़ के दामन से धक लिया. अम्मी के भारी चूतड़ों की हरकत ने मेरा खून गरमा दिया. यही वो वक़्त था जब मैंने सोचा के आज अम्मी को चोदने की कोशिश कर ही लानी चाहिये.
अम्मी के लेट जाने के बाद मैंने आहिस्ता आहिस्ता उनकी मज़बूत कमर को दबाना शुरू कर दिया. मेरे हाथों के नीचे अम्मी की कमर का गोश्त बड़ा गुन्दाज़ महसूस हो रहा था. मेरी हथेलियों ने अम्मी के सफ़ेद ब्रा के स्ट्रॅप्स को महसूस किया जो उनकी क़मीज़ में से झाँक रहा था. मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैंने अम्मी के गोल कंधों को दोनो हाथों में पकड़ लिया और उन्हे होले होले दबाने लगा. कंधों के थोड़ा ही नीचे उनके मोटे मोटे मम्मे उनके बदन के वज़न तले दबे हुए थे. मै अपनी उंगलियों को अम्मी के कंधों से कुछ नीचे ले गया और उनके मम्मों का ऊपरी नरम नरम हिस्सा मेरी उंगलियों से टकराया. उनको अब सरूर आने लगा था और वो आँखें बंद किये अपना बदन दबवा रही थीं . कमर से नीचे आते हुए मैंने बिल्कुल गैर महसूस अंदाज़ में अम्मी के चौड़े और मोटे चूतड़ों पर हाथ रख कर उन्हे दबाया और जल्दी से उनकी गोरी पिंदलियों की तरफ आ गया. मैंने पहली दफ़ा अम्मी की गांड़ को हाथ लगाया था. उनके चूतड़ों का लांस बड़ा अजीब और मदहोश कर देने वाला था. मेरे जिसम में सनसनाहट सी होने लगी. मुझे अपने लंड पर क़ाबू रखना मुश्किल हो गया.
मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को अम्मी की मोटी गांड़ के सुराख में उंगली देने से रोका. मैंने इस से पहले कभी अम्मी को दबाते हुए उनके चूतड़ों को हाथ नही लगाया था इस लिये मुझे डर था के कहीं वो बुरा ना मान जाएं मगर वो चुप चाप लेतीं रहीं और में इसी तरह उन्हे दबाता रहा. मेरा लंड अकड़ कर पठार बन चुका था. तीन चार दफ़ा अम्मी की गांड़ का इसी तरह लुत्फ़ लेने के बाद मैंने एक क़दम और आगे बढ़ने का इरादा किया. मै अपना हाथ उनकी बगल की तरफ ले गया और साइड से उनके एक मोटे ताज़े मम्मे को आहिस्ता से दबाया. पहले तो उन्होने किसी क़िसम का रिऐक्शन ज़ाहिर नही किया लेकिन जब मैंने दोबारा ज़रा बे-बाकी से उनके मम्मे को हाथ में लेने की कोशिश की तो वो एक दम सीधी हो कर बैठ गईं और बड़े गुस्से से बोलीं के ये तुम किया कर रहे हो शाकिर. तुम्हे शरम आनी चाहिये में तुम्हारी माँ हूँ. पहले तुम ने मेरी पीठ को टटोला और अब सीने को हाथ लगा रहे हो. उनका चेहरा गुस्से से लाल हो गया था.
अगरचे मुझे पहले ही तवक़ो थी के वो इस तरह का रद-ए-अमल ज़ाहिर करें गी और में जानता था के मुझे इस के बाद किया करना था लेकिन फिर भी उन्हे गुस्से में देख कर मेरा दिल लरज़ कर रह गया. मैंने कहा के मैंने कुछ गलत नही किया में तो आप को दबा रहा था. उन्होने जवाब दिया के में उनके सीने को टटोल रहा था जो बड़ी बे-शर्मी की बात है. ये कह कर वो गुस्से में बिस्तर से नीचे उतरने लगीं. अब मेरे पास इस के एलावा कोई चारा नही था के में उन्हे बता देता के में उनकी शरम-ओ-हया से बड़ी अच्छी तरह वाक़िफ़ हूँ. मैंने कहा के अम्मी जुब आप राशिद को अपनी चूत देती हैं उस वक़्त तो आप को कोई शरम महसूस नही होती मगर मैंने आप के मम्मे को ज़रा सा हाथ लगा लिया तो आप इतना शोर कर रही हैं. मेरे मुँह से इस क़िसम के जुमले सुन कर अम्मी जैसे सन्नाटे में आ गईं. उनका चेहरे के ता’औरात फॉरन बदल गए और मुँह खुला का खुला रह गया. बिस्तर से नीचे लटकी हुई उनकी टांगें लटकती ही रहीं और वो वहीं बैठी रह गईं.
मेरे इस ज़बरदस्त हमले ने उन्हे संभलने का मोक़ा नही दिया था. उनकी हालत देख कर मेरा खौफ अचानक बिल्कुल ख़तम हो गया. इस से पहले के वो कोई जवाब देतीं मैंने कहा के अम्मी मेहरबानी कर के अब झूठ ना बोलिये गा के आप का और राशिद का कोई ता’अलूक़ नही है क्योंके में अपनी आँखों से उसे आप को चोदते हुए देख चुका हूँ और मेरे पास इस का सबूत भी है. मैंने जल्दी से अपना मोबाइल निकाल कर उन्हे उनकी और राशिद की तस्वीरें दिखाईं.
तस्वीरें अगरचे दूर से ली गई थीं और थोड़ी धुंधली थीं मगर अम्मी और राशिद को साफ़ पहचाना जा सकता था. राशिद ने पीछे से अम्मी की चूत में अपना लंड डाला हुआ था और अम्मी बेड पर हाथ रखे नीचे झुकी हुई उस से अपनी चूत मरवा रही थीं . तस्वीरें देख कर अम्मी का चेहरा हल्दी की तरह ज़र्द हो गया और एक लम्हे में उनके चेहरे से सारा गुस्सा यक्सर गायब हो गया. अब उनकी आँखों में खौफ और खजालत के आसार थे. ऐसा महसूस होता था जैसे उन्होने कोई बड़ी खौफनाक बाला देख ली हो. उनकी आँखों से खौफ झलक रहा था.
उन्होने कुछ देर सर नीचे झुकाय रखा और फिर बोलीं के राशिद ने उन्हे बरगला कर उनके साथ ये सब किया है और वो अपनी हरकत पर बहुत शर्मिंदा हैं. वाक़ई उन से बहुत बड़ी गलती होई है. फिर अचानक ही उन्होने रोना शुरू कर दिया. मै जानता था के वो सफ़ेद झूठ बोल रही हैं. किसी औरत को उस की मर्ज़ी के बगैर नही चोदा जा सकता और अम्मी को तो मैंने अपनी आँखों से राशिद से चुदवाते हुए देखा था. वो जो कुछ कर रही थीं अपनी मर्ज़ी से और बड़ी खुशी से कर रही थीं . ये रोना धोना इस लिये था के उनका राज़ फ़ाश हो गया था.
में अम्मी के पास बेड पर बैठ गया और उनके बदन के गिर्द अपने बाज़ू डाल कर उन्हे अपनी तरफ खैंचा. उन्होने कोई मुज़ाहीमत तो नही की लेकिन और ज़ियादा शिद्दत से रोने लगीं. मै थोड़ा सा परेशां हुआ के अब किया करूँ. मैंने अम्मी से कहा के वो फिकर ना करें में उनके और राशिद के बारे में किसी से कुछ नही कहूँ गा. ये राज़ हमेशा हमेशा के लिये मेरे सीने में ही दफ़न रहे गा. ये सुनना था के अम्मी ने रोना बंद कर दिया और बड़ी हैरत से मेरी तरफ देखा. मैंने फिर कहा के अम्मी जो होना था वो हो चुका है. मै अपना मुँह बंद रखूं गा मगर आप ये वादा करें के आ’इन्दा कभी राशिद को अपने क़रीब नही आने दें गी. उन्होने जल्दी से जवाब दिया के बिल्कुल ऐसा ही होगा.
अगरचे अब अम्मी इस पोज़िशन में नही थीं के मेरी किसी बात को टाल सकतीं और में उन से हर क़िसम का मुतालबा कर सकता था मगर ना जाने क्यों मतलब की बात ज़बान पर लाते हुए अब भी में घबरा रहा था. बहरहाल मैंने दिल मज़बूत कर के अम्मी के गाल को चूम लिया. उन्होने मेरी गिरफ्त से निकालने की कोशिश नही की मगर बिल्कुल ना-महसूस तरीक़े से अपने बदन को सिमटा लिया. मैंने कहा के अम्मी में आप के साथ वोही कुछ करना चाहता हूँ जो राशिद कर रहा था मगर मे आप को आप की मर्ज़ी से चोदना चाहता हूँ. अगर आप को मुझ से चुदवाना क़बूल नही तो में आप को मजबूर नही करूँ गा बस मेरी यही दरखास्त होगी के राशिद कभी आप के क़रीब नज़र ना आए. मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं. उन्होने किसी क़िसम का रद-ए-अमल ज़ाहिर नही किया जो मेरे लिये हैरानगी का मंज़र था.
कुछ देर सोच में डूबे रहने के बाद अम्मी ने कहा के तुम कब इतने बड़े हो गए मुझे अंदाज़ा ही नही हो सका. वैसे में कई हफ्तों से तुम्हारे अंदर एक अजीब सी तब्दीली महसूस कर रही थी और मुझे शक था के तुम्हारी नज़रें बदली हुई हैं. ये बात भी मेरे लिये हैरान-कन थी के अम्मी को अंदाज़ा हो गया था के में उन्हे चोदने का खाहिसमंद था. मैंने पूछा के उन्हे कैसे इस बात का पता चला. उन्होने जवाब दिया के औरत को मर्द की आँख का फॉरन पता चल जाता है चाहे वो मर्द उस का बेटा ही क्यों ना हो. मैंने उन्हे अपनी गिरफ्त से आज़ाद किया और कहा के अब इन बातों को छोड़ें और मुझे ये बताईं के किया आप मुझे चूत दें गी. अम्मी अब काफ़ी हद तक संभाल चुकी थीं . उन्होने कहा के शाकिर तुम जो करना चाहते हो उस के बाद मेरा और तुम्हारा रिश्ता हमेशा के लिये बदल जाए गा. इस लिये अच्छी तरह सोच लो.
मैंने जवाब दिया के अम्मी आप राशिद से भी चुदवा रही थीं आप का और उस का रिश्ता तो नही बदला. वो जब भी यहाँ आता था तो आप दोनो को देख कर कोई ये नही कह सकता था के आप का भांजा आप को चोद रहा है फिर भला हुमारा रिश्ता कैसे बदल जाए गा. मै आप की चूत ले कर भी हमेशा आप का बेटा रहूं गा. मेरे और आप के जिस्मानी रिश्ते के बारे में किसी को कभी कुछ पता नही चले गा. सब कुछ वैसा ही रहे गा जैसा था. उनके पास इस दलील का जवाब नही था.
वो कुछ देर और सोचती रहीं फिर ठंडी साँस ले कर बोलीं के शाकिर हम बहुत बड़ा गुनाह करने जा रहे हैं मगर लगता है मेरे पास तुम्हारी खाहिश को पूरा करने के एलवा कोई चारा नही. मेरे दिल में फुलझर्रियाँ छूटनें लगीं. मैंने अपना एक हाथ आगे कर के अम्मी का एक मोटा मम्मा पकड़ लिया. उन्होने सर मोड़ कर मेरी तरफ देखा और कहा के अभी तो मेरी जेहनी हालत बहुत खराब है किया तुम कल तक सबर नही कर सकते. मैंने कहा के कल छोटे भाई बहन यहाँ हूँगे क्योंके स्कूल बंद हैं. अम्मी ने जवाब दिया के उन्हे दोबारा नाना के घर भेज दें गी वैसे भी वो वहाँ जाने की हमेशा ज़िद करते हैं.
मैंने कहा ठीक है मगर अम्मी ये तो बताएं के आख़िर आप राशिद से चुदवाने पर क्यों राज़ी हुईं? किया अब्बू आप की जिस्मानी ज़रूरियात पूरी नही करते? अम्मी मेरे सावालात सुन कर थोड़ी परेशां हो गईं. फिर कहने लगीं के शाकिर ये बातें कोई माँ अपने बेटे से नही करती मगर में तुम्हे बता ही देती हूँ के सेक्स मर्दों की तरह औरतों की ज़रूरत भी होती है. पिछले कई सालों से तुम्हारे अब्बू ने मुझ में दिलचस्पी लेना बहुत कम कर दी है. इस लिये मैंने राशिद के साथ इतना बुरा काम कर लिया जो मुझे नही करना चाहिये था. पहल उस की तरफ से हुई थी और मुझे उसी वक़्त उससे रोक देना चाहिये था. वो वाज़ेह तौर पर शर्मिंदा नज़र आ रही थीं और इस गुफ्तगू से दामन बचाना चाहती थीं . मैंने भी उन्हे मज़ीद परेशां करना मुनासिब नही समझा और चुप हो रहा. अम्मी कुछ देर बाद उठ कर बेडरूम से बाहर चली गईं. मै बे-सबरी से अगले दिन का इंतिज़ार करने लगा.
में अम्मी के कहने पर उस वक़्त तो खामोश हो गया लेकिन अगले दिन तक सबर करना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था. मै वक़्त ज़ाया किये बगैर फॉरी तौर पर अम्मी की चूत मारना चाहता था. हर गुज़रते मिनिट के साथ मेरी ये खाहिश बढ़ती ही जा रही थी. शाम को मेरे भाई बहन घर वापस आ गए. मोक़ा मिला तो मैंने अलहड़गी में अम्मी से कहा के अगर वो रात को मेरे कमरे में आ जाएं तो में वहाँ उन्हे चोद लूं गा. मेरे कमरे मे किसी तो किसी के भी आने का कोई इंकान नही है.
अम्मी और मेरे दोनो छोटे बहन भाई एक कमरे में सोते थे जबके उन के बिल्कुल साथ वाला कमरा मेरा था. अबू घर की ऊपर वाली मंज़िल में एक अलहदा बेडरूम में सोया करते थे. रात के पिछले पहर सब के सो जाने के बाद अम्मी खामोशी से मेरे कमरे में आ सकती थीं और में उन्हे आराम से चोद सकता था. किसी को कानो कान खबर ना होती.
मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं और फिर बोलीं के ठीक है में तुम से बाद में बात करती हूँ. अबू क़रीबन 10 या 10 ½ बजे सो जाया करते थे क्योंके उन्हे अगली सुबह 8 बजे दफ़्तर पुहँचना होता था. उस रात भी वो 10 बजे के क़रीब अपने कमरे में चले गए. उनके जाने के बाद अम्मी ने आहिस्ता से मेरे कान में कहा के वो रात 12 बजे के बाद मेरे कमरे में आएँगी. दोनो बहन भाई भी कोई आध घंटे तक सो गए और में अपने कमरे में चला आया.
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