RE: छिनाल की औलाद
पापा- रानी मेरी जान.. एक बहुत जरूरी बात बताना भूल गया, शाम को तेरे भाई आएँ.. तो उन्हें ज़रा भी शक ना हो कि हमने रात क्या किया है और तुमने मुझे उनके बारे में कुछ भी नहीं बताया ओके!
रानी- लेकिन पापा अगर उन्होंने दोबारा मेरे साथ करने की कोशिश की तो?
पापा- देख तू मना करेगी तो वो तुझे मारेंगे और मैं नहीं चाहता कि तेरे जिस्म पर ज़रा भी खरोंच आए और वो भी जवान हो गए हैं उनका भी लौड़ा फड़फड़ाता होगा, तुझे क्या है उनसे भी मरवा लेना.. कौन सी तू उनकी सग़ी बहन है.. अब तो तू एक्सपर्ट हो गई है दोनों को झेल लेगी…
पापा की बात सुन कर मुझे थोड़ा दु:ख हुआ कि वो खुद तो मुझे अपनी बीवी बना चुके और अब अपने बेटों की भी रखैल बना रहे हैं।
रानी- आप जो ठीक समझो.. मगर उन्होंने मेरी चूत में लौड़ा डाला तो उनको पता चल जाएगा कि मेरी सील टूट चुकी है, तब मैं उनको क्या जवाब दूँगी?
पापा- अरे पागल, वो दोनों एक साथ तो तुझे चोदेंगे नहीं, जो भी पहले चूत में लौड़ा डाले.. उसको दूसरे का नाम बता देना कि उसने सील तोड़ी है.. समझी…
पापा की बात मुझे अच्छे से समझ में आ गई थी।
अब मुझे किसी किस्म का डर नहीं था.. सच ही कहा है किसी ने.. छोटी सी चूत बड़े से बड़े आदमी को कुत्ता बना देती है, अब ये तीनों बाप बेटे मेरे गुलाम बनने वाले थे।
पापा के जाने के बाद मैंने घर की साफ-सफ़ाई की, मेरा पूरा बदन दर्द से दु:ख रहा था मगर ना जाने कहाँ से मुझमें इतनी ताक़त आ गई थी कि मैं फटाफट सारा काम कर रही थी।
दोपहर का खाना तो बनाना नहीं था, सो मैं सारा काम निपटा कर सो गई।
लगभग 5.30 बजे तक सुकून की नींद लेने के बाद मेरी आँख खुली, तभी अजय आ गया और मुझे देख कर मुस्कुराने लगा।
रानी- क्या हुआ क्यों मुस्कुरा रहे हो?
अजय- कुछ नहीं देख रहा हू तेरी अकड़ अभी निकली नहीं.. तुझे दोबारा डोज देना पड़ेगा।
मैं कुछ नहीं बोली और मुँह-हाथ धोकर रसोई में खाना बनाने चली गई।
अजय भी पजामा पहन कर मेरे पीछे आ गया।
मैंने सफ़ेद टॉप और पीला स्कर्ट पहना हुआ था, यह मुझे पड़ोस की मिश्रा आंटी ने दिया था, जो मेरे लिए भी छोटा ही था।
मैं कभी ऐसे कपड़े नहीं पहनती, मगर अब तो ऐसे ही कपड़े इन तीनों को काबू करने के काम आएँगे।
अजय- आज तो बड़ी क़यामत लग रही हो.. क्या इरादा है?
मैंने उसकी बात का कोई जबाव नहीं दिया और अपने काम में लगी रही।
अजय ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और मेरी जाँघों पर हाथ घुमाने लगा।
मुझे अच्छा लग रहा था मगर मैंने ना चाहते हुए भी पीछे मुड़ कर उसको धक्का दे दिया।
रानी- शर्म करो.. मैं तुम्हारी बहन हूँ.. कल भी तुमने मेरी गाण्ड मार ली.. मैंने पापा से कुछ नहीं कहा। अब अगर तुमने कुछ किया ना, तो पापा को बता दूँगी।
अजय- अबे चल.. साली राण्ड.. पापा तेरी बात कभी नहीं सुनेंगे, कल की बात भूल गई क्या? विजय ने कैसे तुझे ठोका था.. चल नाटक मत कर चुपचाप कमरे में आजा, मेरा बहुत मन कर रहा है तेरी गाण्ड मारने का.. तू अगर चुपचाप आ जाएगी ना.. तो कल तुझे पक्का एक प्यारा सा गिफ्ट लाकर दूँगा और आज के बाद तुझे कभी परेशान नहीं करूँगा।
मुझे तो इसी मौके का इन्तजार था, मगर ऐसे सीधे ‘हाँ’ बोल देती तो गड़बड़ हो जाती। पापा ने रात भर चोद कर मुझे ऐसी रंडी बना दिया था कि आइडिया अपने आप मेरे दिमाग़ में आ गया।
रानी- ठीक है भाई.. मगर आप इस बारे में विजय से कुछ नहीं कहोगे और आराम से करोगे.. कल ही तुमने मेरी जान निकाल दी थी.. तुम्हारा बहुत मोटा है।
मेरी बात सुनकर अजय के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई उसकी पैन्ट में तंबू बन गया।
अजय- अरे नहीं मेरी रानी.. मैं भला विजय को क्यों बोलूँगा, इसमे मेरा ही नुकसान है और आज बड़े प्यार से तेरी गाण्ड मारूँगा.. ज़रा भी दर्द नहीं होने दूँगा.. बस तू आ जा कमरे में.. कसम से लौड़े में बहुत दर्द हो रहा है, मेरी तमन्ना पूरी कर दे.. मैं तुझे सच्ची की रानी बना कर रखूँगा।
मैं मन ही मन सोच रही थी कि कितने हरामी है मेरे भाई और बाप.. साले कुत्ते सब मुझे चोदने के लिए कैसे मेरे आगे गिड़गिड़ा रहे हैं।
मैं उसके पीछे-पीछे कमरे में गई, वो बिस्तर पर बैठा अपने लौड़े को पैन्ट के ऊपर से मसल रहा था। मुझे देख कर उसने मुझे आँख मारी, बदले में मैंने भी एक कामुक मुस्कान दे दी।
अजय- आजा मेरी रानी अब बर्दाश्त नहीं होता.. आज तो मैं घोड़ी बना कर तेरी गाण्ड मारूँगा।
रानी- पहले कपड़े तो निकाल दो.. क्या ऐसे ही मारोगे?
मेरी बात सुनकर अजय खुश हो गया और जल्दी से अपने कपड़े निकाल कर फेंक दिए, उसका लंड मुझे सलामी दे रहा था।
कल तो मैंने ठीक से नहीं देखा था मगर आज उसका गोरा लौड़ा मुझे अच्छा लग रहा था।
मैं उसके पास जाकर खड़ी हो गई और एक-एक करके अपने कपड़े निकालने लगी.
मुझे ऐसे कपड़े निकालते देख कर अजय की तो हालत खराब हो गई क्योंकि मेरा अंदाज थोड़ा मादक था।
अजय- वाह.. क्या मस्त फिगर है तेरा.. मज़ा आएगा आज तो आजा रानी.. देख मेरा लौड़ा कैसे तेरे इन्तजार में फुंफकार रहा है।
इतना कहकर अजय मुझ पर टूट पड़ा.. मेरे मम्मों को दबाने लगा.. चूसने लगा।
मैं उसको धक्का मार रही थी मगर वो चिपका जा रहा था आख़िर मैंने उसे अपने आप से दूर किया।
रानी- ऐसे नहीं भाई.. पहले अपनी आँखें बन्द करो.. उसके बाद मैं आपके पास आऊँगी।
अजय ने झट से मेरी बात ली और आँखें बन्द करके बिस्तर पर लेट गया। मैं बिस्तर पर चढ़ गई और उसके लौड़े को हाथ से सहलाने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसको मुँह में भर लिया और चूसने लगी। अजय ने झट से आँखें खोल दीं और मुझे देखने लगा।
अजय- अरे वाह साली… तू तो एक ही दिन में इतना बदल गई.. लौड़ा भी चूसने लगी.. आहह मज़ा आ गया उफ़.. साली काट मत.. चूस रानी.. .. मज़ा आ रहा है…
करीब 5 मिनट की ज़बरदस्त चुसाई के बाद मेरी चूत में भी खुजली होने लगी.. मगर मैंने अपने आप पर काबू किया।
अजय- आह आहह.. उफफफ्फ़ साली बस भी कर.. पानी मुँह से ही निकलेगी क्या.. चल अब घोड़ी बन जा.. तेरी गाण्ड मारने की मेरी बहुत इच्छा हो रही है।
मैंने लंड मुँह से निकाल दिया और घोड़ी बन गई, अजय मेरे पीछे आ गया उसने मेरी गाण्ड पर हाथ घुमाया और गाण्ड की तारीफ की, उसके बाद उसने लंड को मेरी गाण्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से धक्का मारा.. पूरा लौड़ा आराम से गाण्ड में घुस गया, मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।
अजय- आहह तेरी गाण्ड में जाकर लंड को कितना सुकून मिला है.. अब ले रानी मेरे झटके संभाल.. आह.. उहह ले आहह…
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था उसके धक्कों से मेरी चूत की आग बढ़ने लगी थी मगर वो कच्चा खिलाड़ी था।
अचानक उसने रफ्तार बढ़ा दी और 2 ही मिनट में उसके लौड़े ने रस छोड़ दिया।
अब वो निढाल सा होकर मेरे पास लेट गया। मेरी चूत की आग चरम पर थी.. मैंने जल्दी से अपनी ऊँगली डाल कर चूत को ठंडा करना चाहा, मगर ऐसा करना ठीक नहीं था वरना अजय को शक हो जाता।
मैं उसके पास ही लेट गई और उसकी नजरों से बचा कर एक हाथ से चूत को रगड़ने लगी।
अजय- उफ़ साली.. क्या हो गया तुझे.. कल तो रो-रो कर बुरा हाल था और आज ऐसे चुदी.. जैसे कई सालों की प्यासी हो.. जान तेरी चूत की सील तोड़ने दे ना.. प्लीज़ तू जैसा कहेगी मैं वैसा ही करूँगा.. प्लीज़ बस एक बार दर्द होगा.. उसके बाद तुझे बड़ा मज़ा आएगा प्लीज़…
रानी- नहीं भाई.. आज नहीं कल पक्का.. अभी पापा आने वाले होंगे.. अच्छा विजय कहाँ है? आया नहीं अभी तक?
‘वो आता ही होगा.. अच्छा तेरी चूत को चुम्मी तो करने दे अभी.. प्लीज़ अब मना नहीं करना..’
उसकी बात सुनकर मेरी तो मन की मुराद पूरी हो गई, चूत तो वैसे ही जल रही थी, मैंने झट से ‘हाँ’ कर दी और अपनी टाँगें फैला लीं।
अजय- वाह.. क्या मस्त गुलाबी चूत है तेरी.. मगर ये ऐसे सूजी हुई क्यों है.. क्या हुआ?
उसकी बात सुनकर मैं भी असमंजस में पड़ गई कि अब क्या जवाब दूँ।
अब दोस्तो, माना कि पापा ने मुझे रात भर चोदा और कई बातें भी सिखाईं मगर ऐसी नौबत भी आएगी, यह हमने सोचा ही नहीं था। मैंने पापा की वही बात बोल दी।
रानी- भाई इतने भी अंजान मत बनो कल विजय ने गाण्ड के साथ-साथ मेरी चूत में भी लौड़ा घुसाया था इसी कारण ये ऐसी हो गई।
अजय- क्या.. मगर मैंने तो नहीं देखा.. मैं वहीं खड़ा छुप कर देख रहा था.. उसने चूत कहाँ मारी थी।
अब तो मेरी मुश्किल और बढ़ गई थी.. क्या जबाव देती उसे? मेरे चेहरे का रंग उड़ गया था चूत की सारी आग ठंडी पड़ गई थी।
अब तो कैसे भी करके मैं अजय को वहाँ से भगाना चाहती थी।
रानी- वो व्व वो.. विजय भाई गुस्से में लौड़े को ज़ोर ज़ोर से अन्दर-बाहर कर रहे थे तो अचानक लौड़ा गाण्ड से निकल कर चूत में घुस गया था, उस वक्त मैं ज़ोर से चीखी भी थी.. याद है ना..? बस उसी वक्त चूत की सील टूट गई थी।
सॉरी दोस्तो.. मुझे पता है, यह बात मुमकिन नहीं है, मगर उस वक़्त मैं भी चुदाई के मामले में नई ही थी.. तो जो मुँह में आया.. सो बोल दिया और अजय कौन सा पक्का चोदू था.. वो हरामी भी नया ही चोदू था तो उसको कहाँ समझ में आया ये सब.. उसने मेरी बात झट से मान ली।
अजय- ओह्ह.. तो ये बात है.. ‘हाँ’.. तुम एक बार ज़ोर से चीखी थी’.. भाई भी ना.. उनको पता ही नहीं चला कि लौड़ा कहाँ जा रहा है.. बस दे दनादन चोद रहे थे। अगर कुछ हो जाता तो? उनको पता भी नहीं चला और तुम्हारी सील टूट गई.. चलो अच्छा ही है अब मुझे किसी बात का डर नहीं है। कल आराम से तुम्हारी चूत के मज़े लूँगा.. अच्छा अब जल्दी से कपड़े पहन लो वरना कोई आ गया तो तेरी शामत आ जाएगी.. कल तेरे लिए एक नई ड्रेस लेकर आऊँगा.. अच्छा सा ओके…
इतना बोलकर वो कड़े पहनने लगा।
मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े पहने और उसको एक पप्पी कर के अपने काम में लग गई।
करीब 7 बजे पापा और विजय साथ में ही घर आए।
पापा के हाथ में कोई पैकेट था.. विजय भाई मेरी तरफ घूर कर देख रहे थे क्योंकि आज से पहले उन्होंने भी मुझे ऐसे कपड़ों में नहीं देखा था।
पापा- अरे वाहह.. क्या बात है रानी.. आज तो बड़े अच्छे कपड़े पहने हैं।
विजय- पापा आप भी ना.. इसने बेढंगे कपड़े पहने हैं और आप इसकी तारीफ कर रहे हो..
पापा- अरे बेटा कौन सा हम इसको कपड़े लाकर देते हैं? आस-पड़ोस से माँग कर पहनती है। अब कोई सलवार सूट देता है तो कोई ऐसे कपड़े दे देता है.. हमको क्या लेना-देना.. ओए रानी की बच्ची.. खाना बनाया कि नहीं.. वरना आज तेरी खैर नहीं..
रानी- ज.. जी.. पापा खाना तैयार है.. आप हाथ-मुँह धो लो अभी लगा देती हूँ।
‘मुझे अभी भूख नहीं है.. बाद में खा लूँगा..’ इतना कहकर विजय अपने कमरे में चला गया।
उधर अजय भी अपने कमरे में आराम कर रहा था। खाना खाने के वक्त तो कुछ खास नहीं हुआ।
रात को करीब दस बजे तक अजय और विजय ने भी खाना खा लिया और अपने-अपने कमरों में चले गए।
पापा- अरे ओ रानी की बच्ची.. कहाँ मर गई.. इधर आ साली.. मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है.. जल्दी आ कुतिया..
दोस्तों पापा ने ज़ोर से मुझे आवाज दी ताकि दोनों भाइयों को किसी तरह का शक ना हो.. मैं चुपचाप पापा के कमरे में गई, पापा मुझे देख कर मुस्कुराए।
पापा- आजा मेरी जान तेरे इन्तजार में लौड़ा मेरी पैन्ट फाड़ रहा है.. साली आज बड़ी क़यामत लग रही है.. ऐसे कपड़े पहनेगी तो मेरा क्या मेरे दोनों बेटों का भी सत्यानाश कर देगी तू.. चल आ जा.. ये ले आज ये पहन कर आ।
पापा ने मुझे वो पैकेट दिया जिसमे गुलाबी रंग की एक सेक्सी नाइटी थी और उसके साथ एक वीट की ट्यूब थी, जिससे मेरी झांटों के बाल साफ़ किए जाते हैं।
पापा- मेरी जान जल्दी से गुसलखाने में जाकर अपने सारे बाल साफ करके ये नाइटी पहन कर आजा… तब तक मैं भी दो-चार पैग लगा लेता हूँ।
दोस्तों मैंने कभी ऐसी क्रीम इस्तेमाल नहीं की थी तो मुझे कुछ समझ नहीं आया।
रानी- पापा मुझे नहीं आता.. आप ही साफ कर दो ना प्लीज़…
पापा- ओह्ह.. चल आज तुझे सिखाता हूँ कि बाल कैसे उतारते हैं.. चल इसी बहाने मेरे लौड़े को भी चिकना कर लूँगा।
हम दोनों नंगे होकर बाथरूम में घुस गए। पापा ने मेरी चूत और हाथ-पाँव पर वीट लगा दी और खुद एक रेजर से अपने बाल उतारने लगे।
दोस्तो, वीट लगाते हुए पापा ने मेरी चूत को ऐसा रगड़ा की बस क्या बताऊँ.. शाम को अजय ने मुझे अधूरा छोड़ दिया था.. अब वो आग वापस जल उठी थी।
करीब 15 मिनट में सारे बाल साफ करके हम नहा कर कमरे में आ गए। हमने एक-दूसरे को साफ किया और पापा नंगे ही बैठ कर पैग बनाने लगे।
पापा- क्यों रानी आज तेरा भी पैग बना दूँ.. बड़ा मज़ा आएगा और सुना आज कुछ हुआ क्या? अजय पहले आ गया था ना.. उसने तुझे चोदा कि नहीं?
रानी- नहीं पापा.. ये आप ही पियो.. मुझे तो आपके लौड़े का रस अच्छा लगता है.. बस उसी को पीऊँगी।
मैंने अजय के साथ की सारी बात पापा को बता दी।
पापा- हा हा हा बेचारा अजय.. बहुत बुरा हुआ उसके साथ तो.. साली रंडी तुझे क्या जरूरत है एक ही दिन में उसके लौड़े को चूसने की.. चुपचाप चुद गई होती और क्या चूतिया बनाया बेचारे को।
मैंने बिना कुछ बोले पापा के लौड़े को मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
पापा- अरे जान ऐसे ही शुरू हो गई.. वो नाइटी पहन कर तो आ.. जरा देखने तो दे.. कैसी लगती है तू?
रानी- पापा मेरी चूत पानी-पानी हो रही है आपको नाइटी की पड़ी है। वैसे भी उसे पहन कर उतारना ही तो है और आप भी गर्म हो.. ऐसा करूँगी जब दोनों भाई घर पर नहीं होंगे, तब उसको पहन कर आप को रिझाऊँगी ताकि कभी दिन में भी आप मुझे छोड़ कर ना जा पाओ और मुझे चोदने को बेकरार हो जाओ।
पापा- हाँ.. ये सही कहा.. कभी मेरा मूड नहीं होगा उस दिन उस नाइटी में तुझे देख कर मूड अपने आप बन जाएगा.. चल अब मुझे पीने दे और तू भी अपने काम पर लग जा।
दस मिनट में पापा ने 3 पैग पी लिए और तब तक मैंने उनके लौड़े को चूस कर एकदम लोहे जैसा बना दिया। अब पापा को बर्दाश्त नहीं हुआ तो उन्होंने बिना मुझे चूमे-चाटे बस सीधा बिस्तर पर लिटा कर लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया।
दोस्तो, कल तो दर्द के मारे मेरी जान निकल रही थी मगर आज जो मज़ा आ रहा था। मैं क्या बताऊँ पापा ने आसन बदल-बदल कर मुझे मुझे 40 मिनट तक चोदा, मेरा दो बार पानी निकल गया था।
पापा ने अपना सारा पानी मेरी चूत में भर दिया और हाँफने लगे।
पापा- उफ़फ्फ़ लौड़े में दर्द होने लगा, क्या मस्त कसी चूत है तेरी.. साली एक ही दिन में ऐसी पक्की राण्ड बन गई है कैसे मेरे लौड़े पर उछल कर मज़े ले रही थी।
रानी- पापा ये सब आपका कमाल है.. कमसिन कली को एक ही दिन में तीन-तीन हरामी चोदेंगे तो वो बेचारी राण्ड ही बनेगी।
पापा- साली हरामखोर गाली देती है.. रंडी मैंने तेरी लाइफ बना दी.. कुत्तों से बदतर जिंदगी जी रही थी.. अब मज़े करेगी।
रानी- सॉरी पापा.. आपको बुरा लगा तो मगर आपने ही कहा था गाली देने से चुदाई में मजा बढ़ता है.. अच्छा अबकी बार कैसे चोदेंगे मुझे?
पापा- अरे रानी चोदने के वक्त गाली देने से मजा बढ़ता है.. ऐसे क्या फायदा और अभी के लिए इतना काफ़ी है.. वरना दोनों को शक हो जाएगा.. जा अपने कमरे में चली जा.. विजय आता ही होगा.. उसकी नज़रें साफ बता रही थीं कि वो तुझे आज कच्चा खा जाएगा।
रानी- सच्ची विजय आएगा… कसम से कल कुत्ते ने बड़ी बेदर्दी से मेरी गाण्ड मारी थी.. आज अगर आ गया तो रात भर जाने नहीं दूँगी.. बोलूँगी चोद बहन के लौड़े.. आज जितना दम है निकाल ले साला हरामी बड़ा अकड़ता है।
पापा- अरे आएगा कैसे नहीं.. मेरा खून है उसकी नज़र को बहुत अच्छे से पहचानता हूँ.. जा अब देर मत कर…
मैं झट से गुसलखाने में गई.. अपनी चूत को अच्छे से साफ किया। बाहर आकर अपने कपड़े पहने और सीधी अपने कमरे में चली गई।
वहाँ विजय पहले से ही बैठा मेरा इन्तजार कर रहा था। उसको देख कर मैं सन्न रह गई।
विजय- आओ रानी.. मैं तेरा ही इन्तजार कर रहा था.. कहाँ थी अब तक हाँ?
रानी- व व.. वो वो.. पापा के सर में दर्द था.. इसलिए उनका सर दबा रही थी।
विजय- चुप साली छिनाल.. बहुत झूट बोलती है… मैंने दरवाजे के पास खड़े होकर सब कुछ देखा है… साली रंडी तुझे शर्म नहीं आई पापा से चुदवाते हुए?
दोस्तो, उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया, ना जाने कितने सालों से मैं घुट-घुट कर जी रही थी.. मगर इन दो दिनों की चुदाई ने मुझे निडर बना दिया था। वो कहते है ना औरत को नंगी कर दो, तो उसके बाद उसकी शर्म के साथ-साथ उसकी ज़ुबान भी खुल जाती है।
रानी- अबे ओ बहनचोद.. किसको तेवर दिखा रहा है हरामजादे कल तूने मुझे चोदा.. तब तुझे शर्म नहीं आई कि मैं तेरी बहन हूँ और वो कुत्ता अजय उसने मुझे चोदना चाहा.. उसकी बातों में आकर तूने मेरी गाण्ड मारी.. तेरे जाने के बाद उस कुत्ते ने मेरी गाण्ड मारी…
मैंने तेरे हरामी बाप को बताया तो उसने तुमको कुछ कहने की बजाए मेरी चूत को फाड़ दिया… हाँ साले.. शर्म उसको नहीं आई अपनी बेटी के साथ चुदाई करते हुए।
उसके बाद आज फिर उस कुत्ते अजय ने मुझे चोदा… अभी तेरे बाप के पास मैं नहीं गई थी.. उस हरामी ने मुझे बुलाया था चोदने के लिए समझे…
विजय- साली छिनाल.. बहुत ज़ुबान चल रही है तेरी… काट कर फेंक दूँगा।
रानी- बस ज़्यादा तेवर मत दिखाओ… मैं जानती हूँ तू यहाँ क्यों आया है। अब चुपचाप अपना काम कर और चलता बन मुझे नींद आ रही है।
विजय- क.. कौन सा काम?
रानी- इतना भी पागल मत बन.. आधी रात को तू मेरे कमरे में क्या माँ चुदाने आया है… साला बहनचोद.. मुझे चोदने आया है ना.. तो क्यों बेकार में वक्त खराब कर रहा है.. चल निकल अपने कपड़े.. आज तुझे असली मज़ा देती हूँ। तेरे हरामी बाप ने कल से लेकर आज तक मुझे इतना बेशर्म बना दिया है कि एक रंडी भी अपने ग्राहक को इतना मज़ा नहीं देती होगी जितना मैं तुझे आज दूँगी।
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