Bhoot bangla-भूत बंगला
06-29-2017, 11:17 AM,
#28
RE: Bhoot bangla-भूत बंगला
अगर देखा जाए तो ये एक बहुत ही अजीब बात है. मर्द दुनिया की ज़्यादातर औरतों को हवस की नज़र से देखता है और यही सोचता है के ये नंगी कैसी लगती होगी. उसके लिए एक औरत का जिस्म किसी अम्यूज़्मेंट पार्क से ज़्यादा नही होता. पर वो औरत जिसको वो चाहता है, जिसको वो अपना दिल देता है, उस औरत का जिस्म उसके लिए एक मंदिर बन जाता है. उस औरत की खुशी में उसकी खुद की खुशी हो जाती है और जब वो रोटी है तो साथ साथ मर्द की आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं. फिर चाहे वो बाहर खुद कितनी भी लड़कियों को देखकर सीटी मारे पर अगर उस लड़की को जिससे वो प्यार करता है कोई और छेड़ दे तो सर पर खून सवार हो जाता है.

"वेल" वो मेरे लिए एक कप में चाय डालते हुए अपने वही ऑस्ट्रेलियन आक्सेंट में बोली "हॅव यू बिन एबल तो फाइंड आउट एनितिंग?"
"ए ग्रेट डील लाइक्ली टू बी ऑफ सर्विस टू उस. आंड यू?" मैने जवाब दिया.

"आइ" उसने सॅटिस्फाइड टोन में जवाब दिया " आइ हॅव डिसकवर्ड दट दा डॅगर विथ दा रिब्बन ईज़ गॉन फ्रॉम दा लाइब्ररी ऑफ माइ हाउस इन मुंबई"
"अन्य आइडिया हू टुक इट अवे?" मैने पुचछा

"ये तो मैं नही जानती" उसने सीरीयस होते हुए कहा "कोशिश की थी मैने पता करने की बट आइ कॉयुल्ड्न्ट फाइंड आउट, ऑल्दो आइ आस्क्ड ऑल दा सर्वेंट्स; पर वो खंजर तो कई महीनो से गायब था"
"आपको लगता है के भूमिका ने लिया होगा?" मैने पुचछा

"कह नही सकती" रश्मि ने कहा "पर एक बात पता चली है मुझे. खून की रात भूमिका घर में तो क्या, मुंबई में ही नही थी"
"अच्छा?" मैने चौंकते हुए कहा "पर इनस्पेक्टर मिश्रा से तो उसने कहा था के जिस रोज़ खून हुआ, उस दिन वो मुंबई में थी"

"सही कहा था उसने" रश्मि ने कहा "उस दिन वो मुंबई में थी पर उस रात नही. मुंबई से रात 8 बजे की फ्लाइट से वो यहाँ आई थी और अगले दिन सुबह ही वापिस मुंबई चली गयी थी"

ये एक बहुत सीरीयस बात थी जो सीधा भूमिका सोनी की खिलाफ जाती थी. वो खून की रात इसी शहेर में थी और मुझे पक्का यकीन था के उसने ये बात मिश्रा को नही बताई थी. सबसे ज़्यादा जो बात उसको शक के घेरे में डालती थी वो ये थी के वो सिर्फ़ एक रात के लिए इस शहेर में आई थी और अगले दिन सुबह ही वापिस चली गयी थी. जितना वक़्त वो यहाँ रही थी, उसी बीच में उसके पति का खून हुआ था.

खून की रात मैं भी बंगलो 13 में गया था और मैने एक औरत और आदमी की परच्छाई को घर में देखा था. ये बात साबित हो चुकी थी के भूमिका उस रात शहेर में ही थी और जो रुमाल मुझे मिला था वो हैदर रहमान की तरफ इशारा करता था. मैने जेब से रुमाल निकालकर रश्मि को दिखाया.

"ये तो उस हैदर का है" बिना रुमाल पर इनिशियल्स एच.आर. देखे वो फ़ौरन बोल पड़ी "वो एकदम इस तरह के रुमाल ही रखता है"
"ये मुझे बंगलो 13 में पड़ा मिला था" मैने कहा.

"तो साबित हो गया फिर. मेरे घर से खंजर गायब है जिसका रिब्बन हमें बंगलो में मिला. भूमिका उस रात शहेर में थी और हैदर का रुमाल भी हमें बंगलो से मिला जो इस बात को साबित करता है के वो घर में गया था जबकि मेरे डॅड से उसका मिलना जुलना बिल्कुल नही था. वो नफ़रत करते थे उससे तो हैदर वहाँ क्या करने गया था? और सबसे ज़रूरी बात ये है इशान के उस रात तुमने 2 लोगों को बंगलो में देखा था. हैदर और भूमिका को" वो एक साँस में बोली.

हमारे पास जो भी था वो सर्कम्स्टॅन्षियल एविडेन्स थी जिसकी बिना पर अदालत में कुच्छ भी साबित कर पाना मुश्किल होता. रश्मि को शायद दिल में ये यकीन हो चुका था के हेडर और भूमिका ने ही उसकी बाप को मारा था और उसके पास जो वजह थी वो काफ़ी मज़बूत भी थी.

पहली तो ये के उसके पिता का खून एक खंजर से हुआ था और उसके अपने घर से एक खंजर गायब था. वही खंजर जिसपर बँधा हुआ रिब्बन हमें बंगलो 13 में पड़ा मिला था.

दूसरा ये के भूमिका खून की रात इसी शहेर में थी जबकि उसने किसी से इस बात का ज़िक्र नही किया था.

और तीसरी और सबसे मज़बूत वजह जो रश्मि मान रही थी वो ये थी के मैने उस रात घर में एक औरत की परच्छाई देखी थी. उसको शायद ये यकीन था के क्यूंकी मैने खुद ही परच्छाई देखी थी तो मैं बड़ी आसानी से अदालत में इस बात को साबित कर दूँगा. पर किसी और को यकीन दिलाने से पहले मुझे खुद को इस बात का यकीन दिलाना था के वो परच्छाई आख़िर थी तो किसकी थी.

अगर मैं ये मान लूँ के वो परच्छाई भूमिका का ही थी तो फिर सवाल ये बनता है के मैने उस रात बंगलो के गेट पर जो लड़की देखी थी वो कौन थी. वो मेरा भ्रम नही हो सकती क्यूंकी उसने मुझसे बात की थी, मुझे बर्तडे विश किया था.

और अगर मैं ये बात मान लूं के खून से पहले जो परच्छाई मैने देखी थी वो उस लड़की की थी जिसे मैने गेट पर देखा था तो दूसरा सवाल ये था के उसके साथ खड़ा वो आदमी कौन था जो उसके साथ लड़ रहा था. अगर हिसाब से देखा जाए तो उस लड़की को एक भूत होना चाहिए जो कि सब कहते हैं और उससे पहले भी लोगों ने घर में सिर्फ़ एक औरत की परच्छाई को देखने का दावा किया है, किसी आदमी को कभी किसी ने नही देखा.

फिलहाल तो मैं खुद ही बुरी तरह से कन्फ्यूज़्ड था, किसी और को क्या समझाता.
"मुझे हमेशा से यकीन था के भूमिका ने ही मेरे पिता को मारा है" मुझे ख्यालों में खोया हुआ देखकर रश्मि ने कहा "पर हैरत मुझे इस बात की है के उसने ये काम खुद किया"

"क्या सच में ऐसा किया उसने?" मैने रश्मि की बात पर सवाल उठाते हुए कहा.
"मुझे समझ नही आता के आपको और क्या सबूत चाहिए" रश्मि ने थोड़ा चिदते हुए कहा "वो खून की रात यहाँ थी, उसने मुंबई वाले घर से वो खंजर उठाया और ........."

"आप इस बात को साबित नही कर सकती" मैने उसकी बात बीच में काट दी. ऐसा करते हुए जाने कैसे मेरी आवाज़ थोड़ी ऊँची हो गयी जो शायद रश्मि को पसंद नही आया. उसके चेहरे पर एक पल के लिए गुस्से का एक एक्सप्रेशन आया और चला गया पर मैने उस बात को नोटीस कर लिया.

"देखो रश्मि" मैने धीरे से उसको समझाते हुए कहा "आइ आम नोट दा लेस युवर फ्रेंड बिकॉज़ आइ कॉंबॅट युवर अगरुएमेंट्स. बट इस वक़्त हमें कहानी का हर पहलू देखना पड़ेगा. क्या हम सच में ये साबित कर सकते हैं के खंजर भूमिका ने ही लिया था?"

"नोबडी आक्च्युयली सॉ इट इन हर पोज़ेशन" वो मेरी बात को समझते हुए बोली "पर मुझे इस बात को पूरा यकीन है के वो खंजर मेरे डॅड के घर छ्चोड़कर चले जाने के बाद भी वहीं लाइब्ररी में था. उसके बाद अगर भूमिका ने वो खंजर नही लिया तो किसने लिया?"

"लेट उस से हैदर रहमान खुद ही वो खंजर ले गया?" मैने कहा
"पर आपने खुद कहा के उस रात घर में आपने 2 लोगों की परच्छाई देखी थी" वो फिर बच्ची की तरह ज़िद करते हुए बोली.

एक पल के लिए मेरे दिमाग़ में ख्याल आया के उसको बता दूँ के मैने उसके बाद एक लड़की को भी बंगलो में देखा था पर फिर मुझे उसको सारी बात बतानी पड़ती. अपने गाना सुनने की आवाज़ से लेकर अदिति की कहानी सब. इसलिए मैने अपना इरादा बदल दिया.

"राशि मैने वहाँ 2 लोगों की परच्छाई देखी थी. एक आदमी और एक औरत" मैने कहा.
"इन प्लैइन इंग्लीश, इशान, दोज़ ऑफ हैदर आंड भूमिका"
"हम इस बात को दावे के साथ नही कह सकते"
"बट सर्कम्स्टॅन्षियल एविडेन्स..............."
"क्या तुम सच में ये चाहती हो के हम सर्कम्स्टॅन्षियल एविडेन्स लेकर कोर्ट जाएँ और हारने का रिस्क लें?" मैने कहा.
"तुम उस भूमिका को इतना बचाने पर क्यूँ आमादा हो?" वो फिर हल्के से गुस्से से बोली.

ये बात मेरे लिए ख़तरनाक थी. अगर उसको ऐसा लगने लगा के मैं भूमिका के चक्कर में हूँ तो मेरे प्यार की नैय्या वहीं डूब जाएगी.


"रश्मि" मैने मुस्कुराते हुए उसको समझाया "इफ़ वी डोंट गिवर हर दा बेनेफिट ऑफ एवेरी डाउट दा कोर्ट विल, शुड शी बी ट्राइड ऑन दिस चार्ज. एक वकील होने के नाते मैं ये मानता हूँ के इस औरत के खिलाफ हमारे पास काफ़ी ठोस सबूत हैं पर तुम्हारा दोस्त होने के नाते मैं कहता हूँ के हम इनकी बिना पर कोर्ट में मर्डर चार्ज साबित नही कर पाएँगे. मैं दोनो व्यूस से इस केस को देख रहा हूँ. हमारे व्यू से भी और भूमिका के वकील के व्यू से भी अगर हमने उसपर केस किया तो. अगर उसने अपने पति को मारा है तो उसके पास कोई वजह होनी चाहिए"

"उसको इतना पैसा मिला तो है....." वो किसी छ्होटे बच्चे के तरह इस अंदाज़ में बोली के मेरा दिल किया के मैं उसका माथा चूम लूँ.

"अगर हम ध्यान से देखनें तो ये बात उसके खिलाफ नही उसके फेवर में जाती है. तुम कई साल से ऑस्ट्रेलिया में थी और तुम्हारे डॅडी घर छ्चोड़ चुके थे. किसी को नही पता था के वो कहाँ है. इस हालत में उनकी बीवी होने के नाते उनका जो कुच्छ भी था वो भूमिका का था. वो ऑलरेडी एक आलीशान घर में रह रही थी और तुम्हारे डॅड के बेशुमार पैसे पर उसको कंप्लीट आक्सेस थी. अगर देखा जाए तो उसको तो आक्च्युयली मिस्टर सोनी की मौत से नुकसान हुआ है. पहले जहाँ इतना सारा पैसा था, अब वहाँ सिर्फ़ इन्षुरेन्स क्लेम का पैसा है उसके पास. मैं मानता हूँ के इन्षुरेन्स क्लेम का पैसा भी बहुत ज़्यादा है पर पहले जितना था उससे कयि गुना कम है. तुम्हें लगता है के जो बेशुमार दौलत उसके पास ऑलरेडी थी, उस सबको वो सिर्फ़ इन्षुरेन्स क्लेम का पैसा हासिल करने के लिए रिस्क करेगी?"

"वो हैदर रहमान से शादी करना चाहती थी" रश्मि अब भी अपनी बात साबित करने में लगी हुई थी. एक पल को मुझे लगा के मैं अपना सर पीट लूँ. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोर्ट में खड़ा बहस कर रहा हूँ.

"देखो इशान" वो मुझे फिर समझते हुए बोली " शी वाज़ ऑलमोस्ट एंगेज्ड टू हैदर बिफोर शी मॅरीड माइ फूलिश फादर. और फिर उसने हैदर को हमारे मुंबई वाले घर में बुलाना भी शुरू कर दिया. अब जबकि वो शादी शुदा नही है और उसके पास इन्षुरेन्स कंपनी से मिली एक बहुत मोटी रकम है, वो आसानी से उस कश्मीरी से शादी कर सकती है"
"क्या हम ये साबित कर सकते हैं के वो सच में इतनी लापरवाह थी?

"हाँ कर सकते हैं" रश्मि फ़ौरन बोली "जिसने मुझे ये बताया के खून की रात भूमिका यहाँ इस शहेर में आई थी वही इंसान ये भी बता सकती है के कैसे भूमिका और हैदर मेरे डॅड के रहते उन्ही के घर में लवबर्ड्स बने हुए थे"
"और कौन है ये बताने वाली?" मैने पुचछा.

"मेरी दोस्त है एक, तहज़ीब" रश्मि ने कहा "तुम चाहो तो मैं तुम्हारी बात करा सकती हूँ उससे"
"एक मिनट" मैने फ़ौरन कहा "तुमने उसको बता तो नही दिया के यू आर ट्राइयिंग टू फाइंड हू किल्ड युवर फादर?"
"आइ हॅव नोट टोल्ड हर डाइरेक्ट्ली" रश्मि ने कहा " बट आस शी ईज़ नो फूल, आइ फॅन्सी शी सस्पेक्ट्स."

"और तुम्हें लगता है के हम उसकी बात कर यकीन कर सकते हैं?" मैने पुचछा "आइ मीन डू योउ कन्सिडर हर एविडेन्स रिलाइयबल?"

रश्मि ने हाँ में सर हिलाया. उसके बाद मैं रश्मि को अपने बंगलो में जाने और फ्रिड्ज में किसी के छुप जाने वाली बात बताने लगा.

" फ्रिड्ज में? वाउ" रश्मि हैरत से बोली "नो वंडर के परच्छाई देखने के बाद जब तुम और डॅड घर के अंदर गये तो वहाँ तुम्हें कोई मिला नही."
"आक्च्युयली रश्मि" मैने कहा "मुझे लगता है के तुम्हारे डॅड जानते थे के घर के अंदर कोई है. अगर घर के अंदर भूमिका और हैदर थे तो मुझे लगता है के तुम्हारे डॅड को इस बात का पता था"

ये रश्मि के लिए एक बिल्कुल नयी बात थी. वो हैरत से मेरी और देखने लगी. ज़ुबान से उसँके कुच्छ नही कहा पर उसकी आँखों में मैने सवाल पढ़ लिया.

"जिस तरह से तुम्हारे डॅड मुझे घर के अंदर ले गये थे उससे लगता था के वो ये बात साबित करने पर तुले हुए थे के घर में कोई नही है. अगर मैं चलने से इनकार कर देता तो शायद वो मुझे घसीट कर अंदर ले जाते क्यूंकी वो बहुत शिद्दत से ये चाहते थे के मैं अंदर आकर अपनी तसल्ली कर लूं के घर में कोई नही है. मैं उस वक़्त उनके लिए एक अजनबी था पर फिर भी वो मुझसे बार बार कहकर घर के अंदर ले गये और फिर ज़बरदस्ती पूरा घर भी दिखाया. जिस तरह से उन्होने मुझे इस बात का यकीन दिलाया के घर में कोई नही है, उससे मुझे लगता है के वो जानते थे के घर में कोई है" मैने अपनी बात ख़तम की.

उसके बात कमरे में खामोशी च्छा गयी. मुझे समझ नही आ रहा था के उस वक़्त रश्मि के दिमाग़ में क्या चल रहा था पर वो खामोश बैठी थी. पता नही उसको मेरी बात से ऐतराज़ था या वो खुद भी मेरी बात से सहमत थी.

"तो अब क्या करना है?" थोड़ी देर बाद वो बोली
"पता नही रश्मि" मैने कहा "पर इस वक़्त मैं खुद भी इतना कन्फ्यूज़्ड हूँ के मेरे ख्याल से हमें हर बात की तफ़तीश करके पहले अपनी तसल्ली कर लेनी चाहिए इससे पहले के हम किसी पर मर्डर का इल्ज़ाम लगाएँ"

उसने सहमति में सर हिलाया.

क्रमशः........................
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RE: Bhoot bangla-भूत बंगला - by sexstories - 06-29-2017, 11:17 AM

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