कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
06-28-2017, 10:56 AM,
#3
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
दिव्या: कोई देख लेगा...
दीपक: कोई नही देखेगा .इतनी धूप हे कौन आएगा यहा .

दिव्या: चलो ना यहा से .

दीपक: अभी चलते है यार .धीरे से अपना हाथ दिव्या की चुचियो पर ले गया और
आराम से सहलाने लगा.

दिव्या : आहह इससस्स .

दीपक थोड़ा आगे हुआ और दिव्या के होंठो से होंठ मिला दिए. दिव्या भी उसका
पूरा साथ दे रही थी .ऐसा लगता था मानो वो भी आज ये सब करना चाहती थी.

दीपक ने खड़े होकर नज़र इधेर उधेर घुमाई दूर तक कोई नही दिखा दीपक नीचे
वापस पेड़ो के झुँढ मे हो लिया.

दीपक: आइ लव यू दिव्या .मैं तुम से बहुत प्यार करता हू. मेने मम्मी को भी
तुमहरे बारे मे बता दिया हे अब मे तुम्हारे बिना नही जी सकता.

ये बात सुनते ही दिव्या ,दीपक के गले लग गयी .

दिव्या: सच.

दीपक : हां यार . मम्मी तुझ से मिलना भी चाहती हे .सही टाइम देख के मे तुझे
मिलवा भी दूँगा.

दिव्या: ओह दीपक आइ लव यू ....दोनो एक दूसरे के बाहों मे थे .

दीपक बार-2 दिव्या के मम्मो को दबा रहा था .

दीपक: यार आज मुझे ये(चुचियो की तरफ इशारा करते हुए) दिखा दो ना ( बच्चे के
आंदाज मे बोला)

दिव्या: नही.

दीपक: यार बस एक बार तो दिखा दो .

दिव्या: नाह्ह्ही! तुम कपड़ो के उपर से ही देख लो ( हंसते हुए) हेहे.

दीपक अपना हाथ दिव्या की कमर पर ले गया और टॉप को उपेर करने लगा .दिव्या ने
उसके हाथ को पकड़ लिया. दीपक ने झट से अपने होंठ फिर उसके होंठो पे रख
दिए.

धीरे -2 टॉप को उपेर करने लगा दिव्या और गरम हो गयी थी उसे मज़ा आने लगा था
.उसने अब विरोध करना भी छ्चोड़ दिया था.

पूरा टॉप अब दिव्या के गर्देन पर था दीपक की आँखों के सामने ऐसा नज़ारा था
वो खुशी मे पागल हो रहा था.स्टाइलिश ब्लॅक ब्रा उपर से दोनो आध नंगे मम्मे
मदमस्त लग रहे थे.

धीरे धीरे दीपक हाथ को पीछे ले गया और ब्रा खोलने लगा .पर वो अनाड़ी था
ब्रा नही खुला.

दीपक: यार तुम खोल दो ना

दिव्या : नही मे क्यू खोलू तुमने सब कुछ किया है तुम ही खोलो और अगर ना खुल
पाए तो हम यहा से चलते हे( आँखों मे एक अजीब सा नशा था)

दीपक उठ के पीछे गया और ब्रा का स्टर्प खोलने लगा . ब्रा के खुलते ही दीपक
फट से आगे को आया .दोनो गोलाइयाँ साफ नज़र के सामने थी .

दीपक ने आगे हाथ बढ़ाया और ब्रा को नीचे की और धकेलने लगा.

दीपक: दिव्या तुम बहुत सुन्दर हो.

हाथ आगे बढ़ा दाए निपल पर जा लगा दिव्या के आहहें छूट रही थी . लब से लब
जुड़ चुके थे और नीचे दीपक के हाथ अपना काम कर रहे थे .प्यार से दोनो मम्मो
को सहलाता धीरे से दबा के अपनी उंगली और अंगूठे के बीच निपल को लेकर पीस
देता.

दिव्या: मत करो .

दीपक: मेरे तरफ तो देखो जानू ...दिव्या सिर झुकाए नीचे देख रही थी उसकी
साँसे तेज चल रही थी जिस वजह से उसकी चुचिया उपर नीचे हो रही थी .

दिव्या ने धीरे से अपना चेहरा उपर किया उसकी आँखों मे भी वासना सॉफ देखी जा
सकती थी . दोनो एक दूसरे के गले लग गये .

दीपक का सिर फिर से दिव्या के गोद मे हो लिया . सिर उसकी जाँघ पे रखते ही
दोनो गोलाइयाँ मुँह को छू रही थी बाए निपल पर जीभ का स्पर्श पाते ही दिव्या
थोड़ा हिल सा गयी . दीपक ने निपल मुँह मे लिया और चूसने लगा दूसरे निपल को
हाथ से सहला रहा था .


दिव्या बहुत गरम हो चुकी थी नीचे पानी बह रहा था अगर दीपक 2मिनट मे ना हटा
तो ......
दिव्या: आहह दीपक रूको

दीपक सुनने के मूड मे तो था नही .और ज़ोर से निपल को चूसे जा रहा था दिव्या
ने दीपक के बालो को ज़ोर से पकड़ा और अपनी छाती मे दीपक के सिर को ज़ोर से
दबा दिया .

दिव्या झाड़ चुकी थी सांसो की आवाज़ तेज़ी से आ रही आवाज़धीरे हो रही थी
.दीपक समझ चुका था के दिव्या ठंडी पड़ चुकी है .


दीपक एक बार फिर उठा और चारो तरफ देखा दूर तक फिर कोई नज़र नही आ रहा था .
दीपक खड़े खड़े ही पलटा तो नीचे बैठे दिव्या के सामने दीपक का लंड जीन्स की
अंदर ही खड़ा था . दीपक ने नीचे देखा दिव्या के नज़रे सामने ही थी.

दीपक नीचे बैठा दिव्या को ब्रा पहनाने मे मदद की पर अभी तक दीपक का तंबू
खड़ा ही था . दिव्या के जीन्स पे पानी का छोटा सा धब्बा बन चुका था .

दीपक नेअपने होंठ फिर दिव्या केहोंठो पर रखे इस बार दिव्या ने अपना हाथ
दीपक की गरम सल्लाख पर रख दिया था दीपक होंठो को चुस्से जा रहा था दिव्या
ने जीन्स की ज़िप नीचे करी .

लंड बाहर था दिव्या ने चुंबन जारी रखते हुए लंड पर नज़र डाली और उतेजेति हो
गयी ....

"ठक ठक" दरवाज़े पर दस्तक हुई बाहर खड़ा धर्मशाला का मॅनेजर ज़ोर ज़ोर से
दरवाज़ा खड़का रहा था . दीपक बेड से खड़ा हुआ गेट की चटकनी नीचे करी .

मॅनेजर: अरे बाबू कब से जगा रहा हू पर तुम तो घोड़े बेच के सो रहे हो.

दीपक: वो रात को नींद ठीक से नही आई सुबह आँख लगी तो उठना मुश्किल हो गया
माफ़ कीजिए.

मॅनेजर: आछा,बाबू तुम्हारा कमरा खाली करने का टाइम हुआ ,आगे कमरा रखना है .

दीपक: नही मे अभी खाली करता हू बस नहा लू.


दीपक ने घड़ी के तरफ देखा 9:30ए.एम बज रहे थे उसे आज अपनी मा से मंदिर मे
मिलना था .

धर्मशाला से बाहर निकलते ही दीपक मंदिर के रास्ते पे हो लिया पर उसको भूख
भी लगी थी. एक ठेले पे जा कर दीपक खड़ा हुआ .

दीपक: भैया दो पाव देना .

बगल मे गद्दी से नीचे उतरते दो लोग एक लड़का एक लड़की . दीपक को चेहरा चमका
वो थोड़ा छुपा .

लड़की उसकी गर्ल फ्रेंड दिव्या थी लड़का गाड़ी से दूसरी तरफ घूमते हुए
दिव्या के करीब आया कमर मे हाथ डाला और बोला "डार्लिंग" चलो अंदर चले सामने
एक रेस्टोरेंट था .दीपक की भूक मिट चुकी थी.

दीपक मंदिर मे खड़ा मा का इंतेज़ार कर रहा था . दूर से उसने अपनी मा और
चंपा को मंदिर की सीडिया चढ़ते देखा .दीपक ने अपनी मा को इतने दिन बाद देखा
था जैल मे भी मा को मिलने नही दिया था .

दीपक जैसे ही आगे बड़ा मंदिर की सीडियो के पास दो लोग सादी पॅंट शर्ट मे
बाइक से उतरे दीपक रुका .वो दोनो लोग शक्ल से ही पोलीस वाले लग रहे थे
.उसमे से एक ने दूसरे को उपेर जाने का इशारा किया दूसरा पोलीस वाला सीडिया
चढ़ते हुए मंदिर का मुआयना करने लगा .

चंपा हर तरफ देख रही थी पर दीपक का कोई पता नही था . इतने मे ही चंपा को
दीपक ने दीवार के पीछे की तरफ खींचा चंपा के मुँह पर अपना हाथ रख दिया
सस्स्शह.

चंपा चुप खड़ी हो गयी बड़ी हैरानी से देख रही थी.

दीपक: पोलीस भी है यहा .

चंपा: क्या. कहा पर .

चंपा पीछे मुड़ने लगी दीपक ने चंपा का हाथ खींचा और साइड मे ले गया ...वो
मुझे ढूंड रहे है .

चंपा: पर मा जी को कैसे मिलोगे .

दीपक: एक काम करो .

चंपा: क्या?

दीपक चंपा के कान मे कुछ बोला और चंपा चुपके से वाहा से चल दी.

चंपा उस लंबे कद के पोलीस वाले के पास जा कर खड़ी हो गयी . चंपा ने अपने
कुर्ते के उपर से चुन्नी को नीचे कर दिया ताकि पोलीस वाले को खाई दिख सके
और हुआ भी वही चंपा हाथ मे थाली लिए वही खड़ी थी और उपर से पोलीस वाला
आँखें फाड़ रहा था.

इंदु: भगवान मेने कौन से पाप किए थे जो तुम मुझे ये सज़ा दे रहे हो ( आँखों
मे आँसू छलक पड़े)

इंदु को एहसास हुआ के किसी ने उसके पैर को छुआ था . इंदु पीछे मूडी दीपक को
देखा मा बेटे अपने को रोक नही पाए दोनो एक दूसरे के गले लग के फुट पड़े.

दीपक इंदु को मंदिर के पीछे ले गया.

दीपक: मा तुम केसी हो.

इन्दुरोते हुए) दीपु बेटा तेरी मा बस तेरे लिए ज़िंदा हे अगेर तू नही होता
तो तेरी मया कब का ज़हेर खा के मर जाती.

दीपक: नही मा अब तुम्हारे सिवा मेरा कौन हे अगेर तुम ऐसा सोचोगी तो मैं तो
वैसे ही मर जाउन्गा .

इंदु: बेटा मेने ऐसे कौन से पाप किए थे जो हमारे साथ ऐसा हुआ .मेरा बच्चा
जैल मे वो भी अपने पिता और बेहन के खून के केस मे ( इंदु रोते जा रही थी
उसकी तबीयत ठीक नही थी )

इंदु ने अपने आँसू पोंछे और अपनी सारी का कोना पकड़ के दीपक के आँखों के
पानी को सॉफ किया
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