RE: Kamukta Kahani बीबी की सहेली
बीबी की सहेली--5
गतान्क से आगे……………………….
मैं भाभी की चुनमुनियाँ को बहुत देर तक़ चाटा. एक तो उसकी चुनमुनियाँ बिना झांट के थी, उपर से मीठी शहद का चिकनापन. जीव चुनमुनियाँ के उपर आराम से फिसल रही थी. बीच-बीच मे चुनमुनियाँ की पंखुड़ियों को होंठों से खींच लेता. उसने भी मेरे सिर को चुनमुनियाँ मे दबाए रखा. 10-12 मिनट मे वो शहद ख़तम हो गया था. मैने फिर से उसकी चुनमुनियाँ पे शहद लगाया और खुद नीचे लेट गया और कहा, “भाभी, अपना चुनमुनियाँ मेरे मुँह के उपर लगाइए.” वो तुरंत अपने चुनमुनियाँ को मेरे मुँह पे लगा दी और मैं सुरूफ़-सुरूफ़ चाटने लगा. वो पोज़िशन उतना कन्वीनियेंट नहीं लगा क्यूंकी उसके नीचे मैं दब रहा था.
मैने उसको फिर से नीचे लिटाया और फिर से शहद भरे चुनमुनियाँ को चूसने का आनंद लेने लगा. वो भी जोश मे आने लगी, अपनी चुनमुनियाँ उपर नीचे करने लगी, कमर हिलाने लगी. 4-5 मिनट के बाद लगा कि उसकी उत्तेजना चरम पे पहुँचने लगी है. मैं तेज़ी से जीव और होंठ चलाने लगा. और अगले 2-3 मिनट मे ऐसा लगा कि शहद के साथ उसके चुनमुनियाँ से कुच्छ गरम गरम लिक्विड रिसने लगा. मैं उस लिक्विड को चूस्ता गया और उसने भी मेरे सिर को दोनों हाथों से चुनमुनियाँ पे दबा दिया. और वो थोड़ी ढीली हो गयी. मैं समझ गया कि वो झाड़ गयी है. उसने कहा, “आशीष, ये आपने क्या कर दिया, ऐसा भी मज़ा मिल सकता है!” वो थोड़ी देर चित लेटी रही. करीब 12:40 बज चुके थे.
अब भाभी ने मुझे नीचे लेटने का इशारा किया. उसने भी शहद निकाल कर मेरे लंड, अंडकोष और सूपदे पे लगाया. और वो उस शहद को चाटने लगी. फिर सूपदे को मुँह मे लेकर चूसने लगी. मैने भाभी से कहा, “भाभी बहुत अच्छा लग रहा है, पर धीरे कीजिए नहीं तो आपके मुँह मे ही झाड़ जाउन्गा.” 2 मिनट चुसवाने के बाद मैने उसको रोका.
मैने उसको बेड पे लिटाया और उसके बगल मे खुद लेट कर उसकी चुचि और नाभि और जगहों को सहलाया. ऐसा करते हुए मैं रेस्ट ले रहा था. अब आगे के लिए तैयार था. मैं उठा, उसकी जांघों के बीच आया, चुनमुनियाँ को एक किस दिया और चुनमुनियाँ पे निशाना लगाकर अपने कमर को एक झटका मारा. मेरा लंड चुनमुनियाँ मे आराम से पूरा घुस गया. 5.5” लंबा लंड और बड़ी चुनमुनियाँ हो तो ऐसा होना ही था! ये पोज़िशन सबसे कामन होता है, लेकिन सबसे कंफर्टबल भी, और इस पोज़िशन मे लंड भी अंदर तक़ जाता है. मैं एकदम आराम से आहिस्ता आहिस्ता कमर हिलाने लगा. धीरे धीरे उसकी चुनमुनियाँ चिकनी और रसीली होती गयी.
4-5 मिनट बाद मैने अपना दायां पैर उसकी बायें पैर के नीचे सरकाया, अपना बाईं टाँग उसकी टाँगों के बीच लगाई और उसकी दाईं पैर को मेरे कमर के उपर रख दिया. वो पीठ के बल लेटी थी और मैं अपने बाएँ साइड पे. मैने फिर से अपने लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे फिर से पेल दिया. ये पोज़िशन भी काफ़ी कंफर्टबल होता है, लेकिन इसमे डीप पेनेट्रेशन नहीं होता, लेकिन मज़ा डीप पेनेट्रेशन से नहीं होता, लंड का सिर्फ़ सूपड़ा सेन्सिटिव होता है और चुनमुनियाँ का सिर्फ़ बाहर के और 1-2 इंच अंदर वाले हिस्से ही सेन्सिटिव होते हैं. उसी पोज़िशन मे 40-50 स्लो मूव्स लगाया. उस समय मैं उसकी दाईं जाँघ को सहलाता रहा.
इसी बीच वो उठी और उसने मुझे लिटा दिया. उसने थोड़ी देर लंड को फिर से चूसा और वो मेरी तरफ मुँह करके लंड को चुनमुनियाँ से लगाकर उसके उपर बैठ गयी और लंड उसकी चुनमुनियाँ मे समा गया. वो लंड को किसी राजगद्दी की तरहा समझ रही थी शायद, तभी तो वो उसी अवस्था मे 1-2 मिनट बैठी रही, “आशीष जी पूरा घुस गया आपका लंड महाराज तो!!” मैने कहा, “आपको ये बात समझना चाहिए कि तरबूज चाकू पे गिरेगा, तब भी क़ाटना तो तरबूज ही को है ना!” वो बोली, “हां ये तो है.” वो मुझे उपर से 4-5 मिनट चोदि. मैं भी बीच-बीच मे नीचे से झटके मार लेता था, उसकी बूब्स को सहला देता था. वो मेरा छाती सहलाती रही. कभी कभी झुक कर मुझे किस करने लगी. वो मुझसे भारी थी लेकिन तब मुझे उसका वजन महसूस नहीं हो रहा था. वो लंड को चुनमुनियाँ मे लेकर ही पीछे घूम गयी और फिर लंड के उपर नीचे होने लगी. मैं तब उसकी पीठ सहला रहा था. किसी औरत से इस तरहा चुद्वाना, उसको चोद्ने से ज़्यादा संतूस्ती देता है. ये उन्ही लोगों को पता होगा, जिन्होने अपनी गर्लफ्रेंड या बीबी से इस तरहा चुद्वाया हो. पीछे से उसकी गोल गोल गांद को देखना बड़ा अच्छा लग रहा था.
फिर मैने उसको फिर से नीचे किया और उसको इस तराहा घुमाया कि उसकी चुनमुनियाँ बेड के बगल मे रखे आईने की तरफ हो गयी. मैं उसको फिर से चोद्ने लगा. और उसे कहा, “भाभी, आप अपने चुनमुनियाँ को आईने मे देखिए कि मेरा लंड आपकी चुनमुनियाँ मे कैसे अंदर-बाहर हो रहा है.” मैने भी मूड के देखा. बहुत सुंदर द्रिश्य था. एक दुबला सा युवक का लंड, गोरी मांसल जाँघ वाली की चिकनी चुनमुनियाँ मे आराम से अंदर बाहर हो रहा था और चुनमुनियाँ के चारों ओर सफेद सा लिक्विड फैला हुआ था. वो बोली, “चुनमुनियाँ तो मेरी बहुत लस्लसि दिख रही है, और आपका लंड चुनमुनियाँ को कैसे चीरते हुए अंदर चला जा रहा है!” फिर मैने अपने पैरों को उसकी कमर के साइड मे रखा और अपना लंड उसकी गीली चुनमुनियाँ मे फिर से पेल कर चुनमुनियाँ के उपर ही बैठ गया. थोड़ा देरी इसी पोज़िशन मे बैठा रहा और उसको चोद्ने लगा. उसके बाद मैने उसकी टाँगे सटा कर सीधी कर दी और लंड फिर से चुनमुनियाँ मे घुसा दिया. अब लंड थोड़ा टाइट जा रहा था. लेकिन मैं जानता था कि इस पोज़िशन मे ज़्यादा कंटिन्यू करना मतलब लंड का झड़ना है. मैने 15-20 हल्के धक्के के बाद लंड निकाला.
घड़ी मे 12:55 हो गये थे. मैने भाभी को बेड से उठाकर बगल के टेबल पे बैठने का इशारा किया. वो इशारा समझ गयी और चुनमुनियाँ सामने कर के टाँगें फैलाकर आराम से बैठ गयी. वो मेरा फॅवुरेट पोज़िशन है और अक्सर मैं चुदाई के लास्ट स्टेज के लिए बचा के रखता हूँ. उस टेबल की हाइट मेरी कमर के बराबर है. पिछली बार भी भाभी को उसी पोज़िशन मे चोद कर झाड़ा था. वो पोज़िशन बहुत कंफर्टबल लगता है. चुदवाने वाली भी आराम से बैठी रहती है और चोद्ने वाला भी आराम से खड़े होके चोद सकता है.
मैने भाभी की चुनमुनियाँ मे फिर से शहद लगाया और उसको दुबारा चाटना शुरू किया. 8-10 मिनट तक़ चपर-चपार करके खूब चाटा, शहद और चुनमुनियाँ रस का खूब चूसा. उसको शायद कुच्छ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था, तभी तो उसने मेरे सिर को ज़ोरों से जाकड़ रखा था. वो बहुत उत्तेजित सी लग रही थी, बोली, “आशीष, अब लंड चुनमुनियाँ मे पेलिए ना!”
मैं उठा और लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे घुसेड दिया और हौले हौले चोद्ने लगा. 40-50 स्लो मूव्स के बाद मैने स्पीड बढ़ाई. मैं भी अब जोश कंट्रोल से बाहर हो रहा था. ढप-डप चोद्ने लगा. कभी कभी लंड पूरा खींच कर निकाल कर तेज़ी से घुसेड देता, लंड पूरा समा जाता, ऐसा लग रहा था कि लंड चुनमुनियाँ के अंदर किसी दीवार पे टकरा रहा है. वो मुझसे ज़ोर से चिपक गयी और चिल्लाने लगी, “आशीष, आपने मुझे चुदक्कड बना दिया, चोदिये… चोदते रहिए.” मैने पूछा, “भाभी आपका पीरियड ख़तम हुए 3-4 दिन हुए है ना!!” वो बोली, “ठीक 4 दिन. लेकिन आप को कैसे मालूम?” मैने कहा, “कॅल्क्युलेशन करके भाभी.”
ऐसे पीरियड के 6 दिन तक प्रेग्नेन्सी का ज़्यादा चान्स नहीं होता, फिर भी मैने सोचा कि यहाँ रिस्क नहीं लेना चाहिए. कहीं बच्चा ठहर गया तो हम दोनों के फ्यूचर के लिए ठीक नहीं होता.
मैं ललिता भाभी को चोद्ता रहा. मेरे अंडकोष उसकी गांद और थाइ से टकरा रहे थे, धप-धप की आवाज़ उसी से आ रही थी. वो बोली, “ये कैसी आवाज़ आ रही है!!” वो मुझे बेतहासा चूमने लगी. मैं उसकी चुनमुनियाँ मे धक्के मारता रहा. लेकिन चूँकि चुनमुनियाँ काफ़ी गीली और गीली हो गयी थी, घर्सन कम होने से आनंद तो आ ही रहा था, लेकिन लंड झाड़ ही नहीं रहा था. इसी बीच ऐसा लगा कि चुनमुनियाँ से रस बहुत निकल रहा है. वो फिर से झाड़ गयी थी. वो मुझसे चिपक गयी. मैं थोड़ी देर शांत रहा. उसकी चुनमुनियाँ की ओर इशारा करते हुए बोला, “देखिए भाभी, मेरा लंड आपकी चुनमुनियाँ मे कैसा धन्सा है.” ट्यूब लाइट की रोशनी मे गीली चुनमुनियाँ चमक रही थी.
मैं फिर से धक्के मारने लगा. उच्छल उछल कर धक्के मारता रहा. मैं भी अब बहुत थक गया था. बड़ी मेहनत के बाद 4-5 मिनट मे मेरा अल्टिमेट सिचुयेशन आने को हुआ. मैने अपना लंड उसकी चुनमुनियाँ से खींच लिया और अपना सारा लंड-रस उसकी चुनमुनियाँ के उपर नाभि और पेट पे गिरा दिया.
हम दोनों उसी अवस्था मे थोड़ी देर चिपके रहे. दोनों की साँसे लंबी लंबी चलने लगी. 1:15 बज चुके थे. मैने भाभी के होंठो को किस किया और अलग हुए. ललिता टेबल से उतर कर नगी ही बाथरूम की ओर चली. मैने पीछे से उसकी चाल देखी, उसके गोल-गोल चूतड़ बड़े शानदार अंदाज़ मे हिल रहे थे. मैं भी उसके पीछे नंगा ही बाथरूम मे गया. बाथरूम मे दोनों दुबारा नहाए और नंगे ही बाहर निकले. उसने बाथरूम के दरवाजे के पास पड़ी अपनी सारी और ब्लौज उठाया और पहन लिए. ब्रा ज़्यादा भींग गयी थी, इसीलिए उसने ब्रा नहीं पहना. मैने भी टी-शर्ट और लोंग निकर पहन लिया. मैने भाभी से कहा, “भाभी आज मैं आपको खाना बनाके खिलाता हूँ.” वो बोली “ठीक है.”
मैं किचन मे गया, चावल और दाल चढ़ा कर आया. हम टीवी देखने लगे. फिर मैं किचन मे गया. चावल, दाल तैयार हो गये थे. 4 अंडे (एग्स) बचे हुए थे रेफ्रिजरेटर मे, मैने सबका एग-बुरजी बनाया. और हम दोनों ने साथ खाया. मैने भाभी को बोला, “जैसा भी है, खा लीजिए. बस इतना ही जानता हूँ खाना बनाना. मसाला, आयिल ज़्यादा नहीं यूज़ करता हूँ मैं.” वो खाते हुए बोली, “खराब भी तो नहीं बनाया आपने, अच्छा ही लग रहा है. आप मसाला और आयिल ज़्यादा नहीं खाते ये तो आपको और डॉली को देखके ही पता चलता है.” खाना 2:15 मे कंप्लीट हो गया. ललिता ने बर्तन मांझ दिए.
वो थोड़ी देर बैठने के बाद बोली, “आशीष मैं अब जाती हूँ.” मैने तुरंत कहा, “घर जाकर क्या कीजिएगा अभी. थोड़ा बैठिए, बातें करते हैं, फिर ना जाने मौका मिलेगा कि नहीं, क्यूंकी अगले साप्ताह तो डॉली आ जाएगी.” वो रुक गयी. मैने पूछा, “ज़य जी तो बहुत स्वस्थ दिखते हैं, उसका लंड भी मोटा-तगड़ा होगा!!” मैने यूँ ही कहा था, जबकि मुझे हक़ीकत मालूम था, मैं बस उसके मुँह से सुनना चाहता था. उसने बताया, “क्या बताऊ, आशीष! हमारी लव मॅरेज है, इन फॅक्ट आज भी हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं, आदमी वो बहुत अच्छे हैं, बहुत ध्यान रखते हैं मेरा, सभी सुख-सुविधाएँ हैं हमारे पास, लेकिन वो बस चुदाई करने मे मार खा गये. वो बहुत कन्सर्वेटिव वे मे चोदते हैं, जबकि आप तो बड़े सलीके से चुदाई करते हैं. कहाँ से सीखा आपने? ज़य जी तो कपड़े भी पूरा नहीं खोलते, लगता है वो चुदाई सिर्फ़ फॉरमॅलिटी के लिए करते हैं, सहलाते भी नहीं हैं, सारी उपर सरका कर लंड चुनमुनियाँ मे जल्दी से डाल देते हैं और मेरे जोश मे आने से पहले ही जल्दी ही झाड़ जाते हैं. और मैं तड़प्ती रहती हूँ. और आगे भी मैं ऐसे ही तड़प्ते रहूंगी.”
क्रमशः…………………….
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