Kamukta Kahani बीबी की सहेली
06-28-2017, 10:54 AM,
#2
RE: Kamukta Kahani बीबी की सहेली
बीबी की सहेली--2

गतान्क से आगे……………………….

फिर मैने पूछा, “आप भी आज कल अकेली रहती हैं दिन भर, डॉली भी नहीं है, बोर नहीं हो जाती हैं?” उसने तुरंत उत्तर दिया, “बोर तो बहुत हो जाती हूँ, सीरियल भी कितना देखूँगी, सेकेंड हाफ मे तो सोते रहती हूँ, अभी अभी सो कर उठी हूँ. इसीलिए तो आई हूँ यहाँ, कि कुच्छ पता तो चले कि डॉली कहाँ चली गयी.” फिर मैने पूछा, “भाभी, उस दिन मूवी आपको कैसी लगी?” वो बोली, बहुत अच्छा. मैने कहा, “लेकिन भाभी आप तो फिल्म कम और सामने की सीट पर बैठे लड़का-लड़की को ज़्यादा देख रही थीं!!” वो मुस्कुरा दी. वो उस समय ग्रीन कलर की सारी पहन रखी थी जो उस पर बहुत अच्छा लग रहा था. मैने कहा, “भाभी आज कल तो सिनिमा हॉल्स मे ऐसी सीन्स कामन हो गये हैं. आपको क्या लगता है, ये प्रेमी जोड़ा पिक्चर देखने आते हैं? नहीं भाभी, वो तो पिक्चर बनाने आते हैं, देखना तो एक बहाना है.” वो बोली, “हां ये तो है, पर तुम्हारे जयजी तो मेरे साथ पिक्चर जाते ही नहीं!!” मैने कहा, “भाभी, ऐसा नहीं है, उनको टाइम नहीं मिलता होगा, उनका जॉब ही ऐसा है. हम लोग भी तो साल मे 5-6 बार ही जाते हैं. वैसे आप लोग कितनी बार जाते हैं?” उसने कहा, “शादी हुए 10 साल हो गये, अभी तक सिर्फ़ 2 बार गये हैं हम. बच्चे भी नहीं हैं, और मैं बोर होते रहती हूँ.” मैने मज़ाक किया, “बच्चे होते नहीं हैं भाभी, बनाए जाते हैं. और बच्चा बनाने के लिए मेहनत करना पड़ता है, इसके लिए आपको जयजी के साथ पिक्चर देखने की ज़रूरत नहीं, पिक्चर बनाने की ज़रूरत है.” ये सुनकर वो थोड़ी मायूस हो गयी. ये देखकर मैने कहा, “छोड़िए भाभी, इन सब चीज़ों का टेन्षन मत लीजिए, जो भगवान ने दिया उसका आनंद लीजिए. जयजी आपको हर सुख देते हैं, क्या कमी है आपके पास!! अच्छा ख़ासा रहन सहन है.” उसने कहा, “आशिषजी, ये सब ही सब कुच्छ नहीं होता है.”

फिर मैने बोला, “भाभी, उस दिन पिक्चर हॉल मे मैं थोड़ा बहक गया था, माफ़ कर दीजिए.” उसने कहा, “नहीं आशीष, मैं भी तो बहक गयी थी, वैसे बाद मे मैने सोचा तो मुझे अच्छा ही लगा. होता है, अभी आप जवान हो ना. दो खूबसूरत महिलाएँ अगल बगल हों, तो वैसा हो जाना स्वाभाविक है. वैसे आपने कुच्छ किया भी तो नहीं, देवर भाभी मे उतना तो चलना ही चाहिए.” मैने कहा, “वो तो है भाभी, लेकिन आप भी शादी शुदा हैं और मैं भी. एक लिमिट तो रहना ही चाहिए. 5 दिन हो गये, मुझे डॉली की याद बहुत आती है.” वो बोली, “हां, आप उनके बगैर रह नहीं पाते होंगे, रात कैसे काटते होंगे!!” मैने कहा, “भाभी आप भी तो जवान हैं, आप खुद को बूढ़ी ना समझिए, आप बहुत खूबसूरत हैं, अच्छी लगती हैं आप मुझे, आपकी मुस्कुराहट बहुत अच्छी है, मैं चाहता हूँ आप ऐसे ही मुस्कुराती रहें.”

उसके बाद हम दोनों थोड़ी देर चुपचाप रहे. फिर भाभी बोली, “आशीष, मैं मोटी हो गयी हूँ, कहाँ से खूबसूरत लगूंगी!!” मैने कहा, “तो क्या हुआ, आप फिर भी बहुत सुंदर दिखती हैं, आपको देखकर कोई लड़का या मर्द आपको प्यार करना चाहेगा.” वो बोली, “लेकिन आप तो नहीं प्यार करोगे.!!” मैं बोला, “यदि शादी शुदा ना होता तो आप को ज़रूर प्यार करता, लाइन मारता. आप मोटी नहीं, हेल्ती हैं.” उसने कहा, “बहुत डरते हो आप!! डरपोक मर्द हो!!” मैं बोला, “भाभी आप मेरे अंदर के शैतान को मत जगइए, वरना गड़बड़ हो जाएगा.”

वो चुपचाप रही. मैने सोचा, “यार आशीष, क्या सोचते हो? सामने से भाभी चॅलेंज कर रही है, आक्सेप्ट करो!” फिर मैने उसकी ठोडी पकड़कर उपर उठाया और उसकी आँखों मे देखने लगा. सचमुच वो गजब की सुंदर लग रही थी. इधर उनको छूते ही मेरे पॅंट के अंदर का शैतान जागने लगा. उसकी आँखों मे प्यार और सेक्स की भूक नज़र आने लगी. और मेरे बदन मे भी सिहरन दौड़ने लगी. हालाँकि डॉली के साथ हज़ारों बार सेक्स कर चुका हूँ पिच्छले 4 साल मे, ऐसा सिहरन सिर्फ़ शुरुआती दिनों मे होता था.

मैने हिम्मत करके अपने होंठ को उसके होंठ पर रख कर एक हल्का सा चुंबन दिया. उसने आँखें बंद कर ली. लेकिन वो भी शायद डर रही थी, उसने कहा, “आशीष ये ग़लत हो रहा है.” मैने उसको छोड़ दिया और कहा, “भाभी, आप ही तो कह रही थीं, कि मैं डरपोक हूँ, और जब अब मैं हिम्मत कर रहा हू तो आप डर रही है!!” वो चुप रही. उसकी आवाज़ से मैं समझ गया कि वो खुद को मेरे हवाले भी करना चाहती है और डर भी रही है. मैने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “भाभी यदि जो मेरी हालत है वही आपकी भी है तो हो जाने दीजिए, मैं भी जानता हूँ ये ग़लत है, पर पिछले 5 दिन से डॉली के बगैर हूँ तो मेरी इच्छा बहक चुकी है. आप चाहें तो घर जा सकती हैं.” और मैने उसका हाथ छोड़ दिया. वो कुच्छ सोचती रही. शायद किसी कसम्कस मे थी. मैने ठोडी को उपर उठाकर उसके होंठ को फिर से किस किया, उसने आँख बंद कर लिया. फिर मैने उसके माथे को चूमा. उसने भी मेरा दूसरा हाथ पकड़ लिया. इसी तरहा मैने उसके चेहरे को 2-3 मिनट हौले किस किया. समझ गया कि ललिता समर्पण कर चुकी है.

मैने पूछा, “भाभी, बेड रूम चलें क्या?” उसने कोई जवाब नहीं दिया. तो मैने उसका हाथ पकड़कर उठाया और उसकी कमर मे हाथ डालकर उसको अपने बेड रूम मे ले आया और उसको मैने बेड पे बैठाया और उसकी बगल मे बैठ कर उसकी होंठ पे अपना होंठ रख दिया. इस बार उसने भी जवाब दिया, एक हल्का किस के साथ. फिर मैने उसको धीरे से बेड पर लिटाया. फिर उसके माथे को किस किया, फिर आँखों को, कान को, उसके झुमके को, उसके गालों को फिर वापस होंठों को किस किया. मैने कहा, “आप बहुत खूबसूरत लग रहीं हैं इस सारी में.” वो आँखें बंद की हुई थी. फिर मैं उसके बालों को सहलाने लगा. उसको शायद बहुत अच्छा लग रहा था. उसके चेहरे और होंठों को किस करता रहा 5-6 मिनट तक़. फिर एक हाथ से उसके आँचल को उसकी छाती से हटा दिया तो उसकी मॅचिंग कलर की ग्रीन ब्लौज के अंदर उसके हेल्ती उभार देखकर मेरी आँखें फटी रह गयी. उसके बूब्स गोल और सुडौल लग रहे थे. उमर 34 है लेकिन कोई बच्चा नहीं है, शायद इसीलिए बदन पे कसाव अभी भी है. मैने ब्लौज के बटन खोल कर उसके ब्लौज को हटाया और फिर उसकी सफेद ब्रा भी हटा दिया. और धीरे धीरे उसके उभारों से खेलने लगा, संहलाने लगा. उसकी चूचियों को बीच बीच मे किस करने लगा. निपल्स को चूसने लगा. धीरे धीरे मैं नीचे आया, उसकी नाभि को छूने लगा, सहलाने लगा. उसकी नाभि के चारों ओर जीव को हल्का हल्का फिराया तो वो सी-सी-सी की आवाज़ करने लगी.

फिर उसको पलट दिया और पेट के बल लिटा दिया और मैं उसके पीठ को सहलाने लगा. पीठ के हर हिस्से को चूमने लगा. पीठ के चारों ओर जीव फिराया. उसकी कांख को भी चूमा. वो निढाल होते जा रही थी. फिर वही हुआ जो मैं चाहता था, वो उठकर बैठ गयी और बाहें फैलाकर मुझे अपने आगोश मे आने का इशारा किया. मैं उसके पास जाकर बैठ गया. उसने भी मेरे चेहरे को अपने पास खींच कर मेरे लिप्स मे एक हल्का सा किस किया, फिर उसने भी मेरे चेहरे पे हल्के किस बरसाने लगी. उसका ये मूव मुझे बहुत अच्छा लगा. उसने फिर मेरा टी-शर्ट भी उतार दिया और फिर मुझे बेड पे लिटा कर वही करने लगी जो मैने उसके किया था. मेरे पूरे शरीर को सहलाने लगी, चूमने लगी. शरीर के हर हिस्से पे जीव चलाने लगी. मेरे बदन पे सनसनी सी दौड़ रही थी. सचमुच, दूसरों की बीबी का प्यार बहुत अच्छा लगता है.

फिर मैने उसको बेड मे वापस लिटा दिया. और पैरों के पास आकर उसके पैरों को चूमा और एक हाथ से उसकी सारी को ऊपर को ओर सरकते हुए किस करता गया. जब सारी जांघों तक उठी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. शायद वासना और शर्म था उसका. मैं वहीं रुका. उसकी जांघों को देखा, एकदम चिकनी, गोरी और मांसल जंघें किसी कमजोर मर्द के लंड से तो रस टपक जाता. मैने उसकी जांघों को सहलाया और जीव से हौले हौले गुदगुदी किया.

इसी बीच उसके हाथ हरकत मे आए और उसने मेरे बरमूडा को नीचे खिसका कर हटा दिया. तब तक वो सारी मे ही थी. मैने उठकर उसको अपने बाहों मे भर लिया और दोनों के होंठ फिर सिल गये. एक हाथ से उसके सिर को पकड़ कर रखा, उसके लिप्स को किस करता रहा और दूसरे हाथ से मैने उसके सारी का आँचल खींच कर सारी खोल दिया फिर मैने उसके पेटिकोट का नारा भी खोलकर नीचे गिरा दिया. उसने हल्की डिज़ाइन की पैंटी पहन रखी थी. फिर मैने उसके गोलाकार चूतड़ को हौले हौले सहलाने लगा. उसको अपने शरीर से चिप्टा के रखा रहा. उसकी गांद सहलाते सहलाते मैने उसकी पैंटी भी नीचे खिसका दी. मैने देखा कि उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी. इसी बीच उसने भी मेरी नकल करते हुए मेरा चड्डी नीचे खिसका दिया और मेरा 5.5” लंबा लंड तन्कर उसकी चुनमुनियाँ को सलाम करने लगा. इसके पहले कि मैं कुच्छ सोचता उसने मेरा लंड पकड़ लिया. ऊफ्फ, दूसरे की बीबी के हाथ से अपना लंड पकड़वाना कितना अच्छा लगा ये मैं बयान नहीं कर सकता. मैने ललिता से पूछा, “भाभी, ऐसे मत नापीए साइज़ ज़्यादा बड़ा नहीं है.” उसने हंसकर कहा, “मेरे लिए ये साइज़ काफ़ी है, ठीक है.”

उसे लिपट कर मैं उसकी शरीर की गर्मी महसूस करता रहा थोड़ी देर. मैने घड़ी ओर देखा, 7:00 बज रहे थे. यानी पहले किस से अब तक 20 मिनट बीत चुके थे. बेड रूम के ट्यूबलाइज्ट की रोस्नी मे मैने उसके शरीर को ध्यान से देखा तो थोड़ी देर देखता ही रहा गया. गोरी और थोड़ी हेल्ती महिलाएँ नंगी कितनी अच्छी लगती है ये तब पता चला. उसका शरीर ट्यूबलाइज्ट की रोस्नी मे चमक रहा था. मैने उसको बेड पे पेट के बल लिटाया और उसके गांद को सहलाने लगा, उसके चूतड़ को चूमने लगा, उसकी पीठ को सहलाया. डॉली के ड्रेसिंग टेबल से मालिश तेल निकाल कर ललिता की चूतड़ और पीठ पे लगाकर उसको मालिश किया 10 मिनट जैसा.

फिर मैने उसको पलट दिया और माथे को किस किया .. फिर पहले की तरहा धीरे धीरे नीचे सरकाता गया .. फोर्हेड, आइज़, नोस, चीक्स, लिप्स, तोड़ी, नेक, बूब्स, स्टमक, नेवेल को हल्के हल्के किस करता हुआ आया. फिर मैं नीचे पैरों के पास पहुँचा. हाथों से उसके जांघों को सहलाने लगा. और उसके टोस, लेग्स नीस, थाइस को चूमता हुआ नाभि तक आया. उसकी जांघे एकदम चिकनी थी. मैने उसके चुनमुनियाँ को देखा हल्के हल्के बाल थे, शायद कभी कभी ट्रिम करती है. फिर मैने उसके चेहरे को देखा, उसने आँखें बंद की हुई थी. शायद उसे बहुत अच्छा लग रहा था. मैने उसके टाँगों को फैला और घुटनों पर मोड़ दिया ताकि वो एकदम आराम से रहे. मैं उसके जाँघो के बीच बैठा और फिर उसकी नाभि को किस करने लगा. फिर धीरे धीरे नीचे आया और उसकी चुनमुनियाँ के पंखुड़ियों पर एक हल्का सा चुंबन दिया. ललिता सीत्कार कर उठी. वो बोली, “आशीष.., ये आपने क्या किया, सिरसिरी सी लग गयी. ज़य तो कभी ऐसा नहीं करते. वो तो सीधा मेरे उपर चढ़ जाते हैं और 3-4 मिनट मे ख़तम हो जाते हैं और आप तो पिच्छले 30-35 मिनट से प्यार कर रहे हैं.” मैने कहा , “भाभी आप यहाँ ध्यान दो, उन बातों पे नहीं. सबका अपना अपना स्टाइल होता है, जयजी का अपना अंदाज़ होगा.” फिर मैने उसकी गीली हो चुकी चुनमुनियाँ को किस करके उसके चारों ओर जीभ फिराने लगा, वो कसमसाने लगी, उसने मेरा सिर पकड़ लिया. मैने उसकी चुनमुनियाँ के बीचो बीच जीभ भिड़ा दिया और उसकी चुनमुनियाँ को चाटने लगा. मैने डॉली की चुनमुनियाँ भी कई बार चाती है, लेकिन आज ललिता के चुनमुनियाँ का स्वाद थोड़ा अलग लग रहा था, और ना जाने क्यूँ और अच्छा लग रहा था. मैने उकी चुनमुनियाँ को 12-15 मिनट तक चटा. चाटते समय ऐसा लगा कि उसकी चुनमुनियाँ का रस ख़तम ही नहीं हो रहा था. चुनमुनियाँ से रस झरने की तरहा रिस रहा था. और मैं उस रस को चूस्ता रहा चाटता रहा. मेरी नाक भी चुनमुनियाँ रस से गीली हो चुकी थी.

मैं चाहता था कि ललिता भी मेरे लंड को चूसे, लेकिन डर रहा था कि वो कहीं नापसन्द तो नही करेगी, उसको लंड का गंध अच्छा लगेगा कि नहीं. मैने उसको पूछा, “ललिता भाभी, आपका पीरियड रेग्युलर रहता है, लास्ट कब ख़तम हुआ?” उसने कहा, “मेरा पीरियड रेग्युलर रहता है, 1-3 दिन आगे पीछे होता है, 28-31 दिन का साइकल चलता है और लास्ट मेरा 20 दिन पहले ख़तम हुआ है.” “तब तो भाभी ठीक है, प्रेग्नेंट होने का चान्स थोड़ा कम है.” मैने कहा.

मैं उसके जाँघो के बीच बैठकर उसकी पूरी तरहा गीली हो चुकी चुनमुनियाँ पे लंड भिड़ा दिया. मैं धक्का मारने ही वाला था की उसने मुझे रोका और कहा, “रूको आशीष, आप ज़रा नीचे लेटो मैं थोड़ा आपके शरीर से खेलती हूँ.” फिर उसने मुझे लिटा दिया और उसने मुझे किस करना शुरू किया, माथा, नाक, कान, होंठ छाती और फिर पैरों से उपर उठते हुए मेरी जांघों को किस किया उसने और फिर उसने मेरा लंड पकड़कर उसको सहलाया, सूपदे को उपर नीचे किया, अंडों से खेलने लगी. फिर उसने लंड के सूपदे को नीचे तक़ किस कर थोड़ा सूँघा और फिर उसने लंड को मुँह मे ले लिया. मैं उसकी लंड चुसाई का आनंद लेने लगा. मैने कहा, “भाभी, आप धीरे चूसो, नहीं तो लंड का रस आपके मुँह मे ही निकल जाएगा.” वो मुझे 5-6 मिनट तक चूस कर सुख देती रही. ये उन मर्दों को ही पता है जिसने अपना लंड किसी लड़की या औरत से चुस्वाया है की लंड चुसवाना लंड को चुनमुनियाँ मे डालने के मज़े से ज़्यादा मज़ा देता है. इसी बीच मैने उसकी चुनमुनियाँ को सहलाते रहा और उंगली से उसकी चुनमुनियाँ को चोदा. वो बहुत गीली लग रही थी. मैने फिर अपना सिर उसकी जांघों के नीचे ले जाकर उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटने लगा. वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसका चुनमुनियाँ चाट रहा था.

तभी मुझे अपना लंड थोड़ा गरम गरम लगा. मैने ललिता को रुकने का इशारा किया और बाथरूम जाकर पेसाब करके आया और लंड को साबुन से धोके लाया.

मैने घड़ी देखी 7:30 हो चुके थे. मैं और देर करना नहीं चाहता था. फोरप्ले, चूसा चूसी बहुत हो गया था. मैने ललिता को बेड पे दुबारा लिटाया और उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटना शुरू किया जिससे उसकी चुनमुनियाँ फिर से गीली हो गयी थी. मैने अब अपना लंड उसकी चुनमुनियाँ से लगाया तो उसने मेरा लंड को पकड़कर चुनमुनियाँ के दरवाजे पर लगाया और मेरे चूतड़ को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और मेरा लंड उसके चुनमुनियाँ के अंदर चला गया. मैं धीर धीरे उसको चोद्ने लगा. कोई जल्दबाज़ी नहीं, पूरी कंट्रोल के साथ चोद्ता रहा. इसी तरहा 15 मिनट जैसा चोद्ता रहा. फिर उसकी चुनमुनियाँ मे लंड डालकर उसके उपर ही लेट गया, 2 मिनट जैसा आराम किया और फिर मैने 8-10 धक्के मारे हौले हौले. उसके चुनमुनियाँ को मैने छुकर देखा .. बहुत गीली लग रही थी. इतनी गीली की लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था. चुनमुनियाँ जब इस तरहा गीली होती है तो लंड आराम से आता जाता है तो कंट्रोल बहुत देर तक़ होता है, और चुदाई का आनंद भी ज़्यादा आता है. उसको मैने फिर से चूमा, उसकी चुचियों को हौले हौले सहलाया. फिर मैने लंड चुनमुनियाँ मे डाले ही उसको मेरे उपर ले लिया और मेरा लंड कीली बन कर उसकी चुनमुनियाँ के अंदर जड़ तक समा गया. वो बोली, “आशिषजी, आपका लंड तो बहुत अंदर चला गया, पेट मे टच हो रहा लगता है.” मैने कहा, “भाभी, आप देखते जाओ मज़े लेते जाओ. दर्द हो तो बताईएएगा.” वो बोली, “फिलहाल आप लगे रहिए, ऐसा मज़ा तो आज तक ज़य जी ने भी नहीं दिया मुझे. हल्का दर्द तो होता है इस तरहा पर इस दर्द मे भी बहुत मज़ा है. आप चोदते रहिए.” मैं उसको नीचे से ठप-ठप चोद्ने लगा, कमरे मे चुदाइ की आवाज़ गूंजने लगी. उसको इसी अवस्था मे 4-5 मिनट चोदा.

क्रमशः…………………….
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RE: Kamukta Kahani बीबी की सहेली - by sexstories - 06-28-2017, 10:54 AM

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