RE: Antarvasna घर में मजा पड़ोस में डबल-मजा
विवेक ने अपाने कपडे पहने और बोला,
"मैं तुम्हें ऐसे ही रोज चोदना चाहना हूँ सायरा."
"कभी भी और कैसे भी मिस्टर वी. मुझे चुदाई बहुत पसंद है. अब तो आप समझ ही गए होंगे की ये हमारा खानदानी खेल है”
"तो क्या तुम्हें बुर चाटना भी पसंद है सायरा?"
सायरा मुस्कराई. वो समझ गयी की विवेक ने उसके होंठो पर लगा हुआ तृषा के चूत का रस टेस्ट किया है.
"हाँ जी मिस्टर वी."
विवेक धीरे धीरे घर की तरफ बढ़ने को हुआ. सायरा बोली
"मिस्टर वी! मुझे लगता है की तृषा भी इस सब के लिए एकदम तैयार है. आज शाम को मैंने उसे काफी कुच्छ सिखाया है. उम्मीद है की आप को इससे कोई आपत्ति नहीं है"
"ओह बिलकुल नहीं. तुमने एक दुसरे के साथ जो भी किया उम्मीद है की दोनों को पसन्द आया. है न?"
"बिलकुल. तृषा तो जैसे मजे के मारे पागल ही हो गयी जब मैंने उसकी बुर चाटनी शुरू की. वो कई बार मेरे मुंह के ऊपर झड़ी. बाद में उसें मजे से मेरे चूत भी चाटी”
दरवाजे पर विवेक ने सायरा को एक बार फिर से चूमा. सायरा बोली,
"अगली बार आप मेरी गाड़ मारना मिस्टर वी! मुझे गांड में लंड बड़ा अच्छा लगता है."
"वो तो मुझे भी पसंद है सायरा, अगली बार जरूर से." विवेक बोला और उसकी गांड सहला दी.
जैसे ही विवेक जाने लगा, सायरा बोली,
"आपको अब तृषा को चोदना चहिये मिस्टर वी. वो इसके लिए पूरी तरह से तैयार है. उसके लिए अच्छा रहेगा की घर से उसकी चुदाई की शुरुआत हो. मुझे चोदने वाले पहले आदमी मेरे पापा ही थे और मुझे ये बात हमेशा याद रहेगी. मुझे अभी भी पापा का लंड बेस्ट लगता है मिस्टर वी.”
और विवेक अपने घर की तरफ जा रहा था. वह सोच रहा था की कैसे सायरा ने उसे अपनी खुद की बेटी तृषा को चोदने के कितना करीब पंहुचा दिया है. जब वो ऊपर पंहुचा तो देखा की कविता शाम की इतनी सारी चुदाई से थक हार कर गहरी नींद में सो रही थी. विवेक को पता था की अब वो सीधे सुबह ही जागेगी. उसने अपने कपडे उतार दिए. फ्रिज से एक बियर निकाल कर ४ घुट में खाली कर दी. वह चलते हुए तृषा के कमरे पहुच गया. उसका दिल जोर से धड़क रहा था. उसने कमरे का दरवाजा बहुत धीरे से खोला. कमरे में नाईट लैंप जल रहा था जिससे कमरे की सारी चीजें एकदम साफ़ दिखाई दे रही थीं. तृषा अपने बिस्तर के ऊपर एकदम नंगी लेटी हुई थी. उसके टाँगे फैले हुई थीं. विवेक ने उसकी कुंवारी बुर को खड़ा हो निहार रहा था. उसे इस बात की बड़ी हैरानी हो रही थी की लंड की तीन तीन औरतों की चूत और गांड में अन्दर बाहर करने की इतनी सारी कसरत के बावजूद भी उसका लंड एक बार फिर से खड़ा हो रहा था. वह अपनी बेटी तृषा को चोदना चाह रहा था. पर वो इसमें कोई जल्दी नहीं करना चाहता था. वो चाहता था की ये काम बड़ी सावधानी से किया जाए, सब तृषा खुद इस बात के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हो. इसी समय उसने तृषा की आवाज सुनी
"हेल्लो पापा"
"ओह ..हेल्लो बेटा."
"पापा, मैं यहाँ पर बिना कुछ पहने सो रही हूँ ना?"
"हाँ बेटा. पर ये तो प्राकृतिक रूप है हमारा. और देखो न कितना सुदर रूप है ये.”
"हाँ मुझे भी ऐसे अच्छा लगता है पापा.”
इसी समय तृषा ने ध्यान से देख की पापा भी वहां नंगे खड़े थे.
"ओह पापा मुझे आप भी नंगे खड़े बड़े अच्छे लग रहे हैं. आपने कुछ भी नहीं पहना है. मुझे आपकी ...वो.. वो..चीज.. बड़ी अच्छी लग रही है... ये तो काफी बड़ा है...”
"अच्छा है, उम्मीद है कि मेरी ये चीज तुम्हें परेशान नहीं कर रही है. तो तुमने और सायरा
ने आज रात काफी मजा किया. नहीं?"
"अरे हाँ पापा हमने बड़ा मज़ा किया. सायरा बहुत अच्छे दोस्त बन गयी है मेरी. इतने कम टाइम में वो मुझे बहुत कुछ सिखा गयी. वैसे, वो आपको बहुत पसंद करती है. उम्मीद है कि आपको भी भी सायरा पसंद होगी."
"हाँ, सायरा तो मुझे बहुत पसंद है, थोड़े देर पहले ही मैं उसके साथ उसके घर तक गया था और हम दोनों काफी करीब आ गए”
"बिलकुल ठीक पापा, उसने बोला था की आज रात वो आपसे कनेक्ट करेगी. मुझे पता नहीं कि की कनेक्ट का क्या मतलब है. पर अच्छा ही होगा."
"हमारा कनेक्शन हुआ बेटा. और ये कनेक्शन बड़ा ज़बरदस्त था..भाई मज़ा आ गया.... हो सके तो हम दोनों भी कुछ उसी तरह से कनेक्ट करेंगे किसी दिन.”
"मेरे ख़याल से मुझे मज़ा आएगा उस कनेक्शन से. पापा, एक बात पूछूं?"
"बिलकुल."
"क्या सेक्स से बेहतर कुछ और होता है?"
"बेटा, अगर सेक्स से बेहतर कुछ और है तो मुझे वो चीज पता नहीं है.”
"पापा, सायरा ने आज मुझे सिखाया कि खुद से कैसे सेक्स का मज़ा लेते हैं. मैं लेट कर अपने आप से खेल रही थी और मुझे बड़ा मज़ा आया.”
"सो, रात क्या हुआ?"
"पापा, आपने कहा की मैं आपसे सेक्स के बारे सारी बातें कर सकती हूँ. है न?"
"हाँ मैंने बोला था. और बिलकुल तुम कर सकती हो. मैं तुम्हारे मन की हर बात जानना चाहूँगा."
"सायरा ने मुझे 69 का पोज सिखाया. हम दोनों ने पता नहीं कितनी बार अपना रस छोड़ा. क्या इसमें कोई गंदी बात है?"
"नहीं बेटा, ये तो बड़ी मजेदार चीज होती है, मुझे भी 69 करना बहुत पसंद है."
"मतलब आपको बुर चाटना पसंद है?"
"पसंद? अरे मुझे तो बहुत ज्यादा पसंद है. तुम्हारी माँ के हिसाब से मैं तो इसमें एक्सपर्ट हूँ."
"ओह पापा, मम्मा कितनी किस्मत वाली हैं."
"थैंक यू बीटा, कुछ और सवाल?"
"नहीं और नहीं...... पापा क्या आप मेरे साथ थोडा लेट सकते हो?"
"जरूर."
और विवेक बिस्तर पर तृषा के साथ जा कर लेट गया. तृषा मुद कर लेट गयी जिससे उसकी नंगी गांड विवेक की तरफ हो गयी. विवेक ने तृषा को पीछे से बाहों में भर लिया. उसका लंड तृषा की गांड की दरार में फंसा हुआ था और धीरे धीरे खड़ा हो रहा था. तृषा ने विवेक के हाथ पकड़ कर अपनी चुन्चियों पर रख लिया.
विवेक से अब काबू में रहना मुश्किल हो रहा था. वो तृषा की चुन्चिया दबाने लगा. तृषा
तृषा ने उन्माद में ह्म्म्म की आवाज निकाली और बोला,
"ओह मुझे मजा आ रहा है पापा. सायरा ने भी मेरी चुन्चियों के साथ ऐसा की किया था. पर आपके हाथों में कोई और ही बात है.”
विवेक का लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो कर तृषा के गांड पर बुरी तरह से गड रहा था.
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"पापा आपका टाइट लंड मेरी गांड के ऊपर चुभ रहा है."
“चुभ रहा है न? ये तो बुरी बात है. एक काम करते हैं. इसको यहाँ डाल देते हैं” कहते हुए विवेक ने लंड का सुपाडा तृषा की बुर में डाल दिया.
"ओह पापा. आपका कितना बड़ा है. डाल दो अन्दर. सायरा ने बोला था की मुझे अपना पहला बार आपसे ही करवाना चाहिए. उसके पापा उसके साथ कभी भी करते हैं. पापा आप भी करना”
तृषा अपनी गांड हिलाने लगी ताकि अपने जीवन के पहले लंड को मजे से बुर में ले कर आनंद सके.
"तृषा तुम्हें तो कोई भी करना चाहेगा. तुम हो इतनी सुन्दर और हॉट. मैं तो कब से इस फिराक में था. भला हो सायरा का की आज ये हो गया....आह...आह...”
तृषा ने बोला,
"ओह पापा आपका लंड मेरी बुर में बड़ा अच्छा लग रहा है. मुझे यकीन नहीं हो रहा की ये सब हो रहा है. आह...उई....पूरा अन्दर डालो न...”
तृषा जोर से आनंद में चिल्लाने लगी और और झड गयी. विवेक बस यही मना रहा था की कहीं इस मजे के चीख पुकार में कविता न जाग जाए. पर कविता के नींद पडी पक्की थी. अरे जाग भी गयी तो क्या होगा वो भी इस खेल में शामिल हो जायेगी.
विवेक अभी भी धीरे धीरे लंड पेल रहा था. तृषा मानों एक बार और झड़ने को थी. वो बोली,
"ओह पापा आपका लंड बड़ा मस्त है. सायरा ने सही बोला था की मुझे आपसे चुदाई पसंद आयेगी.
पापा चोदो मुझे जोरों से ....... "
वो फिर से झड गयी..
विवेक भी इस बार झड चुका था. उसने अपना लंड निकाल लिया.
तृषा ने पूछा, "बहुत अच्छे पापा, आप मुझे सिखाओगे की लंड कैसे चूसते हैं?"
"बिलकुल"
"और क्या आप मेरे चुतडो को भी चोदोगे?"
"हाँ. लगता है तुमने और सायरा ने सारी की सारी चीजें कवर करी है आज रात.”
"बिलकुल पापा... और क्या आप मेरी चाटोगे?"
"हाँ जी बेटा, हम और भी कई सारी चीजें करेंगे. हो सके तो तो तुम्हारे माँ को भी इस खेल में शामिल करेंगे.
और जल्दी ही और लोगों को भी शामिल करेंगे."
"पापा, सायरा आपसे चुदना चाहती है."
"मुझे मालूम है."
"हम्म.. जब आप उसे उसके घर ड्राप करने गए, तो क्या आपने उसे चोदा पापा?"
"एकदम सही"
"ओह ये तो मजे की बात है. पापा क्योंकि आपने उसे चोदा, बदले में क्या मैं उसके पापा को छोड़ सकती हूँ.. सायरा कह रही थी उसके पापा मस्त हैं."
"जरूर. गौरव को भी तुम पसंद आओगी. किसी दिन उन्हें अकेले देख कर कर उन्हें बोल देना इस बारे में. शायद तुम्हें बोलने की जरूरत न पड़े... सायरा बता देगी उन्हें. गौरव को तुन्म्हारी टाइट चूत चोदने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.”
"सायरा ने बताया था की उसके पेरेंट्स कभी कभी अपने घर पर सेक्स पार्टी करते हैं. जिसमें सारे लोग नंगे होते हैं और सारी की सारी रात हर कोई हर किसी को चोदता है या चूसता है. ये तो बड़ी मजेदार पार्टी है. क्या आज राट आप लोगों ने वैसी ही पार्टी की. सायरा को लग रहा था की आप लोग कुछ ऐसा ही कर रहे होंगे”
"सायरा बिलकुल ठीक सोच रही थी."
"हम्म......"
फिर विवेक ने तृषा को शाम के सारे डिटेल्स बताये.
"पापा अगली बार मैं भी चलूंगी. सायरा कह रही थी की उसके माँ डैड उसे उसे वो वाली पार्टी में आने देते हैं. एक पार्टी में उसे उसके पापा के अलावा 4 और लोगों ने चोदा था. और कई लड़कियों ने उसे चूसा था.
"हम्म... मैं और तुम्हारी माँ बात करके तय करेंगे की तुम्हारा अभी इन पार्टी में जाना ठीक है की नहीं. अभी पहले तो उसे आज रात के बारे में बताना है. बस वो कहीं अपसेट न हो जाए इस बात से. पर शायद नहीं होगी. क्योंकि मेरी तरह वो भी तुमसे सेक्स करना चाहती है. तुम्हारी माँ बड़े ओपन है और आजा की रात ने उसे और भी ओपन कर दिया है."
"पापा, मम्मा और रेनू आंटी का 69 सोच कर ही गुदगुदी हो रही है. मैं भी माँ के साथ 69 करूंगी."
"हाँ बेटा, मुझे तुम दोनों को देख कर बड़ा मज़ा आएगा."
विवेक ने इसके बाद तृषा को लंड चूसने का प्रैक्टिकल दिया. तृषा ने उसे तब तक नहीं छोड़ा जब तक लंड ने उसके मुंह में अपना रस भर नहीं दिया.
विवेक अब अपने बिस्तर पर लौट आया. कविता को अपनी बाहीं में समेत कर वो कब सो गया उसे पता ही चला.
अगली सुबह जब विवेक उठा, कविता बिस्तर पर बैठ कर उसे बड़े प्यार से देख रही थी. जैसे ही विवेक ने आँखें खोलीं, कविता ने कहा,
"आय लव यू डार्लिंग."
"आय लव यू टू कविता."
"विवेक डार्लिंग, मुझे तुम्हारा इतना सिक्योर होना बड़ा अच्छा लगता है. शायद इसी लिए तुम्हें मेरा गैर मर्दों से चुदने से कोई ऐतराज़ नहीं है. मुझे कल रात गज़ब का मज़ा आया. अब मुझसे आज राट का इंतज़ार हो पाना मुश्किल हो रहा है. मुझे तो अब बस मज़े करने हैं.. खैर वो छोडो तुम सायरा के साथ अपने टहलने के बारे में बताओ. जिस तरह से तुम उसे देख रहे थे, मुझे लगा रहा था की तुम उसे जल्दी ही चोदने वाले हो. क्या तुमने उसके साथ कुछ किया.”
"हाँ जी मैडम, कल उनके एंट्रेंस पर ही उसे चोद डाला. वो बड़ी मजेदार लडकी है. लंड तो ऐसे चूसती है जैसे कोई प्रो हो. एक्चुअली उसे उसके पापा गौरव की ट्रेनिंग जो मिली है. गौराव सायरा को नियमित रूप से चोदता है. सायरा उन लोगों को पार्टी में भी आती है.”
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