RE: Antarvasna घर में मजा पड़ोस में डबल-मजा
आज की शाम को पड़ोसियों के घर जम कर सेक्सी पार्टी करने के बाद, कविता और विवेक धीरे धीरे घर की तरफ टहलते हुए जा रहे थे. थोड़े देर के लिये दोनों खामोश थे. शायद सोच भी नहीं प् रहे थे की पिछले ३-४ घंटे में जो भी हुआ है he सच में हुआ है या सम्पना था. शायद दोनों ही इस बात का इंतज़ार कर रहे थे की दूसरा बोले. यह उनका स्वैप का पहला अनुभव था. उन्हें खुशी थी की उनका पहला अनुभव इतना अच्छा गया.
विवेक मौन भंग करते हुए बोला, "कविता."
"यस डार्लिंग!"
"आज रात की इस पार्टी में तुम्हें मजा आया की नहीं?"
"बहुत ज्यादा मज़ा आया विवेक, तुम्हें तो मालूम है कि मुझे तुम्हारे सामने किसी दुसरे मर्द से चुदने का कितने सालों से इंतज़ार था. मेरा गौरव से चुदना, फिर तुमसे चुदना फिर तुम दोनों से एक साथ चुदना...और रेनू की का मेरी चूत को चाटना और मेरा उसकी चूत को चाटना...मुझे तो अभी भी मेरी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा है.“
(पाठक ये सब कैसे हुआ पिछले भाग में पढ़ सकते हैं)
कविता बोलती जा रही थी,
“हम लोगों ने अगले हफ्ते मिलने का प्लान तो किया है. पर मेरा मन तो उससे पहले एक बार और मिलने का हो रहा है विवेक....मतलब कल राट ही मिलें उसने फिर से?”
विवेक ने स्वीकृति दी,
"बढ़िया आईडिया है ये. मुझे लगता है कि वो मान जायेंगे. हमारे पडोसी हमसे कहीं से कम चुदक्कड़ नहीं हैं. वो चोदने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे. मैं उन्हें कॉल कर के कल सुबह ही बुला लूँगा डार्लिंग!”
दोनों एक बार फिर से शांत हो गए
"विवेक"
"हाँ जी"
"तुन्हें मुझे गौरव मुझे चोदते हुए देख कर कैसा लगा था?"
"मुझे बड़ा ही हॉट लगा बेबी डॉल. दुसरे आदमी का लौंडा तिम्हारी चूत में जाते देख कर मेरा लंड तो बहुत जोर से खड़ा हो गया. अब मैं तुम्हें दो आदमियों से इकठ्ठे चुदते हुए देखना चाहता हूँ. जैसे गौरव और मैंने तुम्हारी और रेनू की डबल-चुदाई की, ठीक वैसे ही. कुछ और लोगों का इंतज़ाम करना पड़ेगा अगली पार्टी के लिए”
"ओह, मुझे भी वो करना है. तुम्हें पता है जब गौरव मुझे चोद रहा था और तुम वहां बैठ कर अपना लंड हाथ से धीरे धीरे हिलाते हुए मुझे चुदते हुए देख रहे थे, मैं जितना जोर से झड़ी की पूरे जीवन में उतना जोर से नहीं नहीं झड़ी थी. तुम्हारा मुझे देखना एक कमाल का अनुभव था विवेक.”
“हाँ.. आज की रात बड़े मजे की राट थी बेबी डॉल.”
“और, जब मैं और रेनू एक दुसरे के ऊपर लेट कर एक दुसरे की चूत चाट रहे थे, तुम्हें मजा आया होगा न?”
"बहुत मजा आया कविता. जीवन मजे लेने के लिए है. मुझे बड़ी खुशी है की तुमने आज किसी औरत को चोदने का नया अनुभव प्राप्त किया"
"और मुझे बड़ा मजा आया जब तुम और रेनू चोद रहे थे, और बाद में जब तुमने और गौरव दोनों ने
रेनू की डबल-चुदाई की, तब तो कमाल ही हो गया."
"बिलकुल सही बोला"
"विवेक मुझे चुदाई बड़ी अच्छी लगती है, कभी कभी ऐसा लगता है जैसे मेरा मन करता है कि किसी को भी चोद डालूँ”
"हाँ कविता, इस मामले में मैं भी कुछ ऐसा ही हूँ. जब सेक्स इतना आनंद देने वाला काम है तो पता नहीं दुनिया ने इसमें इतनी रोक टोक क्यों लगा रखी है. केवल अपनी बीवी को चोदो...किसी और की तरफ बुरी नज़र से मत देखो...मुझे ये सारे नियम बेकार के लगते हैं. मुझे लगता है पड़ोसियों के साथ सेक्स कर के हमारे लिए एक नयी दुनिया दी खुल चुकी है. और अब ये हमारे ऊपर है की हम इस नयी दुनिया का कितना आनंद लें.”
"काश की ये सब ऐसे ही चलता रहे. मैं तो बस अब किसी भी चीज के लिए हमेशा तैयार हूँ. जो भी सामने आएगा.. मैं एक बार कोशिश जरूर करूंगी करने के लिए....तुम्हें कैसा लगेगा की मैं माल जाऊं और किसी बिलकुल अजनबी से आदमी से चुद लूं? ... जब भी मैं इस बारे में सोचती हूँ, मेरा मन बेचैन हो जाता है."
"ओह, सही जा रही हो बेबी डॉल.... मैं देखना या फिर कम से कम इस बारे में सुनना तो जरूर चाहूंगा. मेरी तरफ से तुम्हें खुली छूट है कविता."
जैसे ही उन्होंने घर का दरवाजा खोला, सायरा सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी. उसके चेहरे पर ऐसा की लुक था जैसे बिल्ली के दूध पीने के बाद का होता है.
विवेक मुस्कराया और कविता के कानों में फुसफुसाया, "मैं सायरा को उसके घर तक छोड के आता हूँ. अगर देर लगे तो तुम सो जाना प्लीज"
"विवेक, क्या तुम कुछ नया शुरू करने वाले हो?" वो वापस फुसफुसाई.
"आज के दिन तो कुछ भी हो सकता है."
"हाँ, आज के दिन तो सही में कुछ भी हो सकता है. खैर, बाद में मुझे पूरी कहानी सुनानी पड़ेगी"
"ओह.. जरूर"
जैसे जी सायरा नीचे उस तक पहुची, विवेक ने उसके लिए दरवाजा खोला और बोला,
"क्या मैं इस खूबसूरत और जवान लडकी सायरा को उसके घर तक छोड़ दूँ?”
"ह्म्म्म जरूर मिस्टर वी."
जैसे ही दरवाजा बंद हुआ. विवेक ने अपना हाथ सायरा की पतली कमर में डाल दिया और सायरा को अपनी बाहों में खींच लिया. उसका जवान जिस्म एक पल में विवेक के अनुभवी बदन से टकराया, उनके होठ आपस में मिले और दोनों के बीच का पहला और गहरा चुम्बन लिया गया. जैसे ही चुम्बन ख़त्म हुआ, विवेक को ये बात अच्छी तरह से समझा आ गयी की सायरा अभी अभी चूत चाट कर आयी है. चूँकि सायरा पिछले ३-४ घंटे से उसकी बेटी तृषा के साथ थी, विवेक को ये समझने में देर नहीं लगी की उसके होठों पर किसकी चूत का रस लगा हुआ है.
"सायरा तुम हो बड़ी हॉट. मैं तो जैसे जलने लगा हूँ. तुमने बताया था की मुंबई में तुम्हारी सहेलियों के पापा तुम्हारा अच्छे दोस्त हुआ करते थे. क्या इसका ये मतलब है की वहां के अंकल लोग और तुम आपस में ....”
“सेक्स करते थे मिस्टर वी”, सायरा ने बेबाकी से विवेक का वाक्य पूरा किया.
"तो मैं भी तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ सायरा"
"मुझे मालूम है मिस्टर वी...वो लोग मुझे थोडा पॉकेट मनी भी देते थे"
“मैं भी दूंगा”
“और कभी कभी सिगरेट भी पिलाते थे”
“ओह सिगरेट? ये लो” विवेक ने पैकेट निकाल कर दिया.
सायरा ने एक सिगरेट निकाल कर होठों पर लगाया और जलाया. पहला काश जोर से खींचा और फिर से विवेक के होठों पर होठ रख कर चुम्मा लेते हुए सारा का सारा धुँआ विवेक के मुंह के अन्दर फूंक दिया. विवेक को सायरा की ये अदा ऐसी भाई की उसका लंड एक टाइट हो गया.
विवेक ने भी एक सिगरेट जला ली.
“मेरे मम्मी पापा कैसे लगे मिस्टर वी?”
“ओह.. बहुत खूब लगे. हमें बड़ी खुशी है की तुम्हारे जैसे फॅमिली यहाँ रहने आयी है.”
“पापा ने कविता आंटी को मजा दिया की नहीं?”
“अरे भरपूर दिया सायरा. क्या तुम अपने पापा मम्मी के साथ भी?”
सायरा ने धुएं का कश छोड़ते हुए बोला, “मेरे परिवार में सब लोग बड़े ओपन माइंडेड हैं. इस लिए जब जिसका जो मन करता है, दुसरे को उससे कोई तकलीफ नहीं होती है.”
“ओह.. अच्छा ...” विवेक तो जैसे हकला रहा था.
“और मैंने तृषा को ये सब बता दिया है..ताकि आपको आगे बढ़ने में थोडा आराम रहे मिस्टर वी”
“थैंक यू सायरा” विवेक की जैसे बांछे ही खिल गयीं.
दोनों की सिगरेट अब ख़तम हो गए थी.
“तो चलें अब?”
“जरूर”
विवेक और सायरा लगभग दौड़ते हुए सायरा के घर में घुसे. घुसते ही विवेक ने अपने हाथ तृषा के स्कर्ट में दाल के उसके नंगी बुर सहलानी शुरू कर दी. सायरा अपनी मिनी स्कर्ट के नीचे कुछ नहीं पहना था. विवेक के शॉर्ट्स अपन आप जमीन पर गिर गए. विवेक ने उसका टॉप उतार कर के उसकी जवान चुन्चियों को आज़ाद कर दिया. अब तक दोनों एकदम नंगे हो चुके थे. विवेक ने देखा की सायरा को जितना उसने सोचा था वो उससे भी कहीं ज्यादा सेक्सी और हॉट थी.
सायरा बोली,
"ओह यस मिस्टर वी, प्लीज मुझे चोदो...जल्दी."
विवेक ने सायरा को आगे की तरफ झुकाया और अपने लंड को उसकी गांड के तरफ से चूत के मुहाने पर टिकाया. सायरा की चूत पहले से ही गीली थी. विवेक ने सोचा की हो सकता है की तृषा ने भी सायरा की चूत चाटी हो और इसकी वज़ह से ये गीली हुई हो.
सायरा ने अपनी गांड पीछे की तरफ ठेली जिससे विवेक का लंड आधा घुस गया.
“ओह मिस्टर वी..प्लीज डालो पूरा..”
विवेक ने अगले ही धक्के में पूरा पेल दिया. वो जानता था कि जवानी में चुदाई का बड़ा उन्माद होता है. सो उसने जल्दी जल्दी धक्के लगाने शुरु कर दिए. सायरा का ये पहला टाइम तो था नहीं मोटे और लम्बे लंड लेने का, सो वो बड़े ही मजे ले कर चुदाई करवाने लगी. थोड़ी ही देर में सायरा झड गयी. तो उसने विवेक का लंड अपनी चूत ने निकाल लिया. वो घुटने के बल बैठ गयी, विवेक का लंड अपने हाथों में लिया और बोली,
“मुझे चूत के रस से सना हुआ लंड बड़ा स्वादिष्ट लगता है”
वह विवेक का लंड अपने मुंह में लेकर उसे मुंह से चोदने लगी. जवान मुंह की गर्मी और गीलपन से विवेक थोड़ी ही देर में झड गया. सायरा विवेक का पूरा वीर्य अपने मुंह में ले कर पी गयी.
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