RE: Sex Hindi Kahani रंगीन आवारगी
उसका नंगा जिस्म मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था."उई साली....बहुत चुदासि हो रही है मेरी बन्नो....चूम साली काट मत...तू तो मेरी चूत के भूखे यारों से भी अधिक उतावली हो रही है...ऐसे कहीं मेरे निपल मत काट लेना वेर्ना साला अवी सोचेगा कि मैं बाहर से चुदवा रही हूँ" मैने अपने होंठ उसकी गर्दन से अलग किए और बेशर्मी से बोली,"अवी कौन सा ग़लत सोचेगा, मेरी शशि बाला? चुदवाति तो है ही अपने यारों से...लेकिन डर मत कह देना कि विमल भैया ने काट लिया था अपनी बहना रानी को!!" मैं हंस पड़ी. लेकिन मेरे हाथ अब शशि की ब्रा खोलने लगे. ब्रा के हुक खुलते ही दो कबूतर आज़ाद हो गये जो मेरे हाथों मे फिर से क़ैद हो गये.
अब मेरी ब्रा की बारी थी जिसको उतारने मे शशि ने देरी नही की. कमर से ऊपर पूरी तरह से नंगी हो कर हम दोनो सखियाँ एक कामुक कुम्बं मे क्वेड हो गयी. मेरे तपते होंठ शशि के भीगे होंठों को चूमने लगे. शशि की भीगी ज़ुबान मेरे मूह मे दाखिल होने लगी और मैने भी मुख खोल कर उसको अंदर आने दिया. हमारे थूक मिक्स हो रहे थे और हम एक दूसरे की जीभ चूस रहे थे. मेरे हाथ शशि के सिर को थामे हुए थे और उसके हाथ मेरे नितंभ सहला रहे थे. हमारा जिस्मानी स्पर्श मेरे अंदर एक आग भड़का रहा था और मेरी चूत मे एक शोला भड़का रहा था. है मेरे भगवान, ये क्या हो रहा है मुझे!!!!
हम किस करते हुए बेड की तरफ बढ़े. मेरे होंठों से हमारा मिक्स हुआ मुख रस टपक रहा था. शशि मेरे होंटो से सारा मुख रस चाट गयी और मुझे बेड पेर लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गयी. उसने पहले मेरी पनटी नीचे सर्काई और फिर अपनी उतार डाली. उसकी फूली हुई गुलाबी फांकों वाली चूत से रस की एक बूँद टपक कर बिस्तर की चादर पर गिर पड़ी जहाँ पर चादर गीली हो गयी. मैं उठ कर बैठ गयी और अपनी चूत पर हाथ फेरने लगी. मेरी चूत मे एक भयानक जवालामुखी फॅट रहा था. शशि ने मुझे आलिंगन बाँधा क्या और हम दोनो उत्तेजित सखियाँ एक कामुक चुंबन मे क्वेड हो गयी.
फिर शशि ने अपनी जांघों को फैला कर मेरी कमर के इर्द गिर्द बाँध दिया और मेरे निपल चूसने लगी. मेरे निपल लंबे और कड़े हो गये थे जो की अब मेरी सखी के थूक से भीग चुके थे. मेरा अंग अंग वासना की आग मे दहक रहा था. वासना मे भरी हुई मैं, अपनी लेज़्बीयन सहेली से लिपटने लगी और उसको कंधों से, गर्दन से चूमने लगी. मेरी साँस ऐसे चल रही थी जैसे किसी कुतिया की चल रही हो जो चुदाई की आग मे जल रही हो. पसीने से भीगा हुआ बदन मुझे बहुत नमकीन लग रहा था और मैं पागलों की तरह शशि का अंग अंग चूम रही थी. जितना चूमती मुझे शशि का बदन उतना ही अधिक कामुक लगता.
मेरे जिस्म मे नयी उमंगें जाग रही थी, एक नयी वासना मुझे अपनी सहेली के जिस्म का एक एक अंग स्पर्श करने को और चूम लेने को उत्साहित कर रहा था.
"ऊऊऊऊ, शशि मदर्चोद चूस ले मेरी चुचि...तेरा पति भी चूस चुका है साला...अब तू भी चूस ले....तेरा भाई भी इसको चूस्ता है तू भी इसका रस पी ले!! आआहह.....मदर्चोद इस आग को शांत कर दो किसी तरह.....मुझे किसी घोड़े जैसे लंड से चुदवा कर ठंडी कर दे मेरी रानी.....मुझे अपने पति सी....भाई से....साली अपने बाप से चुदवा पर चुदवा दे, प्लेआस्ीईई!!!!! मेरे मूह से ना जाने क्या क्या निकला जा रहा था. मेरा जिस्म तृप्ति चाहता था. अब शशि ने मेरे निपल छ्चोड़ कर नीचे तक अपना मुख ले जाना शुरू कर दिया. उसके गीले होंठ मेरी नाभि पर किस करने लगे और फिर उसकी ज़ुबान मेरी नाभि की गहराई मे घुस गयी. मेरा चेहरा लाल हो उठा.
ऐसा अनुभव मुझे आज तक ना हुआ था. धीरे धीरे उसकी ज़ुबान मेरी चूत की तरफ बढ़ी और मैं अपने ऊपर पूरी तरह से कंट्रोल खो गयी."बिंदु मेरी रानी, जब एक औरत दूसरी औरत की चूत पर ज़ुबान फेरती है तो क्या होता देख ले. एक औरत की चूत की भाषा एक औरत ही समझती है. मर्द लोग औरत का ये भेद नही पा सकते, मेरी रानी, आज शशि तुझे एक नया अनुभव कराने जा रही है. आज तुझे मालूम होगा कि औरत की ताक़त क्या है!!"
शशि के होंठ मेरी चूत पर हरकत कर रहे थे और मेरी चूत पर चींटियाँ रेगञे लगी थी. कुच्छ देर बाद शशि ने मुझे साइड पर लिटाया जिस से उसका सिर मेरी जांघों के बीच आ गया और उसके पैर मेरे सिर की तरफ आ गये. उसकी मांसल जंघें मेरे मूह के आमने खुली हुई थी. शशि के मन क्या चल रहा था, मुझे पता था. कोई शब्द, कोई भाषा की ज़रूरत ना थी. शशि की चूत मुझे कह रही थी"बिंदु मदर्चोद मुझे चाट, जैसे तेरी सहेली तेरी चूत चाट रही है....जो शशि कर रही उसी की माँग तुझ से कर रही है. लेज़्बीयन कोई अपनी मा के पेट से नही बन कर पैदा होती...ये तो एक प्यार है....एक हवस है जो एक औरत को सम्पुरन औरत बनती है, मेरी जान!!"
मैने अपनी जंघें शशि के चेहरे पर कस डाली और खुद अपनी जीभ उसकी मस्त चूत पर फेरने लगी. शशि की चूत का नमकीन अमृत मुझे बहुत मज़ेदार लग रहा था. मेरी ज़ुबान अपनी चूत पर महसूस कर के वो साली अपनी चूत मेरे मूह पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी. मेरे हाथ उसके नितंभों पर कस गये और मैं हाथों से उसकी गांद दबाने लगी. शशि अपनी कमर उचका कर मेरी ज़ुबान पर ऐसे धक्के मारने लगी जैसे कोई मर्द किसी रांड़ को चोदते वक्त करता है. शशि ने फिर मेरे क्लिट को होंठों मे दबा लिया और मेरी गांद मे उंगली डाल दी.
"ओह.....आआआररर्र्रररगगगगघह......हाआऐययईईईईई.....उउर्र्ररज्ग्घह!!!"मेरे मुख से चीख निकली और मेरा जिस्म ऐंठ गया.
ऐसा आनंद मुझे आज तक नही मिला था. मेरी गांद उन्चुदी थी इस लिए शशि की उंगली को भीतर जाना मुश्किल हो रहा था. उस मदर्चोद ने अचानक अपनी चार उंगलियाँ मेरी चूत मे घुसेड दी और छोड़ ने लगी मुझे और दूसरे हाथ की उंगलिओन को अपने मुख रस से चिकना कर के मेरी गांद मे घुसेड डाली. उत्तेजना मैं आ कर मैने उसकी चूत की फाँक को काट खाया और जब वो मेरे होंठों पर मचलने लगी तो मेरी ज़ुबान फिसल कर उसकी गांद पर चली गयी.
क्रमशः.....................
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