RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
पंकज तब तक सामने के
सोफेपर बैठ चुका था दोनो के हाथ आपस मे मेरे एक एक स्तनो को बाँट
चुके थे. दोनो सारी के आँचल को चूचियो से हटा कर मेरे दोनो
स्तनो को चूम रहे थे. ऐसे हालत मे तीनो के लिए बियर उधेलना एक
मुश्किल का काम था. दोनो तो ऐसे जोंक की तरह मेरे बदन से चिपके
हुए थे कि कोशिश के बाद भी उन्हे अलग नही कर सकी.
मैने उसी हालत मे तीनो ग्लास मे ड्रिंक्स डाल कर उनकी तरफ
बढ़ाया.
पहला ग्लास मैने रस्तोगी की तरफ बढ़ाया.
"इस तरह नही. जो सकी होता है पहले वो ग्लास से एक सीप लेता है
फिर वो दूसरों को देता है"
"ल……लेकिन मैं ड्रिंक्स नही करती"
"अरे ये तो बियर है. बियर ड्रिंक्स नही होती."
"प्लीज़ रस्तोगी…. इसे ज़बरदस्ती मत पिलाओ ये आल्कोहॉल नही लेती
है."
पंकज ने रस्तोगी को मनाया.
"कोई बात नही ग्लास के रिम को तो चूम सकती है. इसे बस चूम दो
तो
इसका नशा बढ़ जाएगा"
मैने ग्लास के रिम को अपने होंठों से छुआ फिर उसे रस्तोगी की
तरफ बढ़ा दिया. फिर दूसरा ग्लास उसी तरह चिना स्वामी को दिया
और
तीसरा पंकज को. तीनो ने मेरी खूबसूरती पर चियर्स किया. पंकज
और रस्तोगी ने अपने अपने ग्लास होंठों से लगा लिए. स्वामी कुच्छ
ज़्यादा ही मूड मे हो रहा था. उसने मेरे नग्न स्तन को अपने हाथ से
छुआ कर मेरे निपल को अपने ग्लास मे रखे बियर मे डुबोया फिर उसे
अपने होंठों से लगा लिया. उसे ऐसा करते देख रस्तोगी भी मूड मे
आगेया. दोनो एक एक स्तन पर अपना अधिकार जमाए उसे बुरी तरह मसल
रहे थे और निचोड़ रहे थे. रस्तोगी ने अपने ग्लास से एक उंगली से
बियर की झाग को उठा कर मेरे निपल पर लगा दिया फिर उसे अपनी
जीभसे चाट कर सॉफ किया.
" म्म्म्मम…. मज़ा आ गया." रस्तोगी ने कहा, " पंकज तुम्हारी बीवी तो
बहुत नशीली चीज़ है."
मेरे निपल्स उत्तेजना मे खड़े होकर किसी बुलेट की तरह कड़े हो
गये थे.
मैने सामने देखा. सामने पंकज अपनी जगह बैठे हुए एकटक मेरे
साथ हो रही हरकतों को देख रहे थे. उनका अपनी जगह बैठे
बैठेकसमसाना ये दिखा रहा था कि वो भी किस तरह उत्तेजित होते जा रहे
हैं. मुझे उनका इस तरह उत्तेजित होना बिल्कुल भी अच्च्छा नही लगा.
ठीक है जान पहचान मे स्वापिंग एक अलग बात होती है लेकिन अपनी
बीवी को किसी अंजान आदमी के द्वारा मसले जाने का मज़ा लेना अलग होता
है.
मुझे वहाँ मौजूद हर मर्द पर गुस्सा आ रहा था लेकिन मेरा जिस्म
मेरे दिमाग़ मे चल रहे उथेल पुथल से बिकुल बेख़बर अपनी भूक
सेपागल हो रहा था. रस्तोगी से और नही रहा गया वो उठ कर मुझे
हाथ पकड़ कर खड़ा किया और मेरे बदन पर झूल रहे मेरी इकलौती
सारी को खींच कर अलग कर दिया. अब तक मेरा जिस्म का सारी के
बाहर से आभास मिल रहा था अब बेपर्दा होकर सामने आ गया. मैं शर्म
से दोहरी हो गयी. तो रस्तोगी ने मेरे बदन के पीछे से लिपट कर
मुझे अपने गुप्तांगों को छिपाने से रोका. उनोोने मेरे बगलों के
नीचे से अपने हाथों को डाल कर मेरे दोनो स्तन थाम लिए और उन्हे
अपने हथेलियों से उपर उठा कर स्वामी के सामने करके एक भद्दी सी
हँसी हंसा.
"स्वामी…. देख क्या माल है. साली खूब मज़े देगी." और मेरे दोनो
निपल्स को अपनी चुटकियों मे भर कर बुरी तरह उमेथ दिया. मैं
दर्दसे"आआआआअहह" कर उठी. स्वामी अपनी हथेली से मेरी योनि के उपर
सहला रहा था. मैं अपने दोनो टाँगों को सख्ती से एक दूसरे से
भींचे खड़ी थी जिससे मेरी योनि उनके सामने छिपि रहे. लेकिन
स्वामी ने ज़बरदस्ती अपनी दो उंगलियाँ मेरे दोनो टाँगों के बीच
घुसेडदी.
क्रमशः....................................
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