Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
06-25-2017, 12:50 PM,
#12
RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
उन्हों ने मुझे किसी बेबी डॉल की तरह एक झटके मे उठाकर हाथों

और पैरों के बल घोड़ी बना दिया. मेरी टपकती हुई योनि अब उन के

सामने थी.

"म्‍म्म्मम द्डूऊऊ डॅयेयल दूऊव.आआज मुझीई जिथनाआअ जीए मे

आईई मसल डलूऊऊ. आआआः मेरिइई गर्मीईइ शाआंट कर

डूऊऊ." मैं सेक्स की भूखी किसी वेश्या की तरह छत्पता रही थी

उनके लिंग के लिए.

"एक मिनूट ठहरो." कह कर उन्हों ने मेरा गाउन उठाया और मेरी योनि

को अच्छि तरह सॉफ करने लगे. ये ज़रूरी भी हो गया था. मेरी

योनि मे इतना रस निकाला था कि पूरी योनि चिकनी हो गयी थी. उनके

इतने मोटे लिंग के रगड़ने का अब अहसाआस भी नही हो रहा था. जब

तक लिंग के रगड़ने का दर्द नही महसूस होता तब तक मज़ा उतना नही

आ पता है. इसलिए मैं भी उनके इस काम से बहुत खुश हुई. मैने

अपनी टाँगों को फैला कर अपनी योनि के अंदर तक का सारा पानी सोख

लेने मे मदद किया. मेरी योनि को अच्छि तरह सॉफ करने के बाद

उन्होने ने अपनी लिंग पर लगे मेरे रस को भी मेरे गाउन से सॉफ

किया. मैने बेड के सिरहाने को पकड़ रखा था और कमर उनके तरफ

कर रखी थी. उन्हों ने वापस अपने लिंग को मेरी योनि के द्वार पर

लगा कर एक और जोरदार धक्का दिया.

"ह्म्‍म्म्मममफफफफफफफफ्फ़" मेरे मुँह से एक आवाज़ निकली और मैने वापस

महसूस किया उनके लिंग को अपनी दुखती हुई योनि को रगड़ते हुए अंदर

जाते हुए. वो दोबारा ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे. उनके धक्कों से

मेरे बड़े बड़े स्तन किसी पेड पर लटके आम की तरह झूल रहे थे.

मेरे गले पर पहना हुआ भारी मंगलसूत्रा उनके धक्को से उच्छल

उच्छल कर मेरे स्तनो को और मेरी थुदी को टक्कर मार रहा था.

मैने उसके लॉकेट को अपने दाँतों से दबा लिया. जिससे कि वो झूले

नही. कमल जी ने मेरी इस हरकत को देख कर मेरे मंगलसूत्रा को

अपने हाथों मे लेकर अपनी ओर खींचा. मैने अपना मुँह खोल दिया. अब

ऐसा लग रहा था मानो वो किसी घोड़ी की सवारी कर रहे हों. और

मंगलसूत्रा उनके हाथों मे दबी उसकी लगाम हो. वो इस तरह मेरी

लगाम थामे मुझे पीछे से ठोकते जा रहे थे.

"कमल...... .ऊऊऊहह. ....कमल. .....मेरा वापस झड़ने वाला

है.

तुम भी मेरा साथ दो प्लीईईसससे" मैने कमाल से मेरे साथ

झड़ने का आग्रह किया. कमल्जी ने मेरी पीठ पर झुक कर मेरे झूलते

हुए दोनो स्तनो को अपनी मुट्ठी मे पकड़ लिया और पीछे से अपने

कमर को आगे पीछे थेल्ते हुए ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगे. मैने

अपने सिर को झटका देकर अपने चेहरे पर बिखरी अपनी ज़ुल्फो को

पीछे किया तो मेरे दोनो स्तनो को मसल्ते हुए जेत्जी के हाथों को

देखा. उनके हाथ मेरे निपल्स को अपनी चुटकियों मे भर कर मसल

रहे थे.

"म्‍म्म्मम….कमल……कमल……" अब हुमारे बीच कोई रिश्तों की ओपचारिकता

नही बची थी. मैं अपने जेठ को उनके नाम से ही बुला रही थी,"

कमल......मैं झाड़ रही हूँ......कमल तुम भी आ जाओ... तुम भी

अपनी धार छ्चोड़ कर संगम कर्दूऊओ"

मैने महसूस किया कि उनका लिंग भी झटके लेने लगा है. उन्हों ने

मेरे गर्दन के पास अपना चेहरा रख दिया/ उनकी गर्म गर्म साँस मेरी

गर्दन पर महसूस कर रही थी. उन्हों ने लगभग मेरे कान मे

फुसफुसते हुए कहा, " सीमी........ .मेरा निकल रहा है. आआअज

तुम्हारी कोख तुम्हारे जेठ के रस से भर जाएगी."

" भर जाने दो मेरीई जानां…….दाआल्दूओ……मेरे पेट मे अपना

बच्चा डाल दो. मैं अप्नकूऊ अपनी कोख सीईए बच्चाअ

दूँगी." मैने कहा और एक साथ दोनो के बदन से अमृत की धार बह

निकली. उनकी उंगलियाँ मेरे स्तनों को बुरी तरह निचोड़ दिए. मेरे

दाँत मेरे मंगलसूत्रा पर गड़ गये. और हम धोनो बिस्तर पर गिर

पड़े. वो मेरे उपर ही पड़े हुए थे. हमारे बदन पसीने से लत्पथ

हो रहे थे.

" आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कमल्जीिइईई…….आआज्जजज आआपनईए मुझीए वााक़ई

ठंडाअ कार दियाआ………आआअपनीईए………मुझीईए……वूऊओ…

मज़ाआअ…..दियाआअ……जिसक्ीईए …लिईईए मैईईइ…..काफ़िईईईई… .दीनो

से तड़प रही……थी…..म्‍म्म्मममम" मेरा चेहरा तकिये मे धंसा हुआ था

और मैं बड़बड़ाई जा रही थी. वो बहुत खुश हो गये. और मेरी नग्न

पीठ को चूमने लगे बीच बीच मे मेरे पीठ पर काट भी देते.

मैं बुरी तरह तक चुकी थी. वापस बुखार ने मुझे घेर लिया. पता

ही नही चला कब मैं नींद के आगोश मे चली गयी.

जेठ जी ने मेरे नग्न बदन पर कपड़े किस तरह पहनाए ये भी पता

नही चल पाया. उन्हों ने मुझे कपड़े पहना कर चादर से अच्छि

तरह लपेट कर सुला दिया. मैं सुंदर सुंदर सपनो मे खो गयी.

अच्च्छा हुआ कि उन्हों ने मुझे कपड़े पहना दिए थे वरना अपनी इस

हालत की व्याख्या पंकज और कल्पना दीदी से करना मुश्किल काम होता.

मेरे पूरे बदन पर उकेरे गये दाँतों के निशानो की सुंदर

चित्रकारी का भी कोई जवाब नही था.

जब तक दोनो वापस नही आ गये कमल जी की गोद मे ही सिर रख कर

सोती रही. और कमल जी घंटों मेरे बालों मे अपनी उंगलियाँ फेरते

रहे. बीच बीच मे मेरे गालों पर या मेरे होंठों पर अपने गर्म

होंठ रख देते.

पंकज और कल्पना रात के दस बजे तक चहकते हुए वापस लौटे.

होटेल से खाना पॅक करवा कर ही लौटे थे. मेरी हालत देख कर

पंकज और कल्पना घबरा गये. बगल मे ही एक डॉक्टर रहता था उसे

बुला कर मेरी जाँच करवाई.डॉक्टर ने देख कर कहा कि वाइरल

इन्फेक्षन है दवाइयाँ लिख कर चले गये.

दवाई खाने के बाद ही हालत थोड़ी ठीक हुई. दो दिन मे एकद्ूम स्वस्थ

हो गयी. इस दौरान हम चारों के बीच किसी तरह का कोई सेक्स का

खेल नही हुआ.

अगले दिन पंकज का जन्मदिन था. शाम को बाहर खाने का प्रोग्राम था.

एक बड़े होटेल मे सीट पहले से ही बुक कर रखे थे. वहीं पर

पहले दोनो भाइयों ने ड्रिंक्स ली फिर खाना खाया. वापस लौटते समय

पंकज बज़ार से एक ब्लू फिल्म का ड्व्ड खरीद लाए.

घर पहुँच कर हम चारों कपड़े बदल कर हल्के फ्लूके गाउन मे

हुमारे बेडरूम मे इकट्ठे हुए. फिर पहले एंपी3 चला कर कुच्छ देर

तक एक दूसरे की बीवियों के साथ हमने डॅन्स किया. मैं जेत्जी की

बाहों मे थिरक रही थी और कल्पना दीदी को पंकज ने अपने बाँहों

मे भर रखा था. फिर पंकज ने कमरे की ट्यूबलाइज्ट ऑफ कर दी और

सिर्फ़ एक हल्का नाइट लॅंप जला दिया. हम चारों बिस्तर पर बैठ गये.

पंकज ने द्वड ऑन करके ब्लू फिल्म चला दी. फिर बिस्तर के सिरहाने पर

पीठ लगा कर हम चारों बैठ गये. एक किनारे पर पंकज बैठा

था और दूरे किनारे पर कमल्जी थे. बीच मे हम दोनो औरतें थी.

दोनो ने अपनी अपनी बीवियों को अपनी बाँहों मे समेट रखा था. इस

हालत मे हम ब्लू फिल्म देखने लगे. फिल्म जैसे जैसे आगे बढ़ती

गयी कमरे का महॉल गर्म होता गया. दोनो मर्द बिना किसी शर्म के

अपनी अपनी बीवियों के गुप्तांगों को मसल्ने लगे. पंकज मेरे स्तनो को

मसल रहा था और कमल कल्पना दीदी के. पंकज ने मुझे उठा कर

अपनी टाँगों के बीच बिठा लिया. मेरी पीठ उनके सीने से सटी हुई

थी. वो अपने दोनो हाथ मेरी गाउन के अंदर डाल कर अब मेरे स्तनो को

मसल रहे थे. मैने देखा कल्पना दीदी पंकज को चूम रही थी

और पंकज के हाथ भी कल्पना दीदी की गाउन के अंदर थे. मुझे उन

दोनो को इस हालत मे देख कर पता नही क्यों कुच्छ जलन सी होने

लगी. हम दोनो के गाउन कमर तक उठ गये थे. और नंगी जंघें

सबके सामने थी. पंकज ने अपने एक हाथ को नीचे से मेरे गाउन मे

घुसा कर मेरी योनि को सहलाने लगे. मैं अपनी पीठ पर उनके लिंग की

ठिकार को महसूस कर रही थी.

कमल ने कल्पना दीदी के गाउन को कंधे पर से उतार दिया था और एक

स्तन को बाहर निकाल कर चूसने लगे. ये देख कर पंकज ने भी मेरे

एक स्तन को गाउन के बाहर निकालने की कोशिश की. मगर मेरे इस गाउन

का गला कुच्छ छ्होटा था इसलिए उसमे से मेरा स्तन बाहर नही निकल

पाया. उन्हों ने काफ़ी कोशिशें की मगर सफल ना होते देख कर गुस्से

मे एक झटके मे मेरे गाउन को मेरे बदन से हटा दिया. मैं सबके

सामने बिल्कुल नंगी हो गयी क्योंकि प्रोग्राम के अनुसार हम दोनो ने

गाउन के अंदर कुच्छ भी नही पहन रखा था. मैं शर्म के मारे अपने

हाथों से अपने स्तनो को छिपाने लगी अपनी टाँगों को एक दूसरे से

सख्ती से दाब रखी थी जिससे मेरी योनि के दर्शन ना हों.

"क्या करते हो….शर्म करो……बगल मे कमल भैया और कल्पना दीदी

हैं तुम उनके सामने मुझे नंगी कर दिए. छ्ह्हि छि क्या सोचेंगे

जेत्जी? मैने फुसफुसते हुए पंकज के कानो मे कहा जिससे बगल वाले

नही सुन सके.

"तो इसमे क्या है ? कल्पना भाभी भी तो लगभग नंगी ही हो चुकी

हैं. देखो उनकी तरफ…" मैने अपनी गर्देन घुमा कर देखा तो पाया

कि पंकज सही कह रहा था. कमल्जीई ने दीदी के गाउन को छातियो

से भी उपर उठा रखा था. वो दीदी की चूचियो को मसले जा रहे

थे. उन्हों ने दीदी के एक निपल को अपने दाँतों से काटते हुए दूसरे

बूब को अपनी मुट्ठी मे भर कर मसल्ते जा रहे थे. कल्पना दीदी ने

कमल्जी के पायजामे को खोल कर उनके लिंग को अपने हाथों मे लेकर

सहलाना शुरू कर दिया था.

इधर पंकज ने मेरी टाँगों को खोल कर अपने होंठों से मेरी योनि के

उपर फेरने लगा. उसने उपर बढ़ते हुए मेरे दोनो निपल्स को कुच्छ

देर चूसा फिर मेरे होंठों को चूमने लगा. कल्पना दीदी के बूब्स

भी मेरी तरह काफ़ी बड़े बड़े थे दोनो भाइयों ने लगता है दूध की

बोतलों का मुआयना करके ही शादी के लिए पसंद किया था. कल्पना

दीदी के निपल्स काफ़ी लंबे और मोटे हैं जबकि मेरे निपल्स कुच्छ

छ्होटे हैं. अब हम चारों एक दूसरे की जोड़ी को निहार रहे थे. पता

नही टीवी स्क्रीन पर क्या चल रहा था. सामने लिव ब्लू फिल्म इतनी गर्म

थी कि टीवी पर देखने की किसे फुरसत थी. पंकज ने मेरे हाथों को

अपने हाथों से अपने लिंग पर दबा कर सहलाने का इशारा किया. मैने

भी कल्पना दीदी की देखा देखी पंकज के पायजामे को ढीला करके

उनके लिंग को बाहर निकाल कर सहला रही थी. कमल की नज़रें मेरे

बदन पर टिकी हुई थी. उनका लिंग मेरे नग्न बदन को देख कर

फूल कर कुप्पा हो रहा था.

चारों अपने अपने लाइफ पार्ट्नर्स के साथ सेक्स के गेम मे लगे हुए

थे. मगर चारों ही एक दूसरे के साथी की कल्पना करके उत्तेजित हो

रहे थे. पंकज ने बेड पर लेटते हुए कल्पना दीदी को अपनी टाँगों

के बीच खींच लिया और उनके सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर

झुकाया. कल्पना दीदी उनके लिंग पर झुकते हुए हुमारी तरफ देखी.

पल भर को मेरी नज़रों से उनकी नज़रें मिली तो उन्हों ने मुझे भी

ऐसा करने को इशारा करते हुए मुस्कुरा दी. मैने भी पंकज के लिंग

पर झुक कर उसे चाटना शुरू किया. पंकज के लिंग को मैं अपने मुँह

मे भर कर चूसने लगी और कल्पना दीदी कमल के लिंग को चूस

रही थी. इसी दौरान हम चारों बिल्कुल नग्न हो गये.

" पंकज लाइट बंद कर दो शर्म आ रही है." मैने पंकज को

फुसफुसते हुए कहा.

"इसमे शर्म किस बात की. वो भी तो हमारे जैसी हालत मे ही हैं."

कहकर उन्हों ने पास मे काम क्रीड़ा मे व्यस्त कमल और कल्पना की ओर

इशारा किया. पंकज ने मुझे अपने उपर लिटा लिया. वो ज़्यादा देर तक

ये सब पसंद नही करते थे. थोड़े से फोरप्ले के बाद ही वो योनि

के अंदर अपने लिंग को घुसा कर अपनी सारी ताक़त चोदने मे लगाने

पर ही विस्वास करते थे. उन्हों ने मुझे अपने उपर खींच कर अपनी

योनि मे उनका लिंग लेने के लिए इशारा किया. मैं उनकी कमर के पास

बैठ कर घुटनो के बल अपनी बदन को उनके लिंग के उपर किया. फिर

उनके लिंग को अपने हाथों से अपनी योनि के मुँह पर सेट करके मैं अपने

बदन का सारा बोझ उनके लिंग पर डाल दी. उनका लिंग मेरे योनि के

अंदर घुस गया. मैने पास मे दूसरे जोड़े की ओर देखा. दोनो अभी

भी मच मैथुन मे बिज़ी थे. कल्पना दीदी अभी भी उनके लिंग को

चूस रही थी. मेरा तो उन दोनो के मुख मैथुन की अवस्था देख कर

ही पहली बार झाड़ गया.

तभी पंकज ने ऐसी हरकत की जिससे हुमारे बीच बची खुचि शर्म

का परदा भी तर्तर हो गया, पंकज ने कमल्जी का हाथ पकड़ा और

मेरे एक स्तन पर रख दिया. कमल ने अपने हाथों मे मेरे स्तन को

थाम कर कुच्छ देर सहलाया. ये पहली बार था जब किसी गैर मर्द ने

मुझे मेरे हज़्बेंड के सामने ही मसला था. कमल मेरे एक स्तन को

थोड़ी देर तक मसल्ते रहे फिर मेरे निपल को पकड़ कर अपनी

उंगलियों से उमेथ्ने लगे.

पंकज इसी का बहाना लेकर कल्पना दीदी के एक स्तन को अपने हाथों मे

भर कर दबाने लगे. पंकज की आँखें कल्पना दीदी से मिली और

कल्पना दीदी अपने सिर को कमल्जी के जांघों के बीच से उठा कर आगे

आ गयी. जिससे पंकज को उनके स्तनो पर हाथ फिराने के लिए ज़्यादा

मेहनत नही करनी पड़े. अब हम दोनो महिलाएँ अपने अपने हज़्बेंड के

लिंग की सवारी कर रहे थे. उपर नीचे होने से दोनो की बड़ी बड़ी

चूचिया उच्छल रही थी. पंकज के हाथों की मालिश अपने स्तनो पर

पाकर कल्पना दीदी की धक्के मारने की रफ़्तार बढ़ गयी. और वो, "

आआहह म्‍म्म्मम" जैसी आवाज़ें मुँह से निकालती हुई कमल जी पर लेट

गयी. लेकिन कमल्जी का तना हुआ लिंग उनकी योनि से नही निकला.

कुच्छ देर तक इसी तरह चोदने के बाद. पंकज ने मुझे अपने उपर से

उठा कर बिस्तर पर लिटाया और मेरी दोनो टाँगें उठा कर अपने कंधे

पर रख दिया और मेरी योनि पर अपने लिंग को लगा कर अंदर धक्का

दे दिया. फिर मेरी योनि पर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे. मैं कमल

की बगल मे लेटी हुई उनको कल्पना दीदी के चूमते और प्यार करते

हुए देख रही थी. मेरे मन मे जलन की आग लगी हुई थी. काश

वहाँ उनके बदन पर कल्पना दीदी नही बल्कि मेरा नग्न बड़ा पसरा हुआ

होता.

वो मुझे बिस्तर पर लेते हुए ही निहार रहे थे. उनके होंठ कल्पना

दीदी को चूम चाट रहे थे लेकिन आँखें और दिल मेरे पास था. वो

अपने हाथों को मेरे बदन पर फेरते हुए शायद मेरी कल्पना करते

हुए अपनी कल्पना को वापस ठोकने लगे. कल्पना दीदी के काफ़ी देर तक

ऊपर से करने के बाद कमल्जी ने उसे हाथों और पैरों के बल झुका

दिया. ये देख पंकज भी मुझे उल्टा कर मुझे भी उसी पोज़िशन मे

कर दिया. सामने आईना लगा हुआ था. हम दोनो जेठानी देवरानी पास

पास घोड़ी बने हुए थे. दोनो ने एक साथ एक र्य्थेम मे हम दोनो को

ठोकना शुरू किया. चार बड़े बड़े स्तन एक साथ आगे पीछे हिल

रहे थे. हम दोनो एक दूसरे की हालत देख कर और अधिक उत्तेजित हो

रहे थे. कुकछ देर तक इस तरह करने के बाद दोनो ने हम दोनो को

बिस्तर पर लिटा दिया और उपर से मिशनरी स्टाइल मे धक्के मारने

लगे. इस तरह संभोग करते हुए हमारे बदन अक्सर एक दूसरे से

रगड़ खा कर और अधिक उत्तेजना का संचार कर रहे थे.

कल्पना दीदी अब झड़ने वाली थी वो ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी, "

हाआअँ ……हाआअँ….ओउउउर्र्र जूऊओर सीई और जूऊर सीई. हाआँ

इसीईईईई तराआहह. काअमाअल आअज तुम मे काफ़िईई जोश हाीइ… आअज

तो तुम्हारा बहुत तन रहा है. आअज तूओ मैईईईई निहाआअल हो

गइईए" इस तरह बड़बड़ाते हुए उसने अपनी कमर को उचकाना शुरू

किया और कुच्छ ही देर मे इस तरह बिस्तर पर निढाल होकर गिरी मानो

उसके बदन से हवा निकल दी गयी हो. अब तो कमल्जी उसके ठंडे पड़े

शरीर को ठोक रहे थे.

क्रमशः........................
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RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की - by sexstories - 06-25-2017, 12:50 PM

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