Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
06-25-2017, 12:49 PM,
#11
RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
मैं हूँ हसीना गजब की --पार्ट--4

गतान्क से आगे........................

वो भोचक्के से कुच्छ देर तक मेरी आँखों मे झाँकते रहे.

"मुझे सब पता है. मुझे पहले ही संदेह हो गया था. पंकज को ज़ोर

देकर पूचछा तो उसने स्वीकार कर लिया."

" तुम......तुमने कुच्छ कहा नही? तुम नयी बीवी हो उसकी तुमने उसका

विरोध नही किया?" कमल ने पूचछा.

" विरोध तो आप भी कर सकते थे. आप को सब पता था लेकिन आप ने

कभी दोनो को कुच्छ कहा नही. आप तो मर्द हैं और उनसे बड़े भी."

मैने उल्टा उनसे ही सवाल किया.

" चाह कर भी कभी नही किया. मैं दोनो को बेहद चाहता हूँ

और......."

" और क्या?"

" और.......कल्पना मुझे कमजोर समझती है." कहते हुए उन्हों ने

अपना चेहरा नीचे झुका लिया. मैं उस प्यारे इंसान की परेशानी पर

अपने को रोक नही पायी. और मैने उनके चहरे को अपनी हथेली मे भर

कर उठाया. मैने देखा की उनके आँखों के कोनो पर दो आँसू चमक

रहे हैं. मैने ये देख कर तड़प उठी. मैने अपनी उंगलियों से उनको

पोंच्छ कर उनके चेहरे को अपने सीने पर खींच लिया. वो किसी

बच्चेकी तरह मेरी चूचियो से अपना चेहरा सटा रखे थे.

"आपने कभी किसी डॉक्टर से जाँच क्यों नही करवाया" मैने उनके

बालोंमे अपनी उंगलियाँ फिराते हुए पूचछा.

" दिखाया था. कई बार चेक करवाया"

" फिर?"

" डॉक्टर ने कहा........ " दो पल को वो रुके. ऐसा लगा मानो सोच

रहेहों कि मुझे बताएँ या नही फिर धीरे से कहा " मुझमे कोई कमी

नहीहै."

" क्या?" मैं ज़ोर से बोली, " फिर भी आप सारा दोष अपने ऊपर लेकर

चुप बैठे हैं. आपने किसी को बताया क्यों नही? ये तो बुजदिली है."

" अब तुम इसे मेरी बुजदिली समझो चाहे जो भी. लेकिन मैं उसकी उमीद

कोतोड़ना नही चाहता. भले ही वो सारी जिंदगी मुझे एक नमार्द समझती

रहे."

" मुझे आप से पूरी हमदर्दी है. लेकिन मैं आपको वो दूँगी जो

कल्पना भाभी ने नही दिया."

वो चोंक कर मेरी तरफ देखे. उनकी गहरी आँखों मे उत्सुकता थी मेरा

जवाब सुनने की. मैने आगे कहा, " मैं आपको अपनी कोख से एक बच्चा

दूँगी."

" क्या???? कैसे??" वह हॅड बड़ा उठे.

" अब इतने बुद्धू भी आप हो नही कि समझना पड़े कैसे." मैं उनके

सीने से लग गयी, " अगर वो दोनो आपकी की चिंता किए बिना जिस्मानी

ताल्लुक़ात रख सकते है तो आपको किसने ऐसा करने से रोका है?" मैने

अपनी आँखें बंद कर के फुसफुसते हुए कहा जो उसके अलावा किसी को

सुनाई नही दे सकता था.

इतना सुनना था कि उन्हों ने मुझे अपने सीने मे दाब लिया. मैने अपना

चेहरा उपर उठाया तो उनके होंठ मेरे होंठों से आ मिले. मेरा बदन

कुच्छ तो बुखार से और कुच्छ उत्तेजना से तप रहा था. मैने अपने

होंठ खोल कर उनके होंठों का स्वागत किया. उन्होने मुझे इस तरह

चूमना शुरू किया मानो बरसों के भूखे हों. मैं उनके चौड़े सीने

के बालों पर अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी. उन्हों ने मेरे गाउन को बदन

पर बँधे उस डोर को खींच कर खोल दिया. मैं पूरी तरह नग्न

उनके सामने थी. मैने भी उनके पायजामे के उपर से उनके लिंग को अपने

हाथों से थाम कर सहलाना शुरू किया.

" एम्म्म काफ़ी मोटा है. दीदी को तो मज़ा आ जाता होगा?" मैने उनके लिंग

को अपनी मुट्ठी मे भर कर दबाया. फिर पायजामे की डोरी को खोल कर

उनके लिंग को बाहर निकाला. उनका लिंग काफ़ी मोटा था. उसके लिंग के

ऊपर का सूपड़ा एक टेन्निस की गेंद की तरह मोटा था. कमल्जी गोरे

चिट थे लेकिन लिंग काफ़ी काला था. लिंग के उपर से चंदे को नीचे

किया तो मैने देखा कि उनके लिंग के मुँह से पानी जैसा चिप चिपा

रस निकल रहा है. मैने उनकी आँखों मे झाँका. वो मेरी हरकतों को

गोर से देख रहे थे. मैं उनको इतनी खुशी देना चाहती थी जितनी

कल्पना दीदी ने भी नही दी होगी. मैने अपनी जीभ पूरी बाहर

निकली. और स्लो मोशन मे अपने सिर को उनके लिंग पर झुकाया. मेरी

आँखे लगातार उनके चेहरे पर टिकी हुई थी. मैं उनके चेहरे पर

उभरने वाली खुशी को अपनी आँखों से देखना चाहती थी. मैने अपनी

जीभ उनके लिंग के टिप पर लगाया. और उसस्से निकालने वाले रस को

चाट कर अपनी जीभ पर ले लिया. फिर उसी तरह धीरे धीरे मैने

अपना सिर उठा कर अपने जीभ पर लगे उनके रस को उनकी आँखों के

सामने किया और मुँह खोल कर जीभ को अंदर कर ली. मुझे अपना रस

पीते देख वो खुशी से भर उठे और वापस मेरे चेहरे पर अपने

होंठ फिराने लगे. वो मेरे होंठों को मेरे कानो को मेरी आँखों को

गालों को चूमे जा रहे थे और मैं उनके लिंग को अपनी मुट्ठी मे भर

कर सहला रही थी. मैने उनके सिर को पकड़ कर नीचे अपनी

छातियो से लगाया. वो जीभ निकाल कर दोनो चूचियो के बीच की

गहरी खाई मे फिराए. फिर एक स्तन को अपने हाथों से पकड़ कर उसके

निपल को अपने मुँह मे भर लिया. मेरे निपल पहले से ही तन कर

कड़े हो गये थे. वो एक निपल को चूस रहे थे और दूसरी चूची

को अपनी हथेली मे भर कर मसल रहे थे. पहले धीरे धीरे

मसले मगर कुच्छ ही देर मे दोनो स्तनो को पूरी ताक़त से मसल

मसल कर लाल कर दिए. मैं उत्तेजना मे सुलगने लगी. मैने उनके लिंग

के नीचे उनकी गेंदों को अपनी मुट्ठी मे भर कर सहलाना शुरू किया.

बीच बीच मे मेरे फूले हुए निपल्स को दन्तो से काट रहे थे.

जीभ से निपल को छेड़ने लगते. मैं "सीईई…..

आआअहह….म्‍म्म्ममम… उन्न्ञन्… " जैसी आवाज़ें निकालने से नही रोक पा

रही थी. उनके होंठ पूरे स्तन युगल पर घूमने लगे. जगह जगह

मेरे स्तनो को काट काट कर अपने मिलन की निशानी छ्चोड़ने लगे. पूरे

स्तन पर लाल लाल दन्तो के निशान उभर आए. मैं दर्द और उत्तेजना मे

सीईएसीए कर रही थी. और अपने हाथों से अपने स्तनो को उठाकर

उनके मुँह मे दे रही थी.

"कितनी खूबसूरत हो….." कमल ने मेरे दोनो बूब्स को पकड़ कर

खींचते हुए कहा.

"आगे भी कुच्छ करोगे या इनसे ही चिपके रहने का विचार है." मैने

उनको प्यार भारी एक झिड़की दी. निपल्स लगातार चूस्ते रहने के

कारण दुखने लगे थे. स्तनो पर जगह जगह उनके दन्तो से काटने के

लाल लाल निशान उभरने लगे थे. मैं काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी.

पंकज इतना फोरप्ले कभी नही करता था. उसको तो बस टाँगें चौड़ी

करके अंदर डाल कर धक्के लगाने मे ही मज़ा आता था.

उन्हों ने मेरी टाँगों को पकड़ कर नीचे की ओर खींचा तो मैं

बिस्तर पर लेट गयी. अब उन्हों ने मेरे दोनो पैरों को उठा कर उनके

नीचे दो तकिये लगा दिए. जिससे मेरी योनि उपर को उठ गयी. मैने

अपनी टाँगों को चौड़ा करके छत की ओर उठा दिए. फिर उनके सिर को

पकड़ कर अपनी योनि के उपा दबा दिया. कमल जी अपनी जीभ निकाल कर

मेरी योनि के अंदर उसे डाल कर घुमाने लगे पूरे बदन मे सिहरन

सी दौड़ने लगी. मैं अपनी कमर को और ऊपर उठाने लगी जिससे उनकी

जीभ ज़यादा अंदर तक जा सके. मेरे हाथ बिस्तर को मजबूती से थाम

रखे थे. मेरी आँखों की पुतलियान पीछे की ओर उलट गयी और मेरा

मुँह खुल गया. मैं ज़ोर से चीख पड़ी,

" हाआअँ और अंदार्रर्ररर. कमाआल आआआहह ऊऊओह

इतनीईए दीईइन कहाआन थीईए. मैईईईन पाआगाअल हो

जाउउउउन्गीईईईई . ऊऊऊओह उउउउउईईईइ माआआअ क्याआआ

कारर्र रहीईई हूऊऊओ कमाआाअल मुझीईई सम्हलूऊऊ

मेराआआ छ्च्ट्नेयी वलाआअ हाईईईईईई. कॅमेययायायायाल इसीईईईईईई

तराआअह साआरी जिन्दगीईई तुम्हाआरि दूओसरीईई बिवीईईइ

बनकर चुड़वटिईई रहूऊऊओँगी" एक दम से मेरी योनि से वीर्य की

बाढ़ सी आई और बाहर की ओर बह निकली. मेरा पूरा बदन किसी पत्ते

की तरह कान्प्प रहा था. काफ़ी देर तक मेरा स्खलन होता रहा. जब

सारा वीर्य कमाल जी के मुँह मे उधेल दिया तो मैने उनके सिर को

पकड़ कर उठाया. उनकी मूच्छें, नाक होंठ सब मेरे वीर्य से सने

हुए थे. उन्हों ने अपनी जीभ निकाली और अपने होंठों पर फिराई.

"छि गंदे." मैने उनसे कहा.

"इसमे गंदी वाली क्या बात हुई?" ये तो टॉनिक है. तुम मेरा टॉनिक पी

कर देखना अगर बदन मे रंगत ना अजाए तो कहना.

" जानू अब आ जाओ." मैने उनको अपने उपर खींचा. "मेरा बदन तप

रहा है. बुखार मे कमज़ोरी आती जा रही है. इससे पहले की मैं थक

जाउ मेरे अंदर अपना बीज डाल दो."

कमल ने अपने लिंग को मेरे मुँह से लगाया.

"एक बार मुँह मे तो लो उसके बाद तुम्हारी योनि मे डालूँगा. पहले एक

बार प्यार तो करो इसे." मैने उनके लिंग को अपनी मुट्ठी मे पकड़ा और

अपनी जीभ निकाल उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया. मैं अपनी

जीभ से उनके लिंग के एकद्ूम नीचे से उपर तक चाट रही थी. अपनी

जीभ से उनके लिंग के नीचे लटकते हुए अंडकोषों को भी चाट रही

थी. उनका लिंग मुझे बड़ा प्यारा लग रहा था. मैं उनके लिंग को

चाटते हुए उनके चेहरे को देख रही थी. उनका उत्तेजित चेहरा बड़ा

प्यारा लग रहा था. दिल को सुकून मिल रहा था कि मैं उन्हे कुच्छ तो

आराम दे पाने मे सफल रही थी. उन्हों ने मुझे इतना प्यार दिया था

कि उसका एक टुकड़ा भी मैं वापस अगर दे सकी तो मुझे अपने ऊपर गर्व

होगा.

उनके लिंग से चिपचिपा सा बेरंग का प्रेकुं निकल रहा था. जिसे मैं

बड़ी तत्परता से चाट कर सॉफ कर देती थी. मैं काफ़ी देर तक उनके

लिंग को तरह तरह से चाटी रही. उनका लिंग काफ़ी मोटा था इसलिए

मुँह के अंदर ज़्यादा नही ले पा रही थी इसलिए जीभ से चाट चाट

कर ही उसे गीला कर दिया था. कुच्छ देर बाद उनका लिंग झटके खाने

लगा. उन्हों ने मेरे सिर पर हाथ रख कर मुझे रुकने का इशारा किया.

"बस.......बस और नही. नही तो अंदर जाने से पहले ही निकल

जाएगा" कहते हुए उन्हों ने मेरे हाथों से अपने लिंग को छुड़ा लिया

और मेरे टाँगों को फैला कर उनके बीच घुटने मोड़ कर झुक गये.

उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि से सटाया.

"आपका बहुत मोटा है. मेरी योनि को फाड़ कर रख देगा." मैने

घबराते हुए कहा" कमल्जी धीरे धीरे करना नही तो मैं दर्द से

मर जाउन्गि."

वो हँसने लगे.

" आअप बहुत खराब हो. इधर तो मेरे जान की पड़ी है" मैने उनसे

कहा.

मैने भी अपने हाथों से अपनी योनि को चौड़ा कर उनके लिंग के लिए

रास्ता बनाया. उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि के द्वार पर टीका दिया.

मैने उनके लिंग को पकड़ कर अपनी फैली हुई योनि के अंदर खींचा.

"अंदर कर दो...." मेरी आवाज़ भारी हो गयी थी. उन्हों ने अपने बदन

को मेरे बदन के ऊपर लिटा दिया. उनका लिंग मेरी योनि की दीवारों को

चौड़ा करता हुआ अंदर जाने लगा. मैं सब कुच्छ भूल कर अपने जेठ

के सीने से लग गयी. बस सामने सिर्फ़ कमल थे और कुच्छ नही. वो

ही इस वक़्त मेरे प्रेमी, मेरे सेक्स पार्ट्नर और जो कुच्छ भी मानो, थे.

मुझे तो अब सिर्फ़ उनका लिंग ही दिख रहा था.

जैसे ही उनका लिंग मेरी योनि को चीरता हुआ आगे बढ़ा मेरे मुँह

से "आआआहह" की आवाज़ निकली और उनका लिंग पूरा का पूरा मेरी

योनि मे धँस गया. वो इस पोज़िशन मे मेरे होंठों को चूमने लगे.

" अच्च्छा तो अब पता चला कि मुझसे मिलने तुम भी इतनी बेसब्र थी.

और मैं बेवकूफ़ सोच रहा था कि मैं ही तुम्हारे पीछे पड़ा हूँ.

अगर पता होता ना कि तुम भी मुझसे मिलने को इतनी बेताब हो

तो.......... " वक़्क्या को अधूरा ही रख कर वो कुच्छ रुके.

"तो?.......तो? "

" तो तुम्हे किसी की भी परवाह किए बिना कब का पटक कर ठोक चुका

होता." उन्हों ने शरारती लहजे मे कहा.

"धात..... इस तरह कभी अपने छ्होटे भाई की बीवी से बात करते

हैं? शर्म नही आती आपको?" मैने उनके कान को अपने दाँतों से

चबाते हुए कहा.

" शर्म? अच्च्छा चोदने मे कोई शर्म नही है शर्म बात करने मे ही

है ना?" कहकर वो अपने हाथों का सहारा लेकर मेरे बदन से उठे

साथ साथ उनका लिंग भी मेरी योनि को रगड़ता हुआ बाहर की ओर निकला

फिर वापस पूरे ज़ोर से मेरी योनि मे अंदर तक धँस गया.

"ऊऊहह दर्द कर रहा है." आपका वाकई काफ़ी बड़ा है. मेरी योनि

छिल गयी है. पता नही कल्पना दीदी इतने मोटे लिंग को छ्चोड़ कर

मेरे पंकज मे क्या पाती है?" मैने उनके आगे पीछे होने के र्य्थेम

से पानी र्य्थेम भी मिलाई. हर धक्के के साथ उनका लिंग मेरी योनि

मे अंदर तक घुस जाता और हुमारी कोमल झांते एक दूसरे से रगड़

खा जाती. वो ज़ोर ज़ोर से मुझे ठोकने लगे उनके हर धक्के से पूरा

बिस्तर हिलने लगता. काफ़ी देर तक वो ऊपर से धक्के मारते रहे. मैं

नीचे से अपने पैरों को उठा कर उनकी कमर को अपने लपेट ली थी.

उनके बालों भरे सीने मे अपने तने हुए निपल्स रगड़ रही थी. इस

रगड़ से एक सिहरन सी पूरे बदन मे दौड़ रही थी. मैने अपने

हाथों से उनके सिर को पकड़ कर अपने होंठ उनके होंठों पर लगा कर

अपनी जीभ उनके मुँह मे घुसा दी. मैं इसी तरह उनके लिंग को अपनी

योनि मे लेने के लिए अपने कमर को उचका रही थी. उनके जोरदार

धक्के मुझे पागल बना रहे थे. उन्हों ने अपना चेहरा उपर किया तो

मैं उनके होंठो की चुअन के लिए तड़प कर उनकी गर्देन से लटक

गयी. कमल जी के शरीर मे दम काफ़ी था जो मेरे बदन का बोझ

उठा रखा था. मैं तो अपने हाथों और पैरों के बल पर उनके बदन

पर झूल रही थी. इसी तरह मुझे उठाए हुए वो लगातार चोदे जा

रहे थे. मैं "आअहह उुउऊहह माआअ म्‍म्म्ममम उफफफफफफफ्फ़" जैसी

आवाज़ें निकाले जा रही थी. उनके धक्कों से तो मैं निढाल हो गयी

थी. वो लगातार इसी तरह पंद्रह मिनिट तक ठोकते रहे. इन

पंद्रह मिनिट मे मैं दो बार झ्हड चुकी थी लेकिन उनकी रफ़्तार मे

कोई कमी नही आई थी. उनके सीने पर पसीने की कुच्छ बूँदें

ज़रूर चमकने लगी थी. मैने अपनी जीभ निकाल कर उन नमकीन

बूँदों को चाट दिया. वो मेरी इस हरकत से और जोश मे आ गये.

पंद्रह मिनूट बाद उन्हों ने मेरी योनि से अपने लिंग को खींच कर

बाहर निकाला.
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