Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
06-25-2017, 12:48 PM,
#7
RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
"क्या करते हो. छि छि इसे चतोगे क्या?" मैने उनको अपने योनि रस

का स्वाद लेने से रोका.

"मेरी योनि तप रही है इसमे अपने हथियार से रगड़ कर शांत

करो." मैने भूखी शेरनी की तरह उसे

खींच कर अपने ऊपर लिटा लिया और उसके लिंग को पकड़ कर सहलाने

लगी. उसे सोफे पर धक्का दे कर उसके लिंग को अपने हाथों

से पकड़ कर अपने मुँह मे ले लिया. मैने कभी किसी मर्द के लिंग को

मुँह मे लेना तो दूर कभी होंठों से भी नही छुआ था. पंकज

बहुत ज़िद करते थे की मैं उनके लिंग को मुँह मे डाल कर चूसूं

लकिन मैं हर बार उनको मना कर देती थी. मैं इसे एक गंदा काम

समझती थी. लेकिन आज ना जाने क्या हुआ कि मैं इतनी गर्म हो गयी की

खुद ही विशलजी के लिंग को अपने हाथों से पकड़ कर कुच्छ देर तक

किस किया. और जब विशाल जी ने मुझे उनके लिंग को अपने मुँह मे

लेने

का इशारा करते हुए मेरे सिर को अपने लिंग पर हल्के से दबाया तो

मैने किसी तरह का विरोध ना करते हुए अपने होंठों को खोल कर

अपने सिर को नीचे की ओर झुका दिया. उनके लिंग से एक अजीब तरह की

स्मेल आ रही थी. कुच्छ देर यूँ ही मुँह मे रखने के बाद मैं उनके

लिंग को चूसने लगी.

अब सारे डर सारी शर्म से मैं परे थी. जिंदगी मे मुझे अब किसी की

चिंता नही थी. बस एक जुनून था एक

गर्मी थी जो मुझे झुलसाए दे रही थी. मैं उनके लिंग को मुँह मे

लेकर चूस रही थी. अब मुझे कोई चिंता नही थी कि विशाल मेरी

हरकतों के बारे मे क्या सोचेगा. बस मुझे एक भूख परेशान कर

रही थी जो हर हालत मे मुझे मिटानी थी. वो मेरे सिर को अपने

लिंग पर दाब कर अपनी कमर को उँचा करने लगा. कुच्छ देर बाद

उसने मेरे सिर को पूरी ताक़त से अपने लिंग पर दबा दिया. मेरा दम

घुट रहा था. उसके लिंग से उनके वीर्य की एक तेज धार सीधे गले के

भीतर गिरने लगी. उनके लिंग के आसपास के बाल मेरे नाक मे घुस रहे

थे.

पूरा रस मेरे पेट मे चले जाने के बाद ही उन्होने मुझे छ्चोड़ा. मैं

वहीं ज़मीन पर भर भरा कर गिर गयी और तेज तेज साँसे लेने

लगी.

वो सोफे पर अब भी पैरों को फैला कर बैठे हुए थे. उनके सामने

मैं

अपने गले को सहलाते हुए ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी. उन्होने अपने

पैर को आगे बढ़ा कर अपने अंगूठे को मेरी योनि मे डाल दिया. फिर

अपने पैर को आगे

पीछे चला कर मेरी योनि मे अपने अंगूठे को अंदर बाहर करने

लगा. बहुत जल्दी उनके लिंग मे वापस हरकत होने लगी. वो आगे की ओर

झुक कर मेरे निपल्स पकड़ कर अपनी ओर खींचे मैं दर्द से बचने

के लिए उठ कर उनके पास आ गयी. अब उन्होने मुझे सोफे पर हाथों

केबल झुका दिया. पैर कार्पेट पर ही थे. अब मेरी टाँगों को चौड़ा

करके पीछे से मेरी योनि पर अपना लिंग सटा कर एक जोरदार धक्का

मारा. उनका मोटा लिंग मेरी योनि के अंदर रास्ता बनाता हुआ घुस गया.

योनि बुरी तरह गीली होने के कारण ज़्यादा परेशानी नही हुई. बस

मुँह से एक दबी दबी कराह निकली "आआआहह" उनके लिंग का साइज़

इतना बड़ा था कि मुझे लगा की मेरे बदन को चीरता हुआ गले तक

पहुँच जाएगा.

अब वो पीछे से मेरी योनि मे अपने लिंग से धक्के मारने लगे. उसँके

हर

धक्के से मेरे मोटे मोटे बूब्स उच्छल उच्छल जाते. मेरी गर्देन को

टेढ़ा कर के मेरे होंठों को चूमने लगे और अपने हाथों से मेरे

दोनो स्तनो को मसल्ने लगे. काफ़ी देर तक इस तरह मुझे चोदने के

बाद मुझे सोफे पर लिटा कर ऊपर से ठोकने लगे. मेरी योनि मे

सिहरन होने लगी और दोबारा मेरा वीर्य निकल कर उनके लिंग को

भिगोने

लगा. कुच्छ ही देर मे उनका भी वीर्य मेरी योनि मे फैल गया. हम

दोनो ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रह थे. वो मेरे बदन पर पसर गया. हम

दोनो एक दूसरे को चूमने लगे.

तभी गजब हो गया........ ......

पंकज की नींद खुल गयी. वो पेशाब करने उठा था. हम दोनो की

हालत तो ऐसी हो गयी मानो सामने शेर दिख गया हो. विशाल सोफे के

पीछे छिप गया. मैं कहीं और छिप्ने की जगह ना पा कर बेड की

तरफ बढ़ी. किस्मेट अच्छि थी कि पंकज को पता नही चल पाया.

नींद मे होने की वजह से उसका दिमाग़ ज़्यादा काम नही कर पाया होगा.

उसने सोचा कि मैं बाथरूम से होकर आ रही हूँ. जैसे ही वो

बाथरूम मे घुसा विशाल जल्दी से आकर बिस्तर मे घुस गया.

"कल सुबह कोई बहाना बना कर होटेल मे ही पड़े रहना" उसने मेरी

कान मे धीरे से कहा और नीतू की दूसरी ओर जा कर लेट गया.

कुच्छ देर बाद पंकज आया और मेरे से लिपट कर सो गया. मेरी योनि

से अभी भी विशाल का रस टपक रहा था. मेरे स्तनो का मसल मसल

कर तो और भी बुरा हाल कर रखा था. मुझे अब बहुत पासचताप हो

रही थी. "क्यों मई शरीर की गर्मी के आगे झुक गयी? क्यों किसी

गैर मर्द से मैने संबंध बना लिए. अब मैं एक गर्त मे गिरती जा

रही थी जिसका कोई अंत नही था.मैने अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने

की ठन ली. अगले दिन मैने विशाल को

कोई मौका ही नही दिया. मैं पूरे समय सबके साथ ही रही जिससे

विशाल को मौका ना मिल सके. उन्हों ने कई बार मुझ से अकेले मे

मिलने की

कोशिश की मगर मैं चुप चाप वहाँ से खिसक जाती. वैसे उन्हे

ज़्यादा मौका भी नही मिलपाया था. हम तीन दिन वहाँ एंजाय करके

वापस लौट आए. हनिमून मे मैने और कोई मौका उन्हे नही दिया. कई

बार मेरे बदन को मसल ज़रूर दिया था उन्हों ने लेकिन जहाँ तक

संभोग की बात है मैने उनकी कोई प्लॅनिंग नही चलने दी.

हनिमून के दौरान हम मसूरी मे खूब मज़े किए. पंकज तो बस

हर समय अपना हथियार खड़ा ही रखता था. विशाल जी अक्सर मुझसे

मिलने के लिए एकांत की खोज मे रहते थे जिससे मेरे साथ बेड्मासी कर

सके लेकिन मैं अक्सर उनकी चालों को समझ के अपना पहले से ही बचाव

कर लेती थी.

इतना प्रिकॉशन रखने के बाद भी कई बार मुझे अकेले मे पकड़ कर

चूम लेते या मेरे कानो मे फुसफुसा कर अगले प्रोग्राम के बारे मे

पूछ्ते. उन्हे शायद मेरे बूब्स सबसे ज़्यादा पसंद थे. अक्सर मुझे

पीछे से पकड़ कर मेरी चूचियो को अपने हाथों से मसल्ते रहते

थे जब तक ना मैं दर्द के मारे उनसे छितक कर अलग ना हो जाउ.

पंकज तो इतना शैतानी करता था की पूच्छो मत काफ़ी सारे स्नॅप्स भी

लिए. अपने और मेरे कुच्छ अंतरंग स्नॅप्स भी खिंचवाए. खींचने

वालेविशाल जी ही रहते थे. उनके सामने ही पंकज मुझे चूमते हुए.

बिस्तर पर लिटा कर मेरे बूब्स को ब्लाउस के उपर से दाँतों से काटते

हुए और मुझे अपने सामने बिठा कर मेरे ब्लाउस के अंदर हाथ डाल

करमेरे स्तानो को मसल्ते हुए कई फोटो खींचे.

एक बार पता नही क्या मूड आया मैं जब नहा रही थी तो बाथरूम मे

घुस आए. मैं तब सिर्फ़ एक छ्होटी सी पॅंटी मे थी. वो खुद भी एक

पॅंटीपहन रखे थे.

"इस पोज़ मे एक फोटो लेते हैं." उन्हों ने मेरे नग्न बूब्स को मसल्ते

हुए कहा.

"नन मैं विशलजी के सामने इस हालत मे?…..बिल्कुल नहीं…..पागल हो

रहे हो क्या?" मैने उसे साफ मना कर दिया.

"अरे इसमे शर्म की क्या बात है. विशाल भैया तो घर के ही आदमी

हैं. किसी को बताएँगे थोड़े ही. एक बार देख लेंगे तो क्या हो

जाएगा.

तुम्हे खा थोड़ी जाएँगे." पंकज अपनी बात पर ज़िद करने लगा.

क्रमशः........................
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RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की - by sexstories - 06-25-2017, 12:48 PM

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