RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
स्कर्ट काफ़ी छ्होटी थी. मैने शर्ट के बटन्स खोल कर अंदर की
ब्रा उतार दी और शर्ट को वापस पहन ली. शर्ट के उपर के दो बटन
खुले रहने दिए जिससे मेरे आधे बूब्स झलक रहे थे. शर्ट
चूचियो के उपर से कुच्छ घिसी हुई थी इसलिए मेरे निपल्स और
उनके बीच का काला घेरा सॉफ नज़र आ रहा था. उत्तेजना और डर से
मैं मार्च के मौसम मे भी पसीने पसीने हो रही थी.
मैं खिड़की से झाँक रही थी और उनके फ्री होने का इंतेज़ार करने
लगी. उन्हे क्या मालूम था मैं ऑफीस मे उनका इंतेज़ार कर रही हूँ.
वो फ्री हो कर वापस कार की तरफ बढ़ रहे थे. तो मैने उनके
मोबाइल पर रिंग किया.
"सर, मुझसे होली नही खेलेंगे."
"कहाँ हो तुम? सिम... अजाओ मैं भी तुमसे होली खेलने के लिए बेताब
हूँ" उन्हों ने चारों तरफ देखते हुए पूचछा.
"ऑफीस मे आपका इंतेज़ार कर रही हूँ"
"तो बाहर आजा ना. ऑफीस गंदा हो जायगा"
नही सबके सामने मुझे शर्म आएगी. हो जाने दो गंदा. कल रंधन
सॉफ कर देगा" मैने कहा
"अच्च्छा तो वो वाली होली खेलने का प्रोग्राम है?" उन्हों ने
मुस्कुराते हुए मोबाइल बंद किया और ऑफीस की तरफ बढ़े. मैने
लॉक खोल कर दरवाजे के पीछे छुप गयी. जैसे ही वो अंदर आए
मैं पीछे से उनसे लिपट गयी और अपने हाथों से गुलाल उनके चहरे
पर मल दिया. जब तक वो गुलाल झाड़ कर आँख खोलते मैने वापस अपनी
मुत्ठियों मे गुलाल भरा और उनके कुर्ते के अंदर हाथ डाल कर उनके
सीने मे लगा कर उनके सीने को मसल दिया. मैने उनके दोनो सीने
अपनी मुट्ठी मे भर कर किसी औरत की छातियो की तरह मसल्ने
लगी.
"ए..ए...क्या कर रही है?" वो हड़बड़ा उठे.
"बुरा ना मानो होली है." कहते हुए मैने एक मुट्ठी गुलाल पायजामे के
अंदर भी डाल दी. अंदर हाथ डालने मे एक बार झिझक लगी लेकिन फिर
सबकुच्छ सोचना बंद करके अंदर हट डाल कर उनके लिंग को मसल दिया.
"ठहर बताता हूँ." वो जब तक संभालते तब तक मैं खिल खिलाते
हुए वहाँ से भाग कर टेबल के पीछे हो गयी. उन्हों ने मुझे
पकड़ने के लिए टेबल के इधर उधर दौर लगाई. लेकिन मैं उनसे
बच गयी. लेकिन मेरा एम तो पकड़े जाने का था बचने का थोड़ी.
इसलिए मैं टेबल के पीछे से निकल कर दरवाजे की तरफ दौड़ी. इस
बार उन्हों ने मुझे पीच्चे से पकड़ कर मेरे कमीज़ के अंदर हाथ
डाल दिए. मैं खिल खिला कर हंस रही थी और कसमसा रही थी. वो
काफ़ी देर तक मेरे बूब्स पर रंग लगाते रहे. मेरे निपल्स को
मसल्ते रहे खींचते
रहे. मई उनसे लिपट गयी. और पहली बार उन्हों ने अपने होंठ मेरे
होंठों पर रख दिए. मेरे होंठ थोडा खुले और उनकी जीभ को
अंदर जाने का रास्ता दे दिया. कई मिनिट्स हम इसी तरह एक दूसरे को
चूमते रहे. मेरा एक हाथ सरकते हुए उनके पायजामे तक पहुँचा
फिर धीरे से पायजामे के अंदर सरक गया. मैं उनके लिंग की तपिश
अपने हाथों पर महसूस कर रही थी. मैने अपने हाथ आगे बढ़ा कर
उनके लिंग को थाम लिया. मेरी इस हरकत से जैसे उनके पूरे जिस्म मे
एक झुरजुरी सी दौड़ गयी. उन्होने ने मुझ एक धक्का देकर अपने से
अलग किया. मैं गर्मी से तप रही थी. लेकिन उन्हों ने कहा "नही
स्मृति …..नही ये ठीक नही है."
मैं सिर झुका कर वही खड़ी रही.
"तुम मुझसे बहुत छ्होटी हो." उन्हों ने अपने हाथों से मेरे चेहरे को
उठाया " तुम बहुत अच्च्छो लड़की हो और हम दोनो एक दूसरे के बहुत
अच्छे दोस्त हैं. "
मैने धीरे से सिर हिलाया. मैं अपने आप को कोस रही थी. मुझे अपनी
हरकत पर बहुत ग्लानि हो रही थी. मगर उन्हों ने मेरी कस्मकस को
समझ कर मुझे वापस अपनी बाहों मे भर लिया और मेरे गाल्लों पर
दो किस किए. इससे मैं वापस नॉर्मल हो गयी. जब तक मैं सम्हल्ती
वो जा चुके थे.
धीरे धीरे समय बीतता गया. लेकिन उस दिन के बाद उन्हों ने
हुमारे और उनके बीच मे एक दीवार बना दी.
मैं शायद वापस उन्हे सिड्यूस करने का प्लान बनाने लगती लेकिन
अचानक मेरी जिंदगी मे एक आँधी सी आई और सब कुच्छ चेंज हो
गया. मेरे सपनो का सौदागर मुझे इस तरह मिल जाएगा मैने कभी
सोचा ना था.
मैं एक दिन अपने काम मे बिज़ी थी कि लगा कोई मेरी डेस्क के पास आकर
रुका.
"आइ वॉंट टू मीट मिस्टर. राज शर्मा"
"एनी अपायंटमेंट? " मैने सिर झुकाए हुए ही पूचछा?
"नो"
"सॉरी ही ईज़ बिज़ी" मैने टालते हुए कहा.
"टेल हिम पंकज हिज़ सन वांट्स टू मीट हिम."
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