RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
"बस अब काकी आराम है कह कर जब उन्हों ने अपने सिर मेरी छातियो
से उठाया तो मुझे इतना बुरा लगा की कुच्छ बयान नही कर सकती. मैं
अपनी नज़रे ज़मीन पर गड़ाए उनके सामने कुर्सी पर आ बैठी.
धीरे धीरे हम बेताकल्लूफ होने लगे. अभी सिक्स मोन्थ्स ही हुए थे
कि एक दिन मुझे अपने कॅबिन मे बुला कर उन्होने एक लिफ़ाफ़ा दिया. उसमे
से लेटर निकाल कर मैने पढ़ा तो खुशी से भर उठी. मुझे
पर्मनेंट कर दिया गया था और मेरी तनख़्वाह डबल कर दी गयी
थी.
मैने उनको थॅंक्स कहा तो वो कह उठे. "सूखे सूखे थॅंक्स से काम
नही चलेगा. बेबी इसके लिए तो मुझे तुमसे कोई ट्रीट मिलनी चाहिए"
"ज़रूर सर अभी देती हूँ" मैने कहा
"क्या?" वो चौंक गये. मैने मौके को हाथ से नही जाने देना चाहती
थी. मैं
झट से उनकी गोद मे बैठ गयी और उन्हे अपनी बाहों मे भरते हुए
उनके लिप्स चूम लिए. वो इस अचानक हुए हमले से घबरा गये.
"स्मृति क्या कर रही हो. कंट्रोल युवरसेल्फ. इस तरह भावनाओं मे मत
बहो. " उन्हों ने मुझे उठाते हुए कहा "ये उचित नही है. मैं एक
शादी शुदा बाल बच्चेदार आदमी हूँ"
"क्या करूँ सर आप हो ही इतने हॅंडसम की कंट्रोल नही हो पाया." और
वहाँ से शर्मा कर भाग गयी.
जब इतना होने के बाद भी उन्हों ने कुच्छ नही कहा तो मैं उनसे और
खुलने लगी.
"राज जी एक दिन मुझे घर ले चलो ना अपने" एक दिन मैने उन्हे
बातों बातों मे कहा. अब हमारा संबंध बॉस और पीए का कम दोस्तों
जैसा अधिक हो गया था.
"क्यों घर मे आग लगाना चाहती हो?" उन्हों ने मुस्कुराते हुए पूचछा.
"कैसे?"
"अब तुम जैसी हसीन पीए को देख कर कौन भला मुझ पर शक़ नही
करेगा."
"चलो एक बात तो आपने मान ही लिया आख़िर."
"क्या?" उन्हों ने पूछा.
"कि मैं हसीन हूँ और आप मेरे हुष्ण से डरते हैं."
"वो तो है ही."
"मैं आपकी वाइफ से आपके बच्चों से एक बार मिलना चाहती हूँ."
"क्यों? क्या इरादा है?"
" ह्म्म्म कुच्छ ख़तरनाक भी हो सकता है." मैने अपने निचले होंठ
को दाँत से काटते हुए उठ कर उनकी गोद मे बैठ गयी. मैं जब भी बोल्ड
हो जाती थी वो घबरा उठते थे. मुझे उन्हे इस तरह सताने मे बड़ा
मज़ा आता था.
" देखो तुम मेरे लड़के से मिलो. उसे अपना बॉय फ़्रेंड बना लो. बहुत
हॅंडसम है वो. मेरा तो अब समय चला गया है तुम जैसी लड़कियों
से फ्लर्ट करने का." उन्हों ने मुझे अपने गोद से उठाते हुए कहा.
"देखो ये ऑफीस है. कुच्छ तो इसकी मर्यादा का ख्याल रखा कर. मैं
यहा तेरा बॉस हूँ. किसी ने देख लिया तो पता नही क्या सोचेगा कि
बुड्ढे की मति मारी गयी है."
इस तरह अक्सर मैं उनसे चिपकने की कोशिश करती थी मगर वो किसी
मच्चली की तरह हर बार फिसल जाते थे.
इस घटना के बाद तो हम काफ़ी खुल गये. मैं उनके साथ उल्टे सीधे
मज़ाक भी करने लगी. लेकिन मैं तो उनकी बनाई हुई लक्ष्मण रेखा
क्रॉस करना चाहती थी. मौका मिला होली को.
होली के दिन हुमारे ऑफीस मे छुट्टी थी. लेकिन फॅक्टरी बंद नही
रखा जाता था
कुच्छ ऑफीस स्टाफ को उस दिन भी आना पड़ता था. मिस्टर. राज हर होली को
अपने
स्टाफ से सुबह-सुबह होली खेलने आते थे. मैने भी होली को उनके
साथ हुड़दंग करने के प्लान बना लिया. उस दिन सुबह मैं ऑफीस
पहुँच गयी.
ऑफीस मे कोई नही था. सब बाहर एक दूसरे को गुलाल लगाते थे. मैं
लोगों की नज़र बचाकर ऑफीस के अंदर घुस गयी. अंदर होली
खेलना
अलोड नही था. मैं ऑफीस मे अंदर से दरवाजा बंद कर के
उनका इंतेज़ार करने लगी. कुच्छ ही देर मे राज की कार अंदर आई. वो
कुर्ते पायजामे मे थे. लोग उनसे गले मिलने लगे और गुलाल लगाने
लगे. मैने गुलाल निकाल कर एक प्लेट मे रख लिया बाथरूम मे जाकर
अपने बालों को खोल दिया.रेशमी जुल्फ खुल कर पीठ पर बिखर गये.
मैं एक पुरानी शर्ट और स्कर्ट पहन रखी
थी.
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