RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
मम्मी ने रसोई मे दो सब्जिया बनाई थी, गोभी की और आलू की. पति ने मम्मी से पूछा “ अरे नाज़ जी, ये आलू की सब्जी जया ने बनाई है, क्यूंकी इस मे वही मीठा पन है जैसा जया ने चाइ बनाते वक़्त डाला था”.उस पर मम्मी ने कहा “ नही भाई साहिब ये सब्जिया तो मैं ही बनाती हू, जया तो अक्सर पढ़ाई मे ही लगी रहती है. लेकिन अब मैं इसे खाना बनाना सीखा दूँगी ताकि कभी दोपहर मे आपको कुछ गरम खाने का मन करे तो जया आपके लिए बना सके”. मम्मी ने मेरी ऑर देखते हुए पूछा ” क्यू जया खाना बनाना सीखेंगी ना?, क्यूंकी आगे जाके तुम्हे भी अपने पति देव के लिए खाना तो बनाना ही पड़ेगा”. मम्मी की इस बात पर मैं शर्मा गयी और सब हंस रहे थे. मैं अपने पति की ओर देख रही थी और वो मेरे पैरो को बहुत ज़ोर से दबा रहे थे. मैं मन मे सोच के मुस्कुरा रही थी के मम्मी पापा को कहा पता था कि उनकी बेटी ने तो शादी कर ली है और वो अब सिर्फ़ अपने पति के आदेशो पर ही चल रही है.
डेट: 24-जून-96 ठीक रत के 12 बजे थे, मेरा अलार्म बज रहा था और मैं गहरी नींद मे थी, क्यूंकी कल से मैं एक पल के लिए भी ठीक से सो नही पाई थी. मेने हाथो की अंगड़ाया ली और अपने बेड पे से नंगी ही उठ के बाथरूम मे नहाने चली गयी. अपने पूरे बदन को मेने अच्छे से साफ किया और जिस्म के उपर एक छ्होटी सी रज़ाई लपेट के नीचे अपने पति जी के पास जाने के लिए निकल पड़ी.
मैं सीढ़ियो से उतर के पति जी के घर के पास जाने लगी, तभी मेने देखा के पति जी मेरा दरवाजा खोल के और पूरे नंगे होकर मेरा इंतेजार कर रहे थे. मैं दौड़ के उनके पास पहोच गयी और उन्हे अपने आगोस मे कर लिया, पति जी ने मुझे कमर मे हाथ डाल के अपने जिस्म से सटाये हुए मुझे घर के अंदर ले लिया और दरवाजे को बंद कर दिया. मैं घर मे जाते ही उनसे दूर हुई और अपने घुटनो के बल बैठ के पति जी के पैरो के उपर अपने दोनो हाथो को रख दिया और अपना सिर भी उनके पैरो मे झुका दिया, ऐसा करते ही मेरी पीठ पे से मेरे बल हट के मेरे सिर के उपर आ गये और पति जी को मेरी नंगी पीठ का दर्शन हो गया. पति जी बहुत खुस थे, उन्होने मुझे सदा सुहागन होने का आशीर्वाद दिया. फिर उन्होने मेरे कंधो को अपने हाथो मे लेके मुझे खड़ा किया. मेने अपने दोनो हाथो को ज़ोर के उनके सामने एक नादान लड़की तरह खड़ी रही, मेरे बाल मेरे दोनो कंधो से होते हुए मेरे दोनो स्तनो के पास चले गये थे, मेरा सिर भी झुका हुवा था.
पति जी ने मेरे सिर पे अपना राइट हाथ फेरा और अपने राइट हाथ को मेरी गर्दन के पास ले जाके मेरे बालो के साथ मेरी गर्दन को दबा दिया. फिर पति जी ने मुझे अपनी और खिचा और अपने नंगे जिस्म के साथ लगा दिया. मेरे स्तन के उपर जो बाल थे वो पति जी के छाती के बालो के साथ जुड़ गये और मेरे जिस्म मे जैसे गुद गुडी जैसी होने लगी, मैं हल्का सा मुस्करा उठी और अपना सिर पति जी की छाती मे छुपा लिया. पति जी ने मेरी पीठ पे लेफ्ट हाथ फेरा और मुझे अपने जिस्म से ज़ोर से सटा दिया. फिर पति जी ने मुझे अपने जिस्म से थोड़ा सा पीछे किया और मेरे चेहरे को उपर की ओर उठा के मुझे किस करने लगे, धीरे धीरे किस करते हुए पति जी ने मुझे अपनी ओर खिचा और मेरे जिस्म के उपर अपना हाथ चला ने लगे. मैं भी किस मे मदहोश हो गयी थी और पति जी के जिस्म के उपर अपने नाज़ुक हाथ घुमा रही थी. फिर पति जी किस को रोकते हुए, मेरी कमर मे हाथ डाल के, मुझे उठा के मेरे मास्टर बेडरूम ले गये.
बेडरूम मे जाते ही मेने देखा कि आज बेड पे लाल रंग की चादर थी और उस पे पीले रंग के फूल थे. पति जी ने मुझे बेड पे लिटा दिया और वो खुद कुछ दूरी से मुझे बेड पे नंगी सोई हुई देख रहे थे. पति जी मेरी ओर आगे बढ़ने ही वाले थी कि मैं बेड से उठ के “स्वर्गीय कविता राज शर्मा” के फोटो के पास चली गयी. मैं वाहा पर हाथ जोड़ के खड़ी थी और पति जी मेरे पीछे आकर मेरे कंधो के उपर अपने हाथ रख के खड़े थे, उस वक़्त उनका लंड मेरी नंगी पीठ पर लग रहा था.
मेने कविता जी और देखते हुए कहा “ मैं हमेशा भगवान से सिर्फ़ इतना ही माँगा था कि मुझे कोई बेहद प्यार करे, मेरी हर ज़रूरत को पूरा करे, मुझे कभी अकेला ना छोड़े, मेरे हर दुख दर्द और ख़ुसी मे वो मेरा साथ दे. मेने ये कभी नही सोचा था कि आपके पति देव ही मेरे पालनहार बनेंगे. शायद आपने ही मेरी बात भगवान से सुन ली होगी क्यूंकी आप भगवान के बहुत ज़्यादा नज़दीक हो, इसलिए आपने ही हम दोनो को मिलने के लिए मेरी ज़िंदजी मे जो कुछ हुवा वो आपके कारण ही हुवा है और मे इसके लिए आपका शुक्रिया करती हू.फिर पति जी ने कहा “ देखा कविता मेने कोई ग़लती नही की तुम्हारी जगह पर जया को अपनी पत्नी बना के”.
फिर पति जी ने मुझे अपनी ओर करते हुए कहा “ जया अब तुम हर वक़्त अपने जिस्म की प्यास को बुझाने से पहले कविता से आशीर्वाद ले लेना और अपने पति को हर तरीके से खुस रख ने का आशीर्वाद माँगना”. पति जी ने मुझे बेड के पास ले जाके मुझे पीठ के बल लिटा दिया, वो खुद मेरे उपर आके मेरे दोनो पैरो के बीच मे, मेरी चूत के पास अपना लंड रख के, मेरे स्तन को अपनी छाती से ढक के, मेरे नाज़ुक होंठो को चूम ने लगे. किस करते हुए उन्होने मेरी चूत के पास अपना लेफ्ट हाथ ले जाके उसे खोल दिया और अपने मोटे लंड को उसे मे डाल ने लगे. मेरी चूत कब्से अंदर से गीली थी इसलिए मुझे सुरू मे लंड जब अंदर गया तब कोई दर्द नही हुवा. किस को और ज़ोर से करते हुए पति जी लंड को भी और अंदर तक डालने लगे. मैं उस वक़्त मस्ती मे थी और पति जी का साथ देते हुए उनके होंठो को काट रही थी, अपने हाथो को उनकी पीठ पे घुमा रही थी, उनके सिर के बालो को अपनी हाथो की मुट्ठी से पकड़ के खिच रही थी, क्यूंकी मुझसे और दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था. उधर पति जी भी खूब उत्तेजित हो रहे थे और अपने लंड को मेरी चूत मे बहुत जल्दी जल्दी अंदर बाहर कर रहे थे.
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