RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
डेट 21-जून-2000. मे 4:45 को नहा के बाहर आई, मेने कल तो राज अंकल की दी हुई काले रंग की चड्डी पहनी थी, वो तो मेने धो दी थी और अपने बाथरूम रख दी थी, मे सोच रही थी अब क्या पहनु, मेने मेरी पुरानी लाल रंग की चड्डी पहनी और उसके उपर ढीला पेंट और उपर टी-शर्ट पहनी थी, मुझे पता था के अंकल के घर जाते ही मेरे जिस्म पर सिर्फ़ ये चड्डी ही रहने वाली है तो मेने सोचा की क्यू ना मे सिर्फ़ अपनी लाल चड्डी ही पहनु और अपने पूरे जिस्म पर को एक सॉल से लप्पेट लू, ये सोच ते ही मेने अपने जिस्म पे सिर्फ़ चड्डी ही रहने दी और मेरी सोने रंग की सॉल अपने जिस्म से लप्पेट के अंकल के घर चली गयी. राज अंकल का दरवाजा अपनी चावी से खोलके मे अंदर चली गयी. अंकल किचन मे कुछ नाश्ता बना रहे थे, में बिना आवाज़ लगाए उनको पीछे से पकड़ ने वाली थी के उन्होने मुझे किचन मे आते देख लिया, और मेरे सामने आके मुझे देख ते हुए कहा “ जया क्या मे सही सोच रहाहू कि तुमने इस सॉल के अलावा अपने जिस्म पे सिर्फ़ चड्डी ही पहनी है” मेने आश्चर्य से कहा “ हा अंकल”. फिर अंकल मेरे नज़दीक आए और सॉल हटाते ही मेरा जिस्म उनके सामने था और मे शरम से नीचे देख रही थी. अंकल ने कहा “ जया तुम मुझे खुस रखने के लिए इतना कुच्छ कर रही तो मे भी तूमे हमेशा खुस रखूँगा”. राज अंकल किचन मे से एक ग्लास का दूध लेके आए जो हम दोनो ने पी लिया. अंकल ने कहा “ जया रानी इस दूध मे कुच्छ खास शक्ति है जिससे हमे आसन करने मे कोई तकलीफ़ नही होगी”. फिर हम दोनो आसन वाले कमरे मे आ गये. अंकल ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मेरी चड्डी को भी निकाल दिया, मे शरम से लाल हो रही थी, तो अंकल ने कहा “ जया इस चड्डी मे हम आसान नही कर पाएँगे, तुम्हे मे मेरी लंगोट देता हू जो तुम अपनी कमर पे बाँध देना”. अंकल ने मुझे अपनी पीले रंग की लंगोट दी, मेने उसे अपने कमर से बाँध दिया, मेरी चूत के नीचे काफ़ी जगह थी. फिर अंकल मेरे पीछे आए और मुझे पीछे से पकड़ के अपना लंड मेरी लंगोट मे डाल के उसे मेरी चूत को छूते हुए आगे लाके रख दिया, और मुझे याद आया कि मुझे अंकल का लंड अपने चड्डी मे रख ना था, मेने अंकल से माफी माँगते हुए कहा “ अंकल मुझे माफ़ कर दीजिए मे भूल गयी थी”, अंकल ने कहा “ जया रानी हर भूल की सज़ा होती है, ताकि उस सज़ा को याद करके तुम उस भूल को दुबारा ना करो”. फिर अंकल ने मेरे बालो को ज़ोर से पकड़ के पीछे से मेरे केफ़्ट कंधो के पास से मेरे दिल के उपर के भाग को ज़ोर से काट दिया. अंकल ने इतनी ज़ोर से काटा था के उनके दांतो के निशान पड़ गये थे और मुझे दर्द भी हो रहा था. फिर अंकल मुझे उस लाल मखमली गद्दे पे ले गये. अंकल मेरी कमर पे हाथ रख के हम दोनो एक साथ उठक बैठक करने लगे, अंकल का लंड जो के मेरी चूत के पास था बैठ ते वक़्त मेरी चूत के छेद के पास आ जाया करता था, और उठ ते वक़्त मानो मेरी चूत के अंदर जाने वाला है ऐसा लग रहा था, लेकिन अंकल समझदार थे सो ऐसा नही होने दिया. हम दोनो जब उठक बैठक कर रहे थे तब अंकल के जिस्म की गर्मी मेरे पूरे जिस्म को गरम कर रही थी, उनके पसीने से और उनकी गरम सांसो से, अंकल ने देखा के मेरे स्तन खुले थे तो उन्होने मेरे बालो को बीच मे से मेरे दोनो कंधो से आगे लाते हुए मेरे स्तन के उपर फेला दिया. फिर अंकल की साँसे तेज हो रही थी और उनका लंड भी बहुत ज़ोर्से कड़क हो रहा था, यहा मेरी चूत भी गीली होने वाली थी और मेरा जिस्म भी कड़क हो रहा था. अंकल थोड़ा रुक गये और उनके लंड ने पानी छोड़ दिया और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया, मेरी चूत अंदर की ओर खिच ने के बजह से अंकल के लंड का नीचे का भाग मेरी चूत के मुह के पास आ गया था. सो मेरी लंगोट हम दोनो के पानी से गीली हो गयी थी. फिर अंकल ने बिना लंड मेरी लंगोट मे से निकले नीचे बैठ गये और मुझे उनकी गोद मे बिठा दिया. अंकल ने पैरो को आगे की ओर सीधा कर दिया, मेने भी अपने पैरो को अंकल के पैरो के उपर सीधा कर दिया. अंकल मेरे हाथो को पकड़ के मेरे पैरो की उंगलियो की ओर ले जाने लगे और वापिस बैठे बैठे ही मेरे हाथो को सिर के उपर ले जाने लगे. जब हम झुकते थे तो अंकल का लंड मेरी चूत से रगड़ रहा था और मेरी चूत के मूह के पास कुछ खुजली जैसा हो रहा था. फिर अंकल ने मेरे हाथो को छोड़ दिया और मे खुद वो आसन कर रही थी. अंकल ने अपने हाथ को मेरे स्तन पे रख दिया और हल्के से दबाने लगे, ये पहली बार था जब कोई मेरे स्तन को हाथो से दबा रहा था और मेरे स्तन मे गुद गुडी हो रही थी, वो कभी कभी मेरे निपल्स को भी पकड़ के उसे खिच ते थे, उन्होने मेरे बालो को पकड़ के अपने पीठ पे रख दिया और मे भी खुद देख रही थी के कैसे अंकल मेरे स्तन पे अपने हाथ घुमा रहे थे, मेरे स्तन छोटे थे इस लिए उनकी हाथ की हथेली मे वो छोटे आम की तरह लग रहे थे. फिर अंकल मे मुझे रोक दिया और हम दोनो खड़े हो गये, हम दोनो के जिस्म पसीने सेपूरी तरह से पानी पानी हो गये थे. अंकल ने अपना लंड मेरी लंगोट मे से निकाल के मुझे लेट जाने का इशारा किया और मे पीठ के बल लेट गयी और वो मेरे साथ कल जो किया था वैसे ही मेरे साथ मेरे उपर लेट गये. मेरी लंगोट भीगी हुई थी सो उन्होने उसे निकाल दिया और मेरी चूत को खुला कर दिया और मेरे उपर लेट गये. अंकल का लंड मेरे पेट की नाभि के पास था, मेरे पैर अंकल की कमर पे थे, मेरी चूत आज पहली बार खुली थी जिस पर अंकल के लंड की गोतिया लग रही थी, अंकल मुझे बेरहमी से चूम रहे थे और काट भी रहे थे और मे उनके बालो को नोच रही थी. अंकल के जिस्म का पसीना मेरे मूह, गर्दन, स्तन, पेट पे लग रहा था, मानो मे उनके पसीने से नहा रही हू. जब हम दोनो के जिस्म ने पानी छोड़ दिया तब अंकल के लंड का पानी मेरी नाभि के पास था और मेरी चूत का पानी अंकल के लंड की गोतिए से लग गया और पानी से भीनी हो गयी. में रुमाल से अंकल को साफ कर रही थी, मे जब लंड के अपना हाथ ले गयी यो अंकल ने मुझे रोका और कहा “ जया कभी इस पानी को साफ नही करना ये हमारी जीत की निशानी है”. आज मे पूरी तरह से नगी थी, मेरे जिस्म पे कोई कपड़ा नही था. तभी हम दोनो बाहर जाने लगे तो मेने अंकल को रोक दिया और बड़े रुमाल को मेरी कमर पे लपेट के अंकल के पास गयी और उनका लंड मेरी छूट के पास रख दिया, तब अंकल ने उस रुमाल को मेरी कमर से निकाल के हम दोनो की कमर पे बाँध दिया और मुझे कमर से उठा के किचन मे ले गये. हम दोनो ने नाश्ता किया और जूस पीके आके सोफे पे बैठ गये. फिर अंकल ने कहा “ जया आज से तुम आज़ाद हो मेरा लंड अपनी चूत के पास रख ने से, क्यूंकी आज से तुम कभी भी चड्डी नही पहानोगी, कही भी नही मतलब अब तुम चड्डी तभी पहानोगी जब मे तुम्हे अपने हाथो से चड्डी पहनाउंगा, समझी” मेने शरमाते हुए कहा “ मेरे दोनो घर और कॉलेज मे भी नही” अंकल ने मेरे सिर पे हाथ फिराते कहा “ नही मतलब नही”. फिर मे उनसे बिचॅड के उपने घर चली आई. मेने जब बिना चड्डी के कॉलेज ड्रेस पहना मुझे थोड़ा सा अजीब लगा, हालाकी मेने 6थ मे ही चड्डी पहन सीखा था. लेकिन अंकल की जिस्म की प्यास ने मेरी चूत मे से पानी निकाल दिया था इस लिए मे बहुत शर्मा रही थी. मे जब नीचे उतरी तो अंकल नाश्ता लेके खड़े थे और मुझे किस देने के बाद कहा “ जया जल्दी आना मे तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हू”. मे उन्हे हवा मे किस देते हुए कॉलेज चली गयी. कॉलेज जाते ही मुझे पता चला के आज दो ही पीरियड है तो मेने अंकल की बात याद की और समझ गयी कि अंकल को पहले से ही मालूम था के आज जल्दी छुट्टी मिलने वाली है. मे कॉलेज से सीधा अंकल के घर गयी और मेरे अंदर आते ही अंकल दरवाजा बंद करते हुए मुझ पे टूट पड़े और मुझे चूमने लगे और मेरी शर्ट और पेंट को निकाल दिया. मे उनके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी. फिर हम दोनो आसन वाले कमरे गये, अंकल ने मुझे गद्दे पे लेट जाने का इशारा किया और मे अपनी पीठ के बल लेट के पैरो के फेलाते हुए अंकल के अपने उपर लेट ने का मार्ग बना रही थी, अंकल ये देख अभूत खुस हुए और अपना लंड मेरे पेट के पास लाके और मेरी चूत के पास उनके लंड की गोतिया रख के मेरे उपर लेट गये. हम दोनो एक दूसरे को बहुत ही बहरेहमी से चूम रहे थे, इस बार अंकल ने मेरे हाथो को अपनी पीठ पे रख दिया और अपने हाथ मेरी गर्दन के पीछे लेते हुए ज़ोर से मेरे होंठो को चूमने लगे, वो बहुत ही ज़ालिम तरीके से मुझे नोच रहे थे और मे छट पटा रही थी , सो में अपने हाथो को उनकी पीठ पे घुमाने लगी और कभी कभी उनकी पीठ अपनी उंगलियो के नाख़ून से ज़ोर से पकड़ लिया करती थी और उनकी पीठ मे से खून भी निकल रहा था, वो इन सब से काफ़ी रोमांचित हो रहे थे और मुझे बहुत ही बहरहमी से कई बार काट भी लिया करते थे. हम दोनो ने एक साथ ही अपना पानी निकाला. अंकल मेरे उपर से उठ के मेरे पैरो मे जाके उन्हे चूमे ने लगे और धीरे धीरे वो उपर आ रहे थे, वो जब मेरी जाँघो के पास आए तो मेने आँखे बंद कर ली तो उन्होने वाहा एक ज़ोर से चुटकी लगाते हुए उसे लाल कर दिया और मैने दर्द से आँखे खोल दी और वो मेरी जाँघो को चूमते मेरे चूत के पास भी चूमने लगे और मेरे जिस्म मे मीठी सी लहर दौड़ गयी क्यूंकी अंकल नेअपनी जीभ मेरी चूत के मूह के पास रख दी थी और उसे वाहा घुमा रहे थे. फिर अंकल मेरी चूत को चूमने के बाद और उपर आके मेरी नाभि जोकि उनके पानी सी भीगी हुई थी उसे चाटने लगे अपनी जीभ को अंदर घुमा के. आगे बढ़ते हुए अंकल ने मेरे दोनो स्तनो को भी बहुत अच्छी तरह से चूमा था. फिर अंकल मेरे उपर लेट के मेरी आँखो मे देख के बोले “ जया अब तुम मेरे पूरे जिस्म को चूम के उसे प्यार करोगी जैसे मेने तुम्हारे जिस्म को किया है”.
क्रमशः........
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