RE: Antarvasnasex आंटी के साथ मस्तियाँ
मैंने आंटी की कमर पकड़ कर थोड़ा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया। इस बार तो करीब 8 इंच लौड़ा आंटी की चूत में समा गया।
‘आ…आ..आ…आ. .आ ..वी मा..आआ.. मर गई, छोड़ ना मुझे, पहले खाना तो खा ले।’ आंटी सीधी हुई पर लौड़ा अब भी चूत में धंसा हुआ था। मैंने पीछे से हाथ डाल कर आंटी की चूचियां पकड़ लीं।
‘आंटी, आप खाना बनाइए ना आपको किसने रोका है?’
उसके बाद आंटी उसी मुद्रा में खाना बनाती रहीं और मैं भी आंटी की चूत में पीछे से लौड़ा फँसा कर आंटी की पीठ और चूतड़ों को सहलाता रहा।
‘चल राज खाना तैयार है, निकाल अपने मूसल को।’ आंटी अपने चूतड़ पीछे की ओर उचकाते हुए बोलीं।
मैंने आंटी के चूतड़ पकड़ कर दो-तीन धक्के और लगाए और लौड़े को बाहर निकाल लिया। मेरा पूरा लंड आंटी की चूत के रस से सना हुआ था।
आंटी ने टेबल पर खाना रखा और मैं कुर्सी खींच कर बैठ गया।
‘आओ आंटी, आज आप मेरी गोद में बैठ कर खाना खा लो।’
‘हाय राम तेरी गोद में जगह कहाँ है? एक लम्बी सी तलवार निकली हुई है।’ आंटी मेरे खड़े हुए लंड को देखती हुई मुस्कुरा कर बोलीं।
‘आंटी आपके पास म्यान है ना.. इस तलवार के लिए।’ यह कहते हुए मैंने आंटी को अपनी गोद में खींच लिया।
आंटी की चूत बुरी तरह से गीली थी और मेरा लौड़ा भी चूत के रस में सना हुआ था।
जैसे ही आंटी मेरी गोद में बैठीं मेरा खड़ा लौड़ा आंटी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया।
‘अईया…आआहह. .ऊऊहह …अया .. कितना जंगली है रे तू… 10 इंच लम्बा मूसल इतनी बेरहमी से घुसेड़ा जाता है क्या?’
‘सॉरी आंटी.. चलो अब खाना खा लेते हैं।’
हमने इसी मुद्रा में खाना खाया। खाना खाने के बाद जब आंटी झूठे बर्तन रखने के लिए उठीं तो मेरा लंड ‘फ़च्च’ की आवाज़ के साथ उनकी चूत में से बाहर आ गया।
बर्तन समेटने के बाद आंटी आईं और बोलीं- हाँ तो भतीजे जी अब क्या इरादा है?
‘अपना इरादा तो अपनी प्यारी आंटी को जी भर के चोदने का है।’ मैंने कहा।
‘तो अभी तक क्या हो रहा था?’
‘अभी तक तो सिर्फ़ ट्रेलर था, असली पिक्चर तो अब चालू होगी।’ कहते हुए मैंने नंगी आंटी को अपनी बांहों में भर के चूम लिया और अपनी गोद में उठा लिया।
मैं खड़ा हुआ था, मेरा विशाल लंड तना हुआ था और आंटी की टाँगें मेरी कमर से लिपटी हुई थीं।
आंटी की चूत मेरे पेट से चिपकी हुई थी और मेरा पेट आंटी की चूत के रस से गीला हो गया था।
मैंने खड़े-खड़े ही आंटी को थोड़ा नीचे की ओर सरकाया जिससे मेरा तना हुआ लंड आंटी की चूत में प्रविष्ट हो गया।
इसी प्रकार मैं आंटी को उठा कर उनके कमरे में ले गया और बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया।
आंटी की टाँगों के बीच में बैठ कर मैंने उनकी टाँगों को चौड़ा किया और अपने लंड का सुपारा उनकी चूत के मुँह पर टिका दिया।
अब आंटी से ना रहा गया- राज, तंग मत कर… अब और नहीं सहा जाता… जल्दी से पेल… जी भर के चोद मेरे राजा… फाड़ दे मेरी चूत को…!’
मैंने एक ज़बरदस्त धक्का लगाया और आधा लंड आंटी की चूत में पेल दिया।
‘आआआअ… आईययइ…ह…अह… मार गई मेरी माँ… आह.. फट जाएगी मेरी चूत… आ.. इश्स… इससस्स..उई… आआआः… खूब जम के चोद मेरे राजा.. कितना मोटा है रे तेरा लंड… इतना मज़ा तो ज़िंदगी भर नहीं आया… आ…आआहह।’ आंटी इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो गई थीं कि अब बिल्कुल रंडी की तरह बातें कर रही थीं।
मैंने थोड़ा सा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा जड़ तक आंटी की चूत में पेल दिया।
मेरे अमरूद आंटी के चूतड़ों से टकराने लगे। मैं आंटी की सुन्दर चूचियों को मसलने और चूसने लगा और उनके रसीले होठों को भी चूसने लगा।
आंटी चूतड़ उछाल-उछाल कर मेरे धक्कों का जबाब दे रही थीं।
पाँच मिनट की भयंकर चुदाई के बाद आंटी पसीने से तर हो गई थीं और उनकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी।
‘फ़च… फ़च.. फ़च…’ की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज़ रहा था।
आंटी की चूत में से इतना रस निकला कि मेरे अमरूद तक गीले हो गए।
मैंने आंटी के होंठ चूमते हुए कहा- आंटी मज़ा आ रहा है ना ? नहीं आ रहा तो निकाल लूँ।
‘चुप बदमाश.. खबरदार जो निकाला… अब तो मैं इसको हमेशा अपनी चूत में ही रखूँगी…!’
‘आंटी आपने कभी अंकल का लंड चूसा है?’
‘नहीं रे, कहा ना तेरे अंकल को तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर चोदना आता है, काम-कला तो उन्होंने सीखी ही नहीं।’
‘आपका दिल तो करता होगा मर्द का लौड़ा चूसने का?’
‘किस औरत का नहीं करेगा? औरत तो ये भी चाहती है कि मर्द भी उसकी चूत चाटे।’
‘आंटी मेरी तो आपकी चूत चूसने की बहुत तमन्ना है।’ मैंने अपना लंड आंटी की चूत में से निकाल लिया और मैं पीठ के बल लेट गया।
‘आंटी आप मेरे ऊपर आ जाओ और अपनी प्यारी चूत का स्वाद चखने दो।’ मैंने आंटी को अपने ऊपर खींच लिया।
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