RE: Antarvasnasex आंटी के साथ मस्तियाँ
‘ओह.. अब समझी भतीजे जी मेरी कच्छी के पीछे क्यों पागल हैं.. इसीलिए तो कहती हूँ तुझे एक सुन्दर सी बीवी की जरूरत है।’
‘लेकिन मैं तो अनाड़ी हूँ। आपने तो वादा करके भी कुछ नहीं बताया। उस दिन आप कह रही थीं कि मर्द अनाड़ी हो तो लड़की को सुहागरात में बहुत तकलीफ़ होती है। आपका क्या मतलब था? आपको भी तकलीफ़ हुई थी?’
‘हा राज, तेरे अंकल अनाड़ी थे। सुहागरात को मेरी साड़ी उठा कर बिना मुझे गर्म किए चोदना शुरू कर दिया। अपने 8′ लम्बे और 3′ मोटे लंड से मेरी कुँवारी चूत को बहुत ही बेरहमी से चोदा। बहुत खून निकला मेरी चूत से। अगले एक महीने तक दर्द होता रहा।’
मेरा लंड देखने के बाद से आंटी काफ़ी उत्तेजित हो गई थी और बिल्कुल ही शरमाना छोड़ दिया था।
‘लड़की को गर्म कैसे करते हैं आंटी?’
‘पहले प्यार से उससे बातें करते हैं। फिर धीरे-धीरे उस के कपड़े उतारते हैं। उसके बदन को सहलाते हैं। उसकी होंठों को और चूचियों को चूमते हैं, फिर प्यार से उसकी चूचियों और चूत को मसलते हैं। फिर हल्के से एक ऊँगली उसकी चूत में सरका कर देखते हैं कि लड़की की चूत पूरी तरह गीली है। अगर चूत गीली है, इसका मतलब लड़की चुदने के लिए तैयार है। इसके बाद प्यार से उसकी टाँगें उठा कर धीरे-धीरे लंड अन्दर डाल देते हैं। पहली रात ज़ोर-ज़ोर से धक्के नहीं मारते।’
‘आंटी उस फिल्म में तो वो कालू उस लड़की की चूत चाटता है, लड़की भी लंड चूसती है। कालू उस लड़की को कई तरह से चोदता है। यहाँ तक की उसकी गाण्ड भी मारता है।’
‘अरे बुद्धू, ये सब पहली रात को नहीं किया जाता, धीरे-धीरे किया जाता है।’
‘आंटी, अंकल भी वो सब आपके साथ करते हैं?’
‘नहीं रे.. तेरे अंकल अनाड़ी थे और अब भी अनाड़ी हैं। उनको तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर पेलना आता है। अक्सर तो पूरी तरह नंगी किए बिना ही चोदते हैं। औरत को मज़ा तो पूरी तरह नंगी हो कर ही चुदवाने में आता है।’
‘आंटी आपको नंगी हो कर चुदवाने मे बहुत मज़ा आता है?’
‘क्यों मैं औरत नहीं हूँ? अगर मोटा तगड़ा लंड हो और चोदने वाला नंगी करके प्यार से चोदे तो बहुत ही मज़ा आता है।’
‘लेकिन अंकल का लंड तो मोटा-तगड़ा होगा। पर.. हाँ मेरे लंड की बराबरी नहीं कर सकता है।’
‘तुझे कैसे पता?’
‘मुझे तो नहीं पता, लेकिन आप तो बता सकती हैं।’
‘मैं कैसे बता सकती हूँ? मैंने तेरा लंड तो नहीं देखा है।’ आंटी ने बनते हुए कहा।
मैं मन ही मन मुस्कराया और बोला- तो क्या हुआ आंटी.. कहो तो अभी आपको अपने लंड के दर्शन करा देता हूँ, आप नाप लो किसका बड़ा है।’
‘हट बदमाश..!’
‘अगर आप दर्शन नहीं करना चाहती तो कम से कम मुझे तो अपनी चूत के दर्शन एक बार करवा दीजिए। सच आंटी मैंने आज तक किसी की चूत नहीं देखी।’
‘चल नालायक.. तेरी शादी जल्दी करवा दूँगी… इतना उतावला क्यों हो रहा है।’
‘उतावला क्यों ना होऊँ? मेरी प्यारी आंटी को अंकल सारी-सारी रात खूब जम कर चोदें और मेरी किस्मत में उनकी चूत के दर्शन तक ना हो। इतनी खूबसूरत आंटी की चूत तो और भी लाजवाब होगी। एक बार दिखा दोगी तो घिस तो नहीं जाओगी। अच्छा, इतना तो बता दो कि आपकी चूत भी उतनी ही चिकनी है जितनी फिल्म में उस लड़की की थी?’
‘नहीं रे, जैसे मर्दों के लंड के चारों तरफ बाल होते हैं वैसे ही औरतों की चूत पर भी बाल होते हैं। उस लड़की ने तो अपने बाल शेव कर रखे थे।’
‘आंटी तब तो जितने घने और सुन्दर बाल आपके सिर पर है उतने ही घने बाल आपकी चूत पर भी होंगे? आप अपनी चूत के बाल शेव नहीं करती?’
‘तेरे अंकल को मेरी झांटें बहुत पसंद हैं इसलिए शेव नहीं करती।’
‘हाय आंटी.. आपकी चूत की एक झलक पाने के लिए कब से पागल हो रहा हूँ और कितना तड़पाओगी?’
‘सबर कर, सबर कर… सबर का फल हमेशा मीठा होता है।’ यह कह कर बारे ही कातिलाना अंदाज में मुस्कराती हुई नीचे चली गईं।
मेरे लंड के दुबारा दर्शन करने के बाद से तो आंटी का काफ़ी बुरा हाल था।
एक दिन मैंने उनके कमरे में मोटा सा खीरा देखा। मैंने उसे सूंघ कर देखा तो खीरे में से भी वैसी ही महक आ रही थी जैसी आंटी की कच्छी में से आती थी। लगता था आंटी खीरे से ही चूत की भूख मिटाने की कोशिश कर रही थीं।
मुझे मालूम था की गंदी पिक्चर भी वो कई बार देख चुकी थीं। अंकल को गए हुए तीन महीने बीत गए थे।
घर में मोटा-ताज़ा लंड मौज़ूद होने के बावज़ूद भी आंटी लंड की प्यास में तड़प रही थीं।
मैंने एक और प्लान बनाया। बाज़ार से एक हिन्दी का बहुत ही कामुक उपन्यास लाया जिसमें भतीजे-आंटी की चुदाई के किस्से थे। उस उपन्यास में आंटी अपने भतीजे को रिझाती है। वो जानबूझ कर कपड़े धोने इस प्रकार बैठती है कि उसके पेटीकोट के नीचे से भतीजे को उसकी चूत के दर्शन हो जाते हैं। ये उपन्यास मैंने ऐसी जगह रखा, जहाँ आंटी के हाथ लग जाए।
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