RE: Kamukta मुझे कुच्छ कुच्छ होता है
मुझे कुच्छ कुच्छ होता है --4
गतान्क से आगे ...........
थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद, हम दोनो ने अपने अपने कपड़े पहने और वहाँ से वापस आ गये. ड्राइवर का घर पास में ही था. उसके पास जाकर मैने उसे कार दे कर कहा कि हम लोग आज कहीं पार्टी में जा रहे हैं. मैने उसे समझा दिया कि वो घर में कह दे कि मैं एक सहेली के घर चली गयी हू. आज रात उसके घर पर ही रहूंगी. फिर मैने उसे 500 का एक नोट पकड़ा दिया. रुपये पाकर वो खुश हो गया, बोला, “मेडम जी ! आप बेफ़िक्र हो जाइए. मैं सब संभाल लूँगा. मालकिन को ऐसा समझावंगा कि वो कुछ नहीं कहेंगी आपको.”
उसके बाद हम दोनो वहाँ से निकल गये. एक जगह रुक कर शिवम ने टेलिफोन बूथ से अपने दोस्त को फोन कर दिया. उसके बाद उसने मुझे बताया कि उसका दोस्त मौजूद था और उसने कह दिया है कि वो सारा इंटेज़ाम कर देगा.
“सारे इंटेज़ाम से तुम्हारा क्या मतलब?”
“मतलब खाने पीने से है.” शिवम ने मुस्कुरा कर कहा. हम दोनो एक ऑटो के ज़रिए उसके दोस्त के बंग्लो में पहुँच गये. अच्छा ख़ासा बंग्लो था, काफ़ी अच्छी तरह सज़ा हुआ.
शिवम के दोस्त ने हम दोनो का स्वागत किया. वो भी आकर्षक लड़का था. वो शिवम से तो खुलकर बात करने लगा मगर मुझसे बात करने में झिझक रहा था. अंदर जाने के बाद मैने सिवम से कहा कि मैं अपने घर फोन करना चाहती हूँ.
उसने सहमति जताई तो मैने मम्मी को फोन करके कह दिया कि मैं आज रात नीमा के घर में हूँ और कल सुबह ही आउन्गि. मम्मी कुच्छ ख़ास विरोध नहीं कर पाई. नीमा का नाम मैने इसलिए लिया था कि उसके घर का फोन नंबर मम्मी के पास नहीं था. वो उससे फोन करके पूछ नहीं सकती थी कि मैं उसके पास
हूँ या नहीं. फिर एका एक विचार आया कि अगर मेरी डाइयरी मम्मी को मिल गयी तो उसमें फोन नंबर है. इसलिए मैने नीमा को भी इस बारे में बता देना ठीक समझा. नीमा को फोन किया तो वो पहले तो हँसने लगी फिर बोली, “लगता है शिवम के साथ मौज मस्ती करने में लगी हुई है. अकेले अकेले मज़े लेगी अपनी सहेली का कुच्छ ख़याल नहीं है तुझे.”
वो बड़ी सेक्सी लड़की थी. मैने भी हंस कर कहा, “अगर तेरा मन इतना बेताब हो रहा है चुदवाने का तो फिर तू भी आजा, वैसे भी यहाँ दो लड़के हैं. एक तो शिवम है और दूसरा उसका दोस्त. आजा तो तेरा भी काम बन जाएगा. मैं उसे तेरे लिए मना कर रखती हूँ.”
“वो मान जाएगा?”
“क्यों नहीं मानेगा यार. तेरी जैसी लड़की की चूत को देखकर कोइ भी लड़का
चोदने के लिए मना नहीं करेगा. तू है ही ऐसी कि, कोइ मना करे ये नामुमकिन है.”
“ठीक है तो फिर मैं भी घर में कोइ ना कोइ बहाना बना कर आ रही
हूँ.”
उसने फोन काट दिया. मैने उसके बारे में शिवम को बताया, तो वो अपने दोस्त को बोला ले यार अजय तेरा भी इंतज़ाम हो गया है. इसकी एक सहेली है नीमा, वो आ रही है.”
अजय के चेहरे पर निखार आ गया. बेड रूम में आ कर हम तीनो बातें करने लगे. कुच्छ देर में ही अजय से मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी. उसने बताया कि वो भी पहले एक लड़की से प्यार करता था मगर बाद में उसने धोखा दे दिया तो उसने किसी और को प्रेमिका बनाने के बारे में सोचा ही नहीं.
थोड़ी देर तक बैठे बैठे मुझे बोरियत महसूस होने लगी. शिवम ने मेरी मानो स्तिथि भाँप ली. वो अपने दोस्त से बोला, “यार अजय ! ज़रा उस तरफ देखना.” अजय दूसरी ओर देखने लगा तो शिवम ने मुझे बाहो में ले लिया और मेरी चूचियों को दबाने लगा. होंठो को भी हौले हौले किस करने लगा. तभी वहाँ नीमा आ गयी. शिवम मुझसे लिपटा हुआ था, उसे देखकर हम दोनो अलग हो गये. मैने कहा, “हम तेरी ही राह देख रहे थे, वह भी बेचैनी से.”
उसके बाद मैने उसका परिचय शिवम और अजय से करवाया. मैं देख रही थी कि अजय गहरी निगाहों से नीमा की ओर देखे जा रहा था. सॉफ ज़ाहिर हो रहा था कि नीमा उसे बहुत पसंद आ रही है.
एका एक मैं बोली, “यार, तुम दोनो ने एक दूसरे को पसंद कर लिया है तो फिर
तुम दोनो दूर दूर क्यों खड़े हो. एंजाय करो यार.” यह कहते हुए मैने नीमा को अजय की ओर धकेल दिया. अजय ने जल्दी ही उसे बाहों में ले लिया. वो दोनो झिझकें नहीं यह सोच कर मैं भी शिवम से लिपट गयी और उसके होंठो को चूमने लगी. शिवम मेरी चूची दबाने लगा तो अजय ने भी नीमा के मम्मो पर हाथ रख दिया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा. मैं नीमा की ओर देखकर मुस्कुराइ. नीमा भी मुस्कुरा दी फिर अजय के बदन से लिपट कर उसे चूमने लगी. उन दोनो की शर्म खोलने और दोनो को ज़्यादा उत्तेजित करने के इरादे से मैं शिवम के कपड़े उतारने लगी. कुच्छ देर में मैने उसके कपड़े उतार दिए और लंड को पकड़ कर सहलाने लगी तो वो भी मेरी चूचियों को बेपर्दा करने लगा.
उधर नीमा मेरी देखा देखी, अजय के कपड़े उतारने लगी. कुच्छ ही देर में उसने अजय के सारे कपड़े उतार दिए. वो तो मुझसे भी एक कदम आगे निकली और उसने झुक कर अजय का लंड दोनो हाथो में पकड़ा और सुपादे को चाटने लगी.
मैने भी उसकी देखा देखी, शिवम के लंड को मूह में ले लिया और उसे सुपादे को चूसने लगी. एक समय तो हम दोनो सहेलियाँ मस्ती से लंड मूह में लिए हुए चूस रही थी. मुझे जितना मज़ा आ रहा था उससे कहीं ज़्यादा मज़ा नीमा को अजय का लंड चूसने में आ रहा था, यह मैने उसके चेहरे को देखकर अंदाज़ा लगाया था. वो काफ़ी खुश लग रही थी. बड़े मज़े से लंड के ऊपर मूह को आगे पीछे करते हुए वो चूस रही थी.
थोड़ी देर बाद उसने लंड को मूह से निकाला और जल्दी जल्दी अपने निचले कपड़े
उतारने लगी. मुझसे नज़र टकराते ही मुस्कुरा दी. मैं भी मुस्कुराइ और मस्ती से शिवम के लंड को चूसने में लग गयी. कुच्छ देर बाद ही मैं भी नीमा की तरह शिवम के बदन से अलग हो गयी और अपने कपड़े उतारने लगी. कुछ देर बाद हम चारो के बदन पर कोइ कपड़ा नहीं था.
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