Kamukta मुझे कुच्छ कुच्छ होता है
06-25-2017, 12:11 PM,
#5
RE: Kamukta मुझे कुच्छ कुच्छ होता है
मुझे कुच्छ कुच्छ होता है --3
गतान्क से आगे ........... 
उसका 8 इंच लंड अब मेरी चूत की गहराई को पहले से काफ़ी अच्छी तरह नाप 
रहा था. मैं पूरी तरह मस्त होकर मूह से सिसकारी निकालने लगी. पता 
नहीं कैसे मेरे मूह से एकदम गंदी गंदी बात निकलने लगी थी. जिसके बारे में मैने पहले कभी सोचा तक नहीं था. फहाआद्द्दद्ड….. डूऊऊओ मेरिइईईई चूऊवटतत्टतत्त कूऊऊऊ आआहह प्प्प्पीईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूऊऊऊओ और्र्र्ररर तेज़ पेलो टुकड़े टुकड़े कर दो मेरी चूऊऊथततटटतत्त क्ीईईईईईईई. 

एका एक मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी तो मैने शिवम को और तेज़ गति से धक्के मारने को कह दिया,अब लंड मेरी चूत को पार कर मेरी बच्चेदानि से टकराने लगा था, तभी चूत में ऐसा संकुचन हुआ कि मैने खुद बखुद उसके लंड को ज़ोर से चूत के बीच में कस लिया. पूरी चूत में ऐसी गुदगुदाहट होने लगी कि मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरे मूह से ज़ोरदार सिसकारी निकलने लगी. उसने लंड को रोका नहीं और धक्के मारता रहा. मेरी हालत जब कुछ अधिक खराब होने लगी तो मेरी रुलाई छ्छूट निकली. वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरे रो देने पर उसने लंड को रोक लिया और मुझे मनाने का प्रयास करने लगा. मैं उसके रुक जाने पर 
खुद ही शांत हो गयी और धीरे धीरे मैं अपने बदन को ढीला छ्चोड़ने लगी. 

कुच्छ देर तक वो मेरी चूत में ही लंड डाले मेरे ऊपर पड़ा रहा. मैं आराम से कुच्छ देर तक साँस लेती रही. फिर जब मैने उसकी ओर ध्यान दिया तो पाया कि उसका मोटा लंड चूत की गहराई में वैसे का वैसा ही खड़ा और आकड़ा हुआ पड़ा था. मुझे नॉर्मल देखकर उसने कहा, “कहो तो अब मैं फिर से धक्के मारने शुरू करूँ.” 

“मारो, मैं देखती हूँ कि मैं बर्दाश्त कर पाती हूँ या नहीं.” 

उसने दोबारा जब धक्के मारने स्टार्ट किए तो मुझे लगा जैसे मेरी चूत में काँटे उग आए हो, मैं उसके धक्के झेल नहीं पाई और उसे मना कर दिया. मेरे बहुत कहने पर उसने लंड बाहर निकालना स्वीकार कर लिया. जब उसने बाहर निकाला तो मैने राहत की साँस ली. उसने मेरी टाँगो को अपने 
कंधे से उतार दिया और मुझे दूसरी तरफ घुमाने लगा तो पहले तो मैं 
समझ नहीं पायी कि वो करना क्या चाहता है. मगर जब उसने मेरी गांद को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसमें लंड घुसाने के लिए मुझे आगे की ओर झुकाने लगा तो मैं उसका मतलब समझ कर रोमांच से भर गयी. 

मैने खुद ही अपनी गांद को ऊपर कर लिया और कोशिश करी कि गांद का च्छेद 
खुल जाए. उसने लंड को मेरी गांद के छेद पर रखखा और अंदर करने के लिए हल्का सा दबाव ही दिया था कि मैं सिसकी लेकर बोली, “थूक लगा कर घुसाओ.” 
उसने मेरी गांद पर थूक चुपद दिया और लंड को गांद पर रखकर अंदर डालने लगा. मैं बड़ी मुश्किल से उसे झेल रही थी. दर्द महसूस हो रहा था. कुच्छ देर में ही उसने थोड़ा सा लंड अंदर करने में सफलता प्राप्त कर ली थी. फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, तो लंड मेरी गांद के अंदर रगड़ खाने लगा 

तभी उसने अपेक्षाक्रत तेज़ गति से लंड को अंदर कर दिया, मैं इस हमले के 
लिए तय्यार नहीं थी, इसलिए आगे की ओर गिरते बची. सीट की पुष्ट को सख्ती 
से पकड़ लिया था मैने. अगर नहीं पकड़ती तो ज़रूर ही गिर जाती. मगर इस 
झटके का एक फ़ायदा यह हुआ कि लंड आधा के करीब मेरी गांद में धँस गया था. मेरे मूह से दर्द भरी सिसकारियाँ निकलने लगी उउउउउउफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ………. आआआहहह…. मररर्र्र्र्र्ररर गइईईई….. फट गयी मेरी गाआआअन्न्‍न्न्ँद्द्द्द्ड…… हाआआऐययईईईईईईईईई ऊओह…….. उसने अपना लंड जहाँ का तहाँ रोक कर धीरे धीरे धक्के लगाने स्टार्ट किए. मुझे अभी आनंद ही आना शुरू हुआ था कि तभी वो तेज़ तेज़ झटके मारता हुआ काँपने लगा, लंड का सुपाड़ा मेरी गांद में फूल पिचक रहा था, आआआआहह मेर्र्र्रृिईईईईईईईई जाआअन्न्‍ननननणणन् म्‍म्म्मममममम आआआआआअ ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्
ज़ आआआआआआ आआआयययी हह आआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईई कहता हुआ वो मेरी गांद में ही झाड़ गया. मैने महसूस किया कि मेरी गांद में उसका गाढ़ा और गरम वीर्य टपक रहा था. 
उसने मेरी पीठ को कुछ देर तक चूमा और अपने लंड को झटके देता रहा. उसके बाद पूरी तरह शांत हो गया. मैं पूरी तरह गांद मरवाने का आनंद भी नहीं ले पाई थी. एक प्रकार से मुझे आनंद आना शुरू ही हुआ था. उसने लंड निकाल लिया. मैं कपड़े पहनते हुए बोली, “तुम बहुत बदमाश हो. शादी से पहले ही सब कुछ कर डाला.” 

“वो मुस्कुराने लगा. बोला, “क्या करता, तुम्हारी कमसिन जवानी को देख कर दिल पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था. काई दिनो से चोदने का मान था, आज अच्छा मौका था तो छ्चोड़ने का मन नहीं हुआ. वैसे तुम ईमानदारी से बताओ कि तुम्हे मज़ा आया या नहीं?” 

उसकी बात सुनकर मैं चुप हो गयी और चुपचाप अपने कपड़े पहनती रही. मैं मुस्कुरा भी रही थी. वो मेरे बदन से लिपट कर बोला, “बोलो ना ! मज़ा आया?” 

“हां” मैने हौले से कह दिया. 

“तो फिर एक काम करो, मेरा मन नहीं भरा है. तुम कार अपने ड्राइवर को दे दो और उसे कह दो कि तुम अपनी एक सहेली के घर जा रही हो. रात भर उसके घर में ही रहोगी. फिर हम दोनो रात भर मौज मस्ती करेंगे.” 

मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा कर रह गयी. बोली, “दोनो तरफ का बाजा बजा 
चुके हो फिर भी मन नहीं भरा तुम्हारा?” 

“नहीं ! बल्कि अब तो और ज़्यादा मन बेचैन हो गया है. पहले तो मैने इसका 
स्वाद नहीं लिया था, इसीलिए मालूम नहीं था कि चूत और गांद चोदने में कैसा मज़ा आता है. एक बार चोदने के बाद और चोदने का मन कर रहा है. और मुझे यकीन है कि तुम्हारा भी मन कर रहा होगा.” 

“नहीं मेरा मन नहीं कर रहा है” 

“तुम झूठ बोल रही हो. दिल पर हाथ रख कर कहो”
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