Kamukta मुझे कुच्छ कुच्छ होता है
06-25-2017, 12:11 PM,
#2
RE: Kamukta मुझे कुच्छ कुच्छ होता है
मेरी मुस्कुराहट को देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट दिखाई देने लगी. वो आराम से मेरे कपड़े उतारने लगा, पहले उसका हाथ मेरी चूची पर ही था सो वो मेरी चूची को ही नंगा करने लगा. मैं होल से बोली, “मेरा विचार है कि तुम्हे अपनी भावनाओं पर काबू करना चाहिए. प्यार की ऐसी दीवानगी अच्छी नहीं होती.” 

उसने मेरे कुच्छ कपड़े उतार दिए. फिर मेरी ब्रा खोलते हुए बोला, “तुम्हारी मस्त जवानी को देखकर अगर मैं अपने आप पर काबू पा लूँ तो मेरे लिए ये एक अजूबे के समान होगा.” 

मैने मन में सोचा कि अभी तुमने मेरी जवानी को देखा ही कहाँ है. जब देख लोगे तो पता नहीं क्या हाल होगा. मगर मैं केवल मुस्कुराई. वो मेरे मम्मे को नंगा कर चुक्का था. दोनो चूचियों में ऐसा तनाव आ गया था उस वक़्त तक कि उसके दोनो निपल अकड़ कर और ठोस हो गये थे. और सुई की त्तरह तन गये थे. वो एक पल देख कर ही इतना उत्तेजित हो गया था कि उसने निपल समेत पूरी चूची को हथेली में समेटा और कस कस कर दबाने लगा. अब मैं भी उत्तेजित होने लगी थी. उसकी हर्कतो से मेरे अरमान भी मचलने लगे थे. मैने उसके होंठो को किस करने के बाद प्यार से कहा, “छ्चोड़ दो ना मुझे. तुम दबा रहे हो तो मुझे गुदगुदी हो रही है. पता नहीं मेरी चूचियों में क्या हो रहा है की दोनो चूचियों में तनाव सा भरता जा रहा है. प्लीज़ छ्चोड़ दो, मत दबाओ.” वो मुस्कुरा कर बोला, “मेरे बदन के एक ख़ास हिस्से में भी तो तनाव भर गया है. कहो तो उसे निकाल कर दिखाऊँ?” 

मैं समझ नहीं पायी कि वो किसकी बात कर रहा है. मगर एका एक वो अपनी पॅंट उतारने लगा तो मैं समझ गयी और मेरे चेहरे पर शर्म की लाली फैल गयी. वो किस्में तनाव आने की बात कर रहा था उसे अब मैं पूरी तरह समझ गयी थी. मुझे शर्म का एहसास भी हो रहा था और एक प्रकार का रोमांच भी सारे बदन में अनुभव हो रहा था. मैं उसे मना करती रह गयी मगर उसने अपना काम करने से खुद को नहीं रोका, और अपनी पॅंट उतार कर ही माना. जैसे ही उसने अपना अंडरवेर भी उतारा तो मैने जल्दी से निगाह फेर ली. 

वो मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचते हुए बोला, “छ्छू कर देखो ना. कितना तनाव आ गया है इसमें. तुम्हारे निप्पल से ज़्यादा तन गया है ये.” 

मैने अपना हाथ छुड़ाने की आक्टिंग भर की. सच तो ये था कि मैं उसे छ्छूने को उतावली हो रही थी. अब तक देखा भी नहीं था. छ्छू कर देखने की बात तो और थी. उसने मेरे हाथ को बढ़ा कर एक मोटी सी चीज़ पर रख दिया. वो उसका लंड है ये मैं समझ चुकी थी. एक पल को तो मैं सन्न रह गयी, उसका लंड पकड़ने के बाद. मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज़ हो गयी कि खुद मेरे कानो में भी गूँजती लग रही थी. मैं उसके लंड की जड़ की ओर हाथ बढ़ाने लगी तो एहसाह हुआ कि लंड लंबा भी काफ़ी था. मोटा भी इस कदर की उसे एक हाथ में ले पाना एक प्रकार से नामुमकिन ही था. 

वो मुझे गरम होता देख कर मेरे और करीब आ गया और मेरे निपल को सहलाने लगा. एका एक उसने निपल को चूमा तो मेरे बदन में खून का दौरा तेज़ हो गया, और मैं उसके लंड के ऊपर तेज़ी से हाथ फिराने लगी. मेरे ऐसा करते हुए उसने झट से मेरे निपल को मूह में ले लिया और चूसने लगा. अब तो मैं पूरी मस्ती में आ गयी और उसके लंड पर बार बार हाथ फेर कर उसे सहलाने लगी. बहुत अच्छा लग रहा था, मोटे और लंबे गरम लंड पर हाथ फिराने में. 

एका एक वो मेरे निपल को मूह से निकाल कर बोला, “कैसा लग रहा है मेरे लंड पर हाथ फेरने में?” 

मैं उसके सवाल को सुनकर शर्मा गये. हाथ हटाना चाहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर लंड पर ही दबा दिया और बोला, “तुम हाथ फेरती हो तो बहुत अच्छा लगता है, देखो ना, तुम्हारे द्वारा हाथ फेरने से और कितना तन गया है.” 

मुझसे रहा नहीं गया तो मैं मुस्कुरा कर बोली, “मुझे दिखाई कहाँ दे रहा है?” 

“देखोगी ! ये लो.” कहते हुए वो मेरे बदन से दूर हो गया और अपनी कमर को उठा कर मेरे चेहरे के समीप किया तो उसका मोटा तगड़ा लंड मेरी निगाहो के आगे आ गया. लंड का सुपाड़ा ठीक मेरी आँखो के सामने था और उसका आकर्षक रूप मेरे मन को विचलित कर रहा था. उसने थोड़ा सा और आगे बढ़ाया तो मेरे होंठो के एकदम करीब आ गया. एक बार 
तो मेरे मन में आया की मैं उसके लंड को किस कर लूँ मगर झिझक के कारण मैं उसे चूमने को पहल नहीं कर पा रही थी. वो मुस्कुरा कर बोला, “मैं तुम्हारी आँखो में देख रहा हूँ कि तुम्हारे मन में जो है उसे तुम दबाने की कोशिश कर रही हो. अपनी भावनाओं को मत दबाओ, जो मन में आ रहा है, उसे पूरा कर लो.” 

उसके यह कहने के बाद मैने उसके लंड को चूमने का मन बनाया मगर एकदम से होंठ आगे ना बढ़ा कर उसे चूमने की पहल ना कर पायी. तभी उसने लंड को थोड़ा और आगे मेरे होंठो से ही सटा दिया, उसके लंड के दहाकते हुए सुपादे का स्पर्श होंठो का अनुभव करने के बाद मैं अपने आप को रोक नहीं पाई और लंड के सुपादे को जल्दी से चूम लिया. एक बार चूम लेने के बाद तो मेरे मन की झिझक काफ़ी कम हो गयी और मैं बार बार उसके लंड को दोनो हाथो से पकड़ कर सुपादे को चूमने लगी, एकाएक उसने सिसकारी लेकर लंड को थोड़ा सा और आगे बढ़ाया तो मैने उसे मूह में लेने के लिए मूह खोल दिया, और सुपपड़ा मूह में लेकर चूसने लगी. 

इतना मोटा सुपाड़ा और लंड था कि मूह में लिए रखने में मुझे परेशानी का अनुभव हो रहा था, मगर फिर भी उसे चूसने की तमन्ना ने मुझे हार मान-ने नहीं दी और मैं कुछ देर तक उसे मज़े से चूस्ति रही. एका एक उसने कहा, “हयाययीयियी तुम इसे मूह में लेकर चूस रही हो तो मुझे कितना मज़ा आ रहा है, मैं तो जानता था कि तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो, मगर थोड़ा झिझकति हो. अब तो तुम्हारी झिझक समाप्त हो गयी, क्यों है ना?” 
क्रमशः............... 
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RE: Kamukta मुझे कुच्छ कुच्छ होता है - by sexstories - 06-25-2017, 12:11 PM

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