RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
झांतो से आती भीनी-भीनी खुसबु को अपनी सांसोमैं भरता हुआ जीभ निकाल चूत के भग्नासे को भूखे भेड़िए की तरह काटने लगा. फिर तो उर्मिला देवी ने भी हथियार डाल दिए और सुबह-सुबह ब्रेकफास्ट में चूत चुसाइ का मज़ा लेने लगी. उनके मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी. कब उन्होने कुर्सी पर से अपनी गांद उठाई, कब पॅंटी निकाली और कब उनकी जंघे फैल गई इसका उन्हे पता भी ना चला. उन्हे तो बस इतना पता था उनकी फैली हुई चूत के मोटे मोटे होंठो के बीच राजू की जीभ घुस कर उनके चूत की चुदाई कर रही थी और उनके दूनो हाथ उसके सिर के बालो में घूम रहे थे और उसके सिर को जितना हो सके अपनी चूत पर दबा रहे थे. थोरी देर की चुसाइ चटाई में ही उर्मिला देवी पस्त होकर झार गई और आँख मुन्दे वही कुर्सी पर बैठी रही. राजू भी चूत के पानी को पी अपने होंठो पर जीभ फेरता जब डाइनिंग टेबल के नीचे से बाहर निकला तब उर्मिला देवी उसको देख मुस्कुरा दी और खुद ही अपना हाथ बढ़ा उसके शॉर्ट्स को सरका कर घुटनो तक कर दिया.
"सुबह सुबह तूने….ये क्या कर दिया …" कहते हुए उसके लंड पर मूठ लगाने लगी.
"ओह मामी मूठ मत लगाओ ना….चलो बेडरूम में डालूँगा."
"नही कपड़े खराब हो जाएँगे…चूस कर निकाल….." और गप से लंड के सुपरे को अपने गुलाबी होंठो के बीच दबोच लिया. होंठो को आगे पिछे करते हुए लंड को चूसने लगी. राजू मामी के सिर को अपने हाथो से पकड़ हल्के हल्के कमर को आगे पिछे करने लगा. तभी उसके दिमाग़ में आया की क्यों ना पिछे से लंड डाला जाए कपड़े भी खराब नही होंगे.
"मामी पिछे से डालु….कपड़े खराब नही होंगे.."
लंड पर से अपने होंठो को हटा उसके लंड को मुठियाते हुए बोली "नही बहुत टाइम लग जाएगा…रात में पिछे से डालना" राजू ने उर्मिला देवी के कंधो को पकड़ कर उठाते हुए कहा "प्लीज़ मामी……उठो ना चलो उठो….."
"अर्रे नही बाबा…….मुझे मार्केट भी जाना है…..ऐसे ही देर हो गई है…."
"ज़यादा देर नही लगेगी बस दो मिनिट…."
"अर्रे नही तू छोड़ दे मेरा काम तो वैसे भी हो….."
"क्या मामी……..थोड़ा तो रहम करो…..हर समय क्यों तड़पाती हो…"
"तू मानेगा नही….."
"ना, बस दो मिनिट दे दो……."
"ठीक है दो मिनिट में नही निकला तो खुद अपने हाथ से करना…..मैं ना रुकने वाली"
उर्मिला देवी उठ कर डाइनिंग टेबल के सहारे अपने चूतरो को उभार कर घोड़ी बन गई. राजू पिछे आया और जल्दी से उसने मामी की सारी को उठा कर कमर पर कर दिया. पॅंटी तो पहले ही खुल चुकी थी. उर्मिला देवी की मक्खन मलाई सी चमचमाती गोरी गांद राजू की आँखो के सामने आ गई. उसके होश फाख्ता हो गये. ऐसे खूबसूरत चूतर तो सायद उन अँग्रेजानो की भी नही थे जिनको उसने अँग्रेज़ी फ़िल्मो में देखा था. उर्मिला देवी अपने चूतरो को हिलाते हुए बोली "क्या कर रहा है जल्दी कर देर हो रही है….". चूतर हिलने पर थल थाला गये. एक दम गुदाज और मांसल चूतर और उनके बीच खाई. राजू का लंड फुफ्कार उठा.
"मामी…..आपने रात में अपना ये तो दिखाया ही नही……अफ कितना सुंदर है मामी….
"जो भी देखना है रात में देखना पहली रात में क्या तुझ से गांद भी………तुझे जो करना है जल्दी कार्ररर……
ओह सीईई मामी मैं हमेशा सोचता था आप का पिच्छवाड़ा कैसा होगा. जब आप चलती थी और आपके दोनो चूतर जब हिलते थे तो दिल करता था कि उनमे अपने मुँह को घुसा कर रगड़ दू……..उफफफफ्फ़"
"ओह हूऊऊऊ……..जल्दी कर ना"….कह कर चूतरो को फिर से हिलाया.
"चूतर पर एक चुम्मा ले लू….."
"ओह हो एक दम कमीना है तू…….जो भी करना है जल्दी कर नही तो मैं जा रही हू…"
राजू तेज़ी के साथ नीचे झुका और पुच पुच करते हुए चूतरो को चूमने लगा. दोनो मांसल चूतरो को अपनी मुट्ठी में ले कर मसल्ते हुए चूमते हुए चाटने लगा. उर्मिला देवी का बदन भी सिहर उठा. बिना कुच्छ बोले उन्होने अपनी टाँगे और फैला दी. राजू ने दोनो चूतरो को फैला दिया और उसके बीच की खाई में भूरे रंग की मामी की गोल सिकुड़ी हुई गांद का छेद नज़र आ गया. दोनो चूतरो के बीच की खाई में जैसे ही राजू ने हल्के से अपनी जीभ चलाई. उर्मिला देवी के पैर कांप उठे. उसने कभी सोचा भी नही था की उसका ये भांजा इतनी जल्दी तरक्की करेगा. राजू ने देखा की चूतरो के बीच जीभ फ़िराने से गांद का छेद अपने आप हल्के हल्के फैलने और सिकुड़ने लगा और मामी के पैर हल्के-हल्के थर-थारा रहे थे.
"ओह मामी आपकी गांद कितनी…….उफफफफफफ्फ़ कैसी खुसबु है…प्यूच"
(¨`·.·´¨) Always
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