RE: Hot stories घर का बिजनिस
अब मैं उठा और अपने लण्ड को पायल के मुँह में घुसा दिया जिसे वो चूसने लगी। तो बापू ने भी अपने लण्ड को पायल की गाण्ड में आहिस्ता से अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।
बापू का लण्ड जैसे ही पायल की गाण्ड में हिलाने लगा तो पायल ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में से निकाल दिया और बोली- “बापू, आहिस्ता प्लीज़्ज़… आप ने बड़ा दर्द दिया है मुझे आअह्ह…”
तभी बापू ने कहा- बेटी, अब नहीं डरो। अब दर्द नहीं होगा। मैं अपनी बेटी को आराम से ही चोदूंगा और लण्ड को अंदर-बाहर करना जारी रखा। क्योंकि बापू का लण्ड पायल की गाण्ड में पूरा फँसा हुआ था जिसकी वजह से बापू को भी थोड़ा परेशानी हो रही थी। लेकिन बापू आराम-आराम से पायल की गाण्ड को खोलते रहे।
पायल अब मेरे लण्ड को नहीं चूस रही थी क्योंकि उसका सारा ध्यान बापू के लण्ड की तरफ ही लगा हुआ था जो कि अब पायल की गाण्ड में आराम से अंदर-बाहर हो रहा था। क्योंकि पायल की गाण्ड ने बापू के लण्ड को अपने अंदर जगह दे दी थी जिससे बापू को पायल की गाण्ड में आसानी हो गई थी।
अब पायल भी बापू का साथ अपनी गाण्ड को बापू के लण्ड की तरफ दबा के दे रही थी और साथ ही- “आअह्ह… बापू जी… अब अच्छा लग रहा है… उन्म्मह… बापू अभी थोड़ा से तेज करो प्लीज़्ज़… आह्ह… बस बापू… इससे ज्यादा नहीं… उन्म्मह… हाँ अब ठीक है…” की आवाज भी कर रही थी.
पायल की बापू के साथ ये गाण्ड चुदाई इतनी जबरदस्त थी कि मैं पायल के हाथ में लण्ड को पकड़कर हिलाने से ही फारिग़ हो गया और बगल में लेटकर बापू की चुदाई देखने लगा। मुझे लग रहा था कि अब बापू भी अपने अंत पे हैं क्योंकि उनके मुँह से भी अब- “आअह्ह… बेटी, क्या गाण्ड है तेरी… मजा आ गया बेटी… ऊओ… बेटी मैं तो दीवाना हो गया हूँ तेरी गाण्ड का…”
क्योंकि बापू अब झटके भी जरा जोर-जोर से लगा रहे थे जिसकी वजह से पायल के मुँह से- “आअह्ह… बापू जरा आराम से करो प्लीज़्ज़… बापू, आप बहुत अच्छे हो उन्म्मह…” की आवाज करने लगी और साथ ही अपना एक हाथ अपने नीचे घुसाकर अपनी फुद्दी को भी मसल रही थी जिससे पायल भी फारिग़ होने वाली थी।
तभी बापू ने- “आअह्ह… पायल बेटी, मैं गया ऊओ… बेटी, अपने बापू का पानी अपनी गाण्ड में ही ले लो बेटी…” की आवाज के साथ ही बापू पायल के ऊपर ही गिर पड़े और अपनी आँखों को बंद करके लंबी सांसें लेने लगे। बापू के पायल की गाण्ड मारने के बाद मैंने पायल के साथ कुछ भी नहीं किया क्योंकि अभी हमें जाना भी था। फिर पायल उठकर वहाँ से अजीब सी चाल चलते हुये बाथरूम में घुस गई तो बापू भी बाहर वाले वाश-रूम में चले गये और नहाकर वापिस आए।
तभी पायल भी आ गई थी नहाकर।
तो बापू ने कहा- “चलो भाई तैयार हो जाओ अभी हमने जाना है, नया घर में शिफ्ट भी करना है…” बापू की बात सुनकर पायल खुश हो गई और जल्दी से तैयार होकर आ गई।
फिर हम वहाँ से निकल पड़े और अपने पुराने घर आ गये। जहाँ अम्मी, दीदी, ऋतु और बुआ सामान को पैक करने के बाद हमारा इंतेजार कर रही थीं। फिर बापू ने किसी को फोन किया तो कुछ ही देर के बाद एक मिनी ट्रक आ गया और उसके साथ 3-4 मजदूर भी थे, जिन्होंने हमारा सामान ट्रक में लोड किया और हम वहाँ से नये घर की तरफ रवाना हो गये, जो कि एक पाश एरिया में था और वहाँ जरूरत की हर चीज पहले से ही मोजूद थी। इसलिए पुराने घर से लाया गया तकरीबन सारा सामान स्टोर में रखवा दिया गया और उसके बाद सबने अपने लिए रूम पसंद कर लिया और रूम में घुस गये।
फिर बापू ने हम सबको अपने पास बुला लिया और बोले- देखो भाई, अब बात ऐसी है कि हमें फ्लैट की जरूरत नहीं है। क्योंकि यहाँ हमारे पास एक एलहदा से गेस्टरूम हैं जो कि घर से अलहदा हैं और वहाँ हम अपना काम चला लिया करेंगे। क्या ख्याल है तुम लोगों का?
पायल- “लेकिन बापू, इस तरह ऋतु को भी पता चल जायेगा हमारे काम का…”
अम्मी- तो अच्छा है ना… वो भी इस काम में आ जाएगी और जितनी उम्र है उसकी, पैसे भी अच्छे कमा लिया करेगी।
बुआ- भाभी, बात तो आपने सही की है कि अब ऋतु को हमारे साथ आ ही जाना चाहिए। क्योंकि इस तरह कोई बात छुपानी नहीं पड़ेगी।
बापू- क्यों आलोक, तुम्हारा क्या ख्याल है?
मैं- मेरा क्या है बापू? जब आप लोग भी ये ही चाहते हो तो मुझसे क्यों पूछ रहे हो?
अम्मी- नहीं बेटा तुम्हारी बात भी जरूरी है, जो बात दिल में है वो बताओ।
मैं- देखो अम्मी, जब हम कंजर बन ही चुके हैं तो क्या फरक पड़ता है कि हम किसको चुदवा रहे हैं? और किससे? और खुद किसकी चुदाई कर रहे हैं?
मेरी बात सुनकर सब खामोश हो गये और कोई कुछ नहीं बोला। क्योंकि बात जो भी थी सच ही थी। फिर हम लोग वहाँ से उठे और अपने-अपने रूम में आ गये और आराम करने लगे। इसी भाग दौड़ में रात के खाने का टाइम हो गया और पता ही नहीं चला।
बुआ मेरे रूम में आ गई और बोली- अरे आलोक, अभी तक लेटे हुये हो? खाना नहीं खाओगे क्या?
मैं बुआ की बात सुनकर चौंक गया और टाइम देखा तो रात के 8:00 बज चुके थे। मैं जल्दी से उठा और फ्रेश होकर खाना खाने की टेबल पे आ गया और अम्मी और बुआ किचेन से खाना लाकर रखने लगीं।
तभी अरविंद साहब भी आ गये और आते ही बोले- अहाआ… लगता है कि मैं सही टाइम पे आ गया हूँ क्योंकि बड़ी भूख लग रही है और एक कुर्सी खींचकर दीदी की बगल में ही बैठ गये और दीदी को अपनी तरफ खींचकर एक किस भी कर दी, जिसे ऋतु ने बड़ी अजीब नजरों से देखा और फिर हमारी तरफ देखा। लेकिन जब ऋतु ने देखा कि हम सब नार्मल हैं तो वो भी खामोश हो गई और खाना निकालकर खाने लगी लेकिन उसका ध्यान खाने में कम लेकिन दीदी और अरविंद के बीच होने वाली छेड़-छाड़ में ज्यादा लगा हुआ था।
खाना खाने के बाद हम सब टीवी देखने बैठ गये तो अरविंद साहब ने मेरी तरफ देखा और कहा- यार हमारी दिलवर जानी भी ले आओ इस तरह क्या खाक मजा आएगा?
मैं अरविंद की बात का मतलब समझ गया और पायल की तरफ देखकर बोला- “जाओ बापू के रूम में से एक बोतल निकाल लाओ और साथ में गिलास और बर्फ भी ले आना…”
पायल उठकर चली गई तो ऋतु बड़ी अजीब नजरों से मेरी तरफ देखने लगी, लेकिन बोली कुछ नहीं क्योंकि वो काफी देर से यहाँ घर में जो देख रही थी उसकी समझ में नहीं आ रहा था।
पायल बापू के रूम में से शराब की बोतल निकाल लाई और उसे अरविंद के सामने रखकर किचन की तरफ चल पड़ी तो बुआ जो कि किचेन से ही आ रही थी उसके हाथ में बाकी सामान देखकर फिर से बैठ गई और बुआ ने बाकी सामान भी उनके सामने रख दिया और अरविंद ने दो गिलास में पेग बना लिए और एक दीदी को पकड़ा दिया और दूसरा खुद उठा लिया और पीने लगा।
दीदी को इस तरह सब घर वालों के सामने एक गैर-मर्द के साथ इस तरह चिपक के बैठने और किस करने के बाद अब शराब पीता देखकर ऋतु की आँखें हैरत के मारे फटने के करीब थीं कि वो एक झटके से उठी और अपने रूम की तरफ भाग गई।
ऋतु के वहाँ से जाते ही अम्मी ने और बुआ ने हल्का सा मुश्कुराकर मेरी तरफ देखा और ऋतु की तरफ इशारा कर दिया और पुछा- सुनाओ कैसी रही?
ऋतु के जाने के कुछ ही देर के बाद अरविंद साहब भी दीदी को लेकर उसके रूम में चले गये। तो अम्मी ने कहा- क्यों आलोक, कुछ परेशान हो कोई बात है तो बताओ मुझे।
मैंने अम्मी की तरफ देखा और कहा- अम्मी आप लोग ऋतु को अपने साथ शामिल करने के लिए जो कुछ कर रहे हो, क्या वो सही है?
अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- देखो बेटा, ऐसा है कि तुम अभी जाओ अपने रूम में इस पे हम बात करेंगे। लेकिन अभी नहीं ठीक है।
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