RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
अपनी चड्डी-बनियान पहन लिया और मुझे भी कहा कि सिर्फ मैक्सी पहन लूँ
क्यूंकि अभी वेटर से चाय मंगवायेंगे !
मैंने भी अपनी मैक्सी पहन ली चड्डी को भी तकिये के नीचे दबा दिया।
थोड़ी देर में जीजाजी ने इन्टारकॉम से फोन कर चाय मंगवा ली।
हमने चाय के साथ हल्का नाश्ता किया और जीजाजी नहाने चले गए।
नहा कर वापिस आये तब तक मैं लेटी हुई ही थी, उन्होंने कहा- नहा कर फटाफट
तैयार हो जाओ तो मेरा भी मूड बने !
मैंने कहा- पहले ही चोद दो ना ! नहाने के बाद वापिस ख़राब करोगे मुझे !
उन्होंने कहा- अगर मूड हो तो फिर नहा लेना ! पर मुझे पता है तुम जितनी
बार नहा कर बाहर आओगी, मुझे तुम्हें चोदना पड़ेगा क्यूंकि अब इसमें से में
पानी निकालूँगा नहीं और यह तुम्हें नहाई हुई देखते ही खड़ा हो जायेगा!
मैंने कहा- यार, तुम मुझे बार बार परेशान करोगे ! अपना पानी निकाल लो ना !
तो वो बोले- अरे तुम्हें पता नहीं है, तेरी दीदी बहुत शक्की है, मैं जब
भी कोई रात बाहर बिताता हूँ तो उसको शक हो जाता है कि किसी दूसरी को चोद
के आए होंगे ! अरर अभी मैं अपना पानी निकाल लूँ तो शाम को तेरी बुड्ढी
दीदी को देख कर मेरा लण्ड खड़ा नहीं होगा ! तुम्हें पता है, बुढ़ापा है,
मेरा कल से 3 बार पानी निकल चुका है। सब खाली हो गया है। अब शाम तक मुझे
वापिस स्टॉक बनाना है। हाँ तुम ही रहो शाम को चुदने तो अभी निकाल दूँ !
तो भी रात को तुम्हें देखते ही फिर खड़ा हो सकता है।
मैं क्या बोलती, मुझे उनकी बातें समझ में नहीं आ रही थी, बस यह पता था कि
मेरी सूखी चुनाई कितनी बार भी हो सकती है।
मैं नहा कर आई तो वे तैयार ही थे, बोले- यार, कोई नहा कर आता है तो उसके
शरीर से, बालों से पानी टपकता है तो मेरा मन हो जाता है।
मैंने कहा- मैं बाल धोकर आई हूँ, मुझे बाल सुखाने तो दो !
पर वे नहीं माने !
मेरे सर पर तौलिये बंधा था, मुझे उन्होंने बिस्तर पर लिटाया और शुरू हो गए !
इस बार उन्होंने मेरी नहाई धोई चूत भी चाटी, फिर लण्ड डाला और झटके देने शुरू !
बस वो यह ध्यान रख रहे थे कि मैं कब स्खलित होती हूँ और फिर हट जाते !
इस धक्कमपेल में मेरे सर का तौलिये भी हट गया और गीले बालों की वजह से
बिस्तर पर बड़ा निशान बन गया। मैंने कहा- ये होटल वाले क्या सोचेंगे कि
यहाँ पेशाब कर दिया !
जीजाजी ने कहा- इसकी चिंता हम क्यों करें कि हमारे पीछे होटल वाले हमारे
बारे में क्या सोचेंगे ! वे तो ये भी सोचेंगे कि साला कैसा माल पटा कर
लाया है और रात भर से मज़े ले रहा है।
मेरी और जीजू की उम्र में अंतर साफ पता चलता है।
मैंने सुना कि बन्दर अपना सम्भोग कई घंटों में पूरा करते है क्योंकि वे
शिलाजीत चाटते रहते है इसलिए थोड़ा चोदा और हट गए, फिर चोदा और हट गए। इस
प्रकार वे अपना पानी 7-8 घंटों में निकालते है। वही स्थिति जीजाजी ने भी
कर दी थी, 10 बजे तक वे मुझे कोई 5-6 बार चोद चुके थे और उनका खड़ा का
खड़ा, बस पेशाब कर आते, तब बैठता और थोड़ी देर मुझे सहलाते और फिर खड़ा हो
जाता।
मेरी हालत ख़राब हो गई, मैंने कहा- देखो आपने मेरी चूत की क्या हालत कर
दी है। अब तो रुक जाओ !
वे बोले- ठीक ! अब हमें यह कमरा भी छोड़ना है। साड़ी पहन कर तैयार हो जाओ
! अभी हमें खाना भी खाना है।
मैं फटाफट तैयार हुई, उन्होंने भी अपनी जींस और शर्ट पहन लिया।
तभी उन्हें कुछ याद आया और उन्होंने बैग से एक ट्यूब निकाली, क़ुडर्मिस
नाम की थी, बोले- चलो तुम्हारी चूत पर दवा लगाता हूँ ! वास्तव में बहुत
लाल हो रही है। और जगह-जगह से कुछ कट भी गई है। मेरे लण्ड की भी हालत
ख़राब है।
ऐसा बोल कर उन्होंने मेरे सामने ही अपनी जीन की चैन खोली लण्ड को बाहर
निकाला चमड़ी को ऊपर कर सुपारे पर ट्यूब से दवाई लगाने लगे। उनका सुपारा
भी बहुत लाल हो रहा था !
अपने लण्ड पर दवाई लगा कर उसे मोड़ कर अन्दर डाल लिया और चैन बंद कर दी
में किसी बच्चे की तरह उनकी ध्यान से हरकत देख रही थी।
फिर उन्होंने कहा- अब मैं तुम्हारे लगा दूँ, पलंग के किनारे पर लेट जाओ
और टांगे नीचे फर्श पर रखो।
मैं लेट गई, जीजाजी ने साड़ी पेटीकोट ऊँचा किया, मेरी चड्डी को काफी नीचे
किया और ट्यूब लेकर हल्के-हल्के हाथों से मेरी चूत पर दवाई लगाने लगे।
दवाई का ठंडा ठंडा स्पर्श मेरी टूटी फूटी चूत को भला लग रहा था।
वे आराम से मेरी चूत के पपोटों, चने के आसपास और ग़ाण्ड और चूत के बीच की
चमड़ी पर दवाई लगा रहे थे जहाँ से मेरे जीजाजी के ऊपर चढ़ कर चोदने से कट
लग गया था ! उनकी अंगुली दवा अन्दर तक लगा रही थी तभी मुझे चरर्र की चेन
खुलने की आवाज़ आई।
मैं चौंकी, मैंने देखा कि जीजाजी अपना लण्ड बाहर निकाल रहे हैं।
मैंने कहा- क्या करते हो? अभी तो दवा लगाई है।
उनका लण्ड तना हुआ था, वे बोले- अन्दर तक अंगुली पहुँच नहीं रही थी, इससे लगेगी !
ऐसा कह कर काफी ट्यूब अपने लण्ड पर लगाई और दवा लगी चिकनी चुत में पेल
दिया और हौले हौले धक्के लगाने लगे !
मैंने भी ठंडी साँस भर कर चड्डी पहने पहने जितनी चौड़ी टांगे हो सकती थी,
की और 5 मिनट में फिर से स्खलित हो गई क्यूंकि उनके दवा लगाने से मैं
थोड़ी गर्म तो पहले से ही थी।
|