RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
हम होटल गए तो वो कही बाहर गया हुआ था ! मैंने सोचा अब क्या करें?
मैंने उसको फोन कर कहा- मुझे आपकी बाइक चाहिए !
उसने बताया कि वो शहर से दूर है, एक घंटे में आ जायेगा, हमें वहीं रुक कर
नौकर से कह कर चाय नाश्ता करने को कहा।
मुझे इतना रुकना नहीं था, मैं जीजाजी को लेकर चलने लगी ही थी, तभी उस
होटल वाले का जीजा अपनी बाइक लेकर आया। वो भी मुझे जानता था, उसने पूछा-
क्या हुआ मैडम जी?
वहाँ सब मुझे ऐसे ही बुलाते हैं, मैंने उसे बाइक का कहा तो उसने कहा- आप
मेरी ले जाओ !
मैंने जीजाजी से पूछा- यह वाली आपको चलानी आती है या नहीं? कहीं मुझे
गिरा मत देना !
तो जीजाजी ने कहा- और किसी को तो नहीं गिराया पर तुम्हें जरूर गिराऊँगा !
मैं डरते डरते पीछे बैठी, जीजाजी ने गाड़ी चलाई कि आगे बकरियाँ आ गई।
जीजाजी ने ब्रेक लगा दिए, बकरियों के जाने के बाद फिर गाड़ी चलाई तो मैं
संतुष्ट हो गई कि जीजाजी अच्छे ड्राइवर हैं !
अब वो शहर में इधर-उधर गाड़ी घुमा रहे थे, कई बार उन्होंने ब्रेक लगाये और
मैं उनसे टकराई, मेरी चूचियाँ उनकी कमर से टकराई, उन्होंने हंस कर कहा-
ब्रेक लगाने में मुझे चलाने से ज्यादा आनन्द आ रहा है !
मुझे हंसी आ गई।
थोड़ी देर घूमने के बाद हम वापिस होटल गए, उसे बाइक दी और पैदल ही घूमने निकल गए।
मैंने जीजाजी को कहा- अब खाना खाने होटल चलें?
उन्होंने कहा- नहीं, कमरे पर चलते हैं। आज तो तुम बना कर खाना खिलाओ !
मैंने कहा- ठीक है !
हम वापिस कमरे पर आ गए, मेरा पैदल चलने से पेट थोड़ा दुःख रहा था ! मैंने
खाना बनाया, थोड़ी गर्मी थी, हम खाना खा रहे थे कि मेरी माँ का फोन आ गया।
उसे पता था जीजाजी वहाँ आये हुए हैं।
उन्होंने जीजाजी को पूछा- आप क्या कर रहे हो?
तो उन्होंने कहा- कमरे पर खाना खा रहा हूँ, अब होटल जाऊँगा।
फिर माँ ने कहा- ठीक है !
पर जीजा जी ने मुझसे कहा- मैं होटल नहीं जाऊँगा !
मैंने कहा- कोई बात नहीं ! यहीं सो जाना !
मैं कई बार उनके साथ सोई थी, हालाँकि पहले हर बार हमारे साथ जीजी या और
कोई था पर आज हम अकेले थे पर मुझे कोई डर नहीं था।
हम खाना खाने के बाद छत पर चले गए। कमरे में मच्छर हो गए थे इसलिए पंखा
चला दिया और लाईट बंद कर दी।
हम छत पर आ गए तो मैंने उन्हें कहा- यहाँ छत पर सो जाते हैं।
उन्होंने कहा- नहीं, यहाँ ज्यादा मच्छर काटेंगे।
मैंने कहा- ठीक है, कमरे में ही सोयेंगे।
फिर मेरे पेट में दर्द उठा तो जीजा जी ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- पता नहीं क्यों आज पेट दुःख रहा है।
जीजाजी ने पूछा- कही पीरियड तो नहीं आने वाले हैं?
मैं शरमा गई, मैंने कहा- नहीं !
उन्होंने कहा- दर्द की गोली ले ली।
वो मुझे एक दर्द की गोली देने लगे, मैंने ना कर दिया, वो झल्ला कर बोले-
नींद की गोली नहीं है, दर्द की है।
फिर मैंने गोली ले ली !
फिर हम लेट गए, दोपहर की तरह आड़े और दूर दूर ! कमरे का दरवाज़ा खुला था।
हम बातें करने लगे। जीजा जी ने लुंगी लगा रखी थी, मैंने मैक्सी पहन रखी
थी। मैं लेटी लेटी बातें कर रही थी और जीजा जी हाँ हूँ में जबाब दे रहे
थे।
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