RE: Sex Kahani गाओं की मस्ती
इस समय दोनो बहने अगाल बगल अपने घुटने के बल झुक कर अपनी चूत मे लंड पिलवा रही थी और पिछे से उनकी चूटर पकर कर जगन और देव उनको पेल रहा था. दोनो बहने एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रही थी और अपनी अपनी कमर हिला कर हर धक्के का जवाब दे रही थी. देव अपनी आँख बंद करके बस जया को चोद रहा था और फिर एक ज़ोर दार झटके के साथ अपना पानी जया की चूत के अंदर छोड दिया जिससे जया की चूत फिर से भर गयी. थोरी देर के बाद देव जया से बोला,
"भाई जया सॉरी, मैं बहुत जल्दी झार गया. लेकिन मैं मजबूर था." जया देव से बोली,
"नही भाई साहब, इसमे सॉरी की कोई बात ही नही है. मुझको आपसे अपनी चूत चुदवा कर बहुत मज़ा मिला. जब भी आप को मेरी चूत चोदने की इच्छा हो मुझसे ज़रूर कहिएगा, मैं हुमेशा आपके लंड का इंतेजार करोनगी." दोनो जीजा और साली एक दूसरे के बाहों पर लेट गये और जगन और देवकी की चुदाई देखते रहे. थोरी देर के बाद वे भी झार गये और बिस्तेर पर ढेर हो गये. चारों अब चुदाई करते करते बहुत थक चुके और आपस मे बात करते करते सो गये.
इस तरफ से उन चार लोगों की चुदाई भरी जिंदगी चलने लगी. जगन और देव को पता लग चुक्का था कि दोनो बहने देवकी और जया बहुत ही चुदासी औरत है और यह दोनो बहने कभी भी जगन और देव से अपनी चूत चोदने के लिए कह सकती है. यह तो बहुत अच्छी बात थी की इन लोगों का घर गाओं के बिल्कुल किनारे पर था नही तो कोई भी इन चार लोगों को कभी भी एक साथ सामूहिक चुदाई करते देख लेते. देव की परेशानी अभी भी वहीं थी.
देव का लंड तभी खरा होता जब वो जगन को या तो देवकी के साथ या जया के साथ चुदाई करते देखता था. जब भी देव का लंड खरा हो जाता था तो जो कोई भी बहन खाली रहती उनकी चूत मे अपना लंड डाल उसकी चुदाई शुरू कर देता. दोनो बहनो मे भी इस बात का कोई फरक नही परता था की कौन उनको चोद रहा है, उनको तो बस अपनी हुमेशा भूखी चूत के लिए खरा लंड की ज़रूरत थी, चाहे वो लंड जगन का हो या देव हो, क्या फ़र्क परता, उनकी चूत तो लंड खाती.
क्रमशः............
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