RE: kamukta मेरी चूत पसंद है
अब रसिकलाल जीने उठ कर करिश्मा को पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया.
जैसे ही करिश्मा पलंग पर लेटी, रसिकलाल जी झपट कर करिश्मा
पर चढ़ बैठ गये और अपने दोनो हाथों से करिश्मा की चूंचियो
को पकड़ कर मसल्ने लगे. रसिकलाल जी अपने हाथों से करिश्मा की
चूंची को मसल रहे थे और मुँह से बोल रहे थे, "मुझे
मालूम था कि तेरी चूंची इतनी मस्त होगी. मैं जब पहली बार तुझको
देखने गया था तो मेरा नज़र तेरी चूंची पर ही थी और मैने
उसी दिन सोच लिया था इन चूंचियो पर मैं एक ना एक दिन ज़रूर अपना
हाथ रखूँगा और इनको रगड़ रगड़ कर दाबुँगा. "हाई! आह! ओह! एह
आप क्या कह रहें है? एक बाप होकर अपने लड़के के लिए लड़की
देखते वक़्त आप उसकी सिर्फ़ चुन्चिओ को घूर रहे थे.
क्रमशः.........................
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