RE: Antarvasnasex चिकनी भाभी
गतान्क से आगे................
मैने कई दिन से भाभी की गुलाबी पॅंटी नहीं देखी थी. आज भी वो नहीं सूख रही थी. मैने भाभी से पूछा….. "भाभी बहुत दिनों से अपने गुलाबी पॅंटी नहीं पहनी?"
"तुझे क्या?"
"मुझे वो बहुत अच्छी लगती है. उसे पहना करिए ना."
"मैं कॉन सा तेरे सामने पहनती हूँ?"
"बताइए ना भाभी कहाँ गयी, कभी सूख्ती हुई भी नहीं नज़र आती."
"तेरे भैया ले गये. कहते थे कि वो उन्हें मेरी याद दिलाएगी." भाभी ने शरमाते हुए कहा.
"आपकी याद दिलाएगी या आपके टाँगों के बीच में जो चीज़ है उसकी?"
"हट मक्कार ! तूने भी तो मेरी एक पॅंटी मार रखी है. उसे पहनता है क्या? पहनना नहीं, कहीं फॅट ना जाए." भाभी मुझे चिढ़ाती हुई बोली.
"फटेगी क्यों? मेरे चूतड़ आपके जितने भारी और चौड़े तो नहीं हैं".
"अरी बुधहू, चूतड़ तो बड़े नहीं हैं, लेकिन सामने से तो फॅट सकती है. तुझे तो वो सामने से फिट भी नहीं होगी."
"फिट क्यों नहीं होगी भाभी?" मैने अंजान बनते हुए कहा.
"अरी बाबा, मर्दों की टाँगों के बीच में जो वो होता है ना, वो उस छ्होटी सी पॅंटी में कैसे समा सकता है, और वो तगड़ा भी तो होता है पॅंटी के महीन कपड़े को फाड़ सकता है."
"वो क्या भाभी?" मैने शरारत भरे अंदाज़ में पूछा. भाभी जान गयी कि मैं उनके मुँह से क्या कहलवाना चाहता हूँ.
"मेरे मुँह से कहलवाने में मज़ा आता है?"
"एक तरफ तो आप कहती हैं कि आप मुझे सब कुच्छ बताएँगी,और फिर सॉफ सॉफ बात भी नहीं करती. आप मुझसे और मैं आपसे शरमाता रहूँगा तो मुझे कभी कुच्छ नहीं पता लगेगा और मैं भी भैया की तरह अनाड़ी रह जाउन्गा. बताइए ना !"
"तू और तेरे भैया दोनो एक से हैं.मेरे मुँह से सब कुच्छ सुन कर तुझे खुशी मिलेगी?"
"हाँ भाभी बहुत खुशी मिलेगी. और फिर मैं कोई पराया हूँ."
"ऐसा मत बोल आशु. तेरी खुशी के लिए मैं वही करूँगी जो तू कहेगा."
"तो फिर सॉफ सॉफ बताइए आपका क्या मतलब था."
|