RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
दीदी अब आंखें बंद करके हांफ़ते हुए अपनी कमर हिलाकर सर के मूंह पर अपनी चूत रगड़ने लगी. फ़िर एक दो मिनिट में ’उई... मां ... मर गयी ऽ ...’ कहते हुए ढेर हो गयी, उसका बदन ढीला पड़ गया और वो सोफ़े में पीछे लुढ़क गयी.
सर अब फ़िर से जीभ से ऊपर से नीचे तक दीदी की बुर चाटने लगे, जैसे कुत्ते चाटते हैं. एक दो मिनिट चाटने के बाद वे उठ कर खड़े हो गये. उनके पैंट का तंबू अब बहुत बड़ा हो गया था.
"अच्छा लगा लीना? मजा आया?" सर ने पूछा. दीदी कुछ बोली नहीं, बस शरमा कर अपना चेहरा हाथों से छुपा लिया और मुंडी हिलाकर हां बोली.
"अच्छी है लीना तेरी बुर, बहुत मीठी है. जरूर मैडम ने गेस कर लिया होगा कि कैसे मतवाले जवान भाई बहन हो तुम दोनों नहीं तो वो हाथ भी नहीं लगाने देतीं तुम दोनों को. चलो, उन्हें बुलाता हूं, फ़ालतू डांट दिया बेचारी को" कहकर वे उठे और जाकर दरवाजा खोला. मैडम दरवाजे पर ही खड़ी थीं. शायद सुन रही होंगी कि अंदर क्या हो रहा है. बाद में मुझे लगा कि शायद वे की होल से अंदर भी देख रही थीं. मैंने जल्दी दे लंड पैंट के अंदर करके ज़िप लगा ली.
दरवाजा खोलते ही वे अंदर आ गयीं "सुनिये सर, माफ़ कर दीजिये, बच्चे ही हैं, हो जाता है, आखिर जवानी का नशा है. इन्हें पीटा तो नहीं? तुम्हारा कोई भरोसा नहीं, तुमको गुस्सा आ गया एक बार तो ..." वे अब भी उसी हालत में थीं, ब्लाउज़ सामने से खुला हुआ था और ब्रा दिख रही थी. मुझे न जाने क्यों ऐसा लगा कि पैंटी भी शायद नहीं पहनी थी, पर साड़ी के कारण कुछ दिख नहीं रहा था.
"पीटने वाला था, बेंत भी निकाली थी, आज इनका मैं भुरता बना देता, खास कर इस लीना की तो चमड़ी उधेड़ देता, बड़ी है अनिल से, दीदी है इसकी, इसे तो अकल होना चाहिये! पर पता नहीं क्यों, ये इनोसेंट से लगे मुझे, रो भी रहे थे, माफ़ी मांग रहे थे, इन्हें समझाया बुझाया, उस में टाइम लग गया."
"चलो अच्छा किया. आखिर बेचारे नासमझ हैं. पर ये लीना चड्डी उतार कर क्यों बैठी है? और ये अनिल?" मेरे लंड को देखकर मुस्कराते हुए वे बोलीं.
"अरे कुछ नहीं, जरा धमका कर देख रहा था और पूछ रहा था कि ये भाई बहन आपस में क्या करते हैं रात को, इनकी नानी तो बूढ़ी है, सो जाती है जल्दी, है ना अनिल? मैं बस देख रहा था कि अब भी सच कहते हैं या नहीं!" चौधरी सर ने पूछा.
मैडम बोलीं "अब क्या करें इनका?"
"कुछ नहीं, माफ़ कर देते हैं. पर इन्हें काफ़ी कुछ सिखाने की जरूरत है. ऐसा करो तुम लीना को अपने कमरे में ले जाओ और जरा एक पाठ और पढ़ाओ. इनको संभालना, समझाना अब हमारी ड्यूटी है, कहीं बिगड़ गये तो ..."
लीना सिर झुकाकर पैंटी पहनने लगी तो मैडम बोलीं "अरे रहने दे, बाद में पहन लेना. अभी चल मेरे साथ उस कमरे में" और चौधरी सर की ओर मुस्कराते हुए वे लीना दीदी का हाथ पकड़कर ले गयीं. मैं भी पीछे हो लिया तो चौधरी सर मेरा हाथ पकड़कर बोले ’तू किधर जाता है बदमाश? तेरा पाठ अभी पूरा नहीं हुआ है. लीना का कम से कम एक तो लेसन हो गया! और अब मैडम भी लेसन लेने वाली हैं"
मैं घबराते हुए बोला "सर, मैं ... अब क्या करूं?" वहां मैडम ने अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया था.
"घबरा मत, इधर आ और बैठ" चौधरी सर ने सोफ़े पर बैठते हुए मुझे इशारा किया. मेरा लंड अब भी खड़ा था, पर अब फटाफट बैठने लगा था. डर लग रहा था पर एक अजीब से सनसनाहट भी हो रही थी दिमाग में. अंदाजा हो गया था कि अब क्या होगा, सर किस किस्म के आदमी थे, ये भी साफ़ हो चला था. पर कोई चारा नहीं था. जो कहेंगे वो करना ही पड़ेगा ये मालूम था.
क्रमशः। ...........................
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