RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-3
गतांक से आगे.............................
"तेरा लंड खड़ा हुआ कि नहीं नालायक" चौधरी सर ने चुम्मा तोड़कर मुझे पूछा पर अब उनकी आवाज में गुस्से की बजाय थोड़ा सा अपनापन था. दीदी और सर की चूमाचाटी देखकर मेरा लंड आधा खड़ा हो गया था. मैं उसे प्यार से सहलाता हुआ और खड़ा कर रहा था. अब मुझे मजा आने लगा था, डर कम हो गया था. लंड ने सिर उठाना शुरू कर दिया था.
"बहुत अच्छे, पूरा तन्ना कर खड़ा करो" मेरी पीठ थपथपाकर शाबासी देते हुए चौधरी सर लीना दीदी की ओर मुड़े "अच्छा तो लीना, चुम्मे का मजा लेते हुए तेरा ये भाई और कुछ करता है कि नहीं? याने देखो ऐसे!" कहकर उन्होंने फ़िर से दीदी को एक हाथ से पास खींचकर चूमना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से फ़्रॉक के ऊपर से ही उसके मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया. इस बार दीदी कुछ नहीं बोली, बस आंखें बंद करके बैठी रही. जरूर उसे मजा आ रहा था.
धीरे धीरे सर ने दीदी के मम्मों को हौले हौले मसलना शुरू कर दिया. "ऐसे करता है या नहीं? इसे अकल है कि नहीं कि अपनी खूबसूरत दीदी का चुम्मा कैसे लिया जाता है!" फ़िर मेरी ओर मुड़कर उन्होंने मेरे खड़े थरथराते लंड को देखा. मैं अब मस्त था, बहुत मजा आ रहा था, दीदी और सर के बीच की कार्यवाही देखकर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था.
"अब खड़ा हुआ है मस्त. अनिल, काफ़ी सुंदर है तेरा लंड. इसे बस ऐसे ही हथेली से रगड़ते हो या ऐसे भी करते हो?" कहते हुए चौधरी सर ने मेरे लंड को हथेली में लेकर दबाया. फ़िर लंड को मुठ्ठी में लेकर अंगूठे से सुपाड़े के नीचे मसलना शुरू किया. मेरा और तन कर खड़ा हो गया और मेरे मुंह से सिसकी निकल गयी.
"मजा आया?" सर ने मुस्कराकर पूछा. मैंने मुंडी डुलाई. "जल्दी से मस्त करना हो लंड को तो ऐसे करते हैं. मुझे लगा था कि तुझे आता होगा पर तुझे अभी काफ़ी कुछ सीखना है, लेसन देने पड़ेंगे" वे बोले.
उनका हाथ मेरे लंड पर अपना जादू चलाता रहा. वे मुड़कर फ़िर दीदी के साथ चालू हो गये. फ़िर से दीदी की चूंची को फ़्रॉक के ऊपर से मसलते हुए बोले "ब्रा नहीं पहनती लीना तू अभी? उमर तो हो गयी है तेरी."
"पहनती हूं सर" लीना दीदी सहम कर बोली "ट्रेनिंग ब्रा पहनती हूं पर हमेशा नहीं"
"कोई बात नहीं, अभी तो जरा जरा सी हैं, अच्छी कड़ी हैं इसलिये बिना ब्रा के भी चल जाता है. अब बता तेरा भाई ऐसे मसलता है चूंची? या निपल को ऐसे करता है?" कहकर वे दीदी का निपल जो अब कड़ा हो गया था और उसका आकार दीदी के टाइट फ़्रॉक में से दिख रहा था, अंगूठे और उंगली में लेकर मसलने लगे. दीदी ’सी’ ’सी’ करने लगी. वह अब बेहद गरम हो गयी थी. अपनी जांघें एक पर एक रगड़ रही थी.
सर मजे ले लेकर दीदी की ये अवस्था देख रहे थे. उन्होंने प्यार से मुस्करा कर दूर से ही होंठ मिला कर चुंबन का नाटक किया. दीदी एकदम मस्ता गई, मचलकर उसने खुद ही अपनी बांहें फ़िर से सर के गले में डाल दी और उनसे लिपट कर उनके होंठ चूसने लगी.
सर का हाथ अब भी मेरे लंड पर था और वे उसे अंगूठे से मसल रहे थे. मैंने देखा कि अब चौधरी सर का दूसरा हाथ दीदी की चूंची से हट कर उसकी जांघों पर पहुंच गया था. दीदी की जांघें सहला कर चौधरी सर ने उसका फ़्रॉक धीरे धीरे ऊपर खिसकाया और दीदी की बुर पर पैंटी के ऊपर से ही फ़ेरने लगे. दीदी ने उनका हाथ पकड़ने की कोशिश की तो सर ने चुम्मा लेते लेते ही उसे आंखें दिखा कर सावधान किया. बेचारी चुपचाप सर को चूमते हुए बैठी रही. सर चड्डी के कपड़े पर से ही उसकी बुर को सहलाते रहे.
दीदी ने जब सांस लेने को चौधरी सर के मुंह से अपना मुंह अलग किया तो चौधरी सर बोले "लीना, तेरी चड्डी तो गीली लग रही है! ये क्या किया तूने? बच्ची है क्या? कुछ बच्चों जैसा तो नहीं कर दिया?"
दीदी नजरें झुका कर लाल चेहरे से बोली "नहीं सर ... ऐसा कैसे करूंगी, वो आप जो .... याने .... " फ़िर चुप हो गयी.
"अरे मैं तो मजाक कर रहा था, मुझे मालूम है तू बच्ची नहीं रही. और इस गीलेपन का मतलब है कि मजा आ रहा है तुझे! क्या बदमाश भाई बहन हो तुम दोनों! पर मजा क्यों आ रहा है ये तो बताओ? क्यों रे अनिल? अभी रो रहे थे, अब मजा आने लगा?" चौधरी सर ने पूछा. उनकी आवाज में अब कुछ शैतानी से भरी थी.
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