RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
हम दोनों ने सिर हिलाया. "घर में भी करते हो यह सब? एक ही कमरे में सोते हो ना? भाई बहन हो, शरम नहीं आती?" उन्होंने फ़िर से कड़ी आवाज में पूछा.
"नहीं सर, सच में, बस थोड़ा किस विस कर लेते हैं. और कुछ नहीं करते सर घर में. और सर ... सगे भाई बहन नहीं हैं ... मैडम बहुत अच्छी लगती हैं इसलिये गलती हो गयी. " मैंने कहा.
"मैं नहीं मानता. इतने बदमाश हो तुम दोनों! सगे भले न हो पर हो ना भाई बहन ... दीदी कहते हो ... रोज मुठ्ठ मारते हो अनिल तुम? दीदी को देखकर? और क्यों री लीना? तुझे मजा आता है भाई का लंड देखकर? तू इससे चुदवाती होगी जरूर"
"नहीं सर, सच में, प्लीज़ ... मैं सच कह रही हूं सर" लीना फ़िर रोने को आ गयी.
"तो फ़िर? तू भी मुठ्ठ मारती है क्या? मोमबत्ती से? और तूने जवाब नहीं दिया रे नालायक, मुठ्ठ मारता है क्या घर में?" कहकर चौधरी सर ने फ़िर मेरा कान मरोड़ा.
"हां सर, मारता हूं. रहा नहीं जाता सर, खास कर जब से मैडम को देखा है" मैंने कहा.
"लीना देखती है तुझे मुठ्ठ मारते हुए?"
"हां सर ... याने रात को बत्ती बुझाकर मारते हैं सर ... दीदी को पता चल जाता है अक्सर" मैं सिर झुकाकर बोला.
"और ये मारती है तब देखता है तू?" चौधरी सर ने लीना का कान पकड़कर पूछा.
"दिखता नहीं है सर, ये चादर के नीचे करती है, पैंटी में हाथ डालकर. इसकी सांस तेज चलने लगती है तो मेरे को पता चल जाता है" मैंने सफ़ाई दी.
"और तुम? कैसे मुठ्ठ मारते हो? मजा ले लेकर, सहला सहला कर? या बस मुठ्ठी में लेकर दनादन? और क्यों री लीना? किस कैसे करती हो अपने भाई को? करती हो ना?" चौधरी सर ने लीना की पीठ में एक हल्का सा घूंसा लगाते हुए कहा. उसकी बिचारी की बोलती ही बंद हो गयी. "तो अनिल, तूने बताया नहीं कि कैसे मैडम के नाम की मुठ्ठ मारते हो?"
मैंने साहस करके कहा "सर मजा ले लेकर मारता हूं, सहलाता हूं अपने लंड को प्यार से, मैडम का खूबसूरत बदन आंखों के आगे लाता हूं, फ़िर जब नहीं रहा जाता तो ..."
"क्या बदमाश नालायक हैं ये दोनों! जरा वो बेंत तो लाना, कहां गया!" मुड़कर चौधरी सर ने बेंत उठाकर कहा "ये रहा. लगता है कि बेंत के बजाय चप्पल से ही पीटूं तुम दोनों को. इतना पीटूं कि चलने के लायक न रहो नालायको. फ़िर घर जाकर तुम्हारी नानी को सब बता देता हूं"
"नहीं नहीं सर, दया कीजिये, हमें बचा लीजिये" लीना ने भी झुक कर सर का पैर पकड़ लिया.
चौधरी सर कुछ देर हमारी ओर देखते रहे, फ़िर बोले "मैं कहूंगा वो करोगे? जैसा भी कहूंगा, करना पड़ेगा, सजा तो मिलनी ही चाहिये तुम दोनों को"
"हां सर करेंगे" मैं और लीना दीदी बोले.
"तुम लोग वैसे हमारे स्टूडेंट हो इसलिये माफ़ कर रहा हूं. तुम को देख के लगता नहीं था कि ऐसे बदमाश निकलोगे. वैसे मैं मानता हूं कि मैडम भी सुंदर हैं, जवानी में उनको देखकर मन भटकना स्वाभविक है पर तुम दोनों को इतनी अकल तो होनी चाहिये कि कहां क्या करना चाहिये! आओ, मेरे बाजू में बैठ जाओ. घबराओ नहीं, मैं नहीं पीटूंगा, कम से कम तब तक तो नहीं पीटूंगा जब तक तुम दोनों मेरी बात मानोगे" बेंत रखते हुए चौधरी सर बोले.
मैं और लीना चुपचाप चौधरी सर के दोनों ओर सोफ़े पर बैठ गये. "दूर नहीं पास आओ, चिपक कर बैठो. मैडम से कैसे चिपके थे तुम दोनों, अब क्यों शरम आती है नालायको?" मेरी और लीना की कमर में हाथ डालकर पास खींचते हुए चौधरी सर बोले.
हम शरमाते हुए घबराते हुए उनसे चिपक कर बैठे रहे.
"अनिल, तुम अपनी ज़िप खोलो और लंड बाहर निकालो" चौधरी सर बोले.
मैं थोड़ा घबरा गया. उनकी ओर देखने लगा. चौधरी सर बेंत उठाने लगे. "तुम लोग सुधरोगे नहीं, तुम्हें तो ठुकाई की जरूरत है, मैंने क्या कहा था? जो कहूंगा वो चुपचाप चूं चपड़ न करते हुए करोगे, अब ऐसे बैठे हो जैसे बहरे हो"
"नहीं सर, सॉरी सर, प्लीज़ ......" कहते हुए मैंने ज़िप खोली और लंड बाहर निकाल लिया. लंड क्या था, नुन्नी थी, डर के मारे बिलकुल बैठा हुआ था.
"अच्छा है पर जरा सा है. तू तो कहता था कि मैडम को देख कर खड़ा हो जाता है! इसको देख कर तो नहीं लगता कि मैडम तुमको अच्छी लगती हैं"
"सर वो अभी .... पहले खड़ा था सर पर अब ..." मैं बोला और चुप हो गया.
"मेरी डांट खाकर घबरा गया, है ना! इसे अब जरा मस्त करो, कैसे इसे खड़ा करके मुठ्ठ मारते हो, जरा दिखाओ" चौधरी सर ने मुझे कहा, फ़िर लीना की ओर देखकर बोले "और लीना, तू कहती है ना कि सिर्फ़ अपने भाई को किस करती है तो करके दिखा किस"
लीना शरमा कर उनकी ओर देखने लगी. फ़िर उठकर मेरे पास आने लगी तो चौधरी सर ने हाथ पकड़कर फ़िर बिठा लिया. "अरे उसे मत तंग करो, उसे मैंने पहले ही काम दे दिया है. लीना, तुम समझो कि मैं ही तुम्हारा भाई हूं और मुझे किसे करके दिखाओ"
लीना घबराकर शरमाती हुई उनकी ओर देखने लगी.
"ऐसे क्यों देख रही हो, मैं इतना बुरा हूं क्या दिखने में कि तेरे को मुझे किस भी नहीं किया जाता?" चौधरी सर ने उसकी ओर देख कर पूछा.
"नहीं सर आप ... मेरा मतलब है ..." लीना को समझ में नहीं आया कि क्या कहे. मैंने दीदी को कहा "दीदी कर ले ना किस, सर तो कितने अच्छे हैं दिखने में, तू नहीं कहती थी मुझसे रोज कि हाय अनिल ... सर कितने हैंडसम हैं ?"
"अच्छा? मैं अच्छा लगता हूं तुझे लीना? फ़िर जल्दी किस करो, परेशानी किस बात की है?" सर बोले.
लीना ने शरमाते हुए चौधरी सर का गाल चूम लिया. "बस ऐसे ही? इसे किस कहते हैं? गाल पर बस जरा सा? नन्हे बच्चे का चुम्मा ले रही है क्या? ये होंठ किस लिये हैं?" चौधरी सर ने डांटा तो लीना ने आखिर उनके होंठों पर होंठ रख दिये. कुछ देर चूमने के बाद वह अलग हुई. उसका चेहरा लाल हो गया था.
"और? मैं नहीं मानता कि तू बस अपने भाई को ऐसे दस सेकंड सूखे सूखे चूमती है. ठीक से कर के बता नहीं तो ..." बेंत को सहलाते हुए चौधरी सर बोले. लीना ने हड़बड़ा कर उनके गले में अपनी बाहें डालीं और फ़िर से उनका चुंबन लेने लगी. इस बार वह एक मिनिट तक उनके होंठों को चूमती रही.
"यह हुई ना बात! अच्छा तेरा भाई भी ऐसे किस करता है कि बैठा रहता है? देखो मैं करके दिखाता हूं" कहकर चौधरी सर ने लीना को पास खींचकर उसके मुंह पर अपना मुंह रख दिया और फ़िर चूमने लगे. जल्द ही वे दीदी के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगे. दीदी ने कसमसा कर अलग होने की कोशिश की पर चौधरी सर ने उसकी कमर में हाथ डालकर पास खींच लिया और पूरे जोर से उसके चुम्बन लेने लगे. दीदी ने एक दो बार छूटने की कोशिश की फ़िर चुपचाप बैठी हुई चुम्मा देती रही.
"ऐसा करता है कि नहीं ये नालायक?" सर ने पूछा. लीना दीदी शरमा कर नीचे देखने लगी. उसके चेहरे पर से लगता था कि सर के चुंबन से उसे मजा आ गया था. सर मुस्करा कर फ़िर दीदी को चूमने लगे.
क्रमशः। ...........................
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