RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-2
गतांक से आगे..............................
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे स्वर्ग का दरवाजा अब धीरे धीरे खुल रहा है. उस स्वर्ग सुख की मैं कल्पना कर ही रहा था कि अचानक उस कमरे का दरवाजा खुला और सर अंदर आ गये. दरवाजे पर खड़े होकर जोर से बोले "ये क्या चल रहा है?" लगता है वे एक दो मिनिट बाहर खड़े देख रहे होंगे कि अंदर क्या चल रहा है.
हम सपकपा गये और डर के उठ कर खड़े हो गये. मैडम शांत थीं. कपड़े ठीक करते हुए बोलीं "सर ... कुछ नहीं, ये दोनों जरा मेरी मालिश कर रहे थे, आप जल्दी आ गये?"
"ऐसी होती है मालिश? मुझे नहीं लगा था कि ये ऐसे बदमाश हैं. इतने भोले भाले दिखते हैं. मैडम, मैं पहले ही कह रहा था कि इन कॉलेज के लड़कों लड़कियों की ट्यूशन के चक्कर में न पड़ें, ये बड़े बदमाश होते हैं. पर आप को तो तब बड़ा लाड़ आ रहा था." फ़िर हमारी ओर मुड़कर बोले "आज दिखाता हूं तुम दोनों को, चलो मेरे कमरे में" कहकर वे मेरे और लीना के कान पकड़कर बाहर ले गये.
मैडम ने बोलने की कोशिश की "सर ... उनका कोई कुसूर नहीं है ... वो तो .."
"मैडम, मैं आप से बाद में बोलूंगा, पहले इनकी खबर लूं. और आप बैठिये यहीं चुपचाप" मैडम को डांट लगाकर वे खींच कर हम दोनों को बाहर लाये.
बाहर आते समय मैडम पीछे से फ़ुसफ़सा कर मुझे बोलीं "घबरा मत अनिल, सर गुस्से में हैं, माफ़ी मांग लेना तो शांत हो जायेंगे. जैसा वो कहें वैसे करना तो माफ़ कर देंगे, हं सख्त पर दिल के नरम हैं"
बाहर आ कर सर ने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया. "क्या हो रहा था ये? बोलो? बदमाशी कर रहे थे ना तुम दोनों?" सर हम पर चिल्लाये.
हम दोनों चुप खड़े रहे. फ़िर मैं हिम्मत करके बोला "नहीं सर, मैडम की तबियत ठीक नहीं थी तो ..."
"तो उनके बदन को मसलने लगे दोनों? क्यों? मैडम इतनी अच्छी लगती हैं तुम दोनों को कि अकेले में उनपर हाथ साफ़ करने लगे?"
"नहीं सर ..."
"क्या मतलब? मैडम अच्छी नहीं लगतीं?" वे मेरे कान पकड़कर बोले. मैं डर के मारे चुप हो गया.
"चुप क्यों है? मैंने पूछा कि क्यों कर रहे थे ऐसा काम तुम दोनों? तू बता अनिल, मैडम अच्छी लगती हैं तुझे, इसलिये कर रहे थे? ..." चौधरी सर मेरे कान को मरोड़ते हुए बोले " ... या और कोई वजह है?" मैं बिलबिला उठा. बहुत डर लग रहा था. न जाने वे मेरी क्या हालत करें.
"सुना नहीं मैंने क्या कहा? मैडम अच्छी लगती हैं?" उन्होंने मेरे गाल पर जोर से चूंटी काटी. बहुत दर्द हुआ. धीमी आवाज में मैं बोला "हां सर"
"क्या पसंद है? उनकी बुर या मम्मे?" मेरे हाथ को पकड़कर वे बोले. मैं डर के मारे उनकी ओर देखने लगा.
"बता नहीं तो इतनी मार खायेगा कि अस्पताल पहुंच जायेगा, चल बोल ... तेरी दीदी मैडम के मम्मे मसल रही थी और तू साड़ी उठाकर मैडम की बुर देख रहा था, इसलिये मैंने पूछा कि क्या अच्छा लगता है तुम लोगों को, बुर या मम्मे?" और कस के मेरा कान और मरोड़ दिया.
"सर... सब अच्छा लगता है सर ..... पर सर जान बूझकर नहीं किया हमने सर"
"अब तुझे पीटूं, तेरी मरम्मत करूं और तेरे घर में बताऊं कि पढ़ाई करने आता है और क्या लफ़ंगापन करता है इधर?" चौधरी सर ने मेरी गर्दन पकड़कर पूछा.
"नहीं सर, प्लीज़, बचा लीजिये, अब कभी नहीं करूंगा" मैं गिड़गिड़ाया.
"और तू लीना? शरम नहीं आती? छोटे भाई के साथ यहां पढ़ने आती है और ऐसा छिनालपन करती है?" चौधरी सर ने लीना दीदी की ओर देखकर कहा.
दीदी तो रोने ही लगी. मुझे मैडम ने बताया था वो याद आया कि सर जो कहें चुपचाप सुनना, उनसे माफ़ी मांग लेना. मैं चौधरी सर के पैर पड़ गया. "सर, बचा लीजिये, आप कहेंगे वो करूंगा"
"और ये छोकरी, तेरी दीदी?" चौधरी सर ने दीदी की चोटी पकड़कर खींची.
"सर ये भी करेगी" मैं दीदी की ओर देखकर बोला "दीदी, बोलो ना"
"हां सर, आप जो कहेंगे वो करूंगी, कुछ भी सजा दीजिये सर, पर घर पर मत बताइये सर ... प्लीज़" दीदी आंसू पोछती हुई बोली.
"अच्छा ये बताओ, सच में मजा आता है तुम लोगों को यह सब करते हुए जो मैडम के साथ कर रहे थे?" चौधरी सर ने थोड़ी नरमी से पूछा. "अब सच नहीं बोले तो झापड़ मारूंगा. अच्छा लगता है ना ये सब करते हुए?"
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