RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
उसके बाद मैडम ने खुद अपनी छाती सहलाना शुरू किया जैसे उन्हें थोड़ी तकलीफ़ हो रही हो. छाती के बीच हाथ रखकर मलतीं और कभी अपने स्तनों के ऊपरी भाग को सहला लेतीं. अब मैं और दीदी दोनों उनके मतवाले उरोजों की ओर देखने में खो से गये थे, यहां तक कि मैडम को मालूम है कि हम घूर रहे हैं, यह पता होने पर भी हमारी निगाहें वहां लगी हुई थीं. और बुरा मानना तो दूर, मैडम भी पल्लू गिरा गिरा के झुक झुक कर हमें अपने सौंदर्य के दर्शन करा रही थीं.
पांच मिनिट बाद मैडम ने अचानक एक हल्की सी कराह भरी और जोर से छाती सहलाने लगीं.
दीदी ने पूछा "क्या हुआ मैडम?"
"अरे जरा दर्द है, कल शाम से ऐसा ही दुख रहा है. कल हम दोनों मिल कर जरा पलंग उठा कर इधर का उधर कर रहे थे तब शायद छाती के आस पास लचक सी आ गयी है. सर बोले कि आते वक्त दवाई ले आयेंगे"
दीदी ने मेरी ओर देखा. मैडम बोलीं "मालिश करने से आराम मिलता है पर मुझे खुद की मालिश करना नहीं जमता ठीक से. अब सर आयेंगे तब ..."
मैंने दीदी को कोहनी मारी कि चांस है. दीदी समझ गयी. पर मुझे आंखें दिखा कर चुप रहने को बोली. उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि खुद मैडम को कुछ कहे.
मैडम ने थोड़ा और पढ़ाया, फ़िर उठकर पलंग पर लेट गयीं.
लीना बोली "मैडम, आप की तबियत ठीक नहीं है, हम जाते हैं, कल आ जायेंगे, आप आराम कर लें"
मैडम बोलीं "अरे नहीं, अभी ठीक हो जायेगा. लीना, जरा मालिश कर दे तू ही. जरा आराम मिले तो फ़िर ठीक हो जाऊंगी. सर को आने में देर है, और अभी तो तुम लोगों के दो लेसन भी लेना है"
लीना दीदी ने मेरी ओर देखा. मैंने उसे आंख मार दी कि कर ना अगर मैडम कह रही हैं. दीदी शरमाते हुए उठी. बोली "मैडम, तेल ले आऊं क्या गरम कर के?"
"अरे नहीं, ऐसे ही कर दे. और अनिल, तुझे बुरा तो नहीं लगेगा अगर मैं कहूं कि मेरे पैर दबा दे. आज बदन टूट सा रहा है, कल जरा ज्यादा ही काम हो गया, इन्हें भी अच्छी पड़ी थी घर का फ़र्निचर इधर उधर करने की" वे अंगड़ाई लेकर बोलीं.
मैं झट उठ कर खड़ा हो गया "हां मैडम, कर दूंगा, बुरा क्यों मानूंगा, आप तो मेरी टीचर हैं, आप की सेवा करना तो मेरा फ़र्ज़ है"
मैं साड़ी के ऊपर मैडम के पैर दबाने लगा. क्या मुलायम गुदाज टांगें थीं. लीना उनकी छाती के बीच हाथ रखकर मालिश करने लगी.
मैडम आंखें बंद करके लेट गयीं, दो मिनिट बाद बोलीं "अरे यहां नहीं, दोनों तरफ़ कर, जहां दर्द है वहां मालिश करेगी कि और कहीं करेगी!" कहके मैडम ने उसके हाथ अपने मम्मों पर रख लिये. दीदी शरमाते हुए उनकी ब्लाउज़ के ऊपर से उनकी छाती की मालिश करने लगी. मैंने दीदी को आंख मारी कि दीदी मैं कहता था ना कि मैडम को बोलेंगे तो कुछ चांस मिलेगा. दीदी ने मुझे चुप रहने का इशारा किया. उसका चेहरा लाल हो गया था, साफ़ थाकि उसे इस तरह मैडम की मालिश करना अच्छा लग रहा था.
"ऐसा कर, मैं बटन खोल देती हूं. तुझे ठीक से मालिश करते बनेगी. और अनिल, तू साड़ी ऊपर सरका ले, ठीक से पैर दबा और जरा ऊपर भी कर, मेरी जांघों पर दबा, वहां भी दुखता है"
मैडम ने बटन खोले. सफ़ेद लेस वाली ब्रा में बंधे उनके खूबसूरत सुडौल स्तन दिखने लगे. दीदी ने उन्हें पकड़ा और सहलाने लगी. मैडम ने आंखें बंद कर लीं. कुछ देर बाद लीना दीदी के हाथ पकड़कर अपने सीने पर दबाये और बोलीं "अरी सहला मत ऐसे धीरे धीरे, उससे कुछ नहीं होगा, दबा जरा .... हां ... अब अच्छा लग रहा है, लीना .... और जोर से दबा"
मैंने साड़ी ऊपर कर के मैडम की गोरी गोरी जांघों की मालिश करनी शुरू कर दी. मेरा लंड खड़ा हो गया था. लीना दीदी अब जोर जोर से मैडम के मम्मों को दबा रही थी. उसकी सांसें भी थोड़ी तेज चलने लगी थीं. मेरे हाथ बार बार मैडम की पैंटी पर लग रहे थे. मैडम बीच बीच में इधर उधर हिलतीं और पैर ऊपर नीचे करतीं, इस हिलने डुलने से उनकी साड़ी और ऊपर हो गयी.
मुझसे न रहा गया. मैंने चुपचाप मैडम की पैंटी थोड़ी सी बाजू में सरका दी. दीदी देख रही थी, पर कुछ नहीं बोली. अब वो भी मस्ती में थी. मैडम के मम्मे कस के मसल रही थी. मैडम को जरूर पता चल गया होगा कि मैंने उनकी पैंटी सरका दी है. पर वे कुछ न बोलीं. बस आंखें बंद करके मालिश का मजा ले रही थीं, बीच में लीना के हाथ पकड़ लेतीं और कहतीं ’अं ... अं ... अब अच्छा लग रहा है जरा ..."
मैंने मौका देख कर साड़ी उठाकर उसके नीचे झांक लिया, सरकायी हुई पैंटी में से मैडम की गोरी गोरी फ़ूली बुर की एक झलक मुझे दिख गयी.
क्रमशः ..................................
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