RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
एक दो बार मैंने उसकी ट्रेनिंग ब्रा और पैंटी उसकी अलमारी से चुरा कर उसमें मुठ्ठ मारी. वैसे बाद में धो कर रख दी पर उसे पता चल गया, उसने उस दिन मुझे जांघ में अपने बड़े नाखूनों से इतनी जोर से चूंटी काटी कि मैं बिलबिला उठा. चूंटी काटते वक्त मेरी ओर देख रही थी मानों कह रही हो कि ये तो बस जांघ में काटी है, ज्यादा करेगा तो कहीं भी काट सकती हूं. उसके बाद ऐसा करने की मेरी हिम्मत नहीं हुई. पर लगता है कि बाद में दीदी को मुझपर तरस आ गया. एक दिन मुझे बोली कि अनिल, इस प्लास्टिक के बैग में मैंने अपने पुराने कपड़े रखे हैं, वो नीचे जाकर नानी ने जो झोला बनाया है बुहारन को कपड़े देने के लिये उसमें डाल दे, अपने भी पुराने कपड़े ले जा.
मैंने जाते जाते उस बैग में देखा, दीदी के कपड़े और मैं उनमें हाथ ना डालूं! दीदी की सलवार कमीज़ के नीचे एक पैंटी और ब्रा भी थी. पुरानी नहीं लग रही थी, बल्कि वही वाली थी जिसमें मैंने मुठ्ठ मारी थी. मैंने चुपचाप उसे निकालकर अपनी अलमारी में छुपा लिया. बाद में लीना दीदी ने पूछा कि दे आया कपड़े? मैंने हां कहा और नजर चुरा ली. फ़िर कनखियों से देखा तो दीदी मन ही मन मुस्करा रही थी. बाद में उस पैंटी और ब्रा में मैने इतनी मुठ्ठ मारी कि हिसाब नहीं. हस्तमैथुन करता था और दीदी को दुआ देता था.
कहने का तात्पर्य ये कि मुझमें और दीदी में आपसी आकर्षण फटाफट बढ़ रहा था, पर अभी सीमा को लांघा नहीं था. और जैसा आकर्षण मुझे लीना दीदी की ओर लगता था, और शायद उसे थोड़ा बहुत मेरी ओर लगता हो, उससे ज्यादा हम दोनों को सर और मैडम की तरफ़ लगता. पहले हम इसके बारे में बात नहीं करते थे पर एक दिन आखिर हिम्मत करके मैंने दीदी से कहा "दीदी, मैडम कितनी सुंदर हैं ना? फ़िल्म में हीरोइन बनने लायक हैं" तो दीदी बोली "हां मैडम बहुत खूबसूरत हैं अनिल. पर ऐसा क्यों पूछ रहा है? क्या इरादा है तेरा?"
"कुछ नहीं दीदी. मैं कहां कुछ करता हूं? बस देखता ही तो हूं"
"पर कैसे देखता है मुझे मालूम है. अब कोई बदमाशी नहीं करना नहीं तो सर मारेंगे"
"तुझे भी तो सर अच्छे लगते हैं दीदी, झूट मत बोल. कैसे देख रही थी कल उनको जब वे अंदर के कमरे में शर्ट बदल रहे थे! दरवाजे में से मुड़ मुड़ कर देख रही थी अंदर, अच्छा हुआ मैडम तब हमारी नोटबुक जांच रही थीं और उन्होंने देखा नहीं, नहीं तो तेरी तो शामत आ ही गई थी"
दीदी झेंप गयी फ़िर बोली "और तू कैसे घूरता है मैडम को. कल उनका पल्लू गिरा था तो कैसे टक लगा कर देख रहा था उनकी छाती को. तुझे अकल नहीं है क्या? उन्होंने देख लिया तो?"
"वैसे पेयर अच्छा है" मैंने कहा.
दीदी बोली "कौन से पेयर की बात कर रहा है?"
"दीदी, सर और मैडम का पेयर! तुमको क्या लगा? अच्छा दीदी, ये बात है, तुम उस पेयर की बात कर रही थीं जो मैडम की छाती पर है! अब बदमाशी की बात कौन कर रहा है दीदी?"
दीदी मुंह छुपा कर हंसने लगी. वो भी इन बातों में कोई कम नहीं है.
"दीदी, मैडम को बोल कर देखें कि वे हमें बहुत अच्छी लगती हैं? शायद कुछ जुगाड़ हो जाये, एक दो प्यार के चुम्मे ही मिल जायें. मुझे लगता है कि उनको भी हम अच्छे लगते हैं. कल नहीं कैसे चूम लिया था हम दोनों के गाल को उन्होंने, जब टेस्ट में अच्छे मार्क मिले थे?"
"चल हट शरारती कहीं का. कुछ मत कर नहीं तो मार पड़ेगी फ़ालतू में. वैसे तो आज सर ने भी मेरे बाल सहला दिये थे और मेरी पीठ पर चपत मार के मुझे शाबाशी दी थी जब मैंने वो सवाल ठीक से सॉल्व किया था." दीदी बोली. वैसे उसे भी सर और मैडम बहुत अच्छे लगते थे ये मुझे मालूम था. पिछली बार वह चुपचाप उनके एल्बम में से उन दोनों का एक फ़ोटो निकाल लाई थी और अपने तकिये के नीचे रखती थी.
हमारी ये बात हुई उस रात हम दोनों को नींद देर से आयी. मैंने तो मजा ले लेकर मैडम को याद करके मुठ्ठ मारी. बाद में मुझे महसूस हुआ कि दीदी भी सोई नहीं थी, अंधेरे में भले दिखता न हो पर वो चादर के नीचे काफ़ी इधर उधर करवट बदल रही थी, बाद में मुझे एक दो सिसकियां भी सुनाई दीं, मुझे मजा आ गया, दीदी क्या कर रही थी ये साफ़ था.
इस बात के दो तीन दिन बाद हम जब एक दिन पढ़ने पहुंचे तो चौधरी सर बाहर गये थे. मैडम अकेली थीं. आज वे बहुत खूबसूरत लग रही थीं. उन्होंने लो कट स्लीवलेस ब्लाउज़ पहन रखा था और साड़ी भी बड़ी अच्छी थी, हल्के नीले रंग की. पढ़ाते समय उनका पल्लू गिरा तो उन्होंने उसे ठीक भी नहीं किया, हमें एक नया सवाल कराने में वे इतनी व्यस्त थीं. ब्लाउज़ में से उनके स्तनों का ऊपरी हिस्सा दिख रहा था. मैं बार बार नजर बचाकर देख रहा था, एक बार दीदी की ओर देखा तो उसकी निगाह भी वहीं लगी थी.
बाद में मैडम को ध्यान आया तो उन्होंने पल्लू ठीक किया पर एक ही मिनिट में वो फिर से गिर गया. इस बार मैडम ने नीचे देखा पर उसे वैसा ही रहने ही दिया. उसके बाद मैडम हमें कनखियों से देखतीं और अपनी ओर घूरता देख कर मुस्करा देती थीं. मेरा लंड खड़ा होने लगा. दीदी समझ गयी, मुझे कोहनी से मार कर सावधान किया कि ऐसा वैसा मत कर.
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