RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
मेरे दोनों पैर अपने कंधेपर लेते हुए उसने खड़े खड़े मेरे चूत को खुला दिया। मेरे नितम्बोसे ऊपरवाला हिस्सा बेडपर था।और जांघोसे नीचेवाला हिस्सा हवामे होते हुए रवि के कंधे पर था। उसने खुदको पोझीशन में लाते हुए मेरे चूत में अपना तगडा लंड इतनी जोरसे पेला की मुझे उसका लंड एकदम जड़ तक जाता हुआ महसूस हुआ। रवि ने मेरी जांघे पकड़ी थी।इसीलिए मै हिल भी न सकी। खड़े खड़े चोदना रवि को आसान हो रहा था इसी लिए वो खूब जोर जोरसे चोद रहा था। मेरा पसीना निकला जा रहा था। हरेक बार अन्दर पहुचा हुआ उसका लंड मेरे गर्भाशय के द्वार पर ठोकर मार रहा था। अन्दर जाते समय उसका फुला हुआ लंड का टोप मेरे भगनासा एवम चूत के अंदरूनी हिस्से को घर्षण कर रहा था। मेरी जीवन की सबसे उम्दा और बढ़िया चुदाई का मुझे आनंद रहा था। अपने दामाद को मन ही मन मै धन्यवाद् दे रही थी। करीब बीस मिनट अपनी पूरी ताकत लगाईं हुई चुदाई करने के बाद ही रवि ने मेरे चूत के अन्दर अपना पानी छोड़ा। पानी निकलातेही उसका लौड़ा बाहर निकला। मैंने उसे अपने मुह में लेके साफ़ किया। चूत के घर्षण से रवि का लंड लाल लाल हुआ था। मेरी चूत भी सुजन के कारन पाव रोटी लग रही थी। इश्वर मुझे कितना सुख दे रहा है यही सोचते सोचते मै खुदको बाथरूम की तरफ ले गयी।
दोस्तों, दामादके साथ सुजाताका यह संबध सुजाताकी बेटी बच्चा होनेके बाद अपने ससुराल वापस जानेतक रहा। उसके बाद सुजाताकी जिन्दगीमे अचानक मोड आया। सुजाताके पति को पहलेसेही शुगर की बीमारी थी। ऑफिस के ज्यादा काम की वजहसे उसे बीपी का भी प्रॉब्लम शुरू हुआ। फिर दोनों औरंगाबाद आये। पति के अनुभवि होने के कारन उन्हें नौकरी तुरंत मिली। वो एक फैक्ट्रीमें अकाउंटेंटका काम करने लगे। इस गावमें उन्हें मैनेही मेरे बाजुवाले फ्लैट किराएसे दिलवाया। औरंगाबाद आई तब सुजाता करीब चालीस साल की थी। मगर वो किसीभी तरहसे तीससे ज्यादा नहीं लगती थी। उसमे गजबका सेक्स भरा था। साथ साथ रहनेसे हम दोनों काफी करीब आये। मै एल आय सी एजंट था। मेरे असिस्टेंट का काम सुजाता करने लगी। दोनों साथ काम करते थे। एक दुसरे के प्रति आकर्षित होना नेचुरल था। मेरी बीवी के कुछ प्रोब्लेम्स थे।जिसकी वजहसे हम दोनों मिया-बीवी में शारीरिक संबध बिलकुल नहीं थे। ऐसेमें सुजाता जैसा सेक्स बम मेरे साथ रहता था। उसके बदन का दीवाना मै कब बना इसका मुझे पताही नहीं चला। मैंने और सुजाताने एक दुसरे को हर तरहसे भोगा था। मेरे पत्नी को भी इस सम्बधोकी जानकारी थी।पर वो मुझे सेक्स का सुख नहीं दे सकती थी और सुजाता का पति उसे सेक्स देने को काबिल नहीं था।
कुछ साल बाद सुजाता के पति हार्ट अटैक से गए। सुजाताने अपने बेटे के साथ अभी न जाने का फैसला किया। मेरे परिवार में मेरे पत्नी के प्रॉब्लम की वजह से बच्चे नहीं थे। हमने सुजाताको हमारे घरमें रखवा लिया था। एक दिन सुजाता ने अपने लडके के घर जाने का फैसला किया। उसे रोकनेवाले हम कौन थे। मगर जाने से पहले सुजाता ने अपने जीवन की कहानी मेरे सामने रखी। सब सुननेपर मै दंग रह गया।
मेरे पत्नी ने इसे शब्दबद्ध करके किसी कथा के रूपमें आप सब लोगोतक पहुँचाने में मेरी बहोत मदद की। इसी लिए सुजाता की जीवनी अगर आपको पसंद आई तो इसका श्रेय मेरी पत्नी का भी है।
दोस्तों, यह थी सुजाता की जीवनी
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