RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
मैंने अपने पैर उठाके उसको थोड़ी मदद की। मेरी गांड थोड़ी ऊपर होतेही रवि का लंड और तेजीसे मेरे चुतमे जाने लगा। रवि को अब आसन थोडा आसान हो रहा था। वो जोर जोरसे चोदने लगा।थोडीही देर में मुझे लगा की अब रवि ज्यादा टिकनेवाला नहीं है। मैंने दिवारपे अपने हाथ मजबूत किये और रवि को फाइनल अटैक करने कहा। रवि अब बहोत स्पीड से धक्के लगाने लगा। उसके स्पीडसे मुझे लगा कही मेरे हाथ दिवार से फिसल न जाये। मै उसके वीर्य को अपने चुतमे अन्दर लेनेको तैयार थी। रविने अपना बम फोड़ा। उसके लंडसे जोर से वीर्य की धार निकली। किसी स्प्रे से जैसा तेज बहाव उसके वीर्यपतन का था। वीर्यस निकलनेके बाद भी करीब वो पांच मिनट मेरी चूत को चोद रहा था। आखिर जब उसका लंड मुरझाया तब उसने लंड को मेरे चूत से अलग किया।पचाक ऐसी आवाज आई। लंड बाहर आतेही मेरे चुतसे वीर्य का प्रवाह बाहर आना शुरू हुआ। शावर की पानी से सब कुछ धो गया। मै बिलकुल ख़तम हुई थी। मुझे खड़े रहने की ताकत मुझमे नहीं थी। मैंने बाथरूम में टेंगा हुआ टॉवल बदन पे लिया। मेरी हालत देख के रवि ने मुझे अपने बाहोमे उठाया और मुझे बेडपर लेके आया। मै बेडपर जैसे ही गिरी मै तुरंत सो गयी। थकनेसे मेरी आँख कब लगी मुझे पता ही नहीं लगा।
करीब चार बजे मेरी आँख खुली तो मैंने अपने आपको रविके आगोशमें पाया। रवि मेरे चुतडोमे अपना लंड दबाके सोया था। पिछेसे वो मुझे आलिंगनमें लेकर सोया था। उसके दाए हाथमे मेरा दाया वक्ष था। मै उसके बाये बाजुओपर सर रखके सोयी थी। वो अभीभी बेसुध सोया था। न जाने कितने दिनों बाद उसने औरतको भोगा था। सुबहसे अबतक वो तीन बार वीर्य-पतन कर चूका था। मेरे हिलनेसे मेरे दोनों चुतडोमे फसा हुआ उसका लंड पक्काक करते हुए चुतडोसे अलग हुआ। मैंने मुडके देखा,सुबह्से तिन बार होनेके बावजूद वो अभीभी काफी बड़ा था। वो फुल्ली इरेक्ट नहीं था। अभी लंड सेमी-इरेक्ट था। फिर भी और मर्दोसे काफी बड़ा दिखता था। कई बार राह चलते मर्द लोग पेशाब करते हुए उनके लंड दिखाते है। कई लोग तो जैसेही कोई औरत वहासे गुजरती है तो खुदको तिरछा करके अपना लंड औरतके नजरमें लानेकी कोशिश करते है। ऐसे ढेर सारे लंडोके मुकाबले रवि-मेरे दामादका लंड बहोत बड़ा है। मेरी बेटी अपने पहले डिलीवरीके बाद शायद अपने पती का पूरा लंड अपने चुतमे लेकर उसे संतुष्ट जरुर रखेगी। लेकिन तब तक मुझे मेरे दामाद को यहाँ-वहा भटकानेसे रोकना पड़ेगा। मन में सोचते सोचते मै अपने हाथ में रवि का लौडा लेकर उसे ध्यानसे देख रही थी। सुबह जब रवि का लंड मैंने पहले मुहमे लिया था तब उसपर छोटे छोटे बालथे ।मगर अब उसके लंड-गोतिया पूरा प्रदेश बाल विरहित था। शायद रवि ने नहाते वक्त बाल-दिन मनाया था। उसका लंड और गोटिया पुरे बहोत नरम और चिकने लग रहे थे। मैंने रवि की गोटिया एक-एक करके मुहसे चूसने लगी। बहोत नरम स्किन थी। थोड़ी देरमें रवि जाग उठा। नींद खुलतेहि कोई औरत अपना लंड और गोटिया चूसते हुए पाना किसीभी मर्द के लिए सपना पूरा होने जैसा होता है। रवि अपने नसीबमें ये सुख पाकर बाग-बाग हुआ। वो अत्यंत आनंदी एवम भाव-विभोर हो उठा था। उसने अपने हाथसे मेरा सर अपने लंडपर जोरसे दबाया। वो अपने जगहसे उठकर मेरे बदनपे आया। वो उल्टा हुआ। मेरे मुहमे उसका लंड और वो उपरसे मेरे चूतमें अपनी जीभ डालकर चूसने लगा। मेरे भगनासाको जैसेही उसने अपने जीभसे चाटना शुरू किया मै अपने आप को रोकना मुश्किल समझ गयी। मेरे चूतके दोनों ओंठ फड़कने लगे। रवि अपनी जीभ और अन्दर डालने लगा। साथही वो अपने उन्गलिसे मेरे चूतमें उंगली चुदाई करने लगा। मुझे यह सब मेरे नियंत्रणके बाहर जाते हुए लग रहा था।मैंने रवि को इशारा किया। वो भी यही चाहता था। वो सेकोन्दोमे बेडसे नीचे आया। मेरे पैरोकी तरफ खड़ा होके उसने मुझे अपनी तरफ खिंचा।
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