RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
हम अस्पताल पहुचे तो दो मिनटमें हमारा नंबर आया। नेहा डॉक्टर के केबिन गयी। मै बाहर टाइमपास कर रही थी। इतने में वहा गीता आई। गीता शर्माजी की बड़ी बेटी थी। गीता को वहा देखके मुझे बड़ा अचम्भा हुआ। गीता आतेही मेरे गले से लगी। उसे नर्सिंग होम में मै देखके हैरान थी। उसकी शादी कब हुई ये मुझे मालूमही न था। मैंने उसे सवालोकी झड़ी लगाई। उसने कहा।चाचीजी सब कुछ बताती हु थोडा धीरज तो रखो। उसके साथ उसका पती और सासुजी आई थी। उसने मेरा परिचय सबसे कराया। उसका नंबर आने में थोडा टाइम था इसीलिए वो मुझे उसकी शादीके बारेमे बताने लगी। गीता ने लव-म्यारेज किया था। शर्माजी इसके खिलाफ नहीं थे पर उनकी पत्नीने बड़ा विरोध जताया था। इसलिए मंदिरमें शादी हुई। इसीलिए मुझे न्योता नहीं था।
गीता ने जिससे शादी की वो इक अच्छा बिजनेसमैन था। वो लोग इसी शहर रहते थे। गीता को जब मैंने नेहाके गर्भवती होनेका बताया तो वो खुशीसे नाच उठी। उतनेमे नेहा बाहर आई। नेहा और गीता मिलतेही पागलो जैसी नाच रही थी। गीता के सासुमाने दोनों को सम्हाला। गीता के चेक-अप होने तक हम रुके। फिर हम सब ने जूस पिया।बादमे गीता हमें उसके साथ चलनेकी जिद कर रही थी।जब मैंने उसे बताया की रवि-नेहा का पति हमारा इंतजार कर रहा है तो उसने मुझे कहा-चाची, कितने दिनों बाद हम सहेलिया मिले है, आज शाम तक मै नेहा को अपने घर ले जाती हु। उसकी ससुमाने भी मुझे बताया की शादी के बाद गीता को नागपुर से कोई मिलने नहीं आता है। बस शर्माजी दो बार मिलने आये थे। मैंने भी ठीक समझ के नेहा को उनके साथ भेजा। उनकी कार थी। शाम को उसी कार से गीता नेहा को छोड़नेवाली थी। मैंने नेहा को उनके साथ भेजके मै चलते चलते निकली। राह चलते लोगोकी निगाहे मुझे समझ आ रही थी। मुझे थोडासा डर लगा। मैंने ऑटो पकड़ी और बाजार गयी।
बाजार में रवि आके रुका था। आज उसने झब्बा-पायजामा पहना था। उसके गठीले बदन पे बहोत जच रहा था। मुझे अकेली को देखतेही उसके मुह्पे सवाल आया। मैंने उसे सब बताया। सब सुननेके बाद वो खुश हो गया। मेरी समझ में उसके ख़ुशी की वजह आ गयी। मुझे थोड़ी शर्म आ रही थी। मेरे गाल आरक्त हुए थे। धीरेसे मेरे हाथ छुते हुए रवि मुझसे बोला -अब चलो भी, जल्दी से मार्किट निपट लेते है और घर चलते है। धुप बढ़ रही है। हमने शौपिंग पूरी की।सब्जी मंडी जाके सब्जी ली। सब्जी लेते वक्त रवि बहोत उतावला हो रहा था। वो बार बार मेरे पीछे आके मेरे गांडपे अपना लंड रगड़ रहा था। मुझे लग रहा था की शायद उसने अन्दर से कच्छी पहनी नहीं थी। सब्जी लेने के बाद जब हम घर निकले तो उसने स्कूटी की चाबी मेरे हाथ दी। मै स्कूटी चलाने लगी। वो पीछे बैठा था। जैसेही गाड़ी चल पड़ी वो आगे खिसका और मेरे कमर को पकडके मेरे दोनों चुतडोके बीच अपना लंड घुसाने लगा। मैंने गाड़ी रोकी और उसे गाड़ी चलाने को कहा। अब मै पीछे बैठी और मैंने धीरेसे उसके कुर्तेसे अन्दर हाथ लेके उसके लंड तक ले गयी। कुर्ते के अन्दर हाथ डालतेही मुझे शॉक लगा। उसने पायजामा के बटन खुले ही रखे थे। उसका लंड मेरे हाथ में आ गया।
उसके लंड को छेड़ते छेड़ते हम घर तक आ गए। मैंने आगे होकर ताला खोला। फेन फुल फ़ास्ट करके मै पानी पि रही थी उतने में रवि अन्दर आ गया।
|