RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
मै भी अचंभे में पड़ गयी। हम दोनों को हैरान देखके नीता खुद ही उठ के मेरे पास आ गयी। और मुझे बाहोमे लेके चूमने लगी। उसके इस डायरेक्ट अटैकसे हमारी शर्म कम हो गयी और हम तीनो एक दुसरे से लिपटने लगे। निलेश मुझे बाहोमे लेकर किस करने लगा।साथ ही साथ वो मेरे चूचीको दबा रहा था। उधर नीता हम दोनोके कपडे उतारने लगी उसने पहले निलेश और बादमे मेरे कपडे उतारे। मगर उसने खुद के कपड़ोको हाथ नहीं लगाया। एक हाथ से निलेश का लंड और दुसरे हाथसे मेरी चूत सहलाने लगी। निलेशके लंड को हाथ में लेकर किस करने लगी। दुसरे हाथ की उन्गलिसे वो मेरे चूतमें उंगली चुदाई करने लगी। हम दोनों गरम लगे थे। मै भी निलेश के चुताड़ोंको दबाने लगी। वो मेरे चुतड ऐसे रगड़ रहा था जैसे कोई खाना बनाने से पहले आटा मिलाता हो। नीता निलेश का लंड मुह में लेकर चूस रही थी। उसका लंड बड़ा होने लगा। वो ज्यादा लम्बा लंड तो नहीं था पर जाड़ा बहोत था। उसको मैंने हाथ में लिया तो एक हाथ की मुठी में नहीं समाया। निलेश के लंड की टोप बहोत बड़ी थी। मै और निलेश दोनों पुरे गर्माहट पे थे। नीता की कृपा से मेरी चूत गीली हुई थी और लंड चुसनेसे गिला था। मुझे बेड पे सुलाके मेरे दोनों पैरो के बीच में निलेश आ बैठा। उसने धीरे से मेरे चूत में अपना मुह लगाके और गिला किया और धीरे धीरे मेरे पैर दोनों तरफ तानके अपना लंड का सर मेरे योनिमुख पे रखा। कोई शोला मेरे चूत के द्वार पे रखा हो ऐसा मुझे लगा। फिर धीरेसे उसने अपना लंड अन्दर डालना शुरू किया। इतनी चुदी-चुदाई मेरी चूत थी फिर भी मुझे थोड़ी तकलीफ हो रही थी। उसका लंड इतना हैवी था। धीरे धीरे उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर डाला। थोडा आरामसे उसने मुझे चोदना शुरू किया। उसका चोदने का तरीका शर्माजिसे बिलकुल अलग था। शर्माजी पहले स्लो करते थे और धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाते थे। चोदते समय शर्माजी पूरा लंड बहार नहीं निकालते थे। आधा लंड बाहर करके फिर अन्दर पेलते थे। मगर निलेश का स्टाइल अलग था। धक्के लगाते समय वो करीब करीब पूरा लंड बाहर निकालके फिर जोर से अन्दर डालता था। इससे चूत और चूत के ऊपर छे इंच (निचला पेट- जहा सेन्सीटीविटी ज्यादा होती है) जोर से प्रहार होता था। लम्बाई में छोटा होने के बावजुद जोर से प्रहार करनेकी स्टाइल से मेरा बदन जवाब देने लगा। आमतौर पे इतनी जलती मै satisfy नहीं होती। आज निलेश के इतने जोर से चोदने से मै जल्दी ही झड गयी। मेरे झड जाने के बाद भी निलेश के धक्के चालू ही थे। उसका धक्के का स्पीड बढ़ता गया। थोड़ी ही देर में उसने लंड मेरे चूत से निकाला। उसका बम फटनेवाला था। नीता तुरंत आगे आई। उसने निलेश लंड अपने मुह में लिया। लंड मुह में समां नहीं रहा था। वैसेही निलेश ने निताके मुह को चोदना जारी रखा और फिर फट से उसके लंड में से वीर्य आना शुरु हुआ। नीता ने लंड अपने मुह से निकाला नहीं। वो अपनी पति का तीर्थ पूरा का पूरा निगल गयी। मै परेशान होकर देख रही थी। किसी मर्द का वीर्य निगल जाना मेरे लिए नयी बात थी। निताने वीर्य का एक एक बूंद पि लिया। वीर्य पीनेसे वो बहोत खुश नजर आ रही थी। निलेश कभी मेरी ओर तो कभी नीता की ओर देख रहा था। उसके मुख पे प्रसन्नता दिख रही थी। एक साथ मर्द और औरत से चुदवाके मुझे भी बहोत आनंद आया। हमारा ये खेल जब तक हम इंदौर में थे तब तक चला। पति की नोकरी की वजह से हमें इंदौर छोड़ना पड़ा और फिर हम इस नए नए गाव में आये। बच्चे भी अब बड़े हो गए थे। बेटी अब शादी लायक हुई थी इस लिए जब रवि का रिश्ता आया तो हमने स्वीकार किया। रवि की फॅमिली जॉइंट फॅमिली है। और फॅमिली बिज़नेस भी अच्छा है। रवि अनुभव के लिए नोकरी करता था। शादी के बाद उसने नोकरी छोड़ दी और वो अभी पूरी तरह बिज़नेस में लगा। इसीलिए उसे हमारे यहाँ बिज़नेस से छुट्टी लेके आनेको मैंने कहा।
जब रवि आया तब मुझे कहा मालूम था की वो इतने बड़े लंड का स्वामी होगा और मै उसका लंड मेरे चूत में लेने के लिए इतनी दीवानी हो जाउंगी।
|