RE: Antarvasnasex रीटा की तडपती जवानी
करीना कपूर और अधनंगी कैटरीना कैफ का शीला वाला ठरकी डाँस देख बहादुर मस्त लन्ड़ को शहर की येंक्की और नशीली चूते भी चखने के लिये बेताब हो गया। शहर जा कर बहादुर ने सबसे पहले आपनी मकान मालिक की नठखट नैपालन नौकरानी पारो को रगडा। फिर सैक्सी मकान मालकीन अलका और पडोसन तमन्ना को भी नही छोडा।
फलेशबेक की तरहा पारो की जवानी बहादुर की आँखों के समने घूम गई। पारो का अंग अंग अलग अलग उस के जिस्म पर कसा था और हर चीज़ कुछ ज्यदा ही बडी थी। जवान पारो की मोटी मोटी कजरारी आखे और चितोडगढ़ से चूतड तो देखते ही बनते थे। चूच्चे ऐसे थे जैसे प्रकार से खींचे गोले हर वकत पारो गहनो से लदी और सज़ी संवरी रहती थी।
दूसरे ही दिन दुपेहर को बहादुर जब पिशाब करने बाहर निकला तो उस ने पारो को अलका के कमरे के अंदर चुपके चुपके झांकते हुऐ देखा। पारो किसी कुत्तिया सी हांफती हुई अपना हाथ से जोर जोर से अपनी चूत को घाघरे के उपर से ही रगड रही थी। थौडा सा और झुकती तो शायद पारो के थरथराते चुच्चे उस की अंगीया से बाहर ही आ जाते।
मौके का फायदा उठा कर बहादुर ने जब झुकी हुई पारो के उचके हुऐ चूतड पे हाथ फेरा तो पारो चिहुंक कर खडी हो गई और अपनी चुच्चे पे हाथ रखती फुसफुसाती बोली "दय्या रे दय्या, तूने ने तो मुझे डरा ही दिया था"।
बहादुर हाँफती पारो के फूलते पिचकते चूच्चौ को घूरता बोला "ये कया कर रही थी तुम"?
"शऽऽऽऽ चुप" चुलबुली पारो बहादुर को चुप रहने का ईशारा कर खींचं कर कोने मे ले गई और पंजौ के बल उचक कर अपनी छातीयाँ बहादुर के सीने से गाडती बहादुर के कान मे बोली "अंदर अलका आंटी और तम्मना दीदी उलटी सीधी बाते कर रही हैं"
बहादुर ने चंचल पारो के चूतडो को सहला कर मसल कर पूछा "उलटी सीधी बातों से कया मतलब"?
पारो अपने पाईनैपलौ से चुच्चे को बहादुर के सीने मे जोर से गाडती आँखो मे आँखो डाल कर अर्थपूर्ण स्वर मे बोली "मर्द औरत के बारे मे तो सुना था, पर एक औरत औरत की कैसे ले सकती है"?
बहादुर समझ गया की कमरे मे कया हो रहा है। बहादुर आँखो के तरबूज से रसभरे चूतडो को हाथो से चोड़ाता बोला "मेरी रानी मेरे कमरे मे चल तो बताता हूँ कि एक औरत दूसरी औरत की कैसे ले सकती है "
खेली खाई पारो अपने गालो पर हाथ रख खुशी से बच्चौ की तरहा उछलती और दबी आवाज में बोली "हाय मांऽऽऽ कया तुम्हे ये सब पता है "?
बहादुर आँखो के बिना बरेज्री के स्तनो को ज़ोर ज़ोर से खीचंता बोला "तू मुझे मर्द औरत के बारे मे बताना और में तुझे औरत औरत के बारे बता दुंगा। तू मेरे कमरे मे पहुच मे पिशाब कर के आया"?
चिकनी पारो चुच्चे पटवाती हुई अपनी जाघो में बहादुर के खडे लन्ड़ को रगडती और बहादुर के खम्बे से लम्बे लन्ड़ को हसरत भरी निगाहो से देख बोली "सीऽऽऽ तुम्हारा बादशाह तो बहुत शरारती है, जरा जल्दी आना मेरे राजाऽऽऽ। तुम्हारे बादशाह ने तो मेरी बेगम का दिल मोह लिया है"। पारो शहर के खस्सी और निकम्मे नामर्द लोगो से चुदवा चुदवा कर बुरी तरह से बोर हो चुकी थी।
चुलबुली पारो मुडी और बल खाती नागिन सी अपने फुटबाल से चूतडो को ठुमक ठुमक मटकाती बहादुर के कमरे की तरफ चल दी। तसमो वाली चुस्त चोली से पारो की नंगी मरमरी पीठ और कमर चमक रही थी। नीचे घुटनो तक घाघरे से झांकती खूब सुडौल पिंडलीया और पैरौं मे चांदी की पाजेब छन छन कर रही थी। उपर से पारो की लम्बी चौटी थिरकते चूतडो के बीच घड़ी के पैण्डूलम सी दाये बाये उछलते देख बहादुर को लन्ड़ की रीड की हड्डी मे सिरहन सी दौड गई।
बहादुर ने जाते जाते कमरे मे झाँक कर देखा तो तम्मना और अलका आपस चिपटी हुई सीऽऽ सीऽऽ कर एक दुसरे को बुरी तरह से चूम चाट रहीं थी। खूबसूरत अलका की गुलाबी साडी कमर तक उठी हुई थी और बलाउज चौड चपाट दरवाजे सा खुला हुआ था। अलका के गुलाबी तोतापुरी आम ठरक से खुब अकडे हुऐ और हज़ार वाट के बल्बौ की भान्ती जगमगा रहे थे। तमन्ना ने हल्के हरे रंग का सलवार और कमीज़ पहन रखी थी। तमन्ना ने टांगो को चौडा रखा था और अलका सलवार के उपर से ही तमन्ना की चूत को अपने मुह मे चुमहला रही थी। फिर अचानक ही अलका ने तमन्ना की सलवार का नाडा खींच डाला और तमन्ना की चिडीया को नंगा कर दिया तमन्ना की कंवारी दूधीया चूत ने कमरा ओर भी रौशन कर दिया।
बहादुर ने सोचा के अभी तो पारो का तन्दूर परौंठे सेकने को तैयार है। बहादुर का लन्ड़ पारो की मस्त जवानी को चखने के लिये बेताब था। बहादुर की आँखों के सामने पारो की मोटी कजरारी आँखों और शानदार चूतड घूम गये।
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